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Tuesday, April 23, 2024

परिषदीय स्कूलों में कक्षा एक में दाखिले का नया नियम बना मुसीबत, कक्षा एक में बच्चों के प्रवेश पर गुरूजनों को छूट रहा पसीना

परिषदीय स्कूलों में कक्षा एक में दाखिले का नया नियम बना मुसीबत, कक्षा एक में बच्चों के प्रवेश पर गुरूजनों को छूट रहा पसीना

इसके विपरीत निजी स्कूलों में प्री-नर्सरी, नर्सरी व केजी में इससे कम उम्र के बच्चों को भी प्रवेश दे दिया जाता है। 


 परिषदीय स्कूलों में कक्षा एक में दाखिले के नए नियम शिक्षकों के लिए मुसीबत बन गए हैं। ऐसे में शिक्षकों को लक्ष्य हासिल कर पाना और स्कूल में नामांकन बढ़ाना चुनौती पूर्ण हो गया है। परिषदीय विद्यालयों में कक्षा एक में बच्चों के प्रवेश करने में शिक्षक स्टॉफ को पसीना छूट रहा है। परिषदीय विद्यालयों में शिक्षा का अधिकार अधिनियम जारी की गई गाइड लाइन के तहत छह वर्ष तक के बच्चों का प्रवेश होता है। वहीं दूसरी निजी स्कूल प्री-नर्सरी कक्षा पांच व इससे कम उम्र के बच्चों को प्रवेश दे रहे है।


निजी स्कूलों की भरमार के कारण परिषदीय स्कूलों में हर साल नामांकन में कमी देखने को मिल रही थी। इस कारण शिक्षकों को एक-एक नामांकन के लिए जोर लगाना होता था। शैक्षिक सत्र 2024-25 शुरू होते ही इससे नए शिक्षा सत्र में भी अपेक्षित प्रवेश होना मुश्किल लग रहा है। परिषदीय विद्यालयों में बच्चों की प्रवेश प्रक्रिया तो शुरू गई है। लेकिन शिक्षक शिक्षिकाओं को कक्षा एक में प्रवेश के लिए छह वर्ष के उम्र वाले बच्चे ढूंढे नहीं मिल पा रहे है। इसको लेकर शिक्षक व ग्राम प्रधानों के सम्पर्क में रहकर अभिभावकों से मिलकर नामांकन अधिक से अधिक बढ़ाने का प्रयास कर रहे है। 


वहीं परिषदीय विद्यालय में पहुँचने पर छह वर्ष की आयु पूरी होने पर ही बच्चों  को प्रवेश दिए जाने की बाध्यता बताकर शिक्षक हाथ खड़े कर देते है। इसके विपरीत निजी स्कूलों में प्री-नर्सरी, नर्सरी व केजी में इससे कम उम्र के बच्चों को भी प्रवेश दे दिया जाता है। जिससे परिषदीय विद्यालयों में कक्षा एक के बच्चों की संख्या पूरी कर पाना शिक्षकों के लिए सीधे टेढी खीर बनता जा रहा है।


वहीं शिक्षकों के मुताबिक की पिछले सत्र में छह वर्ष से कम उम्र वाले बच्चों के प्रवेश कर लिए गए थे। जिससे इस बार भी निर्धारित उम्र के बच्चे गाँवो में नहीं मिल पा रहे है। अभिभावक भी चिंतित है की पांच वर्ष की उम्र पूरी होते ही हरहाल में बच्चों को विद्यालय भेजना चाहते है। लेकिन नए सत्र में जारी हुई गाइडलाइन के तहत बच्चों की उम्र पांच से बढ़ाकर छह वर्ष तक उम्र वाले बच्चों के परिषदीय विद्यालयों प्रवेश करने के दिशा निर्देश जारी कर दिए गए। इसको लेकर पूरी कर चुके पांच वर्ष की आयु वाले बच्चों का अभिभावक परिषदीय विद्यालयों में प्रवेश न कराकर प्राइवेट विद्यालयों में प्रवेश करा रहे है। ताकि बच्चों की एक वर्ष की पढ़ाई बाधित न हो।



कक्षा एक में छह वर्ष से कम आयु के बच्चों का नामांकन नहीं करने के आदेश से परिषदीय स्कूलों में इस सत्र में छात्र संख्या कम होने की आशंका

🔴 परिषदीय स्कूलों से 'रिटर्न गिफ्ट' पा रहे निजी विद्यालय !

