उन्नाव, जागरण संवाददाता : गरीबी से जूझते ऐसे परिवार जिनके बच्चे पढ़ने लिखने की उम्र में स्कूल के बजाय दो वक्त की रोटी के लिए होटल ढाबों पर जूठे बर्तन धोने या कबाड़ बीनने जैसे कराम करने वाले बच्चों को पढ़ाई करने के साथ ही परिवार का खर्च चलाने के लिए दो हजार रुपये प्रतिमाह सरकार देगी। शर्त यह होगी वह श्रम नहीं कर सकेंगे उन्हें नियमित स्कूल जाना होगा। यह योजना भारत सरकार ने संचालित की है। बालश्रम उन्मूलन के लिए यह योजना मील का पत्थर साबित हो सकती है। अति निर्धन परिवारों के बच्चों को मां-बाप स्कूल न भेज उन्हें काम पर भेजना मुनासिब समझते कारण है इन मासूमों की कमाई के सहारे उनके घर दो वक्त चूल्हा जलता है। पेट की आग और जरूरतों के आगे लाचार अभिभावक चाहकर अपने बच्चों को पढ़ा नहीं पाते हैं जानते हुए भी वह बालश्रम का अपराध करते हैं। केंद्र सरकार ने ऐसे परिवार की मजबूरियों को समझ बच्चे शिक्षा पाते रहें और परिवार का खर्च भी चलता रहे इसका रास्ता खोज निकाला है। केंद्र सरकार ने बेघर, अनाथ और अतिनिर्धन परिवारों के ऐसे बच्चे जो होटल ढाबों पर काम करते हैं या कबाड़ बीन कर परिवार पालते हैं उनकी शिक्षा और पुनर्वास के लिए सरकार ने महिला एवं बाल विकास विभाग के माध्यम से प्रवर्तकता कार्यक्रम चलाया है। जिसके तहत उक्त श्रेणी के बच्चों को काम छोड़कर स्कूल जाने पर प्रतिमाह दो हजार रुपये दिया जाएगा। शर्त यह होगी बच्चों को निश्चित प्रोफार्मा पर पूरी जानकारी के साथ आवंटन करना होगा। ग्रामीण क्षेत्र में उसका सत्यापन आंगनबाड़ी कार्यकत्रियां करेंगी। प्रवर्तकता कार्यक्रम का लाभ पाने की श्रेणी में जिन परिवार को शामिल किया जाएगा उनमें ग्रामीण क्षेत्र के निवासी परिवार की आय 24 हजार और शहरी क्षेत्र के निवासी परिवार की आय 30 हजार रुपये प्रतिमाह से अधिक नहीं होनी चाहिए। योजना से बच्चों को लाभांवित कराने में ग्रामीण क्षेत्र में आंगनबाड़ी कार्यकत्री और शहरी क्षेत्र में सभासद व आंगनबाड़ी कार्यकत्री से अहम जिम्मेदारी होगी। उन्हें गर ब परिवार के बच्चों की जानकारी व परिवार के सदस्यों की आर्थिक स्थिति की आख्या देनी होगी। उसके बाद जिला और ग्राम स्तर पर गठित समितियों से उनका सत्यापन कराया जाएगा। उसके बाद उन्हें प्रतिमाह दो हजार की आर्थिक मदद दी जाएगी।योजना आई, बजट नहीं यूं तो उक्त कार्यक्रम क घोषणा गत वित्तीय वर्ष में की गई थी और चालू वित्तीय वर्ष से इसका संचालन करने का निर्देश दिया गया था। योजना लागू हुए एक वर्ष बीतने जा रहा है और वित्तीय वर्ष समाप्त होने में मात्र 18 दिन शेष बचे हैं पर अभी तक इस योजना का संचालन करने के लिए बजट आवंटन नहीं हुआ है।प्रचार-प्रसार से कतरा रहे अधिकारी1बजट न मिलने से योजना आने और फार्म आदि का बंदोबस्त होने के बाद भी अधिकारी इसका प्रचार प्रसार कराने से कतरा रहे हैं। प्रचार प्रसार न होने से गरीब परिवारों की कौन कहे आम लोग भी इस योजना से अनजान हैं। योजना क्रियान्वयन से जुड़े एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा योजना तो है पर बजट नहीं अगर प्रचार प्रसार कराया तो फिर लाभांवित कहां से कराया जाएगा। इन श्रेणी के बच्चों को मिलेगा लाभ1प्रवर्तकता कार्यक्रम के तहत जिन परिवारों को लाभांवित किया जाना है उनकी श्रेणी निर्धारित कर दी गई है। इसमें अनाथ, बेघर, आपदा ग्रसित परिवारों, कामगार विकलांग बच्चों के परिवार, कूड़ा बीनने व होटल ढाबों पर काम करने वाले अतिनिर्धन परिवारों के बच्चों को लाभांवित किया जाएगा। लेकिन यह शर्त रखी गई है कि बच्चा काम करने नहीं जाएगा वह पढ़ने स्कूल जाएगा।मां के खाते में पहुंचेगा धन प्रवर्तकता कार्यक्रम के तहत जिन बच्चों को योजना का लाभ देने के लिए चयनित किया जाएगा उन्हे मिलने वाली सहायता राशि बच्चे की मां के खाते में भेजी जाएगी। मां को अपना खाता खुलवाना होगा।
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