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Tuesday, July 15, 2025

यूपी बोर्ड ने नियमों में किया बदलाव, परमानेंट एजुकेशन नंबर (PEN) के बगैर अब नहीं होगा पंजीकरण, कक्षा 9 और 11 में पंजीकरण हेतु 'पेन' अनिवार्य

यूपी बोर्ड ने नियमों में किया बदलाव, परमानेंट एजुकेशन नंबर (PEN) के बगैर अब नहीं होगा पंजीकरण,  कक्षा 9 और 11 में पंजीकरण हेतु 'पेन' अनिवार्य

50 प्रतिशत से अधिक बच्चों के पास नहीं पेन, स्कूल परेशान 

हर साल 50 लाख से अधिक बच्चे लेते हैं 9वीं-11 वीं में प्रवेश


प्रयागराज। यूपी बोर्ड ने कक्षा नौ और 11 के पंजीकरण में पहली बार परमानेंट एजुकेशन नंबर (पेन) को अनिवार्य कर दिया है। बोर्ड से जुड़े 28 हजार से अधिक स्कूलों में कक्षा नौ और 11 में प्रवेश लेने वाले छात्र-छात्राओं के ऑनलाइन अग्रिम पंजीकरण के लिए पहली बार छात्र-छात्रा की विद्यालय पंजीकरण संख्या (एसआर या स्कॉलर रजिस्टर) की फोटो लगाना भी अनिवार्य कर दिया गया है। पेन अनिवार्य करने का उद्देश्य विद्यार्थियों की पहचान को बनाए रखने और शैक्षणिक रिकॉर्ड को ट्रैक करना है। वहीं एसआर मांगने से पंजीकरण में फर्जीवाड़े को रोकने में मदद मिलेगी।


हालांकि इस नई व्यवस्था से हजारों अभिभावक और स्कूल संचालक परेशान हैं, क्योंकि कक्षा नौ और 11 में प्रवेश लेने वाले तकरीबन 50 प्रतिशत छात्र-छात्राओं के पास पेन नहीं है। परिषदीय और राजकीय स्कूलों के बच्चों के पेन तो उपलब्ध हैं, लेकिन निजी स्कूलों में अधिकांश के पास नहीं है। अब उन्हें लग रहा है कि पेन न होने के कारण कहीं उनकी आगे की पढ़ाई बाधित न हो जाए। यूपी बोर्ड के अपर सचिव प्रशासन सत्येन्द्र सिंह के अनुसार छात्रों के शैक्षणिक रिकॉर्ड को ट्रैक करने के लिए पेन मांगा गया है।


उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व एमएलसी  सुरेश कुमार त्रिपाठी का कहना है कि पेन अनिवार्य करना उचित नहीं है क्योंकि सभी बच्चों के पास यह उपलब्ध नहीं है। बता दें कि कक्षा नौ और 11 का पंजीकरण दो जुलाई से चालू है और प्रवेश की समयसीमा पांच अगस्त तक गौरतलब है कि दो साल पहले बोर्ड ने हाईस्कूल और इंटरमीडिएट परीक्षा के पंजीकरण के लिए आधार अनिवार्य कर दिया था। हालांकि बाद में छात्रहित में उसे अपना फैसला वापस लेते हुए आधार को वैकल्पिक करना पड़ा था। यूपी बोर्ड के स्कूलों में हर साल कक्षा नौ और 11 में 50 लाख से अधिक छात्र छात्राएं प्रवेश लेते हैं।

मदरसों की शिक्षा व्यवस्था में सुधार के लिए शिक्षक, प्रबंधक देंगे सुझाव, शिक्षकों की योग्यता के पुर्निर्धारण और पाठ्यक्रम में बदलाव पर होगा विचार-विमर्श

मदरसों की शिक्षा व्यवस्था में सुधार के लिए शिक्षक, प्रबंधक देंगे सुझाव, शिक्षकों की योग्यता के पुर्निर्धारण और पाठ्यक्रम में बदलाव पर होगा विचार-विमर्श

अल्पसंख्यक कल्याण निदेशक की अध्यक्षता में आज होगी बैठक


लखनऊ। मदरसों की शिक्षा व्यवस्था में सुधार के लिए शासन स्तर पर गठित कमेटी ने मंगलवार को मदरसों के शिक्षक, प्रबंधक और पूर्व शिक्षकों से सुझाव लेने के लिए बैठक बुलाई है। बैठक में शिक्षकों की योग्यता के पुनर्निर्धारण और पाठ्यक्रम में बदलाव और सुधार पर विचार विमर्श होगा।

मदरसा बोर्ड की कामिल और फाजिल की डिग्री की यूजीसी से मान्यता न होने पर सुप्रीम कोर्ट ने इन डिग्रियों को असांविधानिक घोषित कर दिया था। इसके बाद मदरसा शिक्षा में सुधार के लिए शासन स्तर पर अल्पसंख्यक कल्याण निदेशक की अध्यक्षता में कमेटी गठित की गई थी।


कमेटी मदरसों के शिक्षकों की योग्यता का पुनर्निर्धारण करने और नई शिक्षा नीति के मुताबिक पाठ्यक्रम में सुधार व बदलाव को लेकर अपनी रिपोर्ट तैयार कर रही है। ऐसे में शिक्षा व्यवस्था में सुधार को लेकर विचार विमर्श करने के लिए अल्पसंख्यक कल्याण निदेशक की अध्यक्षता में मंगलवार को बैठक बुलाई गई है।

मदरसा बोर्ड के रजिस्ट्रार आरपी सिंह की ओर से मदरसा इरम मॉडल स्कूल के प्रबंधक ख्वाजा फैजी यूनुस, टीचर्स एसोसिएशन मदारिसे अरबिया के महामंत्री दीवान साहेब जमा, वहीदुल्ला खान सईदी सहित 23 शिक्षकों, प्रबंधकों और संगठन के लोगों को पत्र भेज कर आमंत्रित किया गया है।


सेवानिवृत्त शिक्षकों को बैठक में बुलाए जाने का विरोध

बैठक में पूर्व शिक्षकों को आमंत्रित किए जाने पर मदरसा शिक्षक मोहम्मद हसन रजा, नूरुल हसन अजहरी, अंजुम कादरी आदि ने विशेष सचिव अल्पसंख्यक कल्याण को पत्र भेजकर आपत्ति जताई। उनका कहना है कि अनुदानित मदरसों में करीब 10 हजार शिक्षकों के कार्यरत होने के बावजूद सेवानिवृत्त शिक्षकों को बुलाया जाना मुख्यमंत्री के विचारों और शिक्षकों के मौलिक अधिकारों के खिलाफ है।

बेसिक शिक्षा विभाग की समीक्षा बैठक में सीएम योगी ने दिया निर्देश, 50 से अधिक छात्र संख्या वाले विद्यालयों का नहीं होगा मर्जर

बेसिक शिक्षा विभाग की समीक्षा बैठक में सीएम योगी ने दिया निर्देश, 50 से अधिक छात्र संख्या वाले विद्यालयों का नहीं होगा मर्जर 

लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को बेसिक शिक्षा विभाग की बैठक में शिक्षकों के खाली पदों पर जल्द नियुक्ति की आवश्यकता को रेखांकित करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि सभी विद्यालयों में शिक्षक-छात्र अनुपात आदर्श स्थिति में होना चाहिए। खाली पदों के सापेक्ष अधियाचन तत्काल भेजा जाए और नियुक्ति प्रक्रिया समय से पूरी हो।

मुख्यमंत्री ने विद्यालयों की पेयरिंग व्यवस्था को दूरगामी और व्यापक दृष्टिकोण से लागू करने की जरूरत बताई। उन्होंने कहा कि यह प्रणाली छात्रों, अभिभावकों और शिक्षकों तीनों के हित में है। इससे न केवल संसाधनों का बेहतर उपयोग होगा, बल्कि शिक्षा की गुणवत्ता में भी सुधार हो सकेगा। उन्होंने जिन विद्यालयों में 50 से अधिक छात्र पढ़ रहे हैं, उन्हें स्वतंत्र विद्यालय के रूप में चलाने का निर्देश दिया।

