उप मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा ने वित्तविहीन विद्यालयों की मान्यता के संदर्भ में इंटरमीडिएट शिक्षा अधिनियम की धारा-7(क) समाप्त कर सभी मान्यताएं धारा-7(4) में दिये जाने के लिए अधिनियम में संशोधन करने का निर्देश दिया है। उन्होंने कहा है इस सिलसिले में माध्यमिक शिक्षा निदेशालय की ओर से शासन को भेजे गए प्रस्ताव पर तेजी से कार्यवाही की जाए।
वह उप्र माध्यमिक शिक्षक संघ (शर्मा गुट) की ओर से उठायी गई मांगों को लेकर शुक्रवार को सचिवालय में संघ के प्रतिनिधिमंडल से वार्ता कर रहे थे। धारा 7(क) के तहत विद्यालयों को वित्तविहीन के रूप में मान्यता दी जाती है जबकि धारा 7(4) में उन्हें असहायिक विद्यालय के तौर पर मान्यता मिलती है। वित्तविहीन विद्यालयों में शिक्षकों का दर्जा अंशकालिक होता है। इसलिए शिक्षक संगठनों की लंबे समय से यह मांग रही है कि धारा 7(क) खत्म कर विद्यालयों को मान्यता धारा 7(4) के तहत दी जाए।
पहली अप्रैल 2005 के बाद नियुक्त शिक्षकों को पुरानी पेंशन दिये जाने की मांग पर उप मुख्यमंत्री ने कहा कि यह नीतिगत मामला है जो पूरे प्रदेश के कार्मिकों से जुड़ा है। इसलिए यह मामला वित्त विभाग का परामर्श प्राप्त करने के लिए भेजा जाए। प्रदेश के शिक्षकों को निश्शुल्क चिकित्सा सुविधा दिये जाने की खातिर सामूहिक मेडिक्लेम बीमा योजना लागू करने की मांग पर उन्होंने दोनों पक्षों से परामर्श लेकर एक ड्राफ्ट शासन को भेजवाने के लिए कहा जिस पर विचार कर निर्णय लिया जा सके। उन्होंने कहा कि महिला शिक्षकों के उत्पीड़न के बारे में जहां कहीं से भी शिकायत प्राप्त होगी, शासनादेश के अनुसार संबंधित व्यक्ति के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की जाएगी।
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