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Friday, October 31, 2025

सीबीएसई 10वीं-12वीं की बोर्ड परीक्षाएं 17 फरवरी से होंगी, डेटशीट जारी

सीबीएसई 10वीं-12वीं की बोर्ड परीक्षाएं 17 फरवरी से होंगी, डेटशीट जारी

10वीं में दो बार होंगी परीक्षा, सर्वोत्तम स्कोर को माना जाएगा अंतिम


नई दिल्ली: केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने गुरुवार को शैक्षणिक सत्र 2025-26 के लिए 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं की आधिकारिक डेटशीट जारी कर दी है। बोर्ड के अनुसार 10वीं की परीक्षाएं 17 फरवरी से शुरू होकर 10 मार्च 2026 तक चलेंगी, जबकि 12वीं की परीक्षाएं भी 17 फरवरी से शुरू होकर नौ अप्रैल 2026 तक चलेंगी। बोर्ड परीक्षाओं का समय सुबह 10:30 बजे से दोपहर 1:30 तक होगा।

सीबीएसई के परीक्षा नियंत्रक डा. संयम भारद्वाज ने कहा कि परीक्षा और कार्यक्रम इस तरह से तैयार किया गया है कि विद्यार्थियों को मुख्य वैकल्पिक विषयों की परीक्षाओं के बीच तैयारी के लिए पर्याप्त समय मिल सके। वहीं, राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के तहत अब विद्यार्थियों को अधिक अवसर देने के उद्देश्य से सीबीएसई ने घोषणा की है कि 10वीं की बोर्ड परीक्षा वर्ष में दो बार कराई जाएगी। इसमें विद्यार्थी चाहें तो फरवरी सत्र की परीक्षा देने के बाद मई में दोबारा परीक्षा देकर अपने अंक सुधार सकते हैं। बोर्ड सर्वोत्तम स्कोर को ही अंतिम मानेगा।


CBSE: कक्षा 10वीं एवं 12वीं की बोर्ड परीक्षा 2026 के लिए डेट शीट जारी 
















शिक्षकों के वक्त से स्कूल आने का तंत्र तैयार करने का हाईकोर्ट का निर्देश

शिक्षकों के वक्त से स्कूल आने का तंत्र तैयार करने का हाईकोर्ट का निर्देश

31 अक्टूबर 2025
प्रयागराज। हाईकोर्ट ने गांवों के गरीब छात्रों के शिक्षा पाने के अधिकार सहित जीवन-समानता के अधिकारों की पूर्ति के लिए राज्य सरकार को सरकारी, गैर सरकारी शिक्षण संस्थानों में अध्यापकों की समय से उपस्थिति का तंत्र तैयार करने का निर्देश दिया है। 

यह आदेश न्यायमूर्ति पीके गिरि ने बांदा की अध्यापिका इंद्रा देवी, लीन चौहान की याचिका पर दिया है। कोर्ट को बताया गया कि मुख्य सचिव इसी मुद्दे पर बैठक कर रहे हैं। कोर्ट ने अगली सुनवाई पर इसकी जानकारी मांगी है। 

कोर्ट ने कहा कि स्वतंत्रता के बाद से सरकार ने जमीनी स्तर पर अध्यापकों की समय से उपस्थिति का नहीं बनाया, जिससे हाईकोर्ट में याचिकाएं आ रही हैं। कोर्ट ने याचियों की पहली गलती और भविष्य में गलती न दोहराने के आश्वासन पर उन्हें क्षमा कर दिया। याचियों ने कहा कि भविष्य में पोर्टल पर उपस्थिति दर्ज कराती रहेंगी।

दस मिनट की छूट संभव बस ये आदतन न होः हाईकोर्ट
कोर्ट ने कहा कि आज के दौर में इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से उपस्थिति कराई जा सकती है। कोई कभी देरी से आता है तो दस मिनट छूट दी जा सकती है बशर्ते ये आदतन न हो। सभी अध्यापकों को हर दिन तय समय पर शैक्षिक संस्थानों में मौजूद होना चाहिए।








स्कूलों में अध्यापकों की सुनिश्चित की जाए उपस्थिति', मुख्य सचिव व अपर मुख्य सचिव बेसिक को हाईकोर्ट का निर्देश 

हाईकोर्ट ने कहा- बच्चों के शिक्षा पाने के मौलिक अधिकारों का न हो हनन

19 अक्टूबर 2025
प्रयागराजः इलाहाबाद हाई कोर्ट ने प्राइमरी स्कूलों में अध्यापकों की उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए मुख्य सचिव, अपर मुख्य सचिव (एसीएस) बेसिक व अन्य अधिकारियों को निर्देश जारी किया है। हाई कोर्ट ने कहा है कि बच्चों के शिक्षा पाने संबंधी मौलिक अधिकारों का हनन नहीं होना चाहिए। यह आदेश न्यायमूर्ति पीके गिरि ने बांदा की अध्यापिका इंद्रा देवी की याचिका पर पारित किया है।

हाई कोर्ट ने निर्देश दिया है कि सरकार, स्कूलों में शिक्षकों के डिजिटल अटेंडेंस की व्यवस्था करें तथा जिला एवं ब्लाक स्तर पर ऐसा टास्क फोर्स बनाए जिससे स्कूलों में शिक्षकों की उपस्थिति सुनिश्चित हो सके। कोर्ट ने बांदा के डीएम व बीएसए से जिले की रिपोर्ट मांगी है। हाई कोर्ट ने कहा है कि सरकार ने शिक्षकों की उपस्थिति के लिए डिजिटल अटेंडेंस की व्यवस्था की है, लेकिन वह अभी धरातल पर नहीं है। अपने विस्तृत आदेश में कोर्ट ने कहा कि शिक्षक गुरु है और वह परम ब्रह्म के समान है। कोर्ट ने शास्त्रों की यह उक्ति उद्धित की, 'गुरु ब्रह्मा, गुरु विष्णु, गुरु देवो महेश्वर गुरु साक्षात् परब्रह्म तस्मै श्री गुरुवे नमः ।'

तथ्य यह हैं कि याची शिक्षक कंपोजिट स्कूल तिंदवारी, बांदा में नियुक्त है। उसकी स्कूल में गैरमौजूदगी को लेकर बीएसए बांदा ने 30 अगस्त 2025 को एक आदेश जारी किया था जिसे उसने याचिका में चुनौती दी है। आरोप है कि वह डीएम के निरीक्षण के दौरान स्कूल में नहीं थी। हस्ताक्षर कर स्कूल से गायब थी। हाई कोर्ट ने कहा कि शिक्षकों की स्कूल से गैरमौजूदगी के कारण बच्चों के मुफ्त व अनिवार्य शिक्षा कानून 2009 का उल्लंघन हो रहा है। गरीब बच्चों के शिक्षा पाने के मौलिक अधिकारों का भी हनन हो रहा है। हाई कोर्ट ने कहा, शिक्षकों के स्कूलों में नहीं जाने से बच्चों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।


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कक्षा तीसरी और चौथी के छात्र पढ़ेंगे आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस

कक्षा तीसरी और चौथी के छात्र पढ़ेंगे आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस


नई दिल्ली। शैक्षणिक सत्र 2026-27 से कक्षा तीसरी और चौथी के छात्र भी आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) के बारे में पढ़ेंगे। केंद्र सरकार भविष्य में रोजगार में बदलाव और वैश्विक मांग को देखते हुए युवाओं को (एनईपी) 2020 के तहत इसी शैक्षणिक सत्र 2025-26 में पहली बार कक्षा पांचवीं की हिंदी की पाठ्यपुस्तक 'वीणा' में एआई को शामिल किया गया है, जबकि छठीं से 12वीं कक्षा में पहले से ही छात्र एआई की पढ़ाई कर रहे हैं।


स्कूली शिक्षा से ही एक्सपर्ट बनाएगी सरकार राष्ट्रीय शिक्षा नीति

भारत सरकार के स्कूल शिक्षा सचिव संजय कुमार ने कहा, भविष्य की मांग के आधार पर युवाओं को रोजगार से जोड़ने के लिए तैयार करना होगा। इसमें एआई सबसे महत्वपूर्ण है, क्योंकि एआई के कारण रोजगार में बदलाव आएगा। हमें तेजी से काम करने की जरूरत है। इसके लिए छात्रों और शिक्षकों को तकनीक से जोड़ना होगा। सबसे बड़ी चुनौती देशभर के एक करोड़ से अधिक शिक्षकों तक पहुंचने और उन्हें एआई आधारित शिक्षा देने के लिए प्रशिक्षित करने की होगी। क्योंकि दूरदराज व ग्रामीण इलाकों के शिक्षकों को भी एआई मुहिम से जोड़ना जरूरी है। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई बोर्ड) चरणबद्ध तरीके से स्कूली शिक्षा के सभी छात्रों को आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस से जोड़ रहा है। फिलहाल, बोर्ड के मान्यता प्राप्त स्कूलों में कक्षा पांचवीं से 12वीं तक के छात्र पहले से ही एआई की पढ़ाई कर रहे हैं।


स्कूलों से एआई इकोसिस्टम विकसित करना होगा : नीति आयोग

दरअसल, नीति आयोग ने पिछले दिनों 'एआई और रोजगार' रिपोर्ट जारी की थी। इसमें बताया गया है कि आने वाले सालों एआई और नौकरियों में बदलाव के कारण करीब 20 लाख पारंपरिक नौकरियां समाप्त हो सकती हैं। लेकिन, सही इकोसिस्टम विकसित करने पर नए जमाने की 80 लाख नई नौकरियां तैयार भी होंगी। इसलिए केंद्र सरकार एआई को स्कूल से लेकर उच्च शिक्षा तक सभी छात्रों तक पहुंचाने की योजना बनाई है। 

शिक्षामित्रों का मानदेय बढ़ाने के लिए गठित कमेटी ने मानदेय बढ़ोत्तरी पर निर्णय लेने से किया हाथ खड़े, कैबिनेट पर निर्णय छोड़ा

शिक्षामित्रों का मानदेय बढ़ाने के लिए गठित कमेटी ने मानदेय बढ़ोत्तरी पर निर्णय लेने से किया हाथ खड़े,  कैबिनेट पर निर्णय छोड़ा