🔴 आंगनबाड़ी केंद्रों के प्रति लोगों में विश्वास नहीं

🔴 कक्षा एक में प्रवेश के लिए उम्र छह से कम न हो

🔴 बच्चों के निजी स्कूलों में जाने की संभावना


कक्षा एक में छह वर्ष से कम आयु के बच्चों का नामांकन नहीं करने के आदेश से परिषदीय स्कूलों में इस सत्र में छात्र संख्या कम होने की आशंका है। छह वर्ष से कम आयु के बच्चों का निजी स्कूल धड़ल्ले से नामांकन कर रहे हैं। इन स्कूलों में नर्सरी, एलकेजी और यूकेजी जैसी कक्षाओं के विकल्प मौजूद हैं लेकिन आंगनबाड़ी केन्द्रों जिसे बाल वाटिका भी कहा जा रहा है, के प्रति अधिक विश्वास नहीं है।


स्कूल शिक्षा महानिदेशक एवं शिक्षा निदेशक बेसिक ने नई शिक्षा नीति के परिप्रेक्ष्य में आदेश दिया है कि परिषदीय स्कूलों में कक्षा एक में प्रवेश के लिए बच्चे की आयु छह वर्ष से कम नहीं होनी चाहिए। किसी भी दशा में इनका प्रवेश नहीं हो सकता है। शिक्षक बताते हैं कि ऐसे तमाम बच्चों को वापस भेज दिया गया जिनकी उम्र छह वर्ष से चाहे कुछ दिन ही कम क्यों न रही हो। लोग कहते हैं कि जब तक जिम्मेदार चेतेंगे तब तक बड़ी संख्या में बच्चे निजी स्कूलों में दाखिला करा चुके होंगे।


इन आदेशों ने बढ़ाई शिक्षकों की मुश्किलेंः बिडंबना यह है कि नए सत्र के पहले सप्ताह में शिक्षकों ने गत वर्ष जारी आदेश के अनुसार उन बच्चों को कक्षा एक में प्रवेश दे दिया जिनकी आयु एक जुलाई 2024 को छह वर्ष पूरी हो रही थी लेकिन 9 अप्रैल को सामने आए बेसिक शिक्षा निदेशक के आदेश में छह वर्ष की आयु पूरी होने की आधार तिथि एक जुलाई की बजाए एक अप्रैल कर दी गई। इससे असमंजस की स्थिति पैदा हो गई है। शिक्षकों का कहना है कि एक जुलाई के आधार पर जिन बच्चों का नामांकन कर लिया गया है, उन बच्चों के अभिभावकों को क्या जवाब दिया जाएगा।


अब भी पंजीरी बांटने वाले केन्द्र ! 

सरकार आंगनबाड़ी केन्द्रों को बाल वाटिका केन्द्र के रूप में विकसित कर रही है लेकिन लोगों के बीच आंगनबाड़ी केन्द्र अब भी पंजीरी बांटने वाले केन्द्र के रूप में ही चर्चित हैं।

निजी स्कूल जहां प्री प्राइमरी कक्षाओं को प्ले ग्रुप, एलकेजी व यूकेजी के रूप में संचालित करते हैं तो वहीं आंगनबाड़ी केन्द्रों में सिर्फ एक कार्यकत्री इतनी कक्षाओं को कैसे संचालित करेगी, इस पर भी सवाल हैं।

प्राइमरी स्कूलों के नोडल शिक्षक अपनी कक्षा देखेंगे या आंगनबाड़ी केन्द्र, इस पर भी सवाल खड़े हैं। बहरहाल, अब देखना यह कि शिक्षा प्रशासन इस समस्या से कैसे निपटता है। यदि इस समस्या को बढ़ने दिया गया तो स्थिति काफी गंभीर हो जाएगी और इसका खामियाजा सरकारी शिक्षा तंत्र को भुगतना पड़ेगा। सरकारी शिक्षा जगत में लोगों का विश्वास भी धीरे-धीरे कम होता जाएगा।



प्री प्राइमरी क्लासेज के संचालन न होने से परिषदीय स्कूलों में दाखिले में बच्चों की उम्र बन रही बाधा, प्राइवेट स्कूलों को मिलेगा लाभ

सरकारी परिषदीय स्कूलों में घटेगा बच्चों का नामांकन,  निदेशक के आदेश पर शिक्षकों की नाराजगी


