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Saturday, April 6, 2024

यूपी मदरसा कानून निरस्त करने के हाईकोर्ट के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट की अंतरिम रोक, शीर्ष कोर्ट ने कहा, कानून धर्मनिरपेक्षता का उल्लंघन करता नहीं दिखता, राज्य सरकार को नोटिस

यूपी मदरसा कानून निरस्त करने के हाईकोर्ट के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट की अंतरिम रोक

शीर्ष कोर्ट ने कहा, कानून धर्मनिरपेक्षता का उल्लंघन करता नहीं दिखता, राज्य सरकार को नोटिस

मदरसों पर हाईकोर्ट का फैसला स्थगित, सुप्रीम कोर्ट ने मदरसा अधिनियम असंवैधानिक घोषित करने पर रोक लगाई


नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के उस फैसले पर रोक लगा दी, जिसके तहत उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड अधिनियम 2004 को असंवैधानिक घोषित करते हुए इसे धर्मनिरपेक्षता और मौलिक अधिकारों का उल्लंघन बताया गया था। शीर्ष अदालत ने कहा है कि उच्च न्यायालय का यह निष्कर्ष निकालना कि मदरसा शिक्षा अधिनियम के तहत मदरसा बोर्ड की स्थापना धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों का उल्लंघन करती है, यह सही नहीं हो सकता है।

मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा है कि सभी तथ्यों को देखने के बाद ऐसा लगता है कि उच्च न्यायालय ने मदरसा शिक्षा अधिनियम के प्रावधानों को समझने में भूल की है। अपने आदेश में शीर्ष अदालत ने कहा है कि मदरसा शिक्षा अधिनियम को रद्द करते समय उच्च न्यायालय ने प्रथम दृष्टया अधिनियम के प्रावधानों की गलत व्याख्या की क्योंकि यह अधिनियम किसी भी धार्मिक निर्देश का प्रावधान नहीं करता है और इसका मकसद और प्रकृति नियामक है।

मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने कहा है कि उच्च न्यायालय के फैसले से मदरसा में पढ़ने वाले 17 लाख छात्रों की पढ़ाई प्रभावित होगी। उन्होंने कहा कि मदरसा के छात्रों को दूसरे स्कूलों में स्थानांतरित करने का आदेश देना उचित नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने उच्च न्यायालय के 22 मार्च के फैसले को चुनौती देने वाली 5 विशेष अनुमति याचिकाओं पर विचार करते हुए यह अंतरिम आदेश दिया है।

पीठ ने कहा है कि सभी तथ्यों को देखने के बाद हमारा मानना है कि याचिकाओं में उठाए गए मुद्दों पर बारीकी से विचार करने की जरूरत, ऐसे में हम मामले में नोटिस जारी करने के इच्छुक हैं। शीर्ष अदालत ने केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी कर मामले में जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है। इससे पहले, पीठ ने कहा कि मदरसा बोर्ड का उद्देश्य नियामक प्रकृति में है और इलाहाबाद उच्च न्यायालय का यह मानना कि मदरसा बोर्ड की स्थापना धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों का उल्लंघन है, पहली नजर में सही नहीं है। पीठ ने मामले की अगली सुनवाई जुलाई के दूसरे सप्ताह में तय की।


हाईकोर्ट ने 22 मार्च को दिया था फैसला
इलाहाबाद उच्च न्यायालय के जस्टिस विवेक चौधरी और सुभाष विद्यार्थी की पीठ ने 22 मार्च को पारित अपने फैसले में यूपी बोर्ड ऑफ मदरसा एजुकेशन एक्ट 2004 को असंवैधानिक और धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत के खिलाफ बताया था। इसके साथ ही उत्तर प्रदेश सरकार से मदरसों में पढ़ने वाले छात्रों औपचारिक शिक्षा देने वाले दूसरे स्कूलों में शामिल करने और जरूरत पड़े तो नए स्कूल खोलने का निर्देश दिया था।