लखनऊ । प्रदेश में 1.43 लाख शिक्षामित्रों का मानदेय बढ़ाने का प्रस्ताव तैयार करने के लिए गठित की गई कमेटी ने अपने स्तर से मानदेय बढ़ोत्तरी पर कोई निर्णय लेने से हाथ खड़े कर दिए हैं। शासन की ओर से गठित की गई चार सदस्यीय कमेटी ने सरकार से अनुरोध किया है कि वह इस पर मंत्रिपरिषद या फिर सक्षम स्तर से कोई निर्णय लें तो ठीक होगा। क्योंकि यह इनके अधिकार क्षेत्र से बाहर का मामला है। ऐसे में मानदेय बढ़ोत्तरी के लिए शिक्षामित्रों को इंतजार करना होगा।

परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में तैनात शिक्षामित्रों के मानदेय में बढ़ोत्तरी की मांग लंबे समय से की जा रही है। शिक्षामित्रों के संगठन इस मामले में कई बार मंत्री व अधिकारियों से मिलकर मांग कर चुके हैं। ऐसे में इस प्रकरण पर शासन ने एक कमेटी बना दी थी। फिलहाल कमेटी ने शिक्षामित्रों के मानदेय बढ़ोत्तरी के संबंध में लंबी-चौड़ी एक्सरसाइज की लेकिन मानदेय बढ़ोत्तरी का मामला अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर बताया है। 

शिक्षामित्रों का मानदेय छह बार बढ़ाया गया है। प्रथम मानदेय 1450 रुपये प्रति माह था और अब यह 10 हजार रुपये है जो सात गुना से अधिक है। शिक्षामित्रों को कैशलेस उपचार की सुविधा देने की भी घोषणा की गई है। वर्तमान में 1.43 लाख शिक्षामित्रों को 10 हजार रुपये मानदेय देने पर अभी 1577.95 करोड़ रुपये व्ययभार आ रहा है।



शिक्षामित्रों का मानदेय बढ़ाने को कमेटी की रिपोर्ट पर शीघ्र निर्णय लें सरकार : हाईकोर्ट

राज्य सरकार को फिर से दिया निर्देश अवमानना याचिका खारिज

प्रयागराजः इलाहाबाद हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को एक बार फिर से शिक्षामित्रों का मानदेय बढ़ाने के बारे में निर्णय लेने का निर्देश दिया है। कोर्ट कहा है कि सरकार पूर्व निर्देश अनुपालन में मानदेय बढ़ाने के लिए गठित कमेटी की रिपोर्ट पर शीघ्र निर्णय ले। यह आदेश न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने वाराणसी निवासी विवेकानंद की अवमानना अर्जी खारिज करते हुए दिया है।

 शिक्षामित्रों का मानदेय बढ़ाने की मांग को लेकर पूर्व में याचिका दाखिल की गई थी। कोर्ट ने 12 जनवरी 2024 को राज्य सरकार को चार सप्ताह के भीतर उच्चस्तरीय समिति गठित करने का आदेश दिया था। इस समिति ने शिक्षामित्रों के सम्मानजनक मानदेय बढ़ाने के प्रस्ताव पर विचार कर रिपोर्ट प्रस्तुत है। रिपोर्ट पर कोई निर्णय नहीं लिया गया तो अवमानना याचिका दाखिल की गई।

याची के अधिवक्ता सत्येंद्र चंद्र त्रिपाठी का कहना था कि शिक्षामित्रों को सम्मानजनक मानदेय नहीं मिल पा रहा है। उन्हें कम से कम न्यूनतम वेतन के बराबर मानदेय दिया जाए। कोर्ट 18 सितंबर 2025 को सुनवाई के दौरान अपर मुख्य सचिव बेसिक शिक्षा सहित अन्य अधिकारियों से अनुपालन हलफनामा दाखिल करने के लिए कहा था। 

सोमवार को सुनवाई के दौरान अपर मुख्य सचिव ने अनुपालन हलफनामा दाखिल किया। इसमें कहा गया कि समिति ने 21 अक्तूबर की बैठक में सम्मानजनक मानदेय बढ़ाने के मुद्दे पर विचार किया है, चूंकि यह मामला समिति के दायरे से बाहर है और इसके लिए कैबिनेट की स्वीकृति आवश्यक है, इसलिए समिति ने अपनी रिपोर्ट उच्चाधिकारियों को सौंप दी है। कोर्ट ने समिति की रिपोर्ट और हलफनामे पर विचार के बाद कहा, अवमानना याचिका लंबित रखने का औचित्य नहीं है।




शिक्षामित्रों के मानदेय में वृद्धि के मामले में दाखिल अवमानना याचिका खारिज

शिक्षामित्रों के मानदेय बढ़ोतरी पर सरकार उचित कार्रवाई करेः हाईकोर्ट


प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शिक्षामित्रों के मानदेय में वृद्धि के मामले में दाखिल अवमानना याचिका खारिज कर दी। हालांकि, कोर्ट ने प्रदेश सरकार को निर्देश दिया कि वह न्यायालय के निर्देश पर गठित समिति की शिक्षामित्रों के सम्मानजनक मानदेय बढ़ाने की सिफारिशों पर उचित कार्रवाई सुनिश्चित करे। यह आदेश न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल की एकलपीठ ने वाराणसी के विवेकानंद की अवमानना अर्जी पर दिया है।

शिक्षामित्रों का मानदेय बढ़ाने की मांग को लेकर पूर्व में एक याचिका दाखिल की गई थी। कोर्ट ने 12 जनवरी 2024 को प्रदेश सरकार को चार सप्ताह के भीतर एक उच्चस्तरीय समिति गठित करने का आदेश दिया था। इस समिति ने शिक्षामित्रों के सम्मानजनक मानदेय बढ़ाने के प्रस्ताव पर विचार कर रिपोर्ट प्रस्तुत की। हालांकि, कोर्ट के सम्मानजनक मानदेय बढ़ाने के आदेश का अनुपालन नहीं किए जाने पर वर्तमान अवमानना अर्जी दाखिल की गई।

याची अधिवक्ता सत्येंद्र चंद्र त्रिपाठी ने दलील दी कि शिक्षामित्रों को सम्मानजनक मानदेय नहीं मिल पा रहा है। उन्हें कम से कम न्यूनतम वेतन के बराबर मानदेय दिया जाए। 18 सितंबर 2025 को कोर्ट ने अतिरिक्त मुख्य सचिव, बेसिक शिक्षा विभाग, उत्तर प्रदेश सहित अन्य अधिकारियों से अनुपालन का हलफनामा दाखिल करने के लिए कहा था। 

सोमवार को सुनवाई के दौरान अतिरिक्त मुख्य सचिव ने अनुपालन हलफनामा दाखिल किया। इसमें कहा गया कि समिति ने 21 अक्तूबर 2025 को बैठक में सम्मानजनक मानदेय बढ़ाने के मुद्दे पर विचार किया। इस दौरान निर्णय लिया कि यह मामला समिति के दायरे से बाहर है। इसके लिए मंत्रिमंडल की स्वीकृति आवश्यक है। समिति ने अपनी रिपोर्ट उच्च अधिकारियों को सौंप दी है।

कोर्ट ने समिति की रिपोर्ट और हलफनामे पर विचार करने के बाद अवमानना अर्जी खारिज कर दिया। हालांकि, कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देशित किया कि वह शिक्षामित्र के मानदेय को बढ़ाने को लेकर समिति की सिफारिश पर उचित कार्रवाई सुनिश्चित करे। 





अपर मुख्य सचिव बेसिक शिक्षा आदेश का पालन करें या हाजिर हों,  हाईकोर्ट ने शिक्षामित्रों के मानदेय बढ़ाने के मामले में अवमानना पर दिया आदेश 

19 सितंबर 2025
प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बेसिक शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार को निर्देश दिया कि वह शिक्षामित्रों का मानदेय बढ़ाने के मामले में का पालन करते हुए अनुपालन हलफनामा दाखिल करें या 27 अक्तूबर को हाजिर हों। यह आदेश न्यायमूर्ति नीरज तिवारी ने वाराणसी के विवेकानंद की अवमानना अर्जी पर दिया।

हाईकोर्ट में 18 सितंबर 2025 को सुनवाई में महानिदेशक स्कूल शिक्षा कंचन वर्मा, शिक्षा निदेशक (बेसिक) प्रताप सिंह बघेल और सचिव यूपी बेसिक शिक्षा बोर्ड सुरेंद्र कुमार तिवारी व्यक्तिगत रूप से उपस्थित थे। इनके हलफनामों को कोर्ट ने रिकॉर्ड में ले लिया। अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सुनवाई के दौरान अनुपस्थित थे लेकिन सचिव  19 सितंबर तक पूरी उन्होंने छूट के आवेदन के साथ अपना हलफनामा प्रस्तुत किया। इस पर कोर्ट ने बृहस्पतिवार लिए व्यक्तिगत उपस्थिति से छूट दे दी।

सरकारी वकील ने कोर्ट से रिट कोर्ट के आदेश का पालन करने के लिए चार सप्ताह का अतिरिक्त समय मांगा। वहीं, याची ने इस पर गंभीर आपत्ति जताई और कहा कि पिछली बार भी समय मांगा गया था लेकिन आदेश का पालन नहीं किया गया।

कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार को अगली सुनवाई की तारीख 27 अक्तूबर 2025 पर एक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया। इस हलफनामे में रिट कोर्ट के आदेश का पूर्ण अनुपालन दिखाया जाना चाहिए। कोर्ट ने चेतावनी दी कि यदि वह ऐसा करने में विफल रहते हैं तो उन पर आरोप तय करने के लिए उन्हें व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में उपस्थित रहना होगा। वहीं, अन्य अधिकारियों को अगले आदेश तक व्यक्तिगत उपस्थिति से छूट दे दी गई है।




शिक्षामित्रों के मानदेय बढ़ाने पर विचार करें या हाईकोर्ट आएं, बेसिक शिक्षा विभाग के अफसरों को हाईकोर्ट की हिदायत

