DISTRICT WISE NEWS

अंबेडकरनगर अमरोहा अमेठी अलीगढ़ आगरा इटावा इलाहाबाद उन्नाव एटा औरैया कन्नौज कानपुर कानपुर देहात कानपुर नगर कासगंज कुशीनगर कौशांबी कौशाम्बी गाजियाबाद गाजीपुर गोंडा गोण्डा गोरखपुर गौतमबुद्ध नगर गौतमबुद्धनगर चंदौली चन्दौली चित्रकूट जालौन जौनपुर ज्योतिबा फुले नगर झाँसी झांसी देवरिया पीलीभीत फतेहपुर फर्रुखाबाद फिरोजाबाद फैजाबाद बदायूं बरेली बलरामपुर बलिया बस्ती बहराइच बागपत बाँदा बांदा बाराबंकी बिजनौर बुलंदशहर बुलन्दशहर भदोही मऊ मथुरा महराजगंज महोबा मिर्जापुर मीरजापुर मुजफ्फरनगर मुरादाबाद मेरठ मैनपुरी रामपुर रायबरेली लखनऊ लख़नऊ लखीमपुर खीरी ललितपुर वाराणसी शामली शाहजहाँपुर श्रावस्ती संतकबीरनगर संभल सहारनपुर सिद्धार्थनगर सीतापुर सुलतानपुर सुल्तानपुर सोनभद्र हमीरपुर हरदोई हाथरस हापुड़

Saturday, December 19, 2015

शिक्षा की ‘‘दुकानों’ के आगे बेबस हैं शिक्षक व अभिभावक

📌 फीस बढ़ाने के बाद भी नहीं दे रहे शिक्षकों को छठां वेतनमानदसार्वजनिक अवकाश में भी बुलाये जाते हैं शिक्षक

लखनऊ । ‘‘ना खुदा ही मिला ना विसाले सनम, न इधर के रहे न उधर के रहे’ की कहावत निजी स्कूलों में कार्य कर रहे शिक्षकों पर सटीक बैठती है, छठां वेतनमान का सब्जबाग दिखाकर वर्षो से नौकरी करा रहे इन कालेजों में सार्वजनिक अवकाशों में भी ड्यूटी बजवाई जाती है। शिक्षा की इन निजी ‘‘दुकानों’ में फीस तो हर वर्ष बढ़ायी जाती है, लेकिन न तो बच्चों को ही सुविधाएं मिल रही हैं और न ही इन स्कूलों में काम करने वाले शिक्षकों को। इन्हीं वजहों से फिर निजी स्कूलों की शिकायतों का पुलिन्दा बढ़ता जा रहा है।

राजधानी में तेजी से बढ़ रहे निजी स्कूलों की मनमानी पर रोक लगाने में नाकाम साबित हो रहे सक्षम अधिकारियों के पास एक बार फिर शिकायतों का पुलिन्दा बढ़ता जा रहा है। शुक्रवार को पैरेन्ट्स वेलफेयर एसोसिएशन ने एक बार फिर शिकायत की है कि राजधानी के कई स्कूलों में प्रबन्धक सब्जबाग दिखाकर फीस बढ़ाने के चक्कर में हैं, जबकि शिक्षकों को वादे के अनुसार मात्र दस से पन्द्रह हजार रुपये ही वेतन दिये जा रहे हैं। एसोसिएशन का कहना है कि जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय की मिलीभगत से ही इन स्कूलों में न तो श्रमिक नियमों का पालन होता है और न ही स्कूलों में छठां वेतनमान के तहत वेतन ही दिया जा रहा है। आरोप है कि कई स्कूलों के प्रबन्धक बाकायदा विज्ञापन के माध्यम से घोषणा तक करते है कि उनके विद्यालय में शिक्षकों को छठां वेतनमान दिया जा रहा है, जबकि कहीं भी ऐसा देखने को नहीं मिल रहा है।

