DISTRICT WISE NEWS

अंबेडकरनगर अमरोहा अमेठी अलीगढ़ आगरा इटावा इलाहाबाद उन्नाव एटा औरैया कन्नौज कानपुर कानपुर देहात कानपुर नगर कासगंज कुशीनगर कौशांबी कौशाम्बी गाजियाबाद गाजीपुर गोंडा गोण्डा गोरखपुर गौतमबुद्ध नगर गौतमबुद्धनगर चंदौली चन्दौली चित्रकूट जालौन जौनपुर ज्योतिबा फुले नगर झाँसी झांसी देवरिया पीलीभीत फतेहपुर फर्रुखाबाद फिरोजाबाद फैजाबाद बदायूं बरेली बलरामपुर बलिया बस्ती बहराइच बाँदा बांदा बागपत बाराबंकी बिजनौर बुलंदशहर बुलन्दशहर भदोही मऊ मथुरा महराजगंज महोबा मिर्जापुर मीरजापुर मुजफ्फरनगर मुरादाबाद मेरठ मैनपुरी रामपुर रायबरेली लखनऊ लखीमपुर खीरी ललितपुर लख़नऊ वाराणसी शामली शाहजहाँपुर श्रावस्ती संतकबीरनगर संभल सहारनपुर सिद्धार्थनगर सीतापुर सुलतानपुर सुल्तानपुर सोनभद्र हमीरपुर हरदोई हाथरस हापुड़

Sunday, March 23, 2025

स्कूलों में छोटा मैदान तो भी पास हो सकेगा नक्शा

स्कूलों में छोटा मैदान तो भी पास हो सकेगा नक्शा


लखनऊ ।  राज्य सरकार शहरों में स्कूलों में छोटा खेल का मैदान होने पर भी नक्शा पास करने की तैयारी में है। अभी 2000 वर्ग मीटर भूमि की अनिवार्यता है, इसे 1000 वर्ग मीटर करने की तैयारी है। देश के कुछ राज्यों में तो मात्र 40 वर्ग मीटर खेल का मैदान होने पर ही नक्शा पास किया जा रहा है।


उच्च स्तर पर इसको लेकर प्रस्तुतीकरण हो चुका है। इसमें सहमति बनने के बाद जल्द ही भवन विकास उपविधि में इसका प्रावधान किया जाएगा। 


केंद्र सरकार द्वारा नई शिक्षा नीति के अनुसार उच्च प्राथमिक स्कूलों में 500 वर्ग मीटर और इंटर कॉलेजों में 1000 वर्ग मीटर भूमि पर खेल मैदान की अनिवार्यता है। उत्तर प्रदेश में पुराने मानक यानी इससे दोगुना भूमि होने पर ही नक्शा पास किया जा रहा है। इसके चलते शहरों में स्कूल नहीं खुल पा रहे हैं। 


शासन में पिछले दिनों प्रस्तावित उत्तर प्रदेश भवन निर्माण, विकास उपविधि का प्रस्तुतीकरण में सुझाव दिया गया कि देश के अन्य राज्यों में छोटे-छोटे खेल के मैदान होने पर भी नक्शा पास किया जा रहा है, इसीलिए यूपी में भी 1000 वर्ग मीटर भूमि होने पर भी नक्शा पास करने का प्रावधान किया जा रहा है।

प्रदेश के अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयो से दिनांक 31मार्च 2025 तक सेवानिवृत्त होने वाले शिक्षक तथा तथा शिक्षणेत्तर कर्मचारियो के पेंशन, जीपीएफ तथा सामूहिक जीवन बीमा के भुगतान की निस्तारित सूचना निर्धारित प्रारूप पर उपलब्ध कराने के सम्बन्ध में

प्रदेश के अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयो से दिनांक 31मार्च 2025 तक सेवानिवृत्त होने वाले शिक्षक तथा तथा शिक्षणेत्तर कर्मचारियो के पेंशन, जीपीएफ तथा सामूहिक जीवन बीमा के भुगतान की निस्तारित सूचना निर्धारित प्रारूप पर उपलब्ध कराने के सम्बन्ध में 


जेंडर व नाम में संशोधन के लिए एक और मौका देगा यूपी बोर्ड, अंकपत्र और सह प्रमाणपत्र को त्रुटि रहित बनाने के लिए फिर होगी कवायद

जेंडर व नाम में संशोधन के लिए एक और मौका देगा यूपी बोर्ड, अंकपत्र और सह प्रमाणपत्र को त्रुटि रहित बनाने के लिए फिर होगी कवायद

परीक्षा से पहले संशोधन के लिए आए थे 20 हजार आवेदन


प्रयागराज। यूपी बोर्ड परीक्षार्थियों के नाम व जेंडर में संशोधन के लिए एक और मौका देगा, ताकि अंकपत्र सह प्रमाणपत्र में कोई कमी न रह जाए और रिजल्ट आने के बाद परीक्षार्थियों को संशोधन के लिए भटकना न पड़े। बोर्ड की ओर से जल्द ही इस बारे में दिशा-निर्देश जारी किए जाएंगे।


परीक्षा से पहले विधान परिषद सदस्यों श्रीचंद्र शर्मा, उमेश द्विवेदी, डॉ. हरी सिंह ढिल्लो और राज बहादुर सिंह चंदेल ने माध्यमिक शिक्षा परिषद को पत्र लिखकर शिकायत दर्ज कराई थी कि हजारों पंजीकृत परीक्षार्थियों के नाम, जेंडर और विषय गलत अंकित कर दिए गए हैं। इन अशुद्धियों के कारण परीक्षार्थियों को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। छात्र-छात्राओं की समस्या को देखते हुए जनहित में नाम, जेंडर और विषय संबंधी अशुद्धियों को निस्तारित कराया जाए।


यूपी बोर्ड के सचिव भगवती सिंह ने संज्ञान लेते हुए सभी जिला विद्यालय निरीक्षकों को निर्देश जारी किए थे कि अपने जिले में वर्ष 2025 की हाईस्कूल व इंटरमीडिएट की परीक्षा के लिए पंजीकृत परीक्षार्थियों के नाम, जेंडर एवं विषय की त्रुटियों का विद्यालयवार विवरण (सभी आवश्यक पत्रजातों सहित) अनिवार्य रूप से संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय को उपलब्ध करा दिया जाए। उसके बाद इस मामले में आगे की कार्रवाई की जाएगी।


इसके बाद पूरे प्रदेश से तकरीबन 20 हजार छात्र-छात्राओं के नाम, जेंडर, विषय गलत दर्ज होने से संबंधित आवेदन आए थे और यूपी बोर्ड ने संशोधन के लिए संबंधित एजेंसी को लिस्ट भेज दी थी लेकिन इसके बाद भी बड़ी संख्या में परीक्षार्थियों के नाम, विषय व जेंडर में संशोधन नहीं हो सका है। यह पूरी कवायद इसलिए की गई थी ताकि बोर्ड परीक्षा के अंकपत्र सह प्रमाणपत्र में किसी प्रकार की त्रुटि न रह जाए।


स्कूलों में अब भी कई अभिभावक अपने पाल्यों के नाम व जेंडर में संशोधन के लिए पहुंच रहे हैं। ऐसे में यूपी बोर्ड परीक्षार्थियों को संशोधन के लिए एक और मौका देगा। यूपी बोर्ड के सचिव भगवती सिंह का कहना है कि परीक्षा परिणाम तैयार करने की प्रक्रिया के दौरान ही संशोधन किए जाएंगे, ताकि परीक्षार्थियों के अंकपत्र सह प्रमाणपत्र में नाम व जेंडर सही अंकित किए जा सकें और परिणाम आने के बाद परीक्षार्थियों को अंकपत्र सह प्रमाणपत्र में संशोधन कराने की जरूरत न पड़े।