सम्मानजनक मानदेय का दिया गया था आदेश पर नहीं हुई कोई कार्यवाही

हाईकोर्ट में बताया गया कि 2023 में जितेंद्र कुमार भारती सहित 10 अन्य ने शिक्षामित्रों ने समान कार्य के लिए समान वेतन की मांग करते हुए याचिका दाखिल की थी। कोर्ट ने इस मांग को मानने से इन्कार कर दिया था हालांकि कोर्ट ने शिक्षामित्रों के मानदेय को न्यूनतम मानते हुए राज्य को समिति का गठन कर एक सम्मानजनक मानदेय निर्धारित करने का निर्देश दिया था। अब तक समिति का गठन व मानदेय बढ़ाए जाने पर सरकार की ओर से कोई फैसला नहीं लिए जाने पर वाराणसी के विवेकानंद ने अवमानना याचिका दाखिल की है।


प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बेसिक शिक्षा विभाग को शिक्षामित्रों शिक्षामित्रों का मानदेय बढ़ाने के लिए कमेटी गठित कर निर्णय लेने के आदेश का पूरी तरह से पालन करने या विभाग के संबंधित चार अफसरों को 11 सितंबर को हाजिर होने का निर्देश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति नीरज तिवारी ने वाराणसी के विवेकानंद की अवमानना याचिका पर अधिवक्ता सत्येन्द्र चंद्र त्रिपाठी को सुनकर दिया है।


कोर्ट ने महानिदेशक स्कूली शिक्षा/प्रोजेक्ट डायरेक्टर समग्र शिक्षा कंचनवर्मा, डायरेक्टर बेसिकशिक्षाप्रताप सिंह बघेल, सचिव बेसिक शिक्षा बोर्ड सुरेन्द्र कुमार तिवारी व अपर मुख्यसचिव बेसिक शिक्षा दीपक कुमार को आदेश के अनुपालन हलफनामा दाखिल करने या सुनवाई की अगली तारीख पर अवमानना कार्यवाही शुरू करने के लिए हाजिर होने का निर्देश दिया है। है। एडवोकेट सत्येन्द्र का कहना है कि हाईकोर्ट ने शिक्षामित्रों का मानदेय बढ़ाने पर विचार कर निर्णय लेने के लिए राज्य सरकार को कमेटी गठित कर तीन माह का समय दिया था।


इस आदेश की विभागीय अधिकारियों को जानकारी दी गई लेकिन अब तक आदेश का पालन नहीं किया गया है। इस पर यह अवमानना याचिका की गई है। इससे पहले कोर्टने विपक्षियों से जानकारी मांगी थी। हलफनामा दाखिल कर एक माह का अतिरिक्त समय मांगा गया। इस पर कोर्ट ने आदेश का पालन कर हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया है और कहा है कि यदि पालन नहीं किया तो सभी चारों अधिकारी न्यायालय में हाजिर हों।


Thursday, October 30, 2025

इस बार 52 लाख विद्यार्थी देंगे 10वीं-12वीं की यूपी बोर्ड परीक्षा

इस बार 52 लाख विद्यार्थी देंगे 10वीं-12वीं की यूपी बोर्ड परीक्षा

प्रदेश में कक्षा नौ से 12 तक 1,01,76,431 ने पंजीकरण कराया

10वीं में बढ़े 18,780 परीक्षार्थी, इंटरमीडिएट में 2,25,657 की कमी


प्रयागराज। उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद (यूपी बोर्ड) के सत्र 2025-26 में कक्षा नौ से 12 तक 1,01,76,431 विद्यार्थियों ने पंजीकरण कराया है। इनमें 48,94,432 छात्राएं शामिल हैं। इस वर्ष हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की बोर्ड परीक्षा में 52,30,297 परीक्षार्थी शामिल होंगे। पिछले वर्ष की तुलना में इस बार इंटरमीडिएट में परीक्षार्थियों की संख्या में गिरावट दर्ज की गई है। 


वर्ष 2025 की परीक्षा में इंटरमीडिएट के 27,05,009 परीक्षार्थी शामिल हुए थे, जबकि इस वर्ष यह संख्या घटकर 24,79,352 रह गई है। यानी 2,25,657 विद्यार्थियों की कमी आई है। इसके विपरीत हाईस्कूल में परीक्षा र्थियों की संख्या में 18,780 की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। इस प्रकार कक्षा नौ में 27,37,209, कक्षा 10 में 27,50,945, कक्षा 11 में 22,08,925 और कक्षा 12 में 24,79,352 का पंजीकरण हुआ है।


माध्यमिक शिक्षा परिषद के सचिव भगवती सिंह ने बताया कि त्रुटि संशोधन की प्रक्रिया के बाद छात्रों की अंतिम संख्या में मामूली परिवर्तन संभव है। संशोधन पूरा होते ही परीक्षा केंद्रों की संख्या तय की जाएगी। 


बोर्ड परीक्षार्थियों की संख्या में दो लाख की कमी
पिछले साल की तुलना में 2026 के बोर्ड परीक्षार्थियों की संख्या में 2,06,877 की कमी आई है। 2025 की बोर्ड परीक्षा के लिए हाईस्कूल में 2732165 और इंटर में 2705009 कुल 54,37,174 परीक्षार्थी पंजीकृत थे। आंकड़ों से साफ है कि हाईस्कूल में छात्रों की संख्या में 18,780 की वृद्धि हुई है। हालांकि इंटर में 2,25,657 विद्यार्थियों की कमी आई है।


परीक्षा केंद्रों की संख्या भी कम होगी
बोर्ड परीक्षार्थियों की संख्या कम होने के साथ ही परीक्षा केंद्रों की संख्या भी कम होने का अनुमान है। एक केंद्र पर औसतन 500 से एक हजार परीक्षार्थी आवंटित होते हैं। इस लिहाज से देखें तो 200 से अधिक केंद्र कम हो जाएंगे। 2025 की 10वीं-12वीं बोर्ड परीक्षा के लिए पंजीकृत 54,37,174 परीक्षार्थियों के लिए 8140 केंद्र बनाए गए थे जबकि 2024 में पंजीकृत 55,25,342 विद्यार्थियों के लिए 8265 केंद्र बनाए गए थे। साफ है कि परीक्षार्थियों की संख्या घटने के साथ केंद्रों की संख्या भी कम होगी।


इस वर्ष पंजीकृत छात्रों का विवरण

कक्षा नौ में 14,11,298 छात्र और 13,25,911 छात्राएं।

कक्षा 10 में 14,38,682 छात्र और 13,12,263 छात्राएं।

कक्षा 11 में 11,29,007 छात्र और 10,79,918 छात्राएं।

कक्षा 12 में 13,03,012 छात्र और 11,76,340 छात्राएं।

Wednesday, October 29, 2025

शिक्षकों के विरोध के बीच बच्चों की डिजिटल हाजिरी पर सख्ती शुरू, तीन दिन में विद्यालयों के सभी बच्चों की उपस्थिति अपलोड करने के निर्देश

शिक्षकों के विरोध के बीच बच्चों की डिजिटल हाजिरी पर सख्ती शुरू, तीन दिन में विद्यालयों के सभी बच्चों की उपस्थिति अपलोड करने के निर्देश


लखनऊ। शिक्षकों के विरोध के बीच परिषदीय विद्यालयों में बच्चों की हर दिन की डिजिटल हाजिरी के लिए बेसिक शिक्षा विभाग ने सख्ती शुरू कर दी है। विभाग ने तीन दिन में सभी विद्यालयों व सभी बच्चों की उपस्थिति प्रेरणा पोर्टल पर अपलोड करने के निर्देश दिए मात्र 19.39 फीसदी ही बच्चों की न उपस्थिति अपलोड की जा रही है। उधर, सख्ती के विरोध में शिक्षक संगठन ने एक नवंबर को जिलों में प्रदर्शन की घोषणा की है।


महानिदेशक स्कूल शिक्षा मोनिका रानी ने 27 अक्तूबर की डिजिटल अटेंडेंस का ब्योरा साझा किया है। उन्होंने बताया कि कुल 132827 विद्यालयों ने प्रेरणा पोर्टल पर 12912651 बच्चों का डाटा अपलोड किया है। उन्होंने बताया कि कौशांबी में सर्वाधिक 90.35 फीसदी, प्रयागराज में 83.15 फीसदी, अलीगढ़ में 71.98 फीसदी, बागपत में 74.74 फीसदी, फिरोजाबाद में 65.43 फीसदी, मऊ में 54.94 फीसदी, भदोही में 69.76 फीसदी व मिर्जापुर में 66.11 फीसदी छात्रों की हाजिरी अपलोड की जा रही है। उन्होंने सभी एडी बेसिक, बेसिक शिक्षा अधिकारी, खंड क शिक्षा अधिकारी को निर्देश दिया है कि अगले तीन दिन में बच्चों की उपस्थिति को डिजिटल रजिस्टर से प्रेरणा पोर्टल पर अपलोड करें।


इन जिलों की स्थिति खराब महोबा में शून्य, बहराइच में 0.33 फीसदी, गोंडा में 0.35 फीसदी, महाराजगंज में 0.29 फीसदी, बदायूं 0.17 फीसदी, शाहजहांपुर में 1.76, बांदा में 1.33 फीसदी, उन्नाव में मात्र 0.51 फीसदी, मुरादाबाद में 1.26 फीसदी, बिजनौर में 1.65 फीसदी, अमरोहा में 1.93 फीसदी बच्चों की हाजिरी अपलोड की जा रही है।

अपर मुख्य सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा ने माध्यमिक शिक्षा परिषद कार्यालय, बेसिक, राजकीय और माध्यमिक शिक्षा निदेशालय का किया निरीक्षण और दिए ये निर्देश


अपर मुख्य सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा ने माध्यमिक शिक्षा परिषद कार्यालय, बेसिक, राजकीय और माध्यमिक शिक्षा निदेशालय का किया निरीक्षण और दिए ये निर्देश 


उत्तर प्रदेश में व्यावसायिक शिक्षा को राष्ट्रीय स्तर पर ले जाने की तैयारी

अपर मुख्य सचिव माध्यमिक एवं बेसिक शिक्षा ने जूनियर एडेड भर्ती में पारदर्शिता पर दिया जोर


प्रयागराज। राज्य सरकार अब व्यावसायिक शिक्षा को राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने की दिशा में काम कर रही है। अपर मुख्य सचिव माध्यमिक एवं बेसिक शिक्षा पार्थ सारथी सेन शर्मा ने कहा कि राज्य में व्यावसायिक शिक्षा का जो स्तर है, उसे ऊंचा उठाने की आवश्यकता है। सरकार का लक्ष्य है कि वोकेशनल ट्रेनिंग इतनी मजबूत हो कि उसका स्तर राष्ट्रीय मानकों के बराबर हो जाए।


