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Wednesday, January 6, 2016

एक लाख नौकरियों पर छाया अनिश्चय का कोहरा इस साल छंटने वाला , विवादों में फंसी माध्यमिक शिक्षक पदों पर होगी नियुक्ति, आयोगों में सदस्य व अध्यक्ष पद भरते ही शुरू होगी भर्ती प्रक्रिया

इलाहाबाद ।  तमाम विवादों में फंसी प्रदेश की लगभग एक लाख नौकरियों पर छाया अनिश्चय का कोहरा इस साल छंटने वाला है। इनमें सबसे अधिक पद शिक्षा विभाग के हैं। अब राज्य सरकार भी इनको लेकर गंभीर है और नियुक्तियों की राह में आने वाले रोड़े हटाने के काम शुरू कर दिए गए हैं। आयोगों और चयन बोर्ड में रिक्त पद अगले दो-तीन महीने में ही भरे जा सकते हैं।

यह विडंबना ही है कि पूरी तैयारी के बावजूद राज्य सरकार पिछले साल शिक्षा विभाग माध्यमिक और उच्च शिक्षा में अध्यापकों का नियुक्ति नहीं कर पाई। पूरा साल ही विवादों में गुजरा। इससे लाखों अभ्यर्थियों में असमंजस की स्थिति बनी हुई है। माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड में लगभग दस हजार पद फंसे हुए हैं। इनके लिए 2011 और 2013 में विज्ञापन जारी किए गए थे। विडंबना यह कि इनकी परीक्षाएं भी हो चुकी हैं और कुछ विषयों के परिणाम भी घोषित हैं। वर्तमान में कोरम का अभाव होने की वजह से चयन बोर्ड का काम ठप पड़ा है। राज्य सरकार ने इसके लिए बीते माह ही सर्च कमेटी गठित की है। बोर्ड के अधिकारी भी जल्द ही सदस्य और अध्यक्ष पद भरे जाने की उम्मीदें लगाए बैठे हैं। ऐसा होने पर न सिर्फ 2011 और 2013 की भर्ती पूरी की जा सकेगी बल्कि 2015 का नया विज्ञापन भी जारी हो सकेगा। इसके लिए सात हजार से अधिक पदों के अधियाचन अब तक बोर्ड में आ चुके हैं।

फर्जी दस्तावेजों की वजह से विवादों में आए एलटी ग्रेड के 6645 पदों पर भी इसी साल भर्ती प्रक्रिया पूरी होगी। कमोबेश ऐसे ही हालत उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग में भी रहे। यहां भी पूरे साल विवादों का साया रहा और असिस्टेंट प्रोफेसर के 1652 पदों पर परीक्षा संपन्न कराने के बाद भी भर्ती प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ाई जा सकी। सर्च कमेटी आयोग के अध्यक्ष और सदस्य पदों की तलाश के लिए सक्रिय हुई है और इस साल नए विज्ञापन जारी होने की संभावना है। उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग नए रिक्त पदों के लिए अधियाचन पहले ही मांग चुकी है। उस पर राज्य सरकार ने लाइब्रेरियन पदों को भरने की जिम्मेदारी भी डाल रखी है। इसी साल इन पदों को भी भरा जाना तय है।

72 हजार 825 सहायक प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती गुजरे साल में सरकार का सबसे बड़ा सिरदर्द साबित हुई लेकिन अंत होते-होते वह 42 हजार अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र देने में सफल हो गई।

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