लखनऊ : बेसिक शिक्षा परिषद की ओर से संचालित प्राथमिक विद्यालयों में कक्षा एक में प्रवेश के लिए एक अप्रैल को बच्चा 6 साल का होना अनिवार्य है। इससे नीचे है तो उसका प्रवेश आंगनबाड़ी या फिर प्री- नर्सरी स्कूलों में लिया जायेगा।

इस बारे में आदेश आने के बाद शिक्षकों ने नाराजगी जाहिर की है। शिक्षकों का कहना है कि सरकारी स्कूलों में प्री नर्सरी कक्षाओं का संचालन नहीं होता है। ऐसे में ये बच्चे अगर प्राइवेट स्कूल में प्री नर्सरी में प्रवेश लेकर पढ़ने जाते हैं तो इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि वह लौटकर उनके यहां कक्षा-एक में प्रवेश लेंगे। 

इसके बाद सरकारी सरकारी स्कूलों में नामांकन संख्या तेजी से घटेगी और इसका असर शैक्षिक सत्र 2024-25 में पंजीकृत होने वाले बच्चों का यू डायस पर डाटा फीडिंग के बाद दिखाई पड़ेगा। हालांकि, शिक्षक 2023 में जारी शासनादेश क भी हवाला दे रहे हैं। वहीं विभाग भी अपने निर्णय पर कायम है।

शिक्षकों का कहना है कि 1 अप्रैल की जगह 31 जुलाई तक 6 साल पूरा करने वाले बच्चे को कक्षा-एक में प्रवेश लेने की अनुमति दी जानी चाहिए नहीं नामांकन संख्या स्कूलों में घटेगी। शिक्षक कहते हैं कि निदेशक के आदेश के मुताबिक, यदि कोई बच्चा जुलाई मई माह में भी 6 साल पूरा करता है तो नये आदेश के मुताबिक, उसके कक्षा-एक में प्रवेश लेने के लिए पूरे एक साल का इंतजार करना होगा।


नौ अप्रैल को हटाई गई एक अप्रैल से प्रवेश आयु में मिली छूट

• आठ अप्रैल तक छह वर्ष से कम आयु पर कक्षा एक में हुए प्रवेश से दुविधा में प्रधानाध्यापक

• निदेशक बेसिक शिक्षा ने छह वर्ष से कम आयु पर कक्षा एक में प्रवेश नहीं लेने के दिए हैं निर्देश


प्रयागराज : शैक्षिक सत्र 2024-25 के लिए बेसिक शिक्षा परिषद के विद्यालयों में कक्षा एक में प्रवेश को लेकर दो आदेश से प्रधानाध्यापक एवं असमंजस में हैं। प्रधानाध्यापकों ने एक अप्रैल से शुरू हुए शैक्षिक सत्र में निर्धारित छह वर्ष की आयु के नियम को आदेशानुसार शिथिल करते हुए इससे कम आयु पर भी बच्चों के - प्रवेश लेने शुरू कर दिया है।

 कुछ बेसिक शिक्षा अधिकारियों (बीएसए) ने आयु शिथिल करते हुए - प्रवेश लेने के निर्देश अलग से जारी - किए। यह प्रक्रिया चल रही थी कि नौ अप्रैल को बेसिक शिक्षा निदेशक प्रताप सिंह बघेल ने आदेश जारी किया कि कक्षा एक में एक अप्रैल 2024 को छह वर्ष आयु पूर्ण कर चुके बच्चों को ही प्रवेश दिया जाए। इससे कम आयु पर प्रवेश न किया जाए। अब प्रधानाध्यापक असमंजस में हैं कि आठ अप्रैल तक आयु सीमा शिथिल कर जिन बच्चों के प्रवेश ले लिए हैं, उनका क्या होगा।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 एवं निपुण भारत मिशन के परिपेक्ष्य में कक्षा एक में न्यूनतम आयु छह वर्ष निर्धारित की गई है। वर्तमान शैक्षिक सत्र में एक अप्रैल से 31 जुलाई 2024 के बीच जो बच्चे छह वर्ष की आयु पूर्ण कर रहे हैं, उन्हें निर्धारित आयु सीमा में शिथिलता प्रदान करते हुए सत्र के प्रारंभ में ही प्रवेश लेने की अनुमति प्रदान की गई है।