उन्होंने पेयरिंग के बाद खाली हुए विद्यालय भवनों में बाल वाटिकाएं, प्री-प्राइमरी स्कूल चालाने को कहा। कहा- इन भवनों में आंगनबाड़ी केंद्रों को स्थानांतरित किया जाए ताकि शिशु शिक्षा का आधार सुदृढ़ हो। इसमें किसी प्रकार की शिथिलता न बरती जाए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि 06 से 14 साल का एक भी बच्चा विद्यालय से वंचित नहीं रहना चाहिए। विद्यालय प्रबंध समिति (प्रधानाध्यापक व ग्राम प्रधान) इसे सुनिश्चित कराएं। स्कूल चलो अभियान को प्रभावी ढंग से लागू करें। उन्होंने यह भी निर्देश दिया कि जिन विद्यालयों में आधारभूत संरचना की कमी है, वहां अविलंब संसाधनों की आपूर्ति सुनिश्चित की जाए


अभिभावकों के खाते म जल्द करें डीबीटी

मुख्यमंत्री ने परिषदीय विद्यालयों में पढ़ रहे हर बच्चों के अभिभावक के खाते में यूनिफॉर्म, जूता-मोजा, स्टेशनरी व पाठ्य सामग्री के लिए 1200 रुपये की सहायता राशि डीबीटी से जल्द भेजने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि यह कार्य पारदर्शिता और समयबद्धता के साथ किया जाए ताकि लाभार्थियों को समय पर मदद मिल सके।




अभिभावक-छात्र-शिक्षक, तीनों के हित में है स्कूलों की पेयरिंग', सीएम योगी ने बेसिक शिक्षा विभाग की समीक्षा बैठक में किया दावा 

लखनऊ । सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि बेसिक स्कूलों की पेयरिंग छात्रों, अभिभावकों और शिक्षकों तीनों के हित में है। इससे न केवल संसाधनों का बेहतर उपयोग होगा, बल्कि शिक्षा की गुणवत्ता में भी सुधार सुनिश्चित किया जा सकेगा। इसे दूरगामी दृष्टिकोण से लागू करने की जरूरत है। जिन स्कूलों में 50 से अधिक स्टूडेंट अध्ययनरत हैं, उन्हें स्वतंत्र रूप में संचालित करें, जिससे प्रशासनिक सुविधा, जवाबदेही और शैक्षणिक निगरानी प्रभावी ढंग से हो सके।


योगी ने सोमवार को बेसिक शिक्षा विभाग की समीक्षा की। उन्होंने कहा कि पेयरिंग व्यवस्था के कारण खाली हुए स्कूल भवनों में बाल वाटिकाएं/प्री-प्राइमरी स्कूल संचालित किए जाएं। इन भवनों में आंगनबाड़ी केंद्रों को स्थानांतरित किया जाए ताकि शिशु शिक्षा का आधार सुदृढ़ हो। यह प्रक्रिया तय समय-सीमा के भीतर पूरी की जाए और इस काम में किसी तरह की शिथिलता न बरती जाए।


'स्कूल जाने से कोई बच्चा न छूटे' सीएम ने कहा कि 6 से 14 साल की उम्र का एक भी बच्चा स्कूल से वंचित नहीं रहना चाहिए। विद्यालय प्रबंध समिति (प्रधानाध्यापक व ग्राम प्रधान) इसे सुनिश्चित करवाए। हर स्टूडेंट के अभिभावक के बैंक खाते में यूनिफॉर्म, जूता-मोजा, स्टेशनरी एवं पाठ्य सामग्री के लिए 1,200 रुपये की सहायता राशि को डीबीटी के जरिए जल्द ट्रांसफर किया जाए। जिन स्कूलों में इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी है, वहां इसे बिना देरी के पूरा करवाएं। 


खाली पदो पर तत्काल भेजे अधियाचन योगी ने शिक्षकों के रिक्त पदों पर शीघ्र नियुक्ति की जरूरत को रेखांकित करते हुए कहा कि सभी स्कूलों में शिक्षक-छात्र अनुपात आदर्श स्थिति में होना चाहिए। रिक्तियों के सापेक्ष अधियाचन तत्काल भेजा जाए और नियुक्ति प्रक्रिया समयबद्ध ढंग से पूरी की जाए।

सुप्रीम कोर्ट पहुंचा स्कूलों के मर्जर का मामला, यूपी में हजारों स्कूल बंद करने के फैसले को जनहित याचिका के जरिए चुनौती

सुप्रीम कोर्ट पहुंचा स्कूलों के मर्जर का मामला, यूपी में हजारों स्कूल बंद करने के फैसले को जनहित याचिका के जरिए चुनौती


उत्तर प्रदेश में हजारों सरकारी स्कूलों को बंद करने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की गई. याचिका में कहा गया कि सरकार के इस कदम से राज्य में 3 लाख 50 हज़ार से ज़्यादा छात्रों को निजी स्कूलों में दाखिला लेने के लिए मजबूर होना पड़ेगा.


उत्तर प्रदेश में 5 हजार सरकारी स्कूलों को बंद करने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की गई. याचिका में कहा गया कि सरकार के इस कदम से राज्य में 3 लाख 50 हज़ार से ज़्यादा छात्रों को निजी स्कूलों में दाखिला लेने के लिए मजबूर होना पड़ेगा. याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट से जल्द सुनवाई की मांग की.सुप्रीम कोर्ट ने जल्द सुनवाई का भरोसा देते हुए कहा कि हालांकि यह सरकार का नीतिगत मामला है. याचिकाकर्ता के वकील प्रदीप यादव ने कोर्ट से इस संवेदनशील मामले पर शीघ्र सुनवाई करने का आग्रह किया.


सुप्रीम कोर्ट में जल्द सुनवाई की मांग
उत्तर प्रदेश में 70 से कम छात्र संख्या वाले 5 हजार सरकारी प्राथमिक स्कूलों को बंद करने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई. याचिका में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ के निर्णय को चुनौती दी गई है. याचिका में कहा गया कि सरकार के इस कदम से राज्य में 3 लाख 50 हज़ार से ज़्यादा छात्रों को निजी स्कूलों में दाखिला लेने के लिए मजबूर होना पड़ेगा. याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट से जल्द सुनवाई की मांग की. सुप्रीम कोर्ट ने जल्द सुनवाई का भरोसा देते हुए कहा कि हालांकि यह सरकार का नीतिगत मामला है. याचिकाकर्ता के वकील  प्रदीप यादव ने कोर्ट से इस संवेदनशील मामले पर शीघ्र सुनवाई करने का आग्रह किया.


5,000 स्कूलों के मर्जर के फैसले को मिली थी हरी झंडी
पिछले हफ्ते सोमवार सात जुलाई को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस मामले में उत्तर प्रदेश की योगी सरकार को राहत देते हुए 5,000 स्कूलों के मर्जर के फैसले को हरी झंडी दिखा दी थी. कोर्ट ने सरकार के 16 जून 2025 के शासनादेश की अधिसूचना के खिलाफ सीतापुर और पीलीभीत के 51 छात्रों की याचिका खारिज कर दी. अधिसूचना के मुताबिक राज्य के दूरदराज में स्थित जिन सरकारी प्राथमिक विद्यालयों में 70 या इससे कम छात्र हों उनका आसपास के अन्य विद्यालयों में विलय कर दिया गया.

