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Wednesday, June 15, 2016

आगरा : फर्जी बीएड परीक्षाफल घोटाले का खुलासा, एसआईटी को मिले जांच में महत्वपूर्ण दस्तावेज, रिकार्ड देने में विश्वविद्यालय कर रहा था हीलाहवाली

लखनऊ : आगरा विश्वविद्यालय में बीएड सत्र 2004-05 के लिए 82 डिग्री कालेजों में हुई परीक्षा में बड़ा घोटाला सामने आया है। विशेष जांच दल (एआईटी) की जांच में खुलासा हुआ है कि बीएड के परीक्षा फल में बड़े पैमाने पर फेर बदल किया। हजारों छात्रों को बिना परीक्षा दिए ही मार्कशीट दे दी गई, जबकि वे किसी कालेज के छात्र ही नहीं थे। इसके लिए मोटी रकम वसूली गई।


एसआईटी हाईकोर्ट के आदेश पर आगरा विश्वविद्यालय में बीएड सत्र 2004-05 में हुए घोटाले से संबंधित जांच कर रही थी। एसआईटी की सूचना के अनुसार बीएड सत्र 2004-05 के लिए 82 महाविद्यालयों में 9000 सीटें अनुमन्य थीं जबकि डा.भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय आगरा द्वारा 84 महाविद्यालयों का परीक्षाफल सत्र 2004-05 में जारी किया गया। बीती 4 व 5 जून को एसआइटी द्वारा आगरा विश्वविद्यालयमें सघन जांच की गई थी।परीक्षाफल तैयार करने वाली एजेंसी इण्टीग्रेटेड साफ्टवेयर सिस्टम महानगर लखनऊ ने 8930 छात्रों का परीक्षा परिणाम बना कर डा. भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय आगरा को दिया। 


विश्वविद्यालय के अधिकारियों व कर्मचारियों ने पूरे टेबुलेशन चार्ट को बदल कर लगभग 12,000 छात्राओं को मार्कशीट दे दी गई। उनमें नामों का समायोजन विश्वविद्यालय के टेबुलेशन चार्ट में कर दिया गया।लगभग 3000 ऐसे छात्र-छात्राओं को अंकतालिकाएं बांट दी गईं जो उस सत्र में किसी महाविद्यालय के छात्र ही नहीं रहे। ऐसे छात्र-छात्राओं को 75 से 86 फीसदी तकके उच्च प्राप्तांक की अंकतालिकाएं दी गईं। साथ ही मूल रूप से परीक्षा में शामिल सैकड़ों छात्र-छात्राओं के अंकों में बदलाव करके उनकी श्रेणी को तृतीय से प्रथमकर दिया गया।अब ऐसे छात्र-छात्रओं की जांच हो रही है जिनकी विश्वविद्यालय के अधिकारियों व कर्मचारियों से मिलीभगत थी।


 पूरे मामले का खुलासा सुनील कुमार नाम के छात्र को दी गई दो मार्कशीटों पर हुई शुरुआती जांच से हुआ था।इस जांच में विश्वविद्यालय के टेबुलेशन चार्ट और 10 महाविद्यालयों में प्रवेश पाए छात्र-छात्राओं से संबंधित दस्तावेजों का मिलान किया गया। पाया गया कि एनसीटीई भारत सरकार से बीएड की 920 सीटें अनुमन्य थीं। जिसके विपरीत महाविद्यालयों में 887 छात्र-छात्राओं ने प्रवेश लिया लेकिन विश्वविद्यालय द्वारा 1280 छात्र-छात्राओं को मार्कशीटबांट कर समायोजन कर लिया गया। इस तरह से 393 ऐसे छात्र-छात्राओं को मार्कशीट दी गईं जो किसी भी महाविद्यालय के छात्र थे ही नहीं। यही नहीं 29 छात्रों की तृतीय श्रेणी प्रथम कर दी गई।

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