 कुछ बीएसए ने खंड शिक्षाधिकारियों को यह निर्देश दिए हैं। इस निर्देश के क्रम में परिषदीय स्कूलों में प्रवेश प्रक्रिया गतिमान होने के बीच बेसिक शिक्षा निदेशक ने प्रदेश के सभी बीएसए को नौ अप्रैल को आदेश जारी किया। इसमें निर्देश हैं कि एक अप्रैल 2024 को छह वर्ष से कम आयु के बच्चों का नामांकन किसी भी दशा में न किया जाए। इसमें यह भी कहा कि छह वर्ष से कम आयु के बच्चों का नामांकन बाल वाटिका में किया जाए। इस आदेश से प्रधानाध्यापक दोहरे संकट में हैं।

एक तो यह कि छह वर्ष से कम आयु के बच्चों के हो चुके प्रवेश को लेकर क्या करें। फिलहाल, छह वर्ष से कम आयु के बच्चों का प्रवेश लेना प्रधानाध्यापकों ने बंद कर दिया है। दूसरा, यह कि निजी स्कूलों में छह वर्ष से कम आयु में प्रवेश पर अभिभावकों का रुझान उस ओर होने से परिषदीय स्कूलों में छात्र संख्या पर असर पड़ सकता है।



परिषदीय स्कूलों में दाखिले में बच्चों की उम्र बन रही बाधा, नियमों में छूट नहीं दी गई तो घट जाएगी छात्र संख्या

लखनऊ : सूबे के प्राइमरी स्कूलों में कक्षा एक में प्रवेश के लिए छह वर्ष के आयु की बाध्यता होने से दाखिला प्रभावित हो रहा है। जबकि निजी स्कूलों में तीन वर्ष के बच्चे का नामांकन हो जाता है। शहर और गांव के प्राइमरी स्कूलों के शिक्षक घर-घर जाकर छह वर्षीय बच्चे खोज रहे हैं।


बेसिक शिक्षा विभाग के प्राइमरी स्कूलों में एक अप्रैल 2024 को छह साल की आयु पूरा करने वाले बच्चों का कक्षा एक में नामांकन किया जा रहा है। उम्र की पुष्टि के लिए उनके पास आधार नंबर होना चाहिए। यदि यह नहीं है तो परिजनों का आधार कार्ड लगेगा। यदि बच्चे की उम्र छह साल से कम मिलती है तो उसका नामांकन नहीं होगा। ऐसे में परिजनों को परेशान होना पड़ रहा है।


वहीं निजी स्कूलों में तीन साल की उम्र में ही बच्चों का नामांकन हो जाता है। कॉन्वेंट स्कूलों में पीजी, यूकेजी और एलकेजी में पढ़ाई करने के बाद कक्षा एक में प्रवेश लिया जाता है। जबकि प्राइमरी स्कूलों में सिर्फ बालवाटिका की ही कक्षाएं संचलित की जा रही हैं। 


नियमों में छूट नहीं दी गई तो घट जाएगी छात्र संख्या

बेसिक शिक्षा विभाग ने प्री प्राइमरी स्कूल (आंगनबाड़ी) में दाखिले की न्यूनतम उम्र तीन साल और कक्षा एक में प्रवेश की न्यूनतम उम्र छह वर्ष निर्धारित की है। इस नियम के चलते अभिभावकों को निजी स्कूलों का रुख करना पड़ रहा है। अगर नियमों में ढील नहीं दी गई, तो सरकारी स्कूलों में छात्र संख्या में गिरावट आ जाएगी। 



सत्र शुरू होने के बाद जिले से लेकर प्रदेश स्तर से जारी आदेशों के बाद भी परिषदीय स्कूलों में कक्षा एक में प्रवेश की उम्र को लेकर शिक्षक परेशान, जानिए क्यों हैं ऐसे हाल?

कुछ बीएसए ही करवा रहे 6 साल से कम उम्र के बच्चों का दाखिला, अभिभावकों की परेशानी कौन दूर करेगा?