अपर मुख्य सचिव मंगलवार को माध्यमिक शिक्षा परिषद कार्यालय, बेसिक, राजकीय और माध्यमिक शिक्षा निदेशालय के निरीक्षण पर पहुंचे थे। उन्होंने जूनियर एडेड 2021 भर्ती प्रक्रिया में पूर्ण पारदर्शिता बरतने पर जोर दिया। साथ ही कहा कि विज्ञान के अध्यापकों की भर्ती शीघ्र की जाए ताकि विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल सके।


उन्होंने पाठ्यपुस्तकों के सही और समयबद्ध प्रकाशन के भी निर्देश दिए। अपर मुख्य सचिव ने कहा कि सरकार का उद्देश्य है कि राज्य में कोई भी बच्चा अशिक्षित न रहे। इसके लिए उन्होंने शिक्षा के प्रत्येक स्तर को आपस में जोड़ने की जरूरत बताई। कहा कि आंगनबाड़ी से निकलने वाला हर बच्चा प्राइमरी स्कूल में पहुंचे, प्राइमरी से जूनियर, जूनियर से हाईस्कूल और आगे की शिक्षा तक जाए। यह अध्यापकों, बीएसए और जिला विद्यालय निरीक्षकों की सामूहिक जिम्मेदारी है।


उन्होंने कहा कि शिक्षकों का उत्साह और संवेदनशीलता ही बच्चों के भविष्य की नींव है। यदि शिक्षक प्रेरित रहेंगे तो कोई भी बच्चा बीच में पढ़ाई छोड़ने के लिए मजबूर नहीं होगा। इस दौरान उन्होंने बेसिक और माध्यमिक शिक्षा से जुड़ीं योजनाओं की विस्तृत समीक्षा की और अधिकारियों को गुणवत्ता, पारदर्शिता और जवाबदेही को प्राथमिकता देने के निर्देश दिए।


उन्होंने कहा कि भवनों के सुधार के लिए बजट आवंटित किया गया है। कोशिश है कि माध्यमिक और बेसिक, निदेशालय शिक्षा परिषद माध्यमिक, राजकीय का भवन अच्छा दिखे। इस अवसर पर एडी माध्यमिक सुरेंद्र तिवारी, एडी राजकीय अजय द्विवेदी, सचिव यूपी बोर्ड भगवती सिंह और उप शिक्षा निदेशक संस्कृत रामाज्ञा सिंह समेत अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।

Tuesday, October 28, 2025

विशेषज्ञ समिति का निर्णय आने तक ऑनलाइन उपस्थिति/पंजिकाओं के डिजिटाइजेशन पर पूर्व की भांति यथास्थिति बनाए रखने की RSM की मांग

विशेषज्ञ समिति का निर्णय आने तक ऑनलाइन उपस्थिति/पंजिकाओं के डिजिटाइजेशन पर पूर्व की भांति यथास्थिति बनाए रखने की RSM की मांग
 






डिजिटल अटेंडेंस पर न हो सख्ती,  शिक्षक संघ ने महानिदेशक स्कूल शिक्षा से की मांग

लखनऊ। प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों में बच्चों की डिजिटल उपस्थिति लगाने और शिक्षकों की उपस्थिति की चर्चा के बीच इस पर सख्ती न करने की मांग होने लगी है। उत्तर प्रदेश बीटीसी शिक्षक संघ ने महानिदेशक स्कूल शिक्षा से यह मांग की है।

संघ के प्रदेश अध्यक्ष अनिल यादव ने कहा कि डिजिटल उपस्थिति, पंजिकाओं के डिजिटाइजेशन के संबंध में 16 जुलाई 2024 को तत्कालीन मुख्य सचिव की अध्यक्षता में विभाग व शिक्षक संगठनों की बैठक हुई थी। इसमें तत्कालीन अपर मुख्य सचिव माध्यमिक शिक्षा, प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा व महानिदेशक भी उपस्थित थी।


बैठक में शिक्षकों की समस्याओं व सुझावों को सुनने के लिए शिक्षा विभाग के अधिकारियों, शिक्षाविदों, शिक्षक संगठनों के सदस्यों की एक एक्सपर्ट कमेटी गठित करने का निर्णय लिया गया था। साथ ही इस कमेटी का निर्णय आने तक किसी भी प्रकार की डिजिटल अटेंडेंस को स्थगित रखने का निर्णय लिया गया था।

एक्सपर्ट कमेटी का निर्णय आने तक यह व्यवस्था जारी है किंतु कई जिलों के बेसिक शिक्षा अधिकारियों द्वारा छात्रों की ऑनलाइन उपस्थिति व पंजिकाओं के डिजिटाइजेशन को लेकर सख्ती की जा रही है।

साथ ही अनुपालन न हो पाने की स्थिति में शिक्षकों पर कार्रवाई की जा रही है। उन्होंने कहा की शिक्षक समस्याओं का समाधान होने व एक्सपर्ट कमेटी का निर्णय आने तक मुख्य सचिव के निर्देशानुसार यथास्थिति बनाए रखने के लिए बेसिक शिक्षा अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए जाएं। 




ऑनलाइन उपस्थिति और पंजिकाओं के डिजिटाइजेशन पर फिर छिड़ा विवाद,  शिक्षकों ने मुख्य सचिव के आदेश की अवहेलना बताई


लखनऊ, 19 अक्टूबर। उत्तर प्रदेश में विद्यालयों में ऑनलाइन उपस्थिति और पंजिकाओं के डिजिटाइजेशन को लेकर एक बार फिर विवाद गहराता जा रहा है। जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ के प्रदेश महामंत्री अरुणेंद्र कुमार वर्मा द्वारा महानिदेशक, स्कूल शिक्षा उत्तर प्रदेश को भेजे गए पत्र में इस व्यवस्था को मुख्य सचिव के पूर्व आदेशों के विपरीत बताया गया है।

पत्र में कहा गया है कि दिनांक 16 जुलाई 2024 को लखनऊ में मुख्य सचिव उत्तर प्रदेश शासन की अध्यक्षता में शिक्षकों के प्रतिनिधियों और शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों की एक महत्वपूर्ण बैठक हुई थी। 

बैठक में अपर मुख्य सचिव माध्यमिक शिक्षा, प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा और तत्कालीन महानिदेशक स्कूल शिक्षा की उपस्थिति में यह निर्णय हुआ था कि शिक्षकों की समस्याओं और सुझावों पर विचार के लिए एक एक्सपर्ट कमेटी गठित की जाएगी। साथ ही यह भी तय किया गया था कि समिति की रिपोर्ट आने तक किसी भी प्रकार की डिजिटल अटेंडेंस व्यवस्था स्थगित रखी जाएगी।

महामंत्री वर्मा ने पत्र में उल्लेख किया है कि उक्त बैठक का कार्यवृत्त जारी हुआ था और मीडिया में इसकी पुष्टि भी की गई थी। इसके बावजूद कुछ जनपदों के जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों द्वारा छात्रों की ऑनलाइन उपस्थिति और पंजिकाओं के डिजिटाइजेशन के आदेश जारी किए जा रहे हैं।
यहां तक कि अनुपालन न होने की स्थिति में शिक्षकों को नोटिस और कार्यवाही की चेतावनी दी जा रही है, जो उनके अनुसार मुख्य सचिव के आदेशों की खुली अवहेलना है।

पत्र में यह भी कहा गया है कि जब तक एक्सपर्ट कमेटी का निर्णय नहीं आता, तब तक मुख्य सचिव के निर्देशों के अनुरूप यथास्थिति बनाए रखी जाए। वर्मा ने मांग की है कि शिक्षकों की समस्याओं को ध्यान में रखते हुए इस संबंध में तुरंत आवश्यक कार्यवाही की जाए ताकि अनावश्यक दबाव और भ्रम की स्थिति समाप्त हो सके।

इस पत्र की प्रतिलिपि मुख्य सचिव उत्तर प्रदेश शासन और प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा को भी भेजी गई है। शिक्षक संगठनों ने उम्मीद जताई है कि शासन इस पर जल्द संज्ञान लेकर स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी करेगा ताकि प्रदेश भर में एक समान और न्यायसंगत व्यवस्था लागू हो सके।



राज्य बताएं शिक्षण संस्थानों में आत्महत्याएं रोकने के लिए क्या कदम उठाए : सुप्रीम कोर्ट

राज्य बताएं शिक्षण संस्थानों में आत्महत्याएं रोकने के लिए क्या कदम उठाए : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने आठ सप्ताह में रिपोर्ट देने को कहा, जनवरी 2026 में होगी अगली सुनवाई


नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से शैक्षणिक संस्थानों में छात्रों में मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं मामलों से निपटने के लिए तय दिशा-निर्देशों के कार्यान्वयन की जानकारी मांगी है। शीर्ष अदालत ने राज्यों को आठ सप्ताह के भीतर उसे सूचित करने को कहा है।


जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने केंद्र को इन दिशा-निर्देशों को लागू करने के लिए उठाए गए कदमों का विवरण देते हुए एक अनुपालन हलफनामा दाखिल करने का भी निर्देश दिया। केंद्र को भी आठ हफ्ते का वक्त दिया गया है।


पीठ सुप्रीम कोर्ट के 25 जुलाई के फैसले में निर्धारित दिशा-निर्देशों के अनुपालन के मामले की सुनवाई कर रही थी। उस फैसले में, शीर्ष अदालत ने निर्देश दिया था कि सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेश, जहां तक संभव हो, दो महीने के भीतर सभी निजी कोचिंग केंद्रों के लिए पंजीकरण, छात्र सुरक्षा मानदंड और शिकायत निवारण तंत्र को अनिवार्य बनाने वाले नियम अधिसूचित करें।


सोमवार को सुनवाई के दौरान, पीठ को बताया गया कि जुलाई के फैसले में केंद्र को 90 दिनों के भीतर अदालत के समक्ष अनुपालन हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया गया था। पीठ ने निर्देश दिया कि सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को इस मामले में प्रतिवादी बनाया जाए और वे आठ सप्ताह के भीतर अपना जवाब दाखिल कर सकते हैं। पीठ ने मामले की अगली सुनवाई जनवरी 2026 के लिए निर्धारित की।

