परिषदीय विद्यालयों में दिया जा रहा देसी ज्ञान बच्चों के दिमाग को तेज नहीं कर पा रहा। ऐसे में बच्चों की नींव लगातार कमजोर होती जा रही है। वह आठ के बाद अन्य कक्षाओं में बेहतरीन प्रदर्शन नहीं कर पा रहे हैं। सरकार के सर्वे में ही यह खुलासा हुआ है, जिसके बाद हालात बदलने के लिए बड़ा फैसला हुआ है। यह कि बेसिक शिक्षकों को विदेशी ज्ञान दिलाया जाएगा। सरकार ने बेसिक एजुकेशन में बेहतर प्रदर्शन करने वाले देशों से समझौता किया है। बरेली मंडल में गुरुजनों को ट्रेंड करने की कोशिश शुरू हो चुकी है। योजना का जिम्मा डायट पर रहेगा।
इसलिए लिया फैसला : बेसिक शिक्षा परिषद ने सितंबर माह में पूरे सूबे में सर्वे करवाया था। कक्षा आठ तक के सरकारी स्कूलों के बच्चों के ज्ञान को परखा गया। पता लगा कि शिक्षक परंपरागत तरीकों से पढ़ा रहे हैं। हर साल वही ज्ञान मिल रहा है। पढ़ाने का कोई ऐसा तरीका नहीं मिल पा रहा जो बच्चे के दिमाग को समझ पाए और उसे तेज कर पाए। सर्वे रिपोर्ट जाने के बाद परिषद के विशेषज्ञों ने सरकार के सामने यह बात रखी। उसके बाद सरकार ने दुनिया के सभी देशों में बेसिक शिक्षा पर हुए शोध जाने। बेसिक शिक्षा की नींव जिन देशों की अच्छी थी उनका पता लगाया। इसमें ब्रिटेन, स्वीट्जरलैंड, आस्ट्रेलिया व न्यूजीलैंड बच्चों की बेसिक शिक्षा कंप्यूटर के दिमाग की तरह पाई गई। इसके बाद वहां के संस्थानों से सरकार ने समझौता किया। वहां के विशेषज्ञ यहां के शिक्षकों को ऑनलाइन ज्ञान देंगे।
यह है योजना : सरकार ने मैसिव ओपन ऑनलाइन कोर्स (एमओओसी) शुरू किया है। इसके तहत डायट के माध्यम से बेसिक शिक्षकों के आवेदन मांगे गए हैं। जिन शिक्षकों की अंग्रेजी में पकड़ अच्छी है, उन्हें इसके लिए प्राथमिकता दी गई। बरेली में प्रथम चरण में 215 व डायट के 150 प्रशिक्षुओं ने आवेदन किया है। इसी तरह सूबे के अन्य जिलों में भी आवेदन आए हैं। आवेदन के बाद इन शिक्षकों का विदेशी विशेषज्ञ ऑनलाइन ज्ञान परखेंगे। टेस्ट से गुजरेंगे। उस टेस्ट में पास होने वाले शिक्षकों को सात सप्ताह तक ट्रेनिंग दी जाएगी। सरकार इस ट्रेनिंग पर प्रति शिक्षक 25 डॉलर खर्च करेगी। प्रशिक्षण पाने के बाद यह शिक्षक अन्य शिक्षकों को ब्लाकवार कैंप लगाकर प्रशिक्षित करेंगे। प्रशिक्षण के दौरान सबसे खास बात यह बताई जाएगी कि बच्चे की क्षमता को कैसे परखा जाए और शिक्षा से दूरी बनाए हुए बच्चों को कैसे स्कूल लाया जाए। यह ज्ञान न्यूजीलैंड, स्विट्जरलैंड, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया के विश्वविद्यालय ऑनलाइन देंगे। बरेली के शिक्षकों को डायट में बनी कंप्यूटर प्रयोगशाला के जरिए ऑनलाइन ज्ञान मिलेगा।
विदेशी ज्ञान से शिक्षक यह जान पाएंगे कि बच्चों की क्षमता को कैसे पहचानें और उन्हें क्या पढ़ाया जाए। योजना शुरू हो गई है। इसके लिए डायट व बेसिक शिक्षा से जुड़े शिक्षकों ने आवेदन किया है
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