नया सत्र शुरू होने के बाद भी जारी हो रहे आदेेश 


UP School Admission Age Row: यूपी के स्कूलों में दाखिले को लेकर विवाद गहरा रहा है। केंद्र और राज्य सरकार की ओर से 6 साल से कम उम्र के बच्चों का स्कूलों में एडमिशन कराने पर रोक है। इसके बाद भी बीएसए की ओर कम उम्र के बच्चों का दाखिला कराया जा रहा है। कड़े आदेश के बाद अभिभावकों की परेशानी बढ़ी हुई है।


लखनऊ: कक्षा एक में छह साल से कम उम्र के बच्चों का दाखिला नहीं किया जाना है। इस बाबत केंद्र सरकार और राज्य सरकार की ओर से लगातार निर्देश दिए जा रहे हैं। इसके बावजूद प्रदेश के कुछ जिलों में बीएसए ने 6 साल से कम उम्र के बच्चों का दाखिला लेने के आदेश जारी कर दिए हैं। स्कूलों में दाखिले ले भी लिए गए हैं। अब शिक्षक और छात्र परेशान हैं कि जिनके दाखिले हो गए, उनका क्या होगा। पहले राइट टु एजुकेशन (आरटीई) में यही नियम था कि छह साल से कम उम्र के बच्चों का दाखिला नहीं किया जाएगा। अब नई शिक्षा नीति में एक बार फिर से इसे सख्ती से लागू करने के निर्देश दिए गए हैं।


स्कूलों में दाखिले को लेकर लगातार जारी हो रहे आदेशों ने अभिभावकों को कंफ्यूज कर दिया है। पिछले साल भी केंद्र सरकार ने इस तरह के आदेश जारी किए थे। तब यह कहते हुए प्रदेश में छूट दे दी गई थी कि बच्चों का दाखिला हो चुका है। ऐसे में अगले साल से इसे सख्ती से लागू किया जाए। इस साल तो केंद्र सरकार ने फरवरी में ही इस बाबत आदेश जारी करके सभी राज्यों को सचेत कर दिया था कि छह साल से कम के बच्चों के दाखिले कक्षा एक में न किए जाएं। उसके बाद डीजी स्कूल शिक्षा ने भी इस बारे में आदेश जारी किए थे।


एक अप्रैल से शुरू हुए एडमिशन
प्रदेश में 1 अप्रैल से स्कूल खुले और स्कूल चलो अभियान शुरू हुआ। इसके बाद अलग-अलग जिलों में बीएसए ने अलग-अलग आदेश जारी कर दिए। बाराबंकी के बीएसए ने स्कूलों को आदेश दिए कि 1 अप्रैल से 31 जुलाई के बीच जिन बच्चों की उम्र 6 साल हो रही है, उनका दाखिला ले लिया जाए। वहीं अयोध्या के बीएसए ने आदेश दिया है कि 5 वर्ष से अधिक उम्र के सभी बच्चों का अनिवार्य तौर पर स्कूल में दाखिला करवाया जाए। कोई भी बच्चा छूटने न पाए। अब एक बार फिर बेसिक शिक्षा निदेशक ने स्पष्ट किया है कि उन बच्चों का दाखिला ही कक्षा एक में किया जाए, जिनकी उम्र 1 अप्रैल को छह साल पूरी हो चुकी है।


1 अप्रैल को 6 साल की उम्र पूरी करने वाले बच्चों का ही कक्षा एक में दाखिला लिया जाएगा। यह स्पष्ट निर्देश हैं। यदि कहीं बीएसए ने गलत आदेश दिए हैं तो उनसे स्पष्टीकरण लेकर कार्रवाई की जाएगी। –प्रताप सिंह बघेल, निदेशक-बेसिक शिक्षा


बढ़ेगी छात्रों और शिक्षकों की परेशानी

बीएसए के इन आदेशों के चलते ज्यादातर जिलों में स्कूल ऐसे बच्चों का दाखिला ले चुके हैं जिनकी उम्र 1 अप्रैल को 6 साल पूरी नहीं हुई है। इस बारे में बाराबंकी के शिक्षक निर्भय सिंह कहते हैं कि सत्र की शुरुआत से पहले ही यह बात स्पष्ट हो जानी चाहिए थी। अब जिनका दाखिला लो चुका है, उनको लेकर असमंजस है। इससे बच्चे, अभिभावकों और शिक्षकों की परेशानी बढ़ेगी। 

प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षित स्नातक असोसिएशन के अध्यक्ष विनय कुमार सिंह भी कहते हैं कि जिनका दाखिला ले लिया है, उनको निकालते हैं तो विवाद होगा। अफसर कुछ तय नहीं कर पाते और बाद में दोष शिक्षकों पर मढ़ दिया जाता है। कई स्कूलों में आगनबाड़ी केंद्र भी हैं। उनके बच्चों की उम्र कक्षा 6 में दाखिले के लिए पूरी नहीं हुई है तो उसका क्या करेंगे, इस बारे में भी स्पष्ट होना चाहिए।

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