आरटीई के आवेदन और प्रवेश की होगी आनलाइन निगरानी

आरटीई के आवेदन और प्रवेश की होगी आनलाइन निगरानी

प्रयागराज : शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई) के तहत निजी स्कूलों में गरीब परिवार के बच्चों को निश्शुल्क प्रवेश दिलाने की प्रक्रिया को और पारदर्शी बनाया जा रहा है। आवेदन करने वाले प्रत्येक विद्यार्थी की आनलाइन ट्रैकिंग होगी। प्रत्येक चरण में प्रवेश न पाने वाले बच्चों की संख्या दर्ज होगी। किन कारणों से प्रवेश नहीं मिला उसकी समीक्षा की जाएगी। शिक्षाधिकारियों व निजी स्कूलों की जवाबदेही तय की जाएगी। प्रवेश के लिए आवेदन वेबसाइट www.rte25.upsdc.gov.in के माध्यम से किया जाएगा।

नए सत्र में आरटीई के तहत होने वाली प्रवेश प्रक्रिया में पूरी निगरानी की जाएगी। यदि किसी बच्चे के आवेदन में कोई गलती है तो ब्लाक स्तर पर बनी हेल्प डेस्क अभिभावकों से संवाद कर उस गलती को ठीक कराएगी। आरटीई के तहत निजी स्कूलों की 25 प्रतिशत सीटों पर प्रवेश सुनिश्चित कराया जाएगा। 




आरटीई में दाखिले वाले हर बच्चे की होगी ट्रैकिंग

लखनऊ। प्रदेश में नए सत्र 2026-27 में निःशुल्क शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई) के तहत निजी स्कूलों में गरीब परिवार के बच्चों को दाखिला दिलाने की तैयारी शुरू कर दी गई है। जल्द ही इसका विस्तृत कार्यक्रम जारी किया जाएगा।

वहीं नए सत्र में दाखिले के लिए आवेदन करने और सीट पाने वाले हर बच्चे को ऑनलाइन ट्रैक किया जाएगा। हर चरण में प्रवेश न पाने वाले बच्चों को किन कारण से प्रवेश नहीं मिला इसकी समीक्षा होगी। संबंधित आधिकारियों व निजी स्कूलों की जवाबदेही तय की जाएगी। 


समग्र शिक्षा के उप शिक्षा निदेशक डॉ. मुकेश कुमार सिंह ने कहा कि अगर किसी बच्चे के आवेदन फॉर्म में कोई कमी है तो ब्लॉक स्तर पर हेल्प डेस्क पर अभिभावकों को बुलाकर उसे दूर कराया जाएगा। विशेष चरण में छूटे हुए बच्चों को दाखिला दिलाया जाएगा। आरटीई के तहत निजी
म स्कूलों की 25 प्रतिशत सीटों पर प्रवेश के लिए अगले महीने से प्रक्रिया शुरू होगी।

वर्तमान में 67 हजार स्कूलों की मैपिंग की गई है। इनमें करीब 5.25 लाख सीटें हैं। वर्तमान शैक्षिक सत्र में करीब कुल 1.40 लाख बच्चों को प्रवेश दिलाया गया है। जबकि 1.85 लाख बच्चों को सीटें आवंटित की गईं थी। हमारा प्रयास है कि हर सीट पाने वाले बच्चे को दाखिला मिले।

उन्होंने कहा कि बच्चों का ऑटोमेटेड परमानेंट एकेडमिक अकाउंट रजिस्ट्री (अपार) आईडी और अभिभावकों का आधार कार्ड से सत्यापन किया जाएगा।

कामिल और फाजिल डिग्री धारक नहीं बन सकेंगे मदरसा शिक्षक, स्नातक, परास्नातक व बीएड के साथ टीईटी होगा अनिवार्य

कामिल और फाजिल डिग्री धारक नहीं बन सकेंगे मदरसा शिक्षक,  स्नातक, परास्नातक व बीएड के साथ टीईटी होगा अनिवार्य

मदरसा बोर्ड की संशोधित नियमावली तैयार, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद नए सिरे से योग्यता तय


लखनऊ। मदरसा शिक्षा परिषद से कामिल (स्नातक) और फाजिल (परास्नातक) डिग्री धारक अब मदरसों में शिक्षक नहीं बन सकेंगे। अब स्नातक/परास्नातक व बीएड के साथ टीईटी होना अनिवार्य होगा। मदरसों की शिक्षा व्यवस्था में सुधार के लिए शासन स्तर से गठित कमेटी ने शिक्षकों की नए सिरे से योग्यता तय कर दी है। संशोधित मदरसा विनियमावली 2016 अंतिम बैठक के बाद शासन को भेजी जाएगी।


दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने मदरसा बोर्ड की कामिल और फाजिल की डिग्री यूजीसी से मान्य न होने पर इन्हें असांविधानिक घोषित कर दिया था। इसके बाद मदरसा शिक्षकों की योग्यता का पुनर्निर्धारण और पाठ्यक्रम में सुधार, दंड प्रक्रिया, स्थानांतरण आदि के लिए अल्पसंख्यक कल्याण निदेशक की अध्यक्षता में कमेटी बनाई थी।


 सूत्रों के मुताबिक कमेटी ने संशोधित नियमावली तैयार कर ली है। कमेटी की अंतिम बैठक मंगलवार को होने की उम्मीद है। बैठक में संशोधन पर मुहर लगने के बाद रिपोर्ट शासन को भेजी जाएगी। सूत्रों के मुताबिक मान्यता प्राप्त विवि से स्नातक, परास्नातक और प्रशिक्षित स्नातक ही शिक्षक नियुक्त हो सकेंगे। 

Monday, October 27, 2025

फर्जी नियुक्तियों की जांच तीन माह बाद भी अधर में, गोंडा के सहायता प्राप्त जूनियर हाई स्कूलों में फर्जी नियुक्तियों की एसआईटी और निदेशालय कर रहे जांच

फर्जी नियुक्तियों की जांच तीन माह बाद भी अधर में, गोंडा के सहायता प्राप्त जूनियर हाई स्कूलों में फर्जी नियुक्तियों की एसआईटी और निदेशालय कर रहे जांच

नहीं खुल सका फर्जी वेतन भुगतान का राज, अधिकारी और प्रबंधक जांच में बने रोड़ा


प्रयागराज। गोंडा जिले के लगभग 28 सहायता प्राप्त जूनियर हाई स्कूलों में सृजित पदों से अधिक पदों पर की गईं नियुक्तियों और फर्जी वेतन भुगतान का मामला अब भी अनसुलझा है। एसआईटी (विशेष जांच दल) और बेसिक शिक्षा निदेशालय इस मामले की जांच कर रहे हैं लेकिन अब तक किसी ठोस नतीजे पर नहीं पहुंच पाए हैं। फर्जी नियुक्तियों का खुलासा ठंडे बस्ते में चला गया है। निदेशालय की जांच तीन माह बाद भी अधर में है।


गोंडा निवासी आरपी मिश्रा ने जुलाई 2025 में महानिदेशक स्कूल शिक्षा लखनऊ को एक शिकायती पत्र भेजा था। उन्होंने आरोप लगाया था कि जिले के कई सहायता प्राप्त जूनियर हाई स्कूलों में छात्र संख्या बहुत कम होने के बावजूद 35 से 85 अध्यापक और शिक्षणेत्तर कर्मचारी नियुक्त किए गए हैं। यह भी दावा किया कि फर्जी वेतन भुगतान का खेल लेखा कार्यालय के लिपिकों और स्कूल प्रबंधकों की मिलीभगत से चल रहा है।


शिकायत पर कार्रवाई करते हुए महानिदेशक स्कूल शिक्षा ने प्रयागराज के अपर शिक्षा निदेशक (बेसिक) कामता प्रसाद पाल को जांच का निर्देश दिया। उन्होंने तीन जुलाई 2025 को सहायक शिक्षा निदेशक/उप शिक्षा निदेशक डॉ. बृजेश मिश्र को जांच सौंपी। डॉ. मिश्र जब जांच के लिए गोंडा पहुंचे तो कार्यालय ही गायब मिला। उन्होंने 22 अगस्त को जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी अतुल कुमार तिवारी को पत्र भेजकर पूछा कि छह अगस्त को मांगी गई सूचना अभी तक क्यों उपलब्ध नहीं कराई गई।


उन्होंने लिखा कि बीएसए ने 15 विद्यालयों के प्रतिनिधियों को कार्यालय में बुलाने की बात कही थी लेकिन कोई भी उपस्थित नहीं हुआ। यहां तक कि लिपिक भी नहीं आए। डॉ. मिश्र ने अपनी रिपोर्ट में लिखा कि यह लापरवाही और उदासीनता फर्जी नियुक्तियों और वेतन भुगतान में बीएसए कार्यालय की संलिप्तता की ओर इशारा करती है। उन्होंने 23 अगस्त को 28 विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों को फिर से निर्देश दिया कि आवश्यक अभिलेखों सहित बीएसए कार्यालय में उपस्थित हों। 

उधर बीएसए कार्यालय ने केवल औपचारिकता निभाने के लिए चार राज्य कर्मचारियों और छह परिषदीय कर्मचारियों को पत्र भेजकर मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया। डॉ. मिश्र ने छह अगस्त और 16 अगस्त को दोबारा पत्र भेजकर जानकारी मांगी लेकिन कोई ठोस जवाब नहीं मिला। निदेशालय द्वारा शुरू की गई जांच तीन महीने बाद भी किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सकी है। अपर शिक्षा निदेशक डॉ. बृजेश मिश्र ने कहा कि जांच जारी है, जल्द ही इसे पूरा करने का प्रयास किया जाएगा। वहीं अपर शिक्षा निदेशक (बेसिक) कामता प्रसाद पाल ने बताया कि एसआईटी जांच के चलते विभागीय जांच कुछ समय के लिए शिथिल हो गई है।

शिक्षा मंत्रालय ने स्कूली शिक्षा को लेकर पेश की विरोधाभासी तस्वीर

8,000 स्कूलों में एक छात्र नहीं, पर तैनात हैं 20,000 शिक्षक

दूसरी तरफ, देश में एक लाख से अधिक ऐसे स्कूल हैं जो सिर्फ एक शिक्षक के भरोसे चल रहे एवं उनमें पढ़ते हैं 33 लाख से अधिक छात्र