कानून को रद्द करना जरूरी नहीं – सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने आदेश में कहा है कि यदि चिंता यह सुनिश्चित करने की है कि मदरसों में पढ़ने वाले छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिले, तो इसका उपाय मदरसा शिक्षा अधिनियम को रद्द करना जरूरी नहीं है। पीठ ने कहा है कि इसके लिए जरूरी है कि उपयुक्त निर्देश जारी किए जाएं ताकि छात्रों को समुचित और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल सके।


केंद्र और यूपी ने हाईकोर्ट के फैसले का समर्थन किया
उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज ने शीर्ष अदालत से कहा कि राज्य सरकार उच्च न्यायालय के फैसले को स्वीकार कर रही है। इस पर मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने उनसे (उप्र सरकार) सवाल किया कि उच्च न्यायालय के समक्ष बचाव करने के बावजूद राज्य अपने कानून का बचाव क्यों नहीं कर रहा है। केंद्र सरकार की ओर से अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने भी हाईकोर्ट के फैसले का समर्थन किया।


17 लाख छात्र ,10 हजार शिक्षक फैसले से प्रभावित
याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने शीर्ष अदालत में उच्च न्यायालय के फैसले को अनुचित बताया। सिंघवी ने शीर्ष अदालत से कहा कि उच्च न्यायालय के इस फैसले से 17 लाख छात्र और 10,000 शिक्षक प्रभावित होंगे। सिंघवी ने उच्च न्यायालय के फैसले पर रोक लगाने की मांग करते हुए कहा कि इतने बड़े पैमाने पर छात्रों और शिक्षकों को अचानक राज्य सरकार के स्कूलों में समायोजित करना मुश्किल है।


मदरसों के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत है। कोर्ट ने जो भी आदेश दिए हैं उसका पालन होगा। जो भी जवाब मांगे हैं उसे दिया जाएगा। -ओम प्रकाश राजभर, मंत्री

यूपी सरकार सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को लागू करेगी। मदरसा शिक्षा की बेहतरी के लिए हमेशा हमारी सरकार ने सकारात्मक कदम उठाएं हैं। -दानिश आजाद अंसारी, राज्य मंत्री

रमजान बाद जब मदरसे खुलेंगे तो प्रधानमंत्री के सपने को साकार करने को छात्र एक हाथ में कुरान,एक में कम्प्यूटर के जरिए शैक्षिक विकास करेंगे। -डॉ. इफ्तिखार अहमद,मदरसा बोर्ड चेयरमैन



सुप्रीम कोर्ट ने UP मदरसा एक्ट रद्द करने के हाईकोर्ट के फैसले पर लगाई रोक, यूपी सरकार को दिया नोटिस


सुप्रीम कोर्ट ने 'यूपी बोर्ड ऑफ मदरसा एजुकेशन एक्ट 2004' को असंवैधानिक करार देने वाले फैसले पर रोक लगा दी. आइए जानते हैं कि पूरा मामला क्या है.

   
सुप्रीम कोर्ट ने यूपी मदरसा एक्ट को रद्द करने वाले इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी है. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के 25 हजार मदरसों के 17 लाख छात्रों को बड़ी राहत दी है. चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने सुनवाई की और सरकार व अन्य पक्षकारों को नोटिस जारी किया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट का यह निष्कर्ष कि मदरसा बोर्ड की स्थापना धर्मनिरपेक्षता यानी सेक्युलरिज्म के सिद्धांतों का उल्लंघन है. 


सर्वोच्च न्यायालय ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस फैसले पर अंतरिम रोक लगाई है, जिसमें इस एक्ट को असंवैधानिक करार दिया गया था. SC ने अपने आदेश में कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला प्रथम दृष्टया सही नहीं है क्योंकि हाईकोर्ट का यह कहना सही नहीं कि ये धर्मनिरपेक्षता का उल्लंघन है. राज्य सरकार समेत सभी पक्षकारों को सुप्रीम कोर्ट में 30 जून 2024 को या उससे पहले जवाब दायर करना होगा. याचिका को अंतिम निपटारे के लिए जून 2024 के दूसरे सप्ताह में सूचीबद्ध किया जाएगा. 22 मार्च 2024 के हाईकोर्ट के आदेश और फैसले पर रोक रहेगी.


