लखनऊ : प्रदेश और देश का भविष्य बच्चे हैं, लेकिन किसी भी राजनैतिक दल की प्राथमिकता में कभी बच्चे नहीं होते हैं। इस बार उसी राजनैतिक दल को बच्चों का परिवार प्राथमिकता देगा, जिनके बच्चों का ध्यान रखा जाएगा। एसएनए में शुक्रवार को हुई बाल संसद में बच्चों के इस अल्टीमेटम के बाद सभी राजनैतिक दलों के प्रतिनिधियों ने आश्वासन दिया कि वे बच्चों की मांगें चुनावी घोषणा पत्र में शामिल करेंगे।
'सेव द चिलड्रन' संस्था की ओर से हुई बाल संसद में सपा का प्रतिनिधित्व कर रहीं जूही सिंह ने कहा कि बच्चों ने हाल ही में ही बाल घोषणा पत्र तैयार किया था। इसमें बच्चों ने शिक्षा, स्वास्थ्य और सुरक्षा की मांग की थी। इन मांगों को पार्टी के घोषणा पत्र में शामिल किया जाएगा। इनमें से कई मांगों को पूरा करने के लिए सरकार अभी प्रयास कर रही है। इस मौके पर मुख्य सचिव आलोक रंजन ने कुपोषण के अलावा गर्भवतियों और बच्चों की सुरक्षा के बारे में किए जा रहे काम के बारे में बताया। कांग्रेस के प्रतिनिधि सुरेंद्र राजपूत और बीजेपी के मोहसीन रजा ने कहा कि वह भी प्रयास करेगें कि बच्चों की मांगें पार्टी के चुनावी घोषणा पत्र में शामिल की जाएं।
•बस्तियों में रहने वाले बच्चों का जन्म पंजीकरण किया जाए, ताकि उन्हें स्वास्थ्य, सुरक्षा और शिक्षा सेवाओं का लाभ मिल सके।
•कुपोषण और एनीमिया की स्थिति सुधारी जाए, क्योंकि प्रदेश का हर दूसरा बच्चा कुपोषण का शिकार है और हर दूसरी किशोरी एनीमिया से ग्रसित है।
• शहरी मलिन बस्तियों में रहने वाले बच्चों को साफ पानी नहीं मिलता है। साफ-सफाई की कमी है, जिसे दूर किया जाए।
• मलिन बच्चों के साथ हिंसा, शोषण और अपराध ज्यादा होते हैं। उन्हें सुरक्षा प्रदान की जाए।
इस दौरान गंगा सेना के अध्यक्ष आनंद गिरि, सेव द चिल्ड्रेन के स्टेट प्रॉजेक्ट जीएम सुरोजीत चटर्जी भी उपस्थित रहे।
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