लखनऊ पब्लिक कालेज में पिछले दिनों छठां वेतनमान दिये जाने की घोषणा हुई थी, लेकिन अभी तक किसी भी शिक्षक को यह नहीं मिल सका है। बताते हैं कि पिछले दिनों इसी स्कूल की गोमतीनगर शाखा में एक शिक्षक ने जब इस मुद्दे पर शिकायत की तो उन्हें बेइज्जत करके स्कूल से भी निकाल दिया गया। बताते हैं कि उक्त पूर्व एमएलसी के रसूख के चलते ही शिक्षक की शिकायत भी दबा ली गयी। यही नहीं उक्त शिक्षक अभी भी अपने पीएफ व फन्ड के लिए भटक रहे हैं। निकाले गये शिक्षक ने यह भी आरोप लगाया कि एमएलसी चुनाव के दौरान बाकायदा शिक्षकों की ड्यूटी लगायी जाती है और विधायक बनने के बाद उन्हीं पर रौब गांठा जाता है।

कुछ यही हाल है शहीदपथ स्थित डीपीएस का है, जहां पर वेतन व भत्तों को लेकर ग्यारहवीं की फिजिक्स की एक शिक्षिका ने जब काम पर आना बन्द कर दिया तो यहां पर कई महीनों तक उक्त विषय की पढ़ाई ही ठप हो गयी। जिला विद्यालय निरीक्षक से शिकायत करने के बाद भी जब दो महीने तक नयी शिक्षिका की भर्ती नहीं हुई तो अभिभावकों ने बवाल काटा तब जाकर विज्ञापन निकाला गया और शिक्षक की नियुक्ति की गयी। जबकि इन्दिरानगर स्थित सेन्ट्रल एकेडमी ने तो सरकारी सड़क पर कब्जा कर रखा है।


इसके अलावा चिनहट चौराहा स्थित ग्रीनलैण्ड पब्लिक स्कूल की भी शिकायतें मिली हैं। पैरेन्ट्स वेलफेयर एसोसिएशन के प्रवक्ता सीबेन्द्र सिंह का कहना है कि निजी स्कूलों में एक बार फिर अच्छी सुविधाओं के नाम पर फीस बढ़ाने की तैयारी है। उन्होंने कहा कि शिक्षण शुल्क प्रतिमाह भी वसूला जाता है तथा प्रतिवर्ष भी वसूला जाता है। इसके अलावा प्रवेश शुल्क, काशन मनी, टर्म फीस, डेवलपमेन्ट फीस, लैब फीस, लाइब्रेरी फीस, कम्प्यूटर शुल्क, मैगजीन शुल्क, वार्षिक समारोह शुल्क, बिल्डिंग फंड, साइकिल स्टैण्ड शुल्क, वार्षिक कैलेन्डर शुल्क, परीक्षा शुल्क, काउंसिलिंग फीस, टीसी शुल्क समेत बेवजह के शुल्क जोड़े गये हैं। श्री सिंह ने कहा कि इसमें से आधा दर्जन शुल्क बोर्ड की ओर से ही अवैध माने गये हैं, इसके बावजूद निजी स्कूलों में बच्चों से यह सभी शुल्क वसूले जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि सार्वजनिक अवकाश के बावजूद राजधानी के अधिकतर निजी विद्यालय को खोले रखने की शिकायत जिलाधिकारी के साथ ही जिला विद्यालय निरीक्षक से की गयी है, लेकिन कार्रवाई का इंतजार उन्हें वर्षो से है।

इस बाबत जिला विद्यालय निरीक्षक उमेश त्रिपाठी ने कहा कि पिछले दिनों अनियमितता के आरोप में कई निजी स्कूलों की जांच की गयी है। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक अवकाश के दौरान स्कूलों को खोलने, समेत अन्य अनियमितताओं की शिकायतों पर कई स्कूलों को जल्द ही नोटिस भी जारी किया जाएगा और उन पर कार्रवाई भी की जाएगी। उन्होंने कहा कि कुछ मामलों में कार्रवाई करने का अधिकार उनको नहीं है, लेकिन कई शिकायतों पर वह नोटिस जारी कर रहे हैं।

No comments:
Write comments