अमिलो (आजमगढ़) : परिषदीय विद्यालयों में शिक्षा की गुणवत्ता के लिए शासन-प्रशासन जो भी कुछ करे यह अलग बात है लेकिन शिक्षा क्षेत्र सठियांव का जूनियर हाईस्कूल 12 बीघा भूमि का मालिक होने के बाद भी देखने में तंग और छोटा है। आजादी के पहले स्थापित इस विद्यालय की भूमि को प्रधानाध्यापक द्वारा काश्तकारों को बटाई पर दिया जाता है लेकिन उसके बदले उससे मिली धनराशि कहां जाती है इसका कोई लेखा-जोखा नहीं है।आजादी से पहले 1944 में जूनियर हाई स्कूल शाहगढ़ की स्थापना हुई थी। क्षेत्रफल की दृष्टि से विद्यालय की काफी जमीन है। इसका क्षेत्रफल 2.654 हेक्टेयर (लगभग 12 बीघा) भूमि है। इतनी भूमि के बाद भी मौके पर विद्यालय की भूमि देखने को नजर नहीं आती है। ऐसे में विद्यालय की बहुमूल्य संपदा को लेकर सवालिया निशान उठना लाजिमी है। इस संबंध में विद्यालय परिवार को कोई भी जिम्मेदार मुंह खोलने को तैयार नहीं है।न बैठने की व्यवस्था और खेलकूद का इंतजाम: जूनियर हाई स्कूल में शाहगढ़ सहित आस-पास के क्षेत्रों को बच्चे पढ़ने आते हैं। इतनी भूमि का मालिक होने के बावजूद शिक्षा के पवित्र मंदिर के प्रांगण में बच्चों को न ही पर्याप्त बैठने की व्यवस्था है और न ही खेलकूद की कोई समुचित व्यवस्था है। जबकि विद्यालय की भूमि पर लंबे अरसे से खेती की जाती है। 1दो सौ रुपये बिस्वा लगान- लगभग आधा दर्जन लोग विद्यालय की भूमि पर खेती करते हैं जिसके एवज में मात्र दो सौ रुपये बिस्वा वार्षिक विद्यालय के प्रधानाध्यापक को लगान के रूप में जमा करते हैं। रकम कहां जाती है यह तो जांच करने के बाद ही पता चलेगा लेकिन इसे लेकर चर्चा गरम है।
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