अप्रैल और जुलाई में चलाएं स्कूल चलो अभियान, शिक्षकविहीन न रहें विद्यालय, योगी बेसिक शिक्षा विभाग की समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री योगी ने दिए निर्देश, क्वालिटी ऑफ एजुकेशन पर अब होगा पूरा फोकस

अप्रैल और जुलाई में चलाएं स्कूल चलो अभियान, बेसिक शिक्षा विभाग की समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री योगी ने दिए निर्देश, क्वालिटी ऑफ एजुकेशन पर अब होगा पूरा फोकस

गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए धन की कोई कमी नहीं

मुख्यमंत्री ने कहा, कोई स्कूल शिक्षक विहीन न हो


लखनऊ । मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक अप्रैल से 15 अप्रैल तक और जुलाई में 15 दिनों का स्कूल चलो अभियान चलाने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहाकि इस दौरान शिक्षकों, ग्राम प्रधानों व ग्राम पंचायत के सदस्यों द्वारा मिलकर इस प्रकार व्यवस्था की जाए कि यह स्कूल चानो अभियान बच्चों को एक उत्सव की भांति लगे। इस दौरान बच्चों को नया अनुभव प्रतीत हो। शिक्षक और प्रिंसिपल गांव का भ्रमण करें और घर-घर जाकर बच्चों को स्कूल आने के लिए प्रेरित करें। अब क्वालिटी ऑफ एजुकेशन पर पूरा फोकस करना होगा।


मुख्यमंत्री शनिवार को कालीदास मार्ग स्थित अपने सरकारी आवास पर बेसिक शिक्षा विभाग की समीक्षा बैठक में यह बातें कहीं। उन्होंने कहा है कि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए सरकार के पास धन की कोई कमी नहीं है। कोई विद्यालय शिक्षक विहीन न हो।

सभी आकांक्षात्मक जिलों एवं विकास खंडों में शिक्षक छात्र का अनुपात बेहतर रहे। मुख्यमंत्री कंपोजिट विद्यालयों के साथ ही पीएमश्री विद्यालयों को इंटीग्रेटेड कैंपस के रूप में विकसित किया जाए। मुभावपूर्ण शिक्षा के लिए सरकार के पास धन की कोई कमी नहीं है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रथम चरण में 13 हाट्स को सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के रूप में विकसित किया जा रहा है, जिससे डायट को एक संसाधन केंद्र के रूप में विकसित कर पाएंगे। आवश्याकता हो तो इसके लिए आउटसोर्स कर्मचारियों की तैनाती की जाए। आईआईएम लखनऊ और बेंगलुरू जैसे संस्थानों को भी यहां ट्रेनिंग मॉड्यूल से जोड़ा जाए।


प्रदेश में शिक्षा के स्तर में उल्लेखनीय वृद्धि हुई

मुख्यमंत्री ने कहा कि एसीईआर की वर्ष 2024 की रिपोर्ट के मुजाबिक उत्तर प्रदेश अब टॉ परफॉर्मिग स्टेट की श्रेणी में सम्मिलित हो गया है। 2018 से 2024 के बीच उत्तर प्रदेश में शिक्षा के स्तर में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। प्राथमिक विद्यालयों में विद्यार्थियों की उपस्थिति वर्ष 2010 में 57 प्रतिशत थी जो वर्ष 2024 में बढ़कर 71.4 प्रतिशत हो गई है। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों की समर कैंप संचालित करने के लिए भी निर्देशित किया। यह समर कैंप एक से डेढ़ घंटे के होने चाहिए।




शिक्षकविहीन न रहें विद्यालय, गुणवत्ता पर करें फोकस : योगी

सीएम ने बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों को दिए निर्देश- कहा- एक अप्रैल से चलाएं स्कूल चलो अभियान

लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए सरकार के पास पैसे की कोई कमी नहीं है। प्रदेश का कोई भी विद्यालय शिक्षकविहीन नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि पूरा फोकस गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पर करें। वे शनिवार को अपने सरकारी आवास पर बेसिक शिक्षा विभाग के कामकाज की समीक्षा कर रहे थे।

उन्होंने अधिकारियों को सीएम मॉडल कंपोजिट और मुख्यमंत्री अभ्युदय कंपोजिट विद्यालयों में खेल के मैदान, ट्रेनिंग सेंटर और न्यू एज कोर्स की व्यवस्था करने के निर्देश दिए। कहा, सरकार ने वित्तीय वर्ष 2023-24 में 925 तथा वर्ष 2024-25 में 785 शासकीय विद्यालयों को पीएमश्री योजना के तहत उच्चीकरण कराया है। इन विद्यालयों को इंटीग्रेटेड कैंपस के रूप में विकसित किया जाए। 

सीएम ने कहा कि एक से 15 अप्रैल तक और जुलाई में 15 दिन का स्कूल चलो अभियान चलाएं। शिक्षकों, ग्राम प्रधानों व ग्राम पंचायत सदस्यों के साथ मिलकर स्कूल चलो अभियान को एक उत्सव का रूप दिया जाए ताकि बच्चों को नया अनुभव मिले। उन्होंने कहा कि शिक्षक और प्रधानाचार्य गांवों में घर-घर जाकर बच्चों को स्कूल आने के लिए प्रेरित करें। कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों की व्यवस्थाओं को भी बेहतर बनाएं। कहा, शिक्षकों को अच्छे प्रशिक्षण कार्यक्रमों से जोड़ना होगा, ताकि लर्निंग आउटकम को और बेहतर किया जा सके।

उन्होंने कहा कि सामूहिक प्रयासों से आरटीई के तहत 2016-17 में 10784 बच्चे लाभान्वित हुए थे, वहीं 2024-25 में यह संख्या बढ़कर 4.58 लाख से अधिक हो गई है। बैठक में उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय, बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री संदीप सिंह, अपर मुख्य सचिव बेसिक, माध्यमिक व वित्त दीपक कुमार, महानिदेशक स्कूल शिक्षा कंचन वर्मा भी शामिल हुई।


आकांक्षात्मक जिलों में शिक्षक-छात्र अनुपात सुधारें

सीएम ने कहा कि सभी आकांक्षात्मक जिलों व ब्लॉकों में शिक्षक छात्र का अनुपात बेहतर करें। सभी परिषदीय विद्यालयों में बालक-बालिकाओं के लिए अलग-अलग शौचालय की व्यवस्था सुनिश्चित की गई है। इन विद्यालयों में पेयजल, अच्छे क्लास रूम, बिजली की सुविधा, बाउंड्रीवाल व अच्छे फर्नीचर उपलब्ध कराया गया है।


समर कैंप चलाएं, बच्चों को सिखाएं नई चीजें

योगी ने कहा कि पहले चरण में 13 डायट की सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के रूप में विकसित किया जा रहा है। डायट को एक संसाधन केंद्र के रूप में विकसित कर समावेशी शिक्षा को आगे बढ़ाया जाएगा। इसलिए आईआईएम लखनऊ और बंगलुरू जैसे संस्थानों के ट्रेनिंग मॉड्यूल से इसे जोड़ा जाए। उन्होंने अधिकारियों को समर कैंप चलाने के लिए भी निर्देश दिया। बच्चों को खेल-खेल में नई चीजों को सिखाने पर जोर देते हुए उन्होंने कैंप सुबह ही चलाने के निर्देश दिए।


