लखनऊ : प्रदेश के पिछड़े विकासखंडों में बनाये गए 166 मॉडल स्कूलों को पंडित दीनदयाल उपाध्याय के नाम से चलाने की योगी सरकार की मंशा की राह में शिक्षकों की कमी आड़े आएगी। सरकार ने अगले शैक्षिक सत्र से इन विद्यालयों को संचालित करने का एलान तो कर दिया है लेकिन, इनमें तैनात किये जाने वाले शिक्षकों के चयन की प्रक्रिया अब तक शुरू नहीं हो पायी है। ऐसे में आसार हैं कि इन विद्यालयों में शिक्षकों की तैनाती जुगाड़ तकनीक के भरोसे रहेगी।
मनमोहन सरकार ने शैक्षिक दृष्टि से पिछड़े विकासखंडों में केंद्रीय विद्यालय की तर्ज पर मॉडल स्कूल संचालित करने की योजना शुरू की थी। इस योजना के तहत प्रदेश में 166 मॉडल स्कूल बनाये गए हैं। मोदी सरकार के मॉडल स्कूल योजना से हाथ खींच लेने पर पूर्ववर्ती अखिलेश सरकार ने इन स्कूलों को पीपीपी मॉडल पर चलाने का निर्णय किया था। पीपीपी मॉडल पर तो मॉडल स्कूलों का संचालन शुरू नहीं हो पाया, अलबत्ता अखिलेश सरकार ने मंडल मुख्यालय वाले जिलों में बनाये गए 18 मॉडल विद्यालयों को समाजवादी अभिनव विद्यालय के नाम से चालू कर दिया था।
अब योगी सरकार प्रदेश में बने 166 मॉडल स्कूलों को अप्रैल 2018 से पंडित दीनदयाल उपाध्याय के नाम से राजकीय विद्यालय के तौर पर संचालित करना चाहती है। मॉडल स्कूलों के संचालन में सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि इनमें नियुक्त किये जाने वाले शिक्षकों के चयन की प्रक्रिया अभी तक शुरू नहीं हुई है। दूसरी तरफ राजकीय माध्यमिक विद्यालय खुद शिक्षकों की जबर्दस्त कमी से जूझ रहे हैं। योगी सरकार ने राजकीय माध्यमिक विद्यालयों में एलटी ग्रेड शिक्षकों की भर्ती उप्र लोक सेवा आयोग की ओर से आयोजित करायी जाने वाली राज्य स्तरीय परीक्षा के आधार पर करने का फैसला किया है।
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