शिक्षा मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार, शून्य नामांकन वाले सबसे अधिक 3,812 स्कूल पश्चिम बंगाल में हैं जहां 17,965 शिक्षकों की तैनाती


नई दिल्लीः स्कूलों में शिक्षकों की कमी पर उठते सवाल के बीच शिक्षा मंत्रालय ने राज्यों में शिक्षकों की असमान तैनाती को लेकर गंभीर सवाल उठाए है। साथ ही, राज्यों को आईना दिखाने के लिए दो तस्वीर भी पेश की है। मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार, देशभर में करीब 8,000 स्कूल ऐसे हैं जहां एक भी बच्चे का नामांकन नहीं है, लेकिन फिर भी उन स्कूलों में 20 हजार से अधिक शिक्षकों की तैनाती है। यानी, ऐसे स्कूलों में औसतन ढाई शिक्षक हैं जो बैठे-बैठे ही वेतन पा रहे हैं। दूसरी ओर, देश में एक लाख से अधिक ऐसे स्कूल हैं जो एक शिक्षक के भरोसे चल रहे है और जिसमें पढ़ने वाले बच्चों की संख्या 33 लाख से अधिक है।


शिक्षा मंत्रालय ने स्कूली शिक्षा को लेकर यह विरोधाभासी तस्वीर तब पेश की है, जब वह सभी राज्यों में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के अमल में तेजी से जुटी है। शिक्षा और स्कूलों में शिक्षकों की तैनाती पूरी तरह से राज्य का विषय है। बावजूद इसके, केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय का लगातार इस बात पर जोर रहता है कि स्कूलों में छात्रों को अच्छी और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देते हुए छात्र-शिक्षक अनुपात को बेहतर रखा जाए। इसमें प्रत्येक 30 छात्र पर कम से कम एक शिक्षक होना जरूरी है। आर्थिक-सामाजिक रूप से पिछड़े क्षेत्रों के स्कूलों में प्रत्येक 25 बच्चों पर कम से कम एक शिक्षक की तैनाती देने की सिफारिश है।

शिक्षा मंत्रालय की ओर से राज्यों के स्कूलों की स्थिति पर तैयार की गई 2024-25 की रिपोर्ट में शून्य नामांकन वाले स्कूलों की संख्या में पिछले साल के मुकाबले काफी सुधार हुआ है। इससे पहले ऐसे स्कूलों की संख्या करीब 13 हजार थी, जो अब 7,993 रह गई है। इनमें शून्य नामांकन वाले सबसे अधिक 3,812 स्कूल अकेले पश्चिम बंगाल के हैं जिनमें 17,965 शिक्षकों की तैनाती है। गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल में शिक्षकों की भर्ती हमेशा से विवादों में रही है। यह इस ओर भी संकेत करता है कि वहां राजनीति साधने के लिए बड़ी संख्या में शिक्षकों की भर्ती हो रही है। इसके साथ ही तेलंगाना में 2,245, मध्य प्रदेश में 463, कर्नाटक में 270, तमिलनाडु में 311, झारखंड में 107, जम्मू-कश्मीर में 146, उत्तर प्रदेश में 81 और उत्तराखंड में 39 स्कूल शून्य नामांकन वाले हैं। इन स्कूलों में एक भी छात्र का नामांकन नहीं है, फिर भी इनमें 20,817 शिक्षकों की तैनाती दी गई है।

वहीं, देश में एकल शिक्षक वाले स्कूलों की सर्वाधिक संख्या (12,912) आंध्र प्रदेश में है, जबकि 9,508 स्कूलों के साथ उत्तर प्रदेश दूसरे स्थान पर है। उल्लेखनीय है कि शिक्षा मंत्रालय हर साल सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के स्कूलों की स्थिति को लेकर एक रिपोर्ट तैयार करता है जिसका ब्यौरा राज्य खुद देते हैं। जरूरत पड़ने पर शिक्षा मंत्रालय की ओर से थर्ड पार्टी सर्वेक्षण भी कराया जाता है।

यूपी बोर्ड: त्रुटियों के संशोधन के लिए तिथि बढ़ी, अब 31 अक्टूबर तक करा सकेंगे सुधार

यूपी बोर्ड: त्रुटियों के संशोधन के लिए तिथि बढ़ी, अब 31 अक्टूबर तक करा सकेंगे सुधार


प्रयागराज। वर्ष 2026 की हाईस्कूल और इंटरमीडिएट परीक्षाओं में शामिल होने वाले छात्र-छात्राओं के शैक्षिक विवरण में हुईं त्रुटियों के संशोधन के लिए माध्यमिक शिक्षा परिषद ने तिथि बढ़ाकर 31 अक्तूबर तक कर दी है। माध्यमिक शिक्षा परिषद के सचिव भगवती सिंह ने प्रदेश के सभी जिला विद्यालय निरीक्षकों को पत्र लिखा है।

उन्होंने कहा कि परिषद की बेवसाइट पर विषय वर्ग, नाम, माता-पिता का नाम, लिंग, जाति, फोटो या अनुक्रमांक संबंधी त्रुटियों का ऑनलाइन संशोधन निर्धारित तिथि तक करा लें। पहले 25 अक्तूबर तक संशोधन करने के निर्देश थे।

परीक्षार्थियों को प्रदान किए जाने वाले प्रमाण पत्र, अंक पत्र में किसी प्रकार की त्रुटि न हो और विद्यार्थियों को परेशान न होना पड़े, इसके लिए परिषद द्वारा पोर्टल पर संशोधन की अंतिम तिथि 31 अक्तूबर तक बढ़ा दी गई है। इसके बाद किसी प्रकार का कोई संशोधन स्वीकार नहीं किया जाएगा।




छात्रों को यूपी बोर्ड परीक्षा फॉर्म में संशोधन के लिए 25 अक्टूबर तक अंतिम मौका

वाराणसी। त्योहार बीतने के साथ बोर्ड परीक्षाओं की घंटी बज गई है। यूपी बोर्ड ने हाईस्कूल और इंटरमीडिएट के परीक्षार्थियों को परीक्षा फॉर्म संशोधन के लिए अंतिम मौका दिया है।  यूपी बोर्ड ने 25 अक्तूबर की रात 12 बजे तक का समय दिया है। परीक्षार्थियों को नाम की स्पेलिंग पर खास ध्यान रखने की हिदायत दी गई है।

यूपी बोर्ड की तरफ से सभी जिला विद्यालय निरीक्षकों को इस संबंध में पत्र भेजा गया है। बोर्ड परीक्षा-2026 के हाईस्कूल और इंटर के परीक्षार्थियों के साथ कक्षा-11 के फॉर्म संशोधन के लिए भी 25 अक्तूबर की तिथि तय की गई है। परीक्षार्थियों को नाम, माता-पिता के  नाम, विषय या वर्ग संशोधन करने के लिए यह समय दिया गया है। इसके बाद ऑफलाइन माध्यम से जन्मतिथि, नाम आदि में संशोधन के प्रधानाचार्यों को 31 अक्तूबर तक का समय दिया गया है।



विद्यार्थियों के शैक्षिक विवरणों में 25 तक सुधारी जाएंगी खामियां, यूपी बोर्ड के वेबसाइट पर होगा ऑनलाइन संशोधन, नाम, फोटो समेत अन्य विवरण किए जाएंगे दुरुस्त

यूपी बोर्ड: 11 से 25 अक्टूबर तक करें 10वीं  और 12वीं के फार्म में त्रुटि संशोधन, समाधान के लिए जारी किए हेल्पलाइन नंबर

प्रयागराज । यूपी बोर्ड की हाईस्कूल एवं इंटरमीडिएट परीक्षा 2026 में सम्मिलित होने वाले छात्र-छात्राओं के शैक्षिक विवरणों की त्रुटियों के निराकरण के लिए 11 से 25 अक्तूबर को रात 12 बजे तक बोर्ड की वेबसाइट upmsp.edu.in खुली रहेगी। 

प्रधानाचार्य लॉगइन कर 10 वी-12वीं के परीक्षार्थियों के शैक्षिक विवरणों जैसे विषय/वर्ग, छात्र के नाम, माता/पिता के नाम में वर्तनी त्रुटि तथा कक्षा-11 के पंजीकरण में अंकित हाईस्कूल के त्रुटिपूर्ण अनुक्रमांक को संशोधित कर सकते हैं।

 जन्मतिथि में संशोधन, छात्र/माता/पिता का पूर्ण नाम संशोधन एवं छात्र-छात्राओं के विवरण को नियमानुसार डिलीट / रिस्टोर के संशोधन संबंधी प्रकरण प्रधानाचार्य प्रपत्रों के साथ डीआईओएस कार्यालय में 31 अक्तूबर तक प्रस्तुत कर दें।

किसी भी प्रकार की जिज्ञासा के समाधान के लिए हेल्पलाइन नंबर भी जारी किया गया है। यूपी बोर्ड मेरठ क्षेत्रीय कार्यालय के अपर सचिव से 9454457256 व 0121-2660742, बरेली क्षेत्रीय कार्यालय के अपर सचिव से 9012418147 व 0581-2576494, प्रयागराज क्षेत्रीय कार्यालय के अपर सचिव से 9454457246, 0532-2423265, वाराणसी क्षेत्रीय कार्यालय के अपर सचिव 7355004355 व 0542-2509990, गोरखपुर क्षेत्रीय कार्यालय के अपर सचिव से 6394717234 व 0551-2205271 जबकि मुख्यालय प्रयागराज के उप सचिव (प्रशासन) से 0532-2623820 नंबर पर संपर्क किया जा सकता है।



Sunday, October 26, 2025

नवंबर से गुड़ व मूंगफली की चिक्की, रामदाना से बना लड्डू देने की तैयारी, परिषदीय स्कूलों के बच्चों को मिलेगा मोटे अनाज से बना खाना

नवंबर से गुड़ व मूंगफली की चिक्की, रामदाना से बना लड्डू देने की तैयारी, परिषदीय स्कूलों के बच्चों को मिलेगा मोटे अनाज से बना खाना