सीजेआई ने पूछा ऐसा सवाल 

यूपी मदरसा एक्ट को रद्द करने के इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच सुनवाई कर रही है. शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान कोर्ट ने यूपी सरकार से पूछा कि क्या हम यह मान लें कि राज्य ने हाईकोर्ट में कानून का बचाव किया है? उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से ASG केएम नटराज ने कहा कि हमने हाईकोर्ट में इसका बचाव किया था. लेकिन हाईकोर्ट के कानून को रद्द करने के बाद हमने फैसले को स्वीकार कर लिया है तो राज्य पर अब कानून का खर्च वहन करने का बोझ नहीं डाला जा सकता.


16 हजार मदरसे में पढ़ रहे हैं लाखों छात्र  

यूपी में करीब 16 हजार मदरसे हैं, जिनमें कुल 13.57 लाख छात्र हैं. कुल मदरसों में 560 अनुदािनत मदरसे हैं, जहां 9,500 शिक्षक कार्यरत हैं. यूपी के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री ओम प्रकाश राजभर ने कहा कि मदरसा अजीजिया इजाजुतूल उलूम के मैनेजर अंजुम कादरी की तरफ से हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई है. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि हाई कोर्ट के फैसले से 17 लाख छात्रों पर असर पड़ेगा और छात्रों को दूसरे स्कूल में स्थानांतरित करने का निर्देश देना उचित नहीं है. 


 मौलाना खालिद रशीद ने कही यह बात 

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) के सदस्य मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने कहा कि हम इस फैसले का स्वागत करते हैं. यूपी में लगभग 17 लाख छात्र मदरसा बोर्ड के तहत शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं, इसमें हजारों शिक्षक और अन्य कर्मचारी शामिल हैं. उनके भविष्य पर एक बड़ा प्रश्नचिह्न लग गया था. आज सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस पर रोक लगाने के बाद लोगों में खुशी है. यह फैसला ऐतिहासिक है. 




मदरसा बोर्ड मामले में सरकार सुप्रीम कोर्ट जाएगी, बोले मंत्री राजभर 

■ शिक्षकों के साथ अन्याय नहीं होने दिया जाएगा
■ यूपी बोर्ड से मान्यता दिलाकर संचालित करेंगे


लखनऊ । अल्पसंख्यक कल्याण, मुस्लिम वक्फ एवं हज मंत्री ओम प्रकाश राजभर ने कहा है कि मदरसा बोर्ड भंग मामले में राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट जाएगी। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मदरसा बोर्ड को भंग करने का आदेश दिया है। राज्य सरकार चाहती है कि मदरसा बोर्ड कायम रहे। उन्होंने यह भी कहा है कि मानक पूरा करने वाले मदरसे चलेंगे और शिक्षकों को समायोजित भी किया जाएगा।



ओम प्रकाश राजभर ने गुरुवार को बातचीत के दौरान कहा कि जो मदरसे मानक पूरा कर रहे हैं और उनका संचालन ठीक-ठाक हो रहा है उनको यूपी बोर्ड और सीबीएसई से मान्यता दिलाकर संचालित कराया जाएगा।


मदरसों में जिन बच्चों ने परीक्षा दे दी है, उनका परिणाम आएगा और ऐसे बच्चों को आसपास के स्कूलों में दाखिला दिलाया जाएगा। जरूरत पड़ी तो नई व्यवस्था की जाएगी और किसी भी बच्चे के साथ अन्याय होने नहीं दिया जाएगा। शिक्षण संस्थाओं की बेहतरी के लिए और भी जो संभव होगा किया जाएगा।


उन्होंने कहा कि जितनी सुविधाएं अन्य स्कूलों में मिल रही है, उतनी ही सुविधाएं मदरसों में पढ़ने वाले मुस्लिम बच्चों को भी दी जाएंगी।

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