छात्रों की उपस्थिति बढ़ी

सीएम ने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में हुए प्रयासों के परिणाम आज असर रिपोर्ट में साफ दिख रहा है। वर्ष 2024 की रिपोर्ट में प्रदेश की शिक्षा गुणवत्ता में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। इससे यूपी अब टॉप परफॉर्मिंग प्रदेश बन गया है। प्राथमिक विद्यालयों में विद्यार्थियों की उपस्थिति वर्ष 2010 में 57 फीसदी थी जो वर्ष 2024 में बढ़कर 71.4 प्रतिशत हो गई है। लड़कों की तुलना में बालिकाओं का नामांकन भी बढ़ा है।

RTE : बच्चों का सीट एलॉटमेंट ऑनलाइन देखने का विकल्प नहीं, अभिभावकों को मेसेज से मिलती है प्रवेश की सूचना, भटक रहे अभिभावक

RTE : बच्चों का सीट एलॉटमेंट ऑनलाइन देखने का विकल्प नहीं, अभिभावकों को मेसेज से मिलती है प्रवेश की सूचना,  भटक रहे अभिभावक


23 मार्च 2025
लखनऊ। प्रदेश में निशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा अधिकार अधिनियम (आरटीई) के तहत चल रही प्रवेश प्रक्रिया में सीट अलॉटमेंट की जानकारी ऑनलाइन उपलब्ध नहीं है। अभिभावकों के मोबाइल फोन पर सीट अलॉटमेंट की जानकारी दी जाती है। कई अभिभावक सूचना न मिलने से परेशान हैं।

आरटीई के तहत प्रदेश के लिए चार चरणों में आवेदन प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। तीन चरणों का सीट अलॉटमेंट कर प्रवेश दिलाया जा रहा है। इसके बावजूद कई अभिभावक भटक रहे हैं, क्योंकि बच्चे को सीट अलॉट हो गई लेकिन अभिभावक को इसकी जानकारी नहीं हुई।

अभिभावकों ने बताया कि आवेदन करते समय साइबर कैफे वाले अपना फोन नंबर डाल देते हैं। इससे मेसेज उनको नहीं मिल पाता है। वहीं, कोई और ऐसा माध्यम नहीं है, जिससे सीट अलॉटमेंट की जानकारी मिल सके। इसके लिए अभिभावक बीएसए कार्यालय का चक्कर काटते रहते हैं। बीएसए दफ्तर के कर्मचारी भी यह कहकर टरका देते हैं कि सीट अलॉटमेंट की जानकारी ऑनलाइन देखने का अधिकार सिर्फ बीएसए को है। जब वह आएंगे तो सीट अलॉटमेंट के बारे में पता चलेगा। इसलिए अभिभावक सीट अलॉटमेंट की जानकारी ऑनलाइन करने की मांग कर रहे हैं।

वहीं, समग्र शिक्षा के उप निदेशक डॉ. मुकेश कुमार सिंह ने कहा कि बड़ी संख्या होने के कारण सीट अलॉटमेंट की सूचना ऑनलाइन नहीं की जाती है। संबंधित अभिभावक या बच्चे अपना परिणाम ही देख सकते हैं। अभिभावकों को मोबाइल फोन पर सीधे मेसेज जाता है। जिला स्तर पर डाटा देखने का अधिकार बीएसए व राज्य स्तर पर हमारे पास है। अगर संबंधित बच्चे को अपनी दूसरी प्राथमिकता पर प्रवेश लेना है तो बीएसए कार्यालय में संपर्क कर आवेदन कर सकते हैं। आरटीई के तहत अधिकाधिक बच्चों के दाखिले के लिए अभियान चलाया जा रहा है। 




RTE : प्रवेश दिए बगैर ही कागज पर दिखाए दाखिले, निजी स्कूलों में बच्चों का दाखिला कराने के लिए भटक रहे अभिभावक

स्कूल प्रवेश लेने से कर रहा मना, आईजीआरएस पर की गई शिकायत

21 मार्च 2025
लखनऊ। प्रदेश में निशुल्क व अनिवार्य शिक्षा अधिनियम (आरटीई) के तहत दाखिले के लिए चार चरणों के आवेदन हो चुके हैं। यह कवायद की जा रही है कि एक अप्रैल से शुरू होने वाले सत्र से पहले सीट पाने वाले बच्चों का प्रवेश सुनिश्चित कराया जाए। किंतु जिलों में इसे लेकर लापरवाही दिख रही है।


दरअसल, आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के कुछ बच्चों को प्रवेश नहीं मिला। जब इसकी शिकायत एकीकृत शिकायत निवारण प्रणाली (आईजीआरएस) पर की गई तो उनका प्रवेश दिखा दिया गया।


निदेशालय का चक्कर काट रहे अभिभावक ने बताया कि एक निजी स्कूल में प्रवेश के लिए बच्चे का आवेदन किया था लेकिन स्कूल दाखिला लेने से मना कर रहा है। जब इसकी शिकायत आईजीआरएस की तो बच्चे का प्रवेश हुआ दिखा दिया। उन्होंने दोबारा शिकायत की और अधिकारियों से मिलकर बच्चे को प्रवेश दिलाने की मांग कर रहे हैं। ऐसे कई मामले सामने आ रहे हैं।


आरटीई में निजी कॉलेजों द्वारा सीट अलॉट होने के बाद भी प्रवेश न लेने की भी शिकायत विभाग को मिल रही है। पर, विभाग व जिला स्तरीय अधिकारी कोई सख्ती नहीं कर पा रहे हैं। इससे निजी स्कूलों की मनमानी चल रही है। तीन चरणों की पूरी प्रक्रिया होने के बावजूद यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि अब तक कितने बच्चों के दाखिले सुनिश्चित हुए हैं।


बीएसए बताएंगे प्रवेश न मिलने के कारण

समग्र शिक्षा के उप निदेशक डॉ. मुकेश कुमार सिंह ने बताया कि आरटीई में ज्यादा से ज्यादा दाखिले के लिए डीएम व बीएसए के स्तर से प्रयास किए जा रहे हैं। जहां यह सूचना जानकारी मिलती है कि कोई स्कूल प्रवेश नहीं ले रहा है तो वहां स्थानीय अधिकारी वार्ता कर रहे हैं। इस बार यह व्यवस्था की गई है कि अगर सीट अलॉटमेंट के बाद भी बच्चे का प्रवेश नहीं हो रहा है तो संबंधित बीएसए को इसका कारण बताना होगा।

Saturday, March 22, 2025

CCL : बाल्यकाल देखभाल अवकाश को साल में तीन अवधियों से अधिक बढ़ाए जाने की मांग को लेकर दाखिल IGRS पर देखें बेसिक शिक्षा परिषद का जवाब

CCL : बाल्यकाल देखभाल अवकाश को साल में तीन अवधियों से अधिक बढ़ाए जाने की मांग को लेकर दाखिल IGRS पर देखें बेसिक शिक्षा परिषद का जवाब


हाल ही में, उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा परिषद ने एक महत्वपूर्ण पत्र जारी किया है जिसमें उन्होंने राज्य कर्मचारियों और बेसिक शिक्षा परिषद में कार्यरत महिला शिक्षिकाओं के बाल्यकाल देखभाल अवकाश के संबंध में स्पष्टीकरण दिया है। यह पत्र श्री शुभम मौर्य को संबोधित है, जिन्होंने आईजीआरएस संदर्भ संख्या 60000250011952 के माध्यम से इस विषय पर प्रश्न उठाया था।