बेहतर होगी बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता


लखनऊ। सूबे के  परिषदीय विद्यालयों में पढ़ने वाले करीब दो लाख विद्यार्थियों के खान-पान व स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। ठंड से बचाव के लिए उन्हें दोपहर के खाने में मोटे आजान जैसे ज्वार व बाजरा से निर्मित भोजन दिया जाएगा। इसके अलावा गुड़ व मूंगफली की चिक्की, रामदाना से बना लड्डू भी दिया जाएगा। यह व्यवस्था नवंबर से शुरू होगी।


सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के स्वास्थ्य और पढ़ाई पर विशेष ध्यान देते हुए मध्याह्न भोजन योजना की शुरुआत हुई है। इसके तहत प्रत्येक दिवस पर मिलने वाले भोजन में नवंबर से बदलाव किया जाएगा। खासकर नियमित खाने में मोटे अनाज से निर्मित पौष्टिक आहार की मात्रा को बढ़ाया जाएगा। ताकि, ठंड में बच्चों के शरीर का तापमान सामान्य रह सके और रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ सके।


बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने बताया कि प्रधानमंत्री पोषण योजना के तहत सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को गेहूं की रोटी, सोयाबीन की सब्जी, चना व अरहर की दाल, मौसमी सब्जियां और फल दिए जाते हैं लेकिन, ठंड की वजह से अब उन्हें गुड़, मूंगफली, जौ, मक्का, ज्वार, बाजरा, दलिया व फाइबर प्रोटीन युक्त खाना दिया जाएगा।

परख : हर जिले का बनेगा अलग रिपोर्ट कार्ड, SCERT ने राष्ट्रीय सर्वे में बेहतरी की शुरु की कवायद

परख : हर जिले का बनेगा अलग रिपोर्ट कार्ड, SCERT ने राष्ट्रीय सर्वे में बेहतरी की शुरु की कवायद


कक्षा तीन, छह व नौ स्तर के छात्रों की भाषा, गणित, विज्ञान व सामाजिक विज्ञान का होता है मूल्यांकन

जिलों की अच्छाइयों व कमियों को चिह्नित कर करेंगे सुधार


लखनऊ। कक्षा तीन, छह व नौ स्तर के छात्रों के भाषा, गणित, विज्ञान व सामाजिक विज्ञान के मूल्यांकन के लिए कराए जाने वाले परख राष्ट्रीय सर्वे को लेकर प्रदेश में और बेहतर करने की कवायद शुरू की गई है। इसके तहत सर्वे के 2024 के परिणाम को लेकर हर जिले का एक अलग रिपोर्ट कार्ड बनाया जाएगा। इसमें उसकी अच्छाइयों, कमियों, सुधार की संभावना आदि का जिक्र होगा। इसके अनुसार आगे इसमें सुधार किया जाएगा।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के तहत शिक्षा मंत्रालय की ओर से 2024-2025 में कराए गए सर्वे में उत्तर प्रदेश ने लंबी छलांग लगाई थी। इसमें यूपी के कक्षा तीन के छात्रों का भाषा व गणित का प्रदर्शन राष्ट्रीय औसत से आगे रहा है। कक्षा छह में भाषा में यूपी राष्ट्रीय औसत के बराबर रहा है। कक्षा तीन और छह में यूपी राष्ट्रीय रैंकिंग में टॉप 10 में रहा है। जबकि कक्षा नौ में सुधार की संभावना है।

राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) को अब शिक्षा मंत्रालय की ओर से हर जिले की रिपोर्ट और स्टेटस मिल गया है। इसके आधार पर उसकी तरफ से इसमें सुधार की कवायद शुरू कर दी गई है।

एससीईआरटी के संयुक्त निदेशक डॉ. पवन सचान ने कहा कि जिलों के रिपोर्ट कार्ड के आधार पर नवंबर में मंडल स्तरीय समीक्षा बैठकें की जाएंगी। इसमें डायट प्राचार्य, एसआरजी, नोडल अधिकारियों को बुलाकर प्रशिक्षण दिया जाएगा ताकि वे और बेहतर कर सकें। जिन जिलों ने अच्छा परफार्म किया है, वहां से जहां की रिपोर्ट खराब है, आपस में संवाद कराएंगे। तीन महीने बाद फिर इसकी समीक्षा करेंगे।


शिक्षकों के लिए मॉड्यूल भी बन रहा

संयुक्त निदेशक ने बताया कि परख का शिक्षकों के लिए एससीईआरटी मॉड्यूल भी बना रहा है। चार पेज के इस मॉड्यूल में देश और प्रदेश का रिपोर्ट कार्ड होगा। दो पेज में संबंधित जिले की जानकारी होगी। इससे हर जिले की जानकारी मिलेगी। साथ ही इसकी हर तीन महीने में तैयारी बैठक की जाएगी। हम अच्छा करने वाले अन्य प्रदेशों की जानकारी भी इसमें शामिल करेंगे।


हर शिक्षक तक पहुंचेगी जानकारी

डॉ. सचान ने कहा कि हमारा प्रयास है कि हर जिले के हर शिक्षक को परख सर्वे की जानकारी हो। इसके लिए जिला स्तर पर रणनीति बनाई जाएगी। शिक्षकों को समग्र शिक्षा में जरूरत आधारित ट्रेनिंग के लिए बजट आवंटित किया गया है। मंडलीय समीक्षाओं के बाद जिलों में शिक्षकों को परख से जुड़ा प्रशिक्षण देंगे। इसमें मंडलीय समीक्षा में शामिल शिक्षक इससे जुड़ी जानकारी देंगे।


प्रदेश के 2.53 लाख छात्र हुए थे शामिल

पिछले मूल्यांकन में कक्षा 3 के छात्रों का भाषा, गणित और द वर्ल्ड अराउंड अस विषयों में 90 मिनट की परीक्षा में हुआ। कक्षा 6 और 9 के छात्रों का मूल्यांकन भाषा, गणित, विज्ञान और सामाजिक विज्ञान विषयों में क्रमशः 90 और 120 मिनट की परीक्षा के माध्यम से किया गया। इस सर्वे में प्रदेश के कुल 253720 छात्र, 30817 शिक्षक और 8865 विद्यालय शामिल हुए। विद्यालयों में परिषदीय, राजकीय, सहायता प्राप्त, निजी, मदरसे, सीबीएसई, आईसीएसई, नवोदय एवं केंद्रीय विद्यालय शामिल थे।

मोबाइल ऐप के जंजाल में बीत रहा समय, स्कूल समय में सूचना दें या पढ़ाएं बेसिक शिक्षक

मोबाइल ऐप के जंजाल में बीत रहा समय, स्कूल समय में सूचना दें या पढ़ाएं बेसिक शिक्षक

बेसिक शिक्षा विभाग 30 से अधिक ऐप के जरिए मांग रहा सूचना, शिक्षक बोले, सूचना देते रहेंगे तो बच्चों को पढ़ाएंगे कब


लखनऊः बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से शिक्षकों को तकनीकी रूप से सक्षम बनाना और ऐप के जरिए पूरा काम कराना धीरे धीरे उनके लिए मुश्किल भरा होता जा रहा है। बेसिक शिक्षा विभाग के शिक्षकों के फोन में 30 से अधिक ऐप इंस्टॉल है जिनसे विभाग सूचनाएं मांग रहा है। बच्चों की हाजिरी से लेकर ऑनलाइन प्रशिक्षण और अलग अलग विभागीय सूचनाएं हर काम के लिए अलग-अलग ऐप इस्तेमाल करने की बाध्यता से पढ़ाई लिखाई की गुणवत्ता पर असर पड़ रहा है। 

शिक्षकों के फोन में प्रेरणा, प्रेरणा डीबीटी, दीक्षा, रीड अलांग, निरीक्षण प्लस, उत्सव, समृद्धि, यू डायस, आधार, मिशन प्रेरणा पोर्टल, मानव संपदा सहित 30 से अधिक ऐप इंस्टॉल कराने के निर्देश है। हर गतिविधि के लिए अलग ऐप पर सूचना भरने में शिक्षकों का काफी समय खर्च हो रहा है, जिससे बच्चों को पढ़ाने के लिए समय निकालना मुश्किल हो गया है।


एकल विद्यालयों में सबसे अधिक समस्याः ऐप में सूचनाएं भरने को लेकर सबसे अधिक परेशानियां एकल और शिक्षक विहीन स्कूलों में है। यहां या तो शिक्षक बच्चों को काम देकर फिर ऑफिशियल सूचनाएं देने का काम करते हैं या घर ले जाकर काम करते हैं। नगर क्षेत्र के डालीगंज स्थित प्राथमिक विद्यालय बरौलिया 2 बीते पांच साल से शिक्षक विहीन है। यहां 52 बच्चे हैं। स्कूल में तैनात शिक्षामित्र उबैद अहमद सिद्दीकी ऐप पर सूचनाएं देने का काम करते हैं। उन्होंने बताया कि विभागीय काम अक्सर घर से करते हैं। कई बार तत्काल मांगने पर स्कूल से भी सूचनाएं देनी पड़ती है तब पढ़ाई बाधित होती है।


नेटवर्क की समस्या से भी परेशान है शिक्षकः शिक्षकों का कहना है कि मोबाइल पर लगातार सूचनाएं भेजने और भरने से ध्यान भटकता है। कई बार तकनीकी दिक्कतों के कारण काम रुक जाता है। अगर सूचना देने में देर हो जाए तो अधिकारियों की नाराजगी झेलनी पड़ती है। शिक्षकों पर बहुत अधिक डिजिटल काम का दबाव बनाया जाने लगा है। शिक्षकों को पढ़ाई और छात्रों के विकास पर ध्यान केंद्रित करने देना चाहिए। हर स्कूल तो ब्रॉड बैंड कनेक्शन से जुड़े नहीं है। ऐसे में नेटवर्क न होने के कारण शिक्षकों को नेटवर्क के चक्कर में इधर उधर भागना पड़ता है।


पीएसपीएसए के प्रान्तीय अध्यक्ष विनय कुमार सिंह ने बताया कि हर माह 21 से 23 के बीच प्रधानाध्यापक /इंचार्ज अपने स्कूल की अटेंडेंस लॉक करता है। देखा गया है कि भूलवश कुछ स्कूल अटेंडेंस लॉक करना भूल जाते है और पूरे स्टाफ का वेतन रुक जाता है। ऐसे में लेखाधिकारी कार्यालय को अधिकार मिले की वेतन लॉक करने से पूर्व छुटे हुए शिक्षकों से आवेदन लेकर वेतन लॉक कर सकें। जिससे शिक्षको को परेशानी न हो।





