आरटीई के प्रति जागरूकता बढ़ने के साथ ही शिक्षा विभाग में एडमिशन के लिए सिफारिशें भी आना शुरू हो गई हैं। दो साल पहले तक इसमें कोई आवेदन नहीं करता था। अब आवेदन की प्रक्रिया समाप्त हो चुकी है। इसके बाद भी एडमिशन के लिए फोन आ रहे हैं।
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हजार बच्चों का हुआ था चयन• एनबीटी, लखनऊ : राइट टू एजुकेशन के तहत हुई लॉटरी में जिन बच्चों को एडिमशन का मौका नहीं मिला उन्हें जल्द ही एडमिशन दिलवाया जाएगा। इस बार आरटीई की तीसरी लॉटरी में 10 हजार बच्चों को शामिल किया गया था जिसमें 6 हजार को सीटें अलॉट हो पाई हैं। बाकी 4 हजार को स्कूलों की सीटें भर जाने के कारण एडमिशन नहीं दिया जा सका। चूंकि इन बच्चों के प्रमाणपत्र सही है ऐसे में शिक्षा विभाग ने इन्हें स्कूलों में एडमिशन दिलवाने का निर्णय लिया है।
बीएसए प्रवीण मणि त्रिपाठी ने बताया कि आरटीई के नियम के तहत बच्चे के घर के एक किलोमीटर के दायरे में आने वाले स्कूल में ही एडमिशन देने का नियम है। कई स्कूलों ऐसे हैं जहां के लिए काफी संख्या में आवेदन आ गए हैं। जबकि कई स्कूलों में आवेदन कम आए हैं। जिन स्कूलों में सीटें खाली हैं उन स्कूलों में आस-पास के ही उन बच्चों को एडमिशन दिया जाएगा जिन्हें उनकी वरीयता में दिए गए स्कूल में एडमिशन नहीं मिला है। अभिभावक खुद भी ऐसे स्कूलों में जाकर पूछ सकते हैं।
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