श्री शुभम मौर्य ने यह अनुरोध किया था कि महिला कर्मचारियों के बाल्यकाल देखभाल अवकाश को एक साल में 3 अवधियों के अतिरिक्त तीन और अवधियों तक बढ़ाया जाए। इस अनुरोध के जवाब में, उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव, सुरेंद्र कुमार तिवारी ने एक पत्र जारी किया।

पत्र में, सचिव ने स्पष्ट किया कि उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा परिषद के अधीन संचालित विद्यालयों में कार्यरत महिला शिक्षिकाओं और कर्मचारियों को नियमानुसार बाल्यकाल देखभाल अवकाश अनुमन्य है। उन्होंने शासनादेश संख्या 1301/79-5-2010-33/2009 दिनांक 08 जून, 2010 का हवाला दिया, जिसमें स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि बाल्यकाल देखभाल अवकाश अधिकार के रूप में नहीं मांगा जा सकता है। इसके अतिरिक्त, कोई भी कर्मचारी बिना पूर्व स्वीकृति के बाल्यकाल देखभाल अवकाश पर नहीं जा सकता है। बाल्यकाल देखभाल अवकाश उपार्जित अवकाश की भांति माना जाएगा और उसी तरह स्वीकृत किया जाएगा।

सचिव ने यह भी स्पष्ट किया कि जनसुनवाई पोर्टल पर निर्धारित व्यवस्थानुसार, मांग/सुझाव/आर्थिक सहायता/स्थानांतरण/नौकरी दिए जाने की मांग/माननीय न्यायालय से संबंधित प्रकरण पोषणीय नहीं है। चूंकि श्री शुभम मौर्य का प्रकरण मांग/सुझाव से संबंधित है, इसलिए यह जनसुनवाई पोर्टल पर पोषणीय नहीं है।

उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा परिषद ने स्पष्ट किया है कि बाल्यकाल देखभाल अवकाश नियमानुसार ही अनुमन्य है और इसे अधिकार के रूप में नहीं मांगा जा सकता है। इसके अतिरिक्त, जनसुनवाई पोर्टल पर केवल उन्हीं प्रकरणों पर विचार किया जाएगा जो निर्धारित मानदंडों को पूरा करते हैं।

पदोन्नति की मांग को लेकर दाखिल IGRS पर आया बेसिक शिक्षा परिषद का जवाब, देखें

पदोन्नति को लेकर दाखिल IGRS पर आया बेसिक शिक्षा परिषद का जवाब, देखें


Trump close US Education Department चारों ओर आलोचना पर नहीं रुके डोनाल्ड ट्रंप, अमेरिका में शिक्षा विभाग के बंद होने की शुरुआत हुई

Trump close US Education Department चारों ओर आलोचना पर नहीं रुके डोनाल्ड ट्रंप, अमेरिका में शिक्षा विभाग के बंद होने की शुरुआत हुई 


अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जो कहा, वो कर दिखाया। ट्रंप ने राष्ट्रपति पद पर अपने दूसरे कार्यकाल के संभवतः सबसे विवादास्पद फैसले को मंजूरी दे दी है। अमेरिका में शिक्षा विभाग बंद होने की शुरुआत हो गई है।


अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने दूसरे कार्यकाल में एक से बढ़कर एक सख्त फैसले लिए हैं। उनके फैसलों पर अक्सर विवाद भी होते रहे हैं। हालांकि ट्रंप रुकने के मूड में नहीं है। चारों तरफ से मिल रही आलोचनाओं को दरकिनार करते हुए अब ट्रंप ने एक और विवादास्पद फैसले को मंजूरी दे दी है। उन्होंने गुरुवार को देश की शिक्षा विभाग को बंद करने के उद्देश्य से एक आदेश पर दस्तखत कर दिए हैं। वाइट हाउस के ईस्ट रूम में बैठे स्कूली बच्चों से घिरे ट्रंप हस्ताक्षर करने के बाद आदेश को हाथ में लेकर मुस्कुराते हुए नजर आए।


इस दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि यह आदेश संघीय शिक्षा विभाग को हमेशा के लिए खत्म करने की शुरुआत है। डोनाल्ड ट्रंप ने कहा, "हम शिक्षा विभाग बंद करने जा रहे हैं और इसे जितनी जल्दी हो सके बंद कर देंगे। यह हमारे लिए कोई अच्छा काम नहीं कर रहा है। हम शिक्षा को राज्यों को वापस लौटाने जा रहे हैं जहां इसे होना चाहिए।" इस बीच डेमोक्रेट और अमेरिकी शिक्षकों ने इस कदम की निंदा की है। सीनेट में शीर्ष डेमोक्रेट, चक शूमर ने इसे अत्याचारी और डोनाल्ड ट्रंप द्वारा अब तक उठाए गए सबसे विनाशकारी कदमों में से एक कहा।


नहीं मिलेगी फंड
गौरतलब है कि 1979 में बनाए गए शिक्षा विभाग को अमेरिकी कांग्रेस की मंजूरी के बिना बंद नहीं किया जा सकता। हालांकि ट्रंप के इस आदेश पर दस्तखत करने के बाद इस विभाग को फंड और कर्मचारी नहीं मिल पाएंगे। इस कदम को डोनाल्ड ट्रंप सरकार के अब तक के सबसे कठोर कदमों में से एक माना जा रहा है, जिसे ट्रंप अपने करीबी एलन मस्क और उनके डिपार्टमेंट फॉर गवर्नमेंट एफिशिएंसी (DOGE) की मदद से अंजाम दे रहे हैं।


ट्रंप ने क्या तर्क दिए हैं?
ट्रंप ने इस कदम को पैसे बचाने और अमेरिका में शैक्षिक मानकों को बेहतर बनाने के लिए आवश्यक बताया है। उनका कहना है कि अमेरिका शिक्षा गुणवत्ता के मामले में यूरोप और चीन से पीछे हैं। ट्रंप ने कई बार यह तर्क भी दिया है कि वह चाहते हैं कि अलग-अलग राज्य संघीय सरकार के प्रभाव से मुक्त होकर स्कूल चलाएं। इसके अलावा ट्रंप अमेरिका में अफ़सरशाही व्यवस्था के भी धुर विरोधी रहे हैं और इसे कदम को इस दिशा में अहम कदम बताया है।

उ०प्र० विधान परिषद की संसदीय एवं सामाजिक सदभाव समिति की बैठक के सम्बन्ध में

उ०प्र० विधान परिषद की संसदीय एवं सामाजिक सदभाव समिति की बैठक के सम्बन्ध में


यूपी बोर्ड के विद्यार्थियों को किताबों के लिए करना होगा 3 माह का इंतजार, दस दिन बाद एक अप्रैल से शुरू हो रहा नया शैक्षणिक सत्र

यूपी बोर्ड के विद्यार्थियों को किताबों के लिए करना होगा 3 माह का इंतजार, दस दिन बाद एक अप्रैल से शुरू हो रहा नया शैक्षणिक सत्र

■ एनसीईआरटी किताबों के लिए अब तक जारी नहीं हो सका टेंडर

■ पिछले साल जीएसटी-रॉयल्टी के विवाद में नहीं छपी थीं किताबें


प्रयागराज । यूपी बोर्ड से जुड़े 27 हजार स्कूलों में पढ़ने वाले कक्षा नौ से 12 तक के एक करोड़ से अधिक छात्र-छात्राओं को नए सत्र में राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान (एनसीईआरटी) किताबों के लिए कम से कम तीन महीने इंतजार करना होगा। प्रदेशभर के माध्यमिक स्कूलों में 2025-26 सत्र की शुरुआत एक अप्रैल से होनी है जबकि किताबें बाजार में जून अंत या जुलाई के पहले सप्ताह में ही उपलब्ध हो सकेंगी।