क्लास में पढ़ाने के बजाय पोर्टल में उलझे गुरु जी! सरकारी स्कूलों में 33 से अधिक ऐप-पोर्टल पर डेटा फीडिंग का बोझ

शिक्षकों के फोन में 33 ऐप! बच्चों को पढ़ाएं या सूचना दें? बच्चों की उपस्थिति से लेकर हर गतिविधि के लिए अलग-अलग ऐप

शिक्षक कहते हैं कि मोबाइल पर सूचनाएं दें तो अभिभावक लगाते हैं आरोप

कहते हैं पढ़ाते नहीं, दिनभर चलाते हैं मोबाइल, न दें तो अफसर नाराज


प्रयागराज। परिषदीय स्कूलों के शिक्षकों के लिए स्मार्टफोन जी का जंजाल बन गया है। पढ़ाई-लिखाई और प्रशिक्षण से लेकर तरह-तरह की सूचनाएं देने का इस कदर दबाव है कि एक शिक्षक के स्मार्टफोन पर औसतन तीन दर्जन तक मोबाइल एप मिल जाएंगे। इन पर उपस्थिति दर्ज करने से लेकर, मिड-डे-मील वितरण, ऑनलाइन रिपोर्टिंग, छात्र मूल्यांकन और दैनिक गतिविधियों की निगरानी तक की सूचना देना अनिवार्य है।

स्कूल टाइम के अलावा शिक्षक घर पर भी घंटों ऑनलाइन सूचनाएं देने में ही बिता देते हैं। शिक्षकों का कहना है कि इतना अधिक डिजिटल काम का दबाव में उनकी मुख्य जिम्मेदारी पढ़ाने से ध्यान भटका रहा है। हर काम के लिए अलग-अलग एप से सूचनाएं भरने में काफी समय लग जाता है और तकनीकी समस्याओं के कारण भी दिक्कत होती है क्योंकि वह तकनीकी रूप से इतने दक्ष नहीं हैं।

एप के अलावा व्हाट्सएप पर बेसिक शिक्षा विभाग के कई ग्रुप भी बने हैं जिन पर शिक्षकों से जवाब तलब और सूचनाओं का आदान-प्रदान होता है। यही नहीं यू-डाइस पोर्टल पर जो बच्चे आठवीं पास कर चुके हैं उनको ड्रॉपबॉक्स में डालकर यह भी पता करना शिक्षकों की जिम्मेदारी है कि उसने कक्षा नौ में किस स्कूल में प्रवेश लिया है। यह पता चलने पर उस स्कूल से संपर्क कर उनसे बच्चों को इंपोर्ट करने के लिए कहना पड़ता है।

मोबाइल पर सूचनाएं देने बैठें तो अभिभावकों कहते हैं कि शिक्षक कक्षा में पढ़ाने के बजाय मोबाइल पर समय बिताते हैं। अगर शिक्षक सूचनाएं नहीं देते, तो विभागीय अधिकारी कार्रवाई की धमकी देने लगते हैं। प्राथमिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष देवेन्द्र कुमार श्रीवास्तव का कहना है कि हमें खुद नहीं पता कि कितने एप चल रहे हैं। पढ़ाने के लिए हमें समय चाहिए लेकिन एप पर सूचनाएं देने में ही काफी समय निकल जाता है। सरकार को चाहिए हमसे केवल पढ़ाई कराएं और ऑनलाइन काम करवाने के लिए कंप्यूटर ऑपरेटर की नियुक्ति कर दी जाए।


स्मार्टफोन पर हैं इतने ऐप

प्रेरणा, प्रेरणा डीबीटी, दीक्षा, रीड अलांग, निपुण प्लस, शारदा, उल्लास, समर्थ, यू-डाइस, आई गॉट कर्मयोगी, निपुण टीचर, एम आधार, हरितिमा, इको क्लब, ज्ञान समीक्षा, स्विफ्ट चैट, परख, किताब वितरण, गूगल मीटख, इंस्पायर, एसएचवीआर, फिट इंडिया, एसजीपी, उमंग, पीएफएमएस, एफएसएसएआई, एनआईएलपी, ई-कवच, एनबीएमसी, जूम, उपस्थिति के लिए प्रेरणा पोर्टल, मानव संपदा आदि।

भारत रत्न लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल की 150वीं जयन्ती वर्ष पर्यन्त (31 अक्टूबर, 2025 तक) मनाये जाने के सम्बन्ध में

स्वतंत्र भारत के वास्तुकार भारत रत्न लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल की 150वीं जयन्ती वर्ष पर्यन्त (31 अक्टूबर, 2025 तक) मनाये जाने के सम्बन्ध में


माध्यमिक शिक्षकों का लंबित तबादला दिसंबर से जनवरी के मध्य होगा, शासनादेश जारी

एडेड माध्यमिक शिक्षकों के ऑफलाइन तबादले को कमेटी गठित, आवेदनों की समीक्षा के बाद सिफारिश करेगी तीन सदस्यीय समिति, अपर मुख्य सचिव ने दिए हैं आदेश

प्रयागराज । सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों के 1641 शिक्षकों और प्रधानाचार्यों के ऑफलाइन तबादले के लिए तीन सदस्यीय समिति गठित की गई है। अपर मुख्य सचिव पार्थ सारथी सेनशर्मा ने 14 अक्तूबर को माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ. महेन्द्र देव को ऑफलाइन तबादले के आदेश दिए थे। डॉ. महेन्द्र देव ने 17 अक्तूबर को तीन सदस्यीय समिति गठित की है जिसमें संयुक्त शिक्षा निदेशक (शिविर) शिविर कार्यालय, लखनऊ, उप शिक्षा निदेशक (माध्यमिक-2) मुख्यालय, उप शिक्षा निदेशक (माध्यमिक-3), मुख्यालय प्रयागराज को शामिल किया है। 

यह समिति विभागीय नियमों/ विनियमों के अनुसार आवेदनों का परीक्षण कर अपनी सिफारिश /संस्तुति तत्काल अपर शिक्षा निदेशक (माध्यमिक) को प्रस्तुत करेगी। परीक्षण के दौरान इस बात का विशेष ध्यान रखा जाएगा कि ऐसे पदों के प्रति स्थानान्तरण नहीं किया जाना है, जो पद पूर्व से चयन बोर्ड या चयन आयोग को नियमानुसार अधियाचित हैं। 

जिन पदों के सापेक्ष 27 जून 2025 को ऑनलाइन स्थानान्तरण किया जा चुका है, उन पदों पर ऑफलाइन स्थानान्तरण नहीं किया जाएगा। जिन पदों के सापेक्ष न्यायालय में विवाद लंबित है, उन पदों के प्रति स्थानान्तरण नहीं किया जाएगा। 14 अक्तूबर के शासनादेश में ऑफलाइन स्थानांतरण के लिए निर्धारित संख्या 1641 के तहत ही स्थानान्तरण आदेश निर्गत किया जाएगा। समिति की संस्तुति के आधार पर अपर शिक्षा निदेशक (माध्यमिक) की ओर से संबंधित अध्यापकों का स्थानान्तरण आदेश जारी किया जाएगा।



एडेड माध्यमिक विद्यालयों के 1641 शिक्षकों का होगा ऑफलाइन तबादला

शासन ने लंबे समय से इंतजार कर रहे इन शिक्षकों को दी बड़ी राहत,  तबादले के लिए हाल ही में दिया था मंत्री आवास के सामने धरना

लखनऊ। शासन ने अशासकीय सहायता प्राप्त (एडेड) माध्यमिक विद्यालयों के 1641 प्रधानाध्यापक व शिक्षकों को बड़ी राहत दी है। जून से तबादले का इंतजार कर रहे इन शिक्षकों के ऑफलाइन तबादलों को शासन ने हरी झंडी दे दी है। खास यह है कि यह तबादले इसी सत्र में होंगे। वहीं कोई शिक्षक ऐसे विद्यालय में नहीं भेजा जाएगा, जहां वह पूर्व में रह चुका हो।

माध्यमिक शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा ने मंगलवार को इसके लिए आदेश जारी कर दिया। माध्यमिक शिक्षा निदेशक को जारी निर्देश में उन्होंने कहा है कि 1641 शिक्षकों का ही ऑफलाइन तबादला किया जाएगा। इनके बाद वर्तमान शैक्षिक सत्र में कोई और आवेदन नहीं लिया जाएगा। उन्होंने निर्देशों का सख्ती से पालन करते हुए तबादलों की कार्यवाही जल्द पूरी करने को कहा है।

बता दें कि एडेड कॉलेजों के लिए इस सत्र (2025-26) में पहली बार ऑनलाइन व ऑफलाइन दोनों तरीके से तबादले की प्रक्रिया अपनाई गई। नियमानुसार जून के अंत तक ऑनलाइन तबादलों की प्रक्रिया तो पूरी हो गई, लेकिन ऑफलाइन तबादलों की प्रक्रिया नहीं पूरी की जा सकी। इसके बाद शिक्षक संगठन लगातार धरना-प्रदर्शन कर ऑफलाइन हुए आवेदन की तबादला प्रक्रिया पूरी करने की मांग कर रहे थे।



माध्यमिक शिक्षकों का लंबित तबादला दिसंबर से जनवरी के मध्य होगा, शासनादेश जारी 


लखनऊ। एडेड माध्यमिक स्कूलों के 1641 प्रधान, शिक्षकों का ऑफलाइन तबादला दिसम्बर से अगले वर्ष जनवरी के बीच होगा। अपर मुख्य सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा ने मंगलवार को इसका आदेश जारी किया।

बीती जून माह में आए ऑफलाइन आवेदनों पर शीतकालीन अवकाश के दौरान कार्यवाही शुरू होगी। आदेश के मुताबिक ऑफलाइन स्थानान्तरण कार्यवाही किसी कारण से 27.06.2025 तक पूरी नहीं हो सकने की सूरत में निदेशालय स्तर पर लम्बित 1641 अध्यापकों के ऑफलाइन स्थानान्तरण के लिए दिशा-निर्देश करने का अनुरोध है। 

शासन ने विशेष परिस्थिति में अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में कार्यरत प्रधान और अध्यापकों के ऑफलाइन स्थानान्तरण के लिए व्यवस्था की है।