अभिभावक-छात्र-शिक्षक, तीनों के हित में है स्कूलों की पेयरिंग', सीएम योगी ने बेसिक शिक्षा विभाग की समीक्षा बैठक में किया दावा

अभिभावक-छात्र-शिक्षक, तीनों के हित में है स्कूलों की पेयरिंग', सीएम योगी ने बेसिक शिक्षा विभाग की समीक्षा बैठक में किया दावा 


लखनऊ । सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि बेसिक स्कूलों की पेयरिंग छात्रों, अभिभावकों और शिक्षकों तीनों के हित में है। इससे न केवल संसाधनों का बेहतर उपयोग होगा, बल्कि शिक्षा की गुणवत्ता में भी सुधार सुनिश्चित किया जा सकेगा। इसे दूरगामी दृष्टिकोण से लागू करने की जरूरत है। जिन स्कूलों में 50 से अधिक स्टूडेंट अध्ययनरत हैं, उन्हें स्वतंत्र रूप में संचालित करें, जिससे प्रशासनिक सुविधा, जवाबदेही और शैक्षणिक निगरानी प्रभावी ढंग से हो सके।


योगी ने सोमवार को बेसिक शिक्षा विभाग की समीक्षा की। उन्होंने कहा कि पेयरिंग व्यवस्था के कारण खाली हुए स्कूल भवनों में बाल वाटिकाएं/प्री-प्राइमरी स्कूल संचालित किए जाएं। इन भवनों में आंगनबाड़ी केंद्रों को स्थानांतरित किया जाए ताकि शिशु शिक्षा का आधार सुदृढ़ हो। यह प्रक्रिया तय समय-सीमा के भीतर पूरी की जाए और इस काम में किसी तरह की शिथिलता न बरती जाए।


'स्कूल जाने से कोई बच्चा न छूटे' सीएम ने कहा कि 6 से 14 साल की उम्र का एक भी बच्चा स्कूल से वंचित नहीं रहना चाहिए। विद्यालय प्रबंध समिति (प्रधानाध्यापक व ग्राम प्रधान) इसे सुनिश्चित करवाए। हर स्टूडेंट के अभिभावक के बैंक खाते में यूनिफॉर्म, जूता-मोजा, स्टेशनरी एवं पाठ्य सामग्री के लिए 1,200 रुपये की सहायता राशि को डीबीटी के जरिए जल्द ट्रांसफर किया जाए। जिन स्कूलों में इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी है, वहां इसे बिना देरी के पूरा करवाएं। 


खाली पदो पर तत्काल भेजे अधियाचन योगी ने शिक्षकों के रिक्त पदों पर शीघ्र नियुक्ति की जरूरत को रेखांकित करते हुए कहा कि सभी स्कूलों में शिक्षक-छात्र अनुपात आदर्श स्थिति में होना चाहिए। रिक्तियों के सापेक्ष अधियाचन तत्काल भेजा जाए और नियुक्ति प्रक्रिया समयबद्ध ढंग से पूरी की जाए।

Monday, July 14, 2025

राजकीय माध्यमिक विद्यालयों में मनमाने तबादले पर हाईकोर्ट पहुंचे शिक्षक, एडेड कॉलेजों के तबादले पर भी हुई याचिका

राजकीय माध्यमिक विद्यालयों में मनमाने तबादले पर हाईकोर्ट पहुंचे शिक्षक, एडेड कॉलेजों के तबादले पर भी हुई याचिका


प्रयागराज । राजकीय माध्यमिक विद्यालयों में तबादले की आड़ में हुई मनमानी को लेकर विवाद बढ़ गया है। मनमानी के खिलाफ सोनभद्र, चित्रकूट और चंदौली आदि के शिक्षकों ने हाईकोर्ट में याचिकाएं कर दी हैं। रामकेश और 14 अन्य की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि अफसरों ने बिना किसी ठोस आधार के उनके स्थानान्तरण के ऑनलाइन आवेदन निरस्त कर दिए। आकांक्षी जिले के कुछ शिक्षकों का तबादला कर दिया गया जबकि अधिकांश के आवेदन भेदभावपूर्ण तरीके से निरस्त कर दिए गए।


इस मामले में सरकार के वकील ने जवाब दाखिल करने के लिए तीन सप्ताह का समय मांग लिया है। इस केस की सुनवाई अब एक अगस्त को होगी।



एडेड कॉलेजों के तबादले पर भी हुई याचिका: सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षकों और प्रधानाचार्यों के ऑनलाइन तबादले को लेकर भी हाईकोर्ट में याचिका हुई है। अशासकीय सहायता प्राप्त विद्यालय प्रबंधक सभा की ओर से दाखिल याचिका पर 15 जुलाई को हाईकोर्ट में सुनवाई होनी है। प्रबंधकों का कहना है कि माध्यमिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने स्कूलों के प्रधानाचार्यों से रिक्त पदों की सूचना मंगाकर ट्रांसफर कर दिया। जबकि रिक्त पदों की सूचना भेजने का अधिकार प्रबंध समिति को है।

कम नामांकन वाले परिषदीय विद्यालयों के विलय के खिलाफ एक्स पर ट्रेंड हुआ 'मधुशाला नहीं पाठशाला दो'

कम नामांकन वाले परिषदीय विद्यालयों के विलय के खिलाफ एक्स पर ट्रेंड हुआ 'मधुशाला नहीं पाठशाला दो'

13 जुलाई 2025
 लखनऊ: प्रदेश में कम नामांकन वाले परिषदीय विद्यालयों के विलय के खिलाफ रविवार को इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर 'मधुशाला नहीं पाठशाला दो' हैशटैग के साथ डिजिटल आंदोलन चला। शिक्षकों, शिक्षामित्रों, डीएलएड प्रशिक्षुओं और अभिभावकों ने इसमें हिस्सा लिया, जिससे यह ट्रेंड देश में नंबर-एक पर पहुंच गया।

 अभियान में लोगों ने वीडियो और तस्वीरों के माध्यम से अपनी पीड़ा साझा की। रसोइयों के आंसू, बच्चों की शिक्षण व्यवस्था और महिलाओं की भावनात्मक अपीलों ने आंदोलन को बल दिया। पोस्ट में स्कूलों की संख्या घटाने के निर्णय, शिक्षकों की कमी और बुनियादी सुविधाओं के अभाव पर सवाल उठाए गए।





एक्स पर दिनभर ट्रेंड करता रहा जस्टिस फॉर स्कूल चिल्ड्रेन, वर्तमान संग भावी शिक्षकों ने स्कूलों के विलय के खिलाफ चलाया अभियान

सात लाख से अधिक हुए पोस्ट, इससे जुड़े फोटो-वीडियो भी शेयर किए

7 जुलाई 2025
लखनऊ। प्रदेश में कम नामांकन वाले परिषदीय स्कूलों के विलय (पेयरिंग) को लेकर विरोध व्यापक रूप ले रहा है। उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के आह्वान पर रविवार को वर्तमान और भावी शिक्षकों ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर जस्टिस फॉर स्कूल चिल्ड्रेन अभियान चलाया।


ये दोपहर से देर शाम तक ट्रेंड करता रहा। इसमें सात लाख से अधिक पोस्ट करके शिक्षकों व युवाओं ने स्कूलों का विलय न करने की अपील की। इसके साथ ही अलग अलग हैंडल से इससे जुड़े फोटो व बच्चों के वीडियो शेयर करते हुए स्कूलों के विलय के नुकसान बताए। साथ ही बच्चों ने भावुक अपील भी की। 

स्कूल बंद होने से काफी रसोइयों की सेवा समाप्त होगी। साथ ही भविष्य में शिक्षक बनने की उम्मीद में तैयारी कर रहे बीटीसी, बीएलएड अभ्यर्थियों को भी झटका लगेगा।

शिक्षकों की मांग है कि कोई भी विद्यालय बंद न हो। हर क्लास में एक शिक्षक व हर विद्यालय में एक प्रधानाध्यापक जरूर नियुक्त हो। इस निर्णय के विरोध में प्राथमिक शिक्षक संघ आठ जुलाई को बीएसए कार्यालय में धरने की तैयारी कर रहा है। 

उच्च प्राथमिक स्कूलों में विषय देखे बगैर किए स्थानांतरण, बेसिक शिक्षा में फेल हुई ऑनलाइन स्थानांतरण व्यवस्था पर शिक्षकों ने अपर मुख्य सचिव को पत्र लिखा

उच्च प्राथमिक स्कूलों में विषय देखे बगैर किए स्थानांतरण, बेसिक शिक्षा में फेल हुई ऑनलाइन स्थानांतरण व्यवस्था पर शिक्षकों ने अपर मुख्य सचिव को पत्र लिखा कहा, मानकों का पालन नहीं किया गया

13 जुलाई 2025
प्रयागराज ।  बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक, उच्च प्राथमिक और कंपोजिट विद्यालयों में अंतःजनपदीय स्थानान्तरण और समायोजन को लेकर आपत्ति होने लगी है। खास तौर से उच्च प्राथमिक स्कूलों में शिक्षकों का विषय देखे बगैर तबादला कर दिया गया है। इस पर शिक्षकों ने अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार को पत्र लिखकर आपत्ति जताई है।

आरटीई 2009 के मानकों के अनुसार प्राथमिक स्तर पर 0-60 छात्र संख्या पर कम से कम दो स्थायी शिक्षक होना अनिवार्य है तथा उच्च प्राथमिक स्तर पर 100 छात्र संख्या तक विषयवार कम से कम तीन शिक्षक होने चाहिए। इनमें एक शिक्षक गणित एवं विज्ञान, एक शिक्षक भाषा और एक शिक्षक सामाजिक विषय का होना अनिवार्य है। 

 तबादले में मानकों का पालन नहीं किया गया। 100 छात्रसंख्या तक वाले स्कूलों को एकल (केवल एक शिक्षक की तैनाती) कर दिया गया। उच्च प्राथमिक स्तर पर न तो विषयवार रिक्तियां और न ही विषयवार सरप्लस शिक्षकों की सूची प्रदर्शित की गई। उच्च प्राथमिक स्तर पर कई विद्यालय गणित/विज्ञान, सामाजिक विषय और भाषा शिक्षक विहिन हो गए।






प्राइमरी के प्रधानाध्यापकों के जूनियर में तबादले पर मची रार, पदोन्नति की लड़ाई लड़ रहे शिक्षक विभाग के इस आदेश के खिलाफ उतरे

7 जुलाई 2025
प्रयागराज । बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों का स्थानांतरण उच्च प्राथमिक विद्यालय में सहायक अध्यापक के पद पर करने को लेकर रार मची है। पदोन्नति में शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) की अनिवार्यता को लेकर लड़ाई लड़ रहे शिक्षकों का कहना है कि बेसिक शिक्षा परिषद के अधिकारियों ने विभागीय नियमों व हाईकोर्ट के आदेशों की अनदेखी कर मनमाने तरीके से ट्रांसफर किया है।


हाईकोर्ट ने अपने कई आदेशों में निर्देश दिए हैं कि प्राथमिक विद्यालय से उच्च प्राथमिक विद्यालय में शिक्षकों की पदोन्नति या स्थानांतरण करते समय राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) की 23 अगस्त 2010, 29 जुलाई 2011 व 12 नवम्बर 2014 की अधिसूचनाओं को ध्यान में रखा जाए। 


अधिसूचनाओं के अनुसार प्राथमिक से उच्च प्राथमिक विद्यालय में पदोन्नति या स्थानांतरण के लिए बीएड व बीटीसी के साथ कक्षा छह से आठ स्तर का टीईटी पास होना अनिवार्य है। जबकि शिक्षकों के स्थानांतरण के लिए 23 मई 2025 को जारी शासनादेश में भी एनसीटीई के प्रावधानों का पालन करने का जिक्र तो था लेकिन 30 जून को जारी स्थानांतरण सूची में अधिसूचना की पूरी तरह अनदेखी की गई है।


हजारों शिक्षकों का हुआ नियम विरुद्ध तबादला

शिकायतकर्ता बलिया के ललित मोहन सिंह के अनुसार 30 जून को जारी सूची में प्रदेशभर के हजारों शिक्षकों का नियम विरुद्ध तबादला हुआ है। प्रयागराज में ही प्राथमिक विद्यालय भटकर बहादुरपुर ब्लॉक के प्रधानाध्यापक जय प्रकाश पांडेय का तबादला कंपोजिट स्कूल जलालपुर सैदाबाद हुआ है। इसी प्रकार बहादुरपुर के ही प्राथमिक विद्यालय छतनाग के प्रधानाध्यापक शौकल हुसैन का स्थानांतरण कंपोजिट विद्यालय तेंदुई बहादुरपुर में हुआ है।


मद्रास हाईकोर्ट रद्द कर चुका है प्रमोशन

ऐसे ही एक मामले में तमिलनाडु सरकार की ओर से बिना टीईटी पास शिक्षकों को उच्च प्राथमिक विद्यालयों में पदोन्नत किए जाने की प्रक्रिया को मद्रास उच्च न्यायालय रद्द कर चुका है। कोर्ट ने कहा है कि कक्षा छह से आठ के लिए उच्च प्राथमिक स्तर का टीईटी उत्तीर्ण होना अनिवार्य है। इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है, लेकिन सर्वोच्च न्यायालय ने मद्रास उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक नहीं लगाई है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रखा है।

पुरानी पेंशन बहाली के लिए होगा देशव्यापी आंदोलन, एक अगस्त को देशभर में रोष मार्च पांच सितंबर को सामूहिक उपवास, 25 नवंबर को दिल्ली में रैली

पुरानी पेंशन बहाली के लिए होगा देशव्यापी आंदोलन, एक अगस्त को देशभर में रोष मार्च पांच सितंबर को सामूहिक उपवास, 25 नवंबर को दिल्ली में रैली

NMOPS की राष्ट्रीय कार्यकारिणी ने की घोषणा


लखनऊ। नेशनल मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम (एनएमओपीएस) ने पुरानी पेंशन बहाली के लिए फिर व्यापक आंदोलन की घोषणा की है। संगठन की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की रविवार को हुई ऑनलाइन बैठक में पुरानी पेंशन बहाली आंदोलन पर चर्चा की गई। इसके बाद आंदोलन का विस्तृत प्रस्ताव पास किया गया।


संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष विजय कुमार बंधु ने कहा कि सरकार लगातार सरकारी संस्थाओं का निजीकरण कर रही है। सरकारी स्कूलों को बंद किया जा रहा है। इससे शिक्षक-कर्मचारियों में निराशा है। इसे देखते हुए शिक्षकों कर्मचारियों ने व्यापक आंदोलन की घोषणा की है। इस क्रम में एक अगस्त को पूरे देश में सभी जिला मुख्यालयों पर पुरानी पेंशन बहाली के लिए रोष मार्च निकाला जाएगा। इसके बाद 5 सितंबर शिक्षक दिवस पर सभी शिक्षक व कर्मचारी सामूहिक उपवास करेंगे।

उन्होंने बताया कि 1 अक्तूबर को सोशल मीडिया एक्स पर अभियान चलाया जाएगा। इसके बाद 25 नवंबर को दिल्ली में रैली होगी। राष्ट्रीय महासचिव स्थित प्रज्ञा ने सरकार से निजीकरण समाप्त करने की मांग की। राष्ट्रीय सचिव डॉ. नीरज त्रिपाठी ने कहा कि सरकार स्कूलों का मर्जर कर बच्चों को शिक्षा से वंचित कर रही है। संगठन इसका हर स्तर पर विरोध करेगा। बैठक में राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. राजेश कुमार, शांताराम तेजा, वरुण पांडेय, अमरीक सिंह, प्रेमसागर, परमानंद डहरिया शामिल हुए। 

Sunday, July 13, 2025

अन्य राज्यों से सीखेंगे उत्कृष्ट विधाएं, स्कूलों का चेहराबदलने के नाम पर विभिन्न राज्यों में शैक्षणिक भ्रमण पर जाएंगे 200 शिक्षाधिकारी

अन्य राज्यों से सीखेंगे उत्कृष्ट विधाएं, स्कूलों का चेहरा
बदलने के नाम पर विभिन्न राज्यों में शैक्षणिक भ्रमण पर जाएंगे 200 शिक्षाधिकारी

गुणवत्तापरक शिक्षा के लिए माध्यमिक शिक्षा विभाग की पहल

लखनऊः प्रदेश के सरकारी माध्यमिक विद्यालयों की तस्वीर बदलने के लिए राज्य सरकार ने एक अनोखी पहल की है। इसके तहत प्रदेश के 200 शिक्षा अधिकारियों की टीम देश के अलग-अलग राज्यों में जाकर वहां के सरकारी स्कूलों में अपनाई गई उत्कृष्ट विधाओं (बेस्ट प्रैक्टिसेज) का अध्ययन करेगी। इस शैक्षणिक भ्रमण का मकसद उन नवाचारों को समझना और उन्हें यूपी के स्कूलों में लागू करना है, जिससे शिक्षा अधिक व्यावसायिक, रोजगारपरक, आधुनिक और छात्र-केंद्रित बन सके।


समग्र शिक्षा अभियान के तहत शुरू हो रही इस योजना में जिला विद्यालय निरीक्षक (डीआइओएस) से लेकर शिक्षा निदेशक स्तर तक के अधिकारी शामिल होंगे। जुलाई से शुरू हो रहे इस दौरे में राज्यों में अधिकारियों की टीम बनाकर भेजी जाएंगी। वहां वे कक्षा नौ से 12 तक की शिक्षा व्यवस्था, नवाचारों, पाठ्यचर्या, शिक्षण पद्धति और बुनियादी ढांचे का बारीकी से अध्ययन करेंगे। अध्ययन के बाद अधिकारियों को रिपोर्ट तैयार कर प्रदेश सरकार को सौंपनी होगी, जिसके आधार पर उन उत्कृष्ट शैक्षिक विधाओं को यूपी के स्कूलों में लागू किया जाएगा।


विभागीय अधिकारियों के अनुसार, देश के कई राज्यों में पहले ही माध्यमिक शिक्षा को नई दिशा देने वाले प्रयोग किए जा चुके हैं। उदाहरण के लिए, दिल्ली के स्कूलों में हैप्पीनेस करिकुलम चलाया जा रहा है, जिसमें ध्यान, योग और जीवन कौशल आधारित शिक्षण शामिल है। केरल में डिजिटल क्लासरूम और मुफ्त वाई फाई जैसी सुविधाएं हैं और शिक्षकों को नियमित प्रशिक्षण दिया जाता है। 


हरियाणा में बेटियों की शिक्षा को प्राथमिकता दी जाती है, तो तमिलनाडु में तकनीकी और व्यावसायिक शिक्षा को मजबूती दी गई है। महाराष्ट्र ने डिजिटल लर्निंग और व्यावसायिक पाठ्यक्रमों को स्कूल शिक्षा में शामिल किया है। वहीं राजस्थान ग्रामीण क्षेत्रों में छात्राओं की गुणवत्तापरक शिक्षा पर जोर दे रहा है। पंजाब की स्मार्ट स्कूल नीति और डिजिटल संसाधनों की उपलब्धता भी देशभर में सराही जा रही है। 


उत्तर प्रदेश के लिए यह पहल बेहद अहम साबित हो सकती है। यदि अन्य राज्यों में शिक्षा व्यवस्था का अध्ययन और प्रदेश में उसका क्रियान्वयन सही तरीके से हुआ, तो यह योजना प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था में उल्लेखनीय बदलाव ला सकती है।

बीच में छोड़ और शुरू कर सकेंगे उच्च शिक्षा, UGC ने सिफारिश के अमल को लेकर तैयार किए गए दिशा-निर्देशों का जारी किया है मसौदा

बीच में छोड़ और शुरू कर सकेंगे उच्च शिक्षा, UGC ने सिफारिश के अमल को लेकर तैयार किए गए दिशा-निर्देशों का जारी किया है मसौदा

किसी भी कोर्स में न्यूनतम एक वर्ष की पढ़ाई करना होगा अनिवार्य, फिर मिलेगा प्रमाणपत्र


नई दिल्ली: उच्च शिक्षण संस्थानों में पढ़ने वाले छात्र अब अपनी पढ़ाई को बीच में कभी भी छोड़ और शुरू कर सकेंगे। हालांकि, इसके लिए उन्हें कम से कम एक वर्ष की पढ़ाई पूरी करनी होगी। इस दौरान उन्हें स्नातक पाठ्यक्रमों में एक वर्ष की पढ़ाई पर सर्टिफिकेट दिया जाएगा जबकि दो वर्ष की पढ़ाई पर डिप्लोमा, तीन वर्ष की पढ़ाई पूरा करने पर डिग्री और चार वर्ष की पढ़ाई पूरा करने पर आनर्स की डिग्री मिलेगी। इतना ही नहीं, छात्र अपनी बीच में छोड़ी गई पढ़ाई को आजीवन कभी भी पूरा कर सकेंगे। पूर्व में की गई उनकी पढ़ाई के क्रेडिट अंक उनके एकेडमिक बैंक आफ क्रेडिट (एबीसी) में जमा रहेंगे।


विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) में उच्च शिक्षा को लचीला बनाने को लेकर की गई इस अहम सिफारिश के अमल को लेकर तैयार किए गए दिशा-निर्देशों का मसौदा जारी किया है। इसके साथ ही उच्च शिक्षण संस्थानों से 30 जुलाई तक सुझाव देने को कहा है। यूजीसी ने इस दौरान सभी उच्च शिक्षण संस्थानों से स्नातक और परास्नातक पाठ्यक्रमों का एक समान क्रेडिट फ्रेमवर्क तैयार करने कहा है, ताकि किसी संस्थान से पढ़ाई करके निकले छात्र को दूसरे संस्थान में दाखिला लेने में किसी तरह की दिक्कत न पैदा हो। 


यही नहीं, आयोग ने एक समान क्रेडिट फ्रेमवर्क और लर्निंग आउटकम के आधार पर उच्च शिक्षण संस्थानों का एक कलस्टर भी तैयार करने का सुझाव दिया है, ताकि बीच में पढ़ाई छोड़ने के बाद छात्रों को उन संस्थानों में आसानी से दाखिला मिल सके। यह व्यवस्था आनलाइन डिग्री कोर्सों पर लागू नहीं होगी।


गौरतलब है कि एनईपी में उच्च शिक्षा को लचीला बनाने से जुड़ी इस अहम सिफारिश के अमल के लिए यूजीसी ने यह तेजी ऐसे समय दिखाई है, जब एनईपी के अमल को पांच साल पूरा होने जा रहा है। देश में एनईपी को 29 जुलाई 2020 को लागू किया गया है।


विश्वविद्यालयों में क्रेडिट वैधता की समय सीमा अलग-अलग

यूजीसी ने पढ़ाई को कभी भी छोड़ने और शुरू करने के अमल को लेकर जारी मसौदे में साफ कहा है कि छोड़ी गई पढ़ाई को छात्र आजीवन कभी भी शुरू कर सकते है। बशर्ते उनके क्रेडिट की वैधता बरकरार हो। सभी विश्वविद्यालयों ने क्रेडिट की वैधता की अलग-अलग समय सीमा तय कर रखी है। वैसे औसतन यह पांच से दस वर्ष की है। बावजूद इसके यूजीसी ने कहा है कि कोई छात्र अपनी छूटी पढ़ाई को पूरा करना चाहता है तो वह क्रेडिट वैधता खत्म होने के बाद भी अपनी पूर्व पढ़ाई की मान्यता के लिए आवेदन कर सकता है। उनके खत्म हो चुके क्रेडिट का फिर से मूल्यांकन होगा।

14 जुलाई को प्रदेश के सभी राजकीय और अशासकीय सहायता प्राप्त विद्यालयों के प्रधानाचार्यों / प्रधानाध्यापकों की ऑनलाइन बैठक / यू-ट्यूब सत्र का होगा आयोजन, देखें आदेश और चर्चा के बिंदु

14 जुलाई को प्रदेश के सभी राजकीय और अशासकीय सहायता प्राप्त विद्यालयों के प्रधानाचार्यों / प्रधानाध्यापकों की ऑनलाइन बैठक / यू-ट्यूब सत्र का होगा आयोजन, देखें आदेश और चर्चा के बिंदु 


महानिदेशक, स्कूल शिक्षा/राज्य परियोजना निदेशक, समग्र शिक्षा (मा०), उत्तर प्रदेश की अध्यक्षता में दिनांकः 14.07.2025 को प्रातः 10.30 बजे से राजकीय एवं अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों के प्रधानाचार्यों / प्रधानाध्यापकों की ऑनलाइन बैठक/यू-ट्यूब सत्र का आयोजन किया गया है। समस्त मण्डलीय संयुक्त शिक्षा निदेशकों, मण्डलीय उप शिक्षा निदेशकों, जिला विद्यालय निरीक्षकों एवं जिला समन्वयकों द्वारा भी उक्त ऑनलाइन बैठक/यू-ट्यूब सत्र में प्रतिभाग किया जायेगा।


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अधिकांश माध्यमिक विद्यालयों में ऑनलाइन उपस्थिति नहीं, तय होगा उत्तरदायित्व

अधिकांश माध्यमिक विद्यालयों में ऑनलाइन उपस्थिति नहीं, तय होगा उत्तरदायित्व

01 जुलाई से लागू हुई ऑनलाइन हाजिरी की व्यवस्था

सचिव भगवती सिंह ने लापरवाही पर कार्रवाई की दी चेतावनी

अधिकांश विद्यालय प्रतिदिन नहीं लगा रहे ऑनलाइन उपस्थिति


प्रयागराजः माध्यमिक शिक्षा परिषद उत्तर प्रदेश से मान्यता प्राप्त विद्यालयों में छात्र-छात्राओं की उपस्थिति आनलाइन दर्ज कराने की व्यवस्था लागू की जा चुकी है, लेकिन अधिकांश विद्यालय आनलाइन उपस्थिति नियमित दर्ज नहीं करा रहे हैं। इसके लिए पोर्टल एवं मोबाइल एप विकसित किया गया है और इस संबंध में निर्देश भी दिए गए हैं, लेकिन अनुपालन में शिथिलता बरती जा रही है। 

ऐसे में यूपी बोर्ड सचिव भगवती सिंह ने सभी जिला विद्यालय निरीक्षकों को पत्र लिखकर विद्यालयों में आनलाइन उपस्थिति दर्ज कराने के निर्देश दिए हैं। कहा है कि लापरवाही बरते जाने पर उत्तरदायित्व तय किया जाएगा।

परिषद सचिव ने कहा है कि एक जुलाई से आरंभ हुई आनलाइन उपस्थिति दर्ज किए जाने की समीक्षा में पाया गया कि अधिकांश विद्यालय नियमित उपस्थिति दर्ज नहीं कर रहे हैं। 

ऐसे में डीआइओएस को पुनः निर्देश दिए हैं कि अपने जनपद के सभी माध्यमिक विद्यालयों के प्रधानाचार्य से प्रतिदिन नियमित रूप से प्रथम पीरियड में विद्यार्थियों एवं शिक्षकों की उपस्थिति आनलाइन दर्ज कराएं। किसी विद्यालय में नव नियुक्त अथवा संबद्ध शिक्षकों का विवरण विद्यालय के प्रधानाचार्य द्वारा परिषद की वेबसाइट upmsp.edu.in पर अपलोड कराने के भी निर्देश दिए हैं।



Saturday, July 12, 2025

समर कैंप कराने वाले शिक्षामित्रों और अनुदेशकों को मानदेय का है इंतजार

समर कैंप कराने वाले शिक्षामित्रों और अनुदेशकों को मानदेय का है इंतजार


लखनऊ। परिषदीय विद्यालयों में नवाचार करते हुए इस साल 21 मई से 15 जून तक पहली बार समर कैंप का आयोजन किया गया। इसके आयोजन की जिम्मेदारी विद्यालयों में तैनात रहे 1.42 लाख शिक्षामित्रों व 25 हजार अनुदेशकों को दी गई थी। इसके लिए 6000 रुपये मानदेय तय किया गया था, लेकिन अभी तक इसका भुगतान नहीं किया गया है। इसके लिए वे अधिकारियों के चक्कर काट रहे हैं। 


उप्र प्राथमिक शिक्षामित्र संघ के प्रदेश मंत्री कौशल कुमार ने कहा कि इसके लिए उन्होंने बेसिक शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार से मिलकर जल्द मानदेय जारी करने की मांग की है। 


उन्होंने कहा कि शिक्षामित्रों व अनुदेशकों को यूं ही 11 महीने का मानेदय दिया जाता है। हमने गर्मी में भी विभाग के निर्देश पर इसीलिए काम किया कि समय से मानदेय मिल जाएगा। लेकिन, अभी तक उनका मानदेय नहीं मिला है। 

बीएड में दाखिले की काउंसिलिंग 10 जुलाई से शुरू होने की उम्मीद नहीं, जानिए क्यों?

बीएड की प्रवेश काउंसलिंग स्नातक के रिजल्ट के फेर में फंस गई, 17 जून को प्रवेश परीक्षा का परिणाम आया था

● स्नातक तृतीय वर्ष के परिणाम में लेटलतीफी


लखनऊ । बीएड की संयुक्त प्रवेश परीक्षा का परिणाम जारी हुए करीब महीने भर बीत चुके हैं लेकिन काउंसलिंग शुरू नहीं हो पाई है। विश्वविद्यालयों में स्नातक तृतीय वर्ष का परिणाम जारी नहीं हो पाया है। ऐसे में प्रवेश काउंसलिंग शुरू नहीं हो पा रही है। महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में तो अभी परीक्षाएं ही चल रही हैं।

30 जून तक स्नातक अंतिम वर्ष का परिणाम के निर्देश हैं 15 अगस्त से पहले काउंसलिंग मुश्किल है। बीएड संयुक्त प्रवेश परीक्षा का आयोजन बुंदेलखंड विवि, झांसी ने किया था और 17 जून को परिणाम जारी किया था। अंबेडकर विवि आगरा, शाहू जी महाराज विवि कानपुर सहित तमाम के स्नातक परीक्षा के परिणाम जारी नहीं हुए हैं। प्रदेश शिक्षक संघ के अध्यक्ष डॉ. मौलीन्दु मिश्रा कहते हैं कि शिक्षा विभाग के शैक्षिक कैलेंडर का पालन नहीं होता।



बीएड में दाखिले की काउंसिलिंग 10 जुलाई से शुरू होने की उम्मीद नहीं, जानिए क्यों? 


झांसी। बीएड में दाखिले की काउंसिलिंग 10 जुलाई से शुरू होने की उम्मीद नहीं है। इसकी वजह अधिकांश विवि यूजी-पीजी फाइनल वर्ष के रिजल्ट 5 जुलाई तो दूर, 15 जुलाई तक घोषित करने की स्थिति में नहीं हैं। बुधवार तक सूचना के आधार पर बीयू प्रशासन ने प्रदेश के प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा को हकीकत से अवगत करा दिया है। बीयू ने संयुक्त प्रवेश परीक्षा कराकर लखनऊ में परिणाम जारी किया था। तय हुआ कि 10 जुलाई को प्रवेश के लिए ऑनलाइन काउंसलिंग शुरू कराई जाएगी। 




रिकॉर्ड 16 दिन में बीएड प्रवेश परीक्षा परिणाम घोषित, 3.04 लाख अभ्यर्थी सफल, काउंसिलिंग 10 जुलाई से

17 जून 2025

🔴 बीएड रिजल्ट देखने के लिए यहां जाएं 


17 जून 2025
लखनऊ। संयुक्त बीएड प्रवेश परीक्षा 2025 के टॉप 10 में पूर्वांचल का दबदबा रहा। मंगलवार को घोषित परीक्षा परिणाम में पहले चार स्थानों पर पूर्वांचल के छात्र रहे। मिर्जापुर के सूरज कुमार पटेल ने शीर्ष स्थान प्राप्त किया। भदोही की शीबा परवीन दूसरे व जौनपुर की शिवांगी यादव तीसरे स्थान पर रहीं। मऊ के प्रद्युम्न सिंह यादव चौथे स्थान पर रहे।

डॉ. राम मनोहर लोहिया लॉ विश्वविद्यालय में प्रवेश परीक्षा परिणाम की घोषणा उच्च शिक्षा मंत्री योगेन्द्र उपाध्याय व उच्च शिक्षा राज्य मंत्री रजनी तिवारी ने संयुक्त रूप से की। उन्होंने बताया कि बुंदेलखंड विवि, झांसी की ओर से बीएड प्रवेश परीक्षा का आयोजन एक जून को दो पालियों में किया गया। 69 जिलों में 751 परीक्षा केंद्र बनाए गए। पंजीकृत 344546 में से 305439 (89 फीसदी) अभ्यर्थी शामिल हुए। 304980 सफल अभ्यर्थी प्रवेश काउंसिलिंग के लिए योग्य पाए गए।


मिर्जापुर के सूरज अव्वल, भदोही की शीबा दूसरे व जौनपुर की शिवांगी तीसरे स्थान पर

काउंसिलिंग 10 जुलाई से

बुंदेलखंड विश्वविद्यालय झांसी के कुलपति प्रो. मुकेश पांडेय ने बताया कि बीएड कॉलेजों में प्रवेश के लिए काउंसिलिंग 10 जुलाई से प्रस्तावित है। हालांकि, इसके लिए राज्य विश्वविद्यालय में स्नातक कोर्स का परिणाम आना जरूरी है। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय में स्थापित इंटीग्रेटेड कमांड कंट्रोल सिस्टम से पूरे प्रदेश में परीक्षा की निगरानी की गई।

रिकॉर्ड 16 दिन में परिणाम घोषित

उच्च शिक्षा मंत्री योगेन्द्र उपाध्याय ने कहा कि बीएड प्रवेश परीक्षा में आधुनिक तकनीक जैसे फेस रिग्निशन उपस्थिति और एआई आधारित निगरानी का प्रयोग किया गया। परीक्षा की हर प्रक्रिया सुरक्षित, पारदर्शी और शुचितापूर्ण ढंग से संपन्न हुई। तकनीकी के बेहतर प्रयोग से रिकॉर्ड 16 दिन में प्रवेश परीक्षा परिणाम घोषित किया गया है।


बीएड में आसानी से मिलेगा प्रवेश, 79% का दाखिला तय

लखनऊ। बीएड की संयुक्त प्रवेश परीक्षा में सफल घोषित किए गए 304980 अभ्यर्थियों को आसानी से प्रवेश मिलेगा। 240000 सीटें हैं और प्रत्येक सीट पर 1.02 छात्रों के बीच मुकाबला है। वहीं 79% तय है। विद्यार्थियों का प्रवेश बिल्कुल तय अभ्यर्थियों के बीच मुख्य मुकाबला राजकीय डिग्री कॉलेजों व अशासकीय सहायता प्राप्त (एडेड) डिग्री कॉलेजों की आठ हजार सीटों पर होगा। यहां अच्छी रैंक वाले ही प्रवेश पा सकेंगे। खराब रैंक होने पर उन्हें प्राइवेट बीएड कॉलेज में ही प्रवेश लेना होगा।

बीएड की संयुक्त प्रवेश परीक्षा में शामिल होने को वर्ष 2024-25 में 223000 अभ्यर्थियों ने आवेदन फॉर्म भरा था। बीते वर्ष करीब 240000 सीटें  बीएड की सीटों में से करीब एक लाख सीटें खाली रह गईं थी। फिलहाल, इसबार थोड़ा मुकाबला देखने को मिल सकता है लेकिन दाखिले की उतनी मारा-मारी नहीं रहेगी। क्योंकि अभी बीएड के नए सेल्फ फाइनेंस कॉलेज जुड़ सकते हैं।



बीएड प्रवेश परीक्षा का परिणाम  तैयार, 17 जून को किया जाएगा घोषित

15 जून 2025
झांसी : उत्तर प्रदेश संयुक्त बीएड प्रवेश परीक्षा का परिणाम तैयार हो गया है। बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. मुकेश पाण्डेय 16 जून को कोर कमेटी की बैठक में परीक्षा परिणाम की समीक्षा करेंगे।


कुलपति 17 जून को अपराह्न एक बजे परीक्षाफल घोषित करेंगे। इस दौरान उच्च शिक्षा मंत्री योगेन्द्र उपाध्याय भी उपस्थित रहेंगे। बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के संयोजन में लगातार तीसरी बार राज्य बीएड प्रवेश परीक्षा कराई गई है। 


राज्य समन्वयक प्रो. एसपी सिंह ने बताया कि बीएड प्रवेश परीक्षा का परिणाम तैयार कर संबंधित एजेंसी को दे दिया गया है, जिसे वेबसाइट पर अपलोड किया जा रहा है।

प्रदेश के अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों के प्रधान एवं अध्यापकों के ऑनलाइन स्थानांतरण के संबंध में

एडेड माध्यमिक स्कूलों में अगले वर्ष से होंगे ऑनलाइन तबादले


लखनऊ। एडेड स्कूलों के शिक्षकों का तबादला अब अगले वर्ष से ऑनलाइन ही होंगे। विशेष परिस्थितियों में ही शासन की अनुमति से अपर शिक्षा निदेशक (माध्यमिक) द्वारा ऑफ लाइन स्थानांतरण किया जा सकेगा। इस संबंध में स्कूल शिक्षा महानिदेशक कंचन वर्मा ने शासन को अभी से प्रस्ताव भेज दिया है।

वर्ष 2026 के आनलाइन स्थानान्तरण आदेश निर्गत किये जाने की समय सारिणी/तकनीकी चरण शिक्षा निदेशक स्तर से जारी किया जाएगा। प्रस्ताव में कहा गया है कि इसमें प्रतिबन्ध यह है कि प्रदेश के 08 महत्वाकांक्षी जिले मसलन सोनभद्र, चन्दौली, बहराइच, श्रावस्ती, बलरामपुर, फतेहपुर वित्रकूट एवं सिद्धार्थनगर का कोई अध्यापक अन्य जिले में स्थानान्तरण के लिए आवेदन नहीं कर सकेंगे, किन्तु पारस्परिक स्थानान्तरण की स्थिति में अन्य जिले में स्थानान्तरण आवेदन कर सकेंगे।


प्रदेश के अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों के प्रधान एवं अध्यापकों के ऑनलाइन स्थानांतरण के संबंध में 


माध्यमिक के भी 400 से ज्यादा विद्यालयों में 50 से कम छात्र, महानिदेशक स्कूल शिक्षा ने जताई नाराजगी, नामांकन बढ़ाने के निर्देश

माध्यमिक के भी 400 से ज्यादा विद्यालयों में 50 से कम छात्र, महानिदेशक स्कूल शिक्षा ने जताई नाराजगी,  नामांकन बढ़ाने के निर्देश
 

उत्तर प्रदेश के बेसिक ही नहीं राजकीय माध्यमिक विद्यालयों (हाईस्कूल व इंटर) में भी छात्रों का संकट खड़ा हो रहा है। माध्यमिक शिक्षा विभाग की ओर से की जा रही तमाम कवायद व सुविधाओं के बाद भी इस तरफ विद्यार्थियों को आकर्षित करने में अपेक्षित सफलता नहीं मिल रही है।

इसे लेकर शुक्रवार को महानिदेशक स्कूल शिक्षा कंचन वर्मा ने सभी डीआईओएस व संयुक्त निदेशक आदि की ऑनलाइन बैठक में नामांकन बढ़ाने के निर्देश दिए हैं। विभाग की ओर से हाल में जारी आंकड़ों के अनुसार यू-डायस डाटा 2023-24 के अनुसार प्रदेश के 436 राजकीय हाईस्कूलों में 50 से कम छात्रों के नामांकन हैं। वहीं 189 राजकीय इंटर कॉलेज ऐसे हैं, जहां 100 से कम छात्रों के नामांकन हैं।


हर सप्ताह बैठक कर नामांकन बढ़ाने के निर्देश

महानिदेशक ने निर्देश दिए कि राजकीय माध्यमिक विद्यालयों में नामांकन बढ़ाने के लिए मंडल स्तर के अधिकारी, सभी डीआईओएस अपने यहां प्रधानाचार्यों व प्रधानाध्यापकों की बैठक कर इसके लिए रणनीति तैयार करें। कक्षा आठ व दस के सभी विद्यार्थियों का नामांकन सुनिश्चित कराएं। इसके लिए हर सप्ताह बैठक करें।


Friday, July 11, 2025

सरकार का दावा, पेयरिंग से स्कूली बच्चों को मिलेंगे बेहतर संसाधन

सरकार का दावा, पेयरिंग से स्कूली बच्चों को मिलेंगे बेहतर संसाधन

विलय का असर : शिक्षक बढ़ेंगे, लाइब्रेरी, लैब, खेल मैदान, स्मार्ट क्लास जैसी सुविधाएं मिलेंगी

निजी स्कूलों की तर्ज पर प्री प्राइमरी से उच्च स्तर तक की पढ़ाई एक ही परिसर में


लखनऊ। प्रदेश के कम नामांकन वाले परिषदीय विद्यालयों के विलय (पेयरिंग) के बाद बच्चों को और बेहतर संसाधन व गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराई जाएगी। विद्यालयों को आपस में जोड़कर एकीकृत और प्रतिस्पर्धात्मक शैक्षिक वातावरण देने के लिए काम किया जा रहा है।

बेसिक शिक्षा विभाग के अनुसार इस व्यवस्था से कम नामांकन वाले विद्यालयों को पास के बड़े स्कूलों से जोड़ा जा रहा है। इससे एक ओर शिक्षकों की उपलब्धता बढ़ेगी तो छात्रों को लाइब्रेरी, खेल मैदान, स्मार्ट क्लास जैसी सुविधाएं भी साझा रूप से मिल सकेंगी। यही नहीं निजी स्कूलों की तर्ज पर प्री प्राइमरी से लेकर उच्च कक्षाओं तक की पढ़ाई और गतिविधियां एक ही परिसर में होंगी।


राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के तहत विद्यालयों की पेयरिंग से सरकार ने संसाधनों का बेहतर प्रयोग और विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण व समावेशी शिक्षा का लाभ दिलाने की मुहिम चलाई है। यह योजना सिर्फ यूपी में ही नहीं लागू की जा रही है। राजस्थान, मध्य प्रदेश, ओडिशा, झारखंड, हिमाचल प्रदेश और असम में इसे पहले ही लागू किया जा चुका है। राजस्थान में 17 हजार से अधिक स्कूलों का एकीकरण किया गया है। वहीं, मध्य प्रदेश में एक परिसर, एक शाला मॉडल के तहत 16076 एकीकृत स्कूल बनाए गए हैं।

ओडिशा ने 9000 से अधिक विद्यालयों का एकीकरण किया गया है। झारखंड जहां 65 फीसदी स्कूलों में एक या दो शिक्षक थे वहां एकीकरण से शिक्षक छात्र अनुपात में सुधार हुआ है।

हिमाचल और असम में भी विद्यालयों की पेयरिंग कर संसाधनों की उपलब्धता बढ़ाई गई है। एकीकरण से छात्रों और शिक्षकों दोनों को लाभ होगा। इससे स्वस्थ प्रतिस्पर्धा और पियर लर्निंग से पठन-पाठन भी बेहतर होगा।


कोई भी स्कूल बंद नहीं होगा

विभाग ने स्पष्ट किया है कि कोई भी विद्यालय बंद नहीं होगा, बल्कि और बेहतर होगा। एक स्कूल को प्री प्राइमरी तो दूसरे को प्राथमिक या उच्च प्राथमिक के रूप में संचालित किया जाएगा। इन्हें स्मार्ट क्लास, कंप्यूटर लैब, ओपन जिम, बाल सुलभ फर्नीचर, वाई-फाई, स्वच्छ शौचालय जैसी सुविधाओं से युक्त किया जा रहा है। अगले चरण में मुख्यमंत्री अभ्युदय और मॉडल कंपोजिट विद्यालय स्वीकृत किए गए हैं। जहां पर प्री-प्राइमरी से कक्षा-8 तक और प्री-प्राइमरी से कक्षा-12 तक की पढ़ाई की व्यवस्था होगी।


शिक्षा में सुधार की सार्थक पहल है एकीकरण

नई शिक्षा नीति केवल पाठ्यक्रम और डिग्री तक सीमित नहीं रखती, बल्कि उसे सामाजिक नवाचार, जीवन कौशल और समावेशन के औजार के रूप में देखती है। प्रदेश में विद्यालयों का एकीकरण इसी नीति के लक्ष्यों की ओर एक प्रयास है। 2017 के पहले विद्यालयों में न बच्चे थे, न संसाधन, न शिक्षक। एक ही शिक्षक से तीन कक्षाओं का संचालन कराया जाता था। कई स्थानों पर विद्यालयों में छात्र संख्या इतनी कम थी कि वहां पढ़ाई का कोई औचित्य ही नहीं था। हमने विद्यालयों की दशा सुधारी, बच्चों को मुफ्त किताबें दीं। ड्रेस आदि के लिए डीबीटी से सीधे खातों में पैसा भेजते हैं। एकीकरण से हर कक्षा और विषय के शिक्षकों की उपलब्धता होगी। साथ ही बच्चों को पठन-पाठन से जुड़ी हर आधुनिक सुविधा दी जाएगी। संदीप सिंह, बेसिक शिक्षा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार)

वर्ष 2025 के लिये राष्ट्रीय अध्यापक पुरस्कार हेतु भारत सरकार द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार कार्यवाही किये जाने के सम्बन्ध में।

राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार के लिए 15 जुलाई तक होंगे आवेदन


शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने वाले शिक्षकों को राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित किया जाएगा। इसके लिए माध्यमिक शिक्षा परिषद की ओर से माध्यमिक विद्यालयों, सीबीएसई और आईसीएसई बोर्ड के प्रधानाचार्यों और शिक्षकों से आवेदन मांगे गए हैं


प्रदेश के शिक्षक राज्य व राष्ट्रीय अध्यापक पुरस्कारों में नहीं ले रहे रुचि, अब तक मात्र 16 नामांकन, माध्यमिक शिक्षा विभाग ने प्रचार प्रसार कर आवेदन करवाने के दिए आदेश 



लखनऊ। प्रदेश के शिक्षक राज्य व राष्ट्रीय अध्यापक पुरस्कारों में अपेक्षाकृत रुचि नहीं ले रहे हैं। वर्तमान में राष्ट्रीय अध्यापक पुरस्कार के लिए आवेदन चल रहे हैं। किंतु यूपी से मात्र 16 नामांकन ही हुए हैं। 

माध्यमिक शिक्षा विभाग ने संबंधित अधिकारियों को शिक्षकों के आवेदन बढ़ाने के निर्देश दिए हैं। माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ. महेंद्र देव की ओर से दिए निर्देश में कहा गया है कि शिक्षा मंत्रालय के पोर्टल पर 13 जुलाई तक आवेदन व 15 जुलाई तक फाइनल आवेदन करने की तिथि है। 

उन्होंने सभी संयुक्त शिक्षा निदेशक, उप शिक्षा निदेशक व डीआईओएस को निर्देश दिया है कि इसका प्रचार-प्रसार करते हुए ज्यादा से ज्यादा शिक्षकों के ऑनलाइन आवेदन कराना सुनिश्चित करें। 



राष्ट्रीय अध्यापक पुरस्कार, 2025 के चयन के संबंध में





वर्ष 2025 के लिये राष्ट्रीय अध्यापक पुरस्कार हेतु भारत सरकार द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार कार्यवाही किये जाने के सम्बन्ध में।