यूपी बोर्ड ने हिन्दी, संस्कृत और उर्दू की अपनी किताबों का टेंडर तो 12 मार्च को जारी कर दिया है और चार अप्रैल को खोला जाएगा लेकिन एनसीईआरटी किताबों के लिए टेंडर की अनुमति अब तक शासन से नहीं मिल सकी है। ये अलग बात है कि माध्यमिक शिक्षा निदेशक और यूपी बोर्ड के सभापति डॉ. महेन्द्र देव ने एनसीईआरटी से किताबों का कॉपीराइट मांगने के लिए शासन से अक्टूबर में ही अनुमति मांग ली थी।


हर बार जुलाई तक उपलब्ध हो पाती हैं किताबें

एक अप्रैल से नया सत्र शुरू होने और माध्यमिक शिक्षा विभाग के अफसरों के समय से किताबें उपलब्ध कराने के दावों के बावजूद हर साल जुलाई तक ही किताबें बाजार में पहुंच पाती हैं। पिछले साल तो किताबें छप ही नहीं सकी थीं। उससे पहले के सत्रों में भी जुलाई तक ही किताबें उपलब्ध हो सकी हैं। इसके चलते अधिकांश छात्र-छात्राओं को महंगी और अनाधिकृत किताबें खरीदनी पड़ती हैं। सत्र शुरू होने के साथ ही शिक्षक विद्यार्थियों पर किताबें खरीदने का दबाव बनाने लगते हैं और अप्रैल में ही अधिकांश बच्चे महंगी किताबें खरीद लेते हैं।


सूत्रों के अनुसार, मार्च अंत तक अनुमति मिलने की उम्मीद है जिसके बाद छपाई की प्रक्रिया शुरू होगी और किताबों के बाजार में आने में कम से कम तीन महीने का समय लग जाएगा। टेंडर जारी होने में अमूमन एक महीने का समय लगता है। उसके बाद प्रकाशकों को अपनी तैयारी करने में लगभग एक महीने लग जाते हैं और फिर प्रकाशन से लेकर बाजार तक पहुंचाने में न्यूनतम एक महीने का समय चाहिए होता है।


हालांकि एक अच्छी बात है कि शासन ने रॉयल्टी और जीएसटी के दो करोड़ से अधिक के भुगतान की अनुमति दे दी है जिससे इस सत्र में एनसीईआरटी किताबों के प्रकाशन का रास्ता साफ हो गया है। पिछले साल यूपी बोर्ड और प्रकाशकों के बीच इसी विवाद के कारण किताबों का प्रकाशन नहीं हो सका था। यूपी बोर्ड के सचिव भगवती सिंह का कहना है कि किताबों के प्रकाशन की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है और तीन महीने में एनसीईआरटी किताबें बाजार में सुलभहो जाएंगी।

राजकीय और ऐडेड संस्कृत विद्यालयों में मानदेय पर पढ़ा रहे 1010 शिक्षक स्थाई होंगे

राजकीय और ऐडेड संस्कृत विद्यालयों में मानदेय पर पढ़ा रहे 1010 शिक्षक स्थाई होंगे

प्रस्ताव को मंजूरी के बाद शुरू की जाएगी विनियमितीकरण की प्रक्रिया


लखनऊ । संस्कृत विद्यालयों में मानदेय पर पढ़ा रहे संस्कृत शिक्षकों को जल्द ही नियमित किया जाएगा। राज्य सरकार राजकीय एवं ऐडेड संस्कृत विद्यालयों में मानदेय पर कार्य कर रहे 1010 शिक्षकों को नियमित करने जा रही है। माध्यमिक शिक्षा विभाग इस संबंध में बीते जनवरी में ही एक प्रस्ताव शासन को भेज चुका है।

इसमें नियुक्ति की भंति एक निश्चित प्रक्रिया को अपनाते हुए मानदेय पर कार्य कर रहे संस्कृत शिक्षकों को नियमित किए जाने का प्रस्ताव है। प्रस्ताव को मंजूरी मिलने के बाद संस्कृत शिक्षकों के विनियमितीकरण की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। प्रदेश में राजकीय व सहायता प्राप्त संस्कृत विद्यालयों में कुल 2080 पदों में से मात्र 955 पद ही भरे हुए हैं, शेष 1125 पद रिक्त हैं।


सरकार की मंशा है कि रिक्त पदों को शीघ्र भर दिया जाए। चूंकि नियुक्तियों के माध्यम से पदों को भरने की प्रक्रिया काफी लम्बी है और उसके लिए उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग को अधियाचन भेजकर तमाम तरह की प्रक्रिया करनी पड़ती जिसमें लम्बा समय लगने का अंदेशा है। ऐसे में इसके लिए एक नया रास्ता निकाला जा रहा है। जिसके तहत मानदेय वाले शिक्षकों को उनकी सेवाकाल के लिए विशेष अंक देकर उनकी परीक्षाएं एवं साक्षात्कार लेकर पात्र पाए जाने पर विनियमितीकरण करने की योजना है।

सूत्र बताते हैं कि विनियमितीकरण की यह प्रक्रिया नजीर न बन जाए इसके लिए इस बारे में जारी होने वाले शासनादेश में बकायदा इस बात का उल्लेख किया जाएगा कि इसका किसी अन्य संवर्गों के लिए नजीर के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जाएगा। बताया जाता है कि संस्कृत शिक्षकों की विनियमितीकरण में किसी प्रकार की तकनीकी या कानूनी अड़चन न आए इसके लिए विधि विभाग व सार्वजनिक उद्यम ब्यूरो से राय मांगी जा रही है। राय प्राप्त होते ही शासन स्तर पर कार्यवाही शुरू कर दी जाएगी और कैबिनेट से मंजूरी प्राप्त कर विनियमितीकरण की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी।

Friday, March 21, 2025

'शिक्षकों को रखने दें छड़ी, अनुशासन के लिए बेहद जरूरी', केरल हाईकोर्ट का बड़ा फैसला

'शिक्षकों को रखने दें छड़ी, अनुशासन के लिए बेहद जरूरी', केरल हाईकोर्ट का बड़ा फैसला


केरल उच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण आदेश देते हुए कहा कि क‍िसी श‍िक्षक के ख‍िलाफ स्‍कूल में की गई क‍िसी कार्रवाई के ल‍िए केस दर्ज करने से पहले जांच होनी चाह‍िए। कोर्ट ने कहा कि शिक्षकों के पास छड़ी रखने की अनुमति होनी चाहिए। कोर्ट ने कहा कि इसका उपयोग हमेशा नहीं किया जाना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि बिना किसी ठोस कारण के केस नहीं होना चाहिए।


नई दिल्ली। केरल हाई कोर्ट ने कहा क‍ि क‍िसी श‍िक्षक के ख‍िलाफ स्‍कूल में की गई क‍िसी कार्रवाई के ल‍िए केस दर्ज करने से पहले जांच होनी चाह‍िए। केरल उच्च न्यायालय के जस्‍ट‍िस पीवी कुन्हिकृष्‍णन ने आदेश देते हुए कहा कि टीचर को बिना दुर्भावानापूर्ण इरादे के दी गई मामूली सजा के ल‍िए आपराध‍िक केस से बचाया जाना चाहिए। इसके साथ ही केरल हाई कोर्ट ने केरल के डीजीपी को सर्कुलर जारी करने का निर्देश द‍िया है। आदेश में कहा गया कि इसको एक महीने में लागू किया जाए।


मामला दर्ज करने से पहले हो जांच
हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि अगर कोई शिक्षक किसी छात्र को हल्की चुटकी काटता है, या धक्का मारता है और इसके पीछे कोई दुर्भावना नहीं थी, तो यह कोई आपराधिक केस नहीं होना चाहिए। कोर्ट ने बताया कि अगर शिक्षकों के खिलाफ ऐसा होता रहा तो वे, अपनी जिम्मेदारी को नहीं निभा पाएंगे।


कोर्ट ने यह भी कहा कि शिक्षकों के पास छड़ी रखे की अनुमति होनी चाहिए। कोर्ट ने कहा कि इसका उपयोग हमेशा नहीं किया जाना चाहिए। हालांकि, शिक्षक के पास छड़ी होना स्कूल में अनुशासन बनाए रखने के लिए पर्याप्त है। उच्च न्यायालय ने आदेश दिया कि कोई छात्र या अभिभावक शिक्षक के खिलाफ शिकायत करता है तो उसकी पहले जांच की जानी चाहिए। कोई केस दर्ज करे से पहले ठोस आधार का होना आवश्यक है।


जानिए क्या है मामला?
दरअसल, एक शिक्षक ने हाईकोर्ट में जमानत याचिका दायर की थी। शिक्षक पर आरोप था कि उसने छात्र को पीटा है। शिक्षक ने अपनी दलील में कहा कि वह छात्र को केवल पढ़ाई के प्रति गंभीर बानाना चाहता था। मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि माता-पिता बच्चों का स्कूल में दाखिला कराते हैं, तो शिक्षकों को अनुशासन के लिए जरूरी कदम उठाने की स्वतंत्रता देते हैं


कोर्ट ने भारतीय न्याय संहिता की धारा 173 (3) का हवाला दिया, जिसमें कहा गया है कि ऐसे अपराध जिसमें सजा 3 साल से अधिक लेकिन 7 साल से कम है, उनमें पुलिस प्रारंभिक जांच कर सकती है। कोर्ट ने कहा, शिक्षकों के मामले में यही प्रावधान लागू होना चाहिए।


Thursday, March 20, 2025

वर्ष 2025 की यूपी बोर्ड परीक्षाओं के मूल्यांकन केन्द्रों एवं उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन कार्य के सम्बन्ध में शासनादेश जारी


यूपी बोर्ड परीक्षा मूल्यांकन के सम्बन्ध में निर्देश जारी

19 मार्च 2025


यूपी बोर्ड : पहले लेंगे प्रशिक्षण फिर मूल्यांकन करेंगे गुरुजी, 19 मार्च से उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन में लगे शिक्षकों के लिए नई व्यवस्था

17 मार्च 2025
लखनऊ। यूपी बोर्ड परीक्षा की 10वीं व 12वीं की उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन से पहले इस बार शिक्षकों को एक दिन का विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा। इस बार मूल्यांकन आज से शिक्षकों की गाइडलाइन में बदलाव भी हुआ है। उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन के लिए राजधानी में पांच केंद्र बनाए गए हैं। इन केंद्रों पर कितने और कौन-कौन से जनपदों की उत्तर पुस्तिकाएं जांची जाएंगी, ये गोपनीय रखा गया है। लखनऊ के विद्यार्थियों की उत्तर पुस्तिकाएं दूसरे जनपदों में भेजी जा रही हैं। इस बार मूल्यांकन में कोई लापरवाही न हो, इसे ध्यान में रखते हुए परिषद के सचिव भगवती सिंह ने पहली बार शिक्षकों का प्रशिक्षण कराने का भी आदेश दिया है।

मूल्यांकन 19 मार्च से शुरू होगा। इससे पहले सभी शिक्षकों को 17 मार्च को ड्यूटी ज्वॉइन करने के आदेश दिए गए हैं। नई व्यवस्था से उत्तर पुस्तिकाओं की समय से जांच हो सकेगी और परिणाम भी जल्दी आ सकेगा। 


कल होगा प्रशिक्षण

सचिव परिषद भगवती सिंह ने प्रशिक्षण में शिक्षकों को नई गाइडलाइन के तहत जानकारी देने के लिए कहा है। प्रशिक्षण से पहले सभी को ड्यूटी ज्वॉइन करने के लिए निर्देश हैं। जो शिक्षक अपनी ड्यूटी नहीं ज्वॉइन करेंगे, उनकी सूची बोर्ड को भेजी जाएगी। अभी तक यूपी बोर्ड परीक्षा की उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन का पहला दिन प्रशिक्षण में बीतता था। स्थिति ये होती थी कि शाम तक पहले दिन दो से तीन प्रतिशत भी उत्तर पुस्तिकाएं बड़ी मुश्किल से चेक होती थीं। कई शिक्षक अपनी ड्यूटी भी नहीं ज्वॉइन करते थे।


पंद्रह दिनों में यूपी बोर्ड परीक्षा की तीन करोड़ कॉपियों का होगा मूल्यांकन,  एक माह में रिजल्ट देने की तैयारी

परीक्षा की सभी ओएमआर शीट भी 18 तक कंप्यूटर फर्मों को करा दी जाएंगी उपलब्ध


प्रयागराज। यूपी बोर्ड की वर्ष 2025 की हाईस्कूल व इंटरमीडिएट की परीक्षाओं की कॉपियों का मूल्यांकन 19 मार्च से शुरू होने जा रहा है। बोर्ड ने दो अप्रैल तक मूल्यांकन कार्य पूरा होने का लक्ष्य निर्धारित किया है। इन पंद्रह दिनों में तकरीबन तीन करोड़ कॉपियों का मूल्यांकन किया जाएगा। मूल्यांकन पूरा होने के बाद एक  माह में परिणाम घोषित करने की तैयारी है। ऐसे में मई की शुरुआत में यूपी बोर्ड परीक्षाफल जारी कर सकता है। इस बीच कॉपियां संकलन केंद्रों से मूल्यांकन केंद्रों तक पहुंचने लगीं हैं। प्रदेश भर में बनाए गए 261 केंद्रों में सीसीटीवी कैमरों की निगरानी में मूल्यांकन कराए जाने की तैयारी है।

मुख्य नियंत्रक व उप नियंत्रक को यह जिम्मेदारी सौंपी गई है कि केंद्र में मूल्यांकन से संबंधित व्यक्ति के अलावा कोई अन्य बाहरी व्यक्ति प्रवेश न कर पाए। अगर किसी बाहरी व्यक्ति ने प्रवेश किया तो संबंधित के खिलाफ उत्तर प्रदेश सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों का निवारण) अधिनियम, 2024 की सुसंगत धाराओं के तहत कार्रवाई की जाएगी, जिसमें एक करोड़ रुपये जुर्माना व आजीवन कारावास, दोनों सजा का प्रावधान है। यूपी बोर्ड के सचिव भगवती सिंह ने उप नियंत्रकों को निर्देश दिए हैं कि सभी मूल्यांकन कक्षों में वॉयस रिकॉर्डर युक्त सीसीटीवी कैमरों की व्यवस्था सुनिश्चित करें।

दूसरी ओर, 20 अंकों की वस्तुनिष्ठ परीक्षा के लिए प्रयोग की जा रही ओएमआर शीट संबंधित कंप्यूटर फर्मों तक पहुंचाने का कार्य तीन चरणों में चार मार्च से शुरू कराया चुका है, जो 18 मार्च को पूरा हो जाएगा। एक तरफ केंद्रों में कॉपियों का मूल्यांकन होगा तो इसके साथ ही ओएमआर शीट का मूल्यांकन भी जारी रहेगा, ताकि परीक्षाफल समय से तैयार किया जा सके।

प्रथम चरण में 24 फरवरी से तीन मार्च तक की परीक्षाओं की ओएमआर शीट छह मार्च को कंप्यूटर फर्मों उपलब्ध कराई जा चुकी है। वहीं, दूसरे चरण में चार से नौ मार्च तक की परीक्षाओं की ओएमआर शीट 12 मार्च को कंप्यूटर फर्मों तक पहुंचाई जा चुकी है और तीसरे चरण में 10 से 12 मार्च तक की परीक्षाओं की ओएमआर शीट 18 मार्च को कंप्यूटर फर्मों को प्राप्त करा दी जाएगी।

सचिव भगवती सिंह ने बताया कि दो अप्रैल तक सभी कॉपियों का मूल्यांकन पूरा कर लेने का लक्ष्य है। इस दौरान तकरीबन तीन करोड़ कॉपियों का मूल्यांकन किया जाना है। मूल्यांकन पूरा होने के बाद रिजल्ट तैयार करने में लगभग एक माह का वक्त लगेगा। गुणवत्तापूर्ण मूल्यांकन के लिए सभी तैयारिया पूरी हैं। 



रिकॉर्ड 17 दिनों में खत्म हो गईं यूपी बोर्ड परीक्षाएं, 19 मार्च से मूल्यांकन, देखें मूल्यांकन से जुड़ा आदेश  

लखनऊ। यूपी बोर्ड की परीक्षाएं इस बार रिकार्ड 17 दिनों में बुधवार 12 मार्च खत्म हो गई। वैसे 24 फरवरी से शुरू यह परीक्षा मात्र 12 कार्य दिवस में ही पूरी हो गईं। अब कॉपियों की जांच 19 मार्च से शुरू होंगे। इस दौरान हाईस्कूल और इंटर की परीक्षाएं 8,140 केंद्रों पर दो पालियों में कराई गईं। 

कॉपियां जांचने का काम 19 मार्च से 2 अप्रैल तक चलेगा। इस संबंध में यूपी बोर्ड की ओर से निर्देश जारी कर दिए गए हैं। मूल्यांकन केंद्रों की सुरक्षा व्यवस्था चाक चौबंद करने के निर्देश भी माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ. महेंद्र देव ने जारी किए हैं।


 वर्ष 2025 की यूपी बोर्ड परीक्षाओं के मूल्यांकन केन्द्रों एवं उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन कार्य के सम्बन्ध में शासनादेश जारी 



बेसिक शिक्षा में आठ वर्ष से सामान्य स्थानांतरण नहीं, पारस्परिक स्थानांतरण प्रकिया के बीच सामान्य स्थानांतरण की उठी मांग

बेसिक शिक्षा में आठ वर्ष से सामान्य स्थानांतरण नहीं, पारस्परिक स्थानांतरण प्रकिया के बीच सामान्य स्थानांतरण की उठी मांग

कई शिक्षकों के पारस्परिक स्थानांतरण में नहीं बन पाते तालमेल (पेयर)

20 मार्च 2025
प्रयागराज : बेसिक शिक्षा परिषद के शिक्षकों - के पारस्परिक अंतःजनपदीय और - अंतरजनपदीय स्थानांतरण गर्मी की छुट्टी में किए जाएंगे। इसकी प्रक्रिया शुरू कर दी गई है, लेकिन आठ  साल से जिले के अंदर सामान्य (ओपेन) स्थानांतरण/समायोजन नहीं होने से बड़ी संख्या में शिक्षक - दूर ब्लाकों में अटके हैं। ऐसे में उत्तर प्रदेश बीटीसी शिक्षक संघ ने सामान्य स्थानांतरण किए जाने की मांग उठाई है, ताकि दूर ब्लाकों में कार्यरत वह शिक्षक भी घर के नजदीक स्थानांतरण पा सकें, जिनके पारस्परिक स्थानांतरण के लिए  तालमेल (पेयर) नहीं बन पा रहे।

बीटीसी शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अनिल यादव ने बताया कि शिक्षकों का पद जिला कैडर का है, लेकिन वर्ष 2017 के बाद से शिक्षक - ओपेन स्थानांतरण मिलने की प्रतीक्षा कर रहे हैं।

पारस्परिक स्थानांतरण का लाभ शिक्षकों को जरूर हुआ है, लेकिन यह लाभ पाने वालों से कहीं - अधिक संख्या लाभ न पाने वालों की है। पारस्परिक अंतरजनपदीय स्थानांतरण के लिए आवेदन प्रक्रिया छह मार्च से शुरू हुई है, जबकि पारस्परिक अंतः जनपदीय स्थानांतरण के लिए 12 मार्च से आवेदन लिए जा रहे हैं। पारस्परिक स्थानांतरण के लिए समयसारिणी बेसिक शिक्षा परिषद सचिव सुरेन्द्र कुमार तिवारी ने जारी कर दी है। ओपेन स्थानांतरण करीब आठ वर्ष से नहीं होने से बड़ी संख्या में शिक्षक घर से दूर हैं। अनिल यादव ने कहा है कि घर के नजदीक स्थानांतरण मिलने पर शिक्षक मनोयोग से विद्यालयों में शिक्षण कार्य कर सकेंगे, जिससे विद्यालय में शैक्षणिक स्तर सुदृढ़ होगा।



जिले के अंदर आठ वर्ष से तबादला न होने से परिषदीय शिक्षकों में पनप रहा रोष

पारस्परिक तबादले के नाम पर चंद शिक्षकों को लाभ

सालों से दूर ब्लॉक में तैनात परिषदीय शिक्षक परेशान

जिला कैडर का पद, 2017 के बाद ओपन ट्रांसफर नहीं

17 मार्च 2025
प्रयागराज । जिले के अंदर आठ साल से ओपन ट्रांसफर और समायोजन न होने से लाखों परिषदीय शिक्षकों में असंतोष पनप रहा है। शिक्षकों का पद जिला कैडर होने के बावजूद जिले के अंदर और बाहर पारस्परिक तबादले तो धड़ल्ले से हो रहे हैं, लेकिन सालों से सुदूर ब्लॉक में फंसे शिक्षकों को कोई पूछने चार बार हुए अंतर जनपदीय स्थानांतरण के चलते दूसरे जिलों से आए शिक्षक-शिक्षिकाओं को जिला मुख्यालय के अपेक्षाकृत करीब विद्यालय आवंटित कर दिए गए।


छह मार्च को अंतर जनपदीय पारस्परिक और 12 मार्च को अंतः जनपदीय पारस्परिक तबादले होने के बाद फिर से शिक्षकों ने जिले में ओपन ट्रांसफर और समायोजन की मांग उठाई है। शिक्षकों ने प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा को पत्र लिख ओपन ट्रांसफर और समायोजन का अनुरोध किया है।

शिक्षक जंग बहादुर, अरविंद, रवि आनंद, लालमति आदि का कहना है कि जो शिक्षक ग्रामीण ब्लॉक में पांच साल से अधिक समय से कार्यरत हैं उन्हें पारस्परिक तबादले के लिए जोड़ा नहीं मिलता। इसके चलते अधिकांश शिक्षक 10 से 15 साल से सुदूर ब्लॉकों में कार्य करने को विवश हैं।


जिले के अंदर और बाहर तबादले के नियम अलग

बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में कार्यरत शिक्षकों के जिले के अंदर और एक से दूसरे जिले में पारस्परिक तबादले में नियम अलग-अलग हैं। जिले के अंदर प्राथमिक विद्यालय के प्रधानाध्यापक का उच्च प्राथमिक विद्यालय के सहायक अध्यापक से पारस्परिक तबादला नहीं होगा। 

वहीं दूसरी ओर एक से दूसरे जिले में ऐसी कोई बाध्यता नहीं है यानि प्राथमिक विद्यालय के प्रधानाध्यापक उच्च प्राथमिक विद्यालय के सहायक अध्यापक से जोड़ा बनाकर पारस्परिक स्थानांतरण का लाभले सकते हैं। अंतर जनपदीय पारस्परिक स्थानांतरण के लिए एक से 11 अप्रैल तक ऑनलाइन पंजीकरण होंगे, जबकि जिले के अंदर पारस्परिक तबादले के लिए ऑनलाइन पंजीकरण दो से 11 अप्रैल तक प्रस्तावित हैं।

परिषदीय स्कूलों में सत्र के पहले दिन बंटेंगी किताबें, हर जिले को मुहैया करा दी गई हैं किताबें

परिषदीय स्कूलों में सत्र के पहले दिन बंटेंगी किताबें, हर जिले को मुहैया करा दी गई हैं किताबें

चौथी से आठवीं कक्षा तक में बच्चों को मिलेंगी किताबें

एक से तीन के बच्चों को किताबें 15 अप्रैल के बाद 

बीआरसी पर कक्षा एक से आठ की किताबें पहुंचीं


20 मार्च 2025
लखनऊ। प्राइमरी स्कूलों में कक्षा चार से आठ के बच्चों को सत्र के पहले दिन से किताबें मिलेंगी। बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से बीआरसी केंद्रों में किताबों की खेप पहुंचा दी गई है। स्कूलों से छात्र संख्या का ब्योरा मांगा गया है। अगले हफ्ते स्कूलों में किताबें पहुंचनी शुरू हो जाएंगी। प्राइमरी स्कूलों में एक अप्रैल से नया सत्र शुरू हो रहा है। जबकि कक्षा एक से तीन के बच्चों को 15 अप्रैल के बाद किताबें मिलेंगी।

लखनऊ में 1618 प्राइमरी स्कूलों में करीब पौने दो लाख बच्चे पंजीकृत हैं। 15 लाख से अधिक किताबें और कार्य पुस्तिकाएं बच्चों को वितरित की जानी हैं। विभाग छपाई करा चुका है। स्कूल महानिदेशक ने निर्देश दिये हैं कि बच्चों को पहले दिन से ही किताबें मुहैया करायी जाएं ताकि स्कूल खुलने के पहले दिन से बच्चों के बैग में किताबें हों। बीएसए कार्यालय से ब्लॉक वार बच्चों की संख्या के अनुपात में बीआरसी केन्द्रों को किताबें भेजी जा चुकी हैं। किताबों के वितरण को लेकर खण्ड शिक्षा अधिकारियों को जरूरी निर्देश दिये जा चुके हैं। स्कूलों से छात्र संख्या मांगी गई है।

प्राइमरी स्कूल के कक्षा एक से तीन के बच्चों को सत्र के पहले दिन किताबें नहीं मिल पाएंगी। इन तीनों कक्षाओं के बच्चों को एनसीईआरटी की किताबें दी जानी हैं। अभी यह किताबें छपी नहीं हैं। अधिकारियों का दावा है कि अप्रैल में किताब मिल जाएंगी। कक्षा एक में दाखिला लेने वाले बच्चों के लिये 15 अप्रैल तक विद्या प्रवेश या स्कूल रेडीनेस के तहत गतिविधियां होती हैं।


हर जिले को मुहैया करा दी गई हैं किताबें

पाठ्य पुस्तक अधिकारी माधव जी तिवारी का कहना है कि कक्षा चार से आठ की किताबें बच्चों की संख्या के मुताबिक हर जिले को मुहैया करा दी गई हैं। बीएसए को निर्देश दिये गए हैं कि सत्र शुरू होने से पहले किताबें स्कूलों में पहुंचा दें। ताकि छात्रों को पहले दिन किताबें दी जा सकें। पहली से तीसरी कक्षा की किताबों में कुछ वक्त लगेगा। कक्षा एक के बच्चों के लिए स्कूल रेडीनेस कार्यक्रम के तहत गतिविधियां संचालित की जाएंगी। उसके बाद किताब पहुंच जाएंगी।



शैक्षिक सत्र में नई किताबों से पढ़ेंगे परिषदीय स्कूलों के बच्चे

10 मार्च 2025
अबकी बार कक्षा आठ तक के बच्चे नये शैक्षिक सत्र में पुराने कोर्स से नहीं, बल्कि नये कोर्स से पढ़ाया जाएगा। इसके लिए विभाग को कक्षा चार से आठ तक का शत-प्रतिशत नया कोर्स उपलब्ध हो गया है। जबकि एक से कक्षा तीन तक का कोर्स खरीदने के लिए आर्डर नहीं मिला है। जिसके शीघ्र ही मिलने की उम्मीद है। फिलहाल एक अप्रैल को सभी स्कूलों के बच्चों को नये कोर्स का वितरण कराने की दावेदारी की जा रही है।

विद्यालयों में मुफ्त नया कोर्स उपलब्ध कराने के निर्देश है। मगर इसके बावजूद नये शैक्षिक सत्र शुरू होने के बावजूद विभाग को नया कोर्स उपलब्ध नहीं कराया जाता है। जिसमें विद्यालयों के प्रधानाध्यापक वार्षिक परीक्षाफल के बाद बच्चों से पुरानी किताबें जमा करा लेते हैं और कई-कई माह तक कोर्स नहीं मिलने से बच्चों को पुरानी किताबों से ही पढ़ाते हैं। 

प्रधानाध्यापकों का कहना है कि एक पुराने कोर्स से दो से तीन बच्चों की पढ़ाई कराई जाती है। मगर अबकी बार अभी से ही विभाग ने नये शैक्षिक सत्र की पढ़ाई के कराने के लिए नया कोर्स का इंतजाम करना शुरू कर दिया है। जिसमें कक्षा चार से आठ तक के सभी बच्चों का नया शतप्रतिशत कोर्स उपलब्ध हो गया है। जबकि नई शिक्षा नीति में कक्षा एक से तीन तक के बच्चों की पढ़ाई के लिए एनसीईआरटी कोर्स लागू कर दिया है। मगर अभी तक कोर्स खरीदने के लिए आर्डर नहीं मिला है। आर्डर मिलते ही कक्षा तीन तक के बच्चों का नया कोर्स खरीदने की तैयारी है।




नए शिक्षा सत्र के पहले दिन बच्चों को पुस्तकें उपलब्ध कराने के लिए बेसिक शिक्षा विभाग पूरी तरह से गंभीर , नई कक्षा में पहुंचते ही मिलेंगी नई पुस्तकें


लखनऊ । परिषदीय स्कूलों में शैक्षिक सत्र 2025-26 में पंजीकृत बच्चों को पुरानी पुस्तक के सहारे पढ़ाई नहीं करनी होगी। सत्र शुरू होते ही पहले दिन पंजीकृत बच्चों को नई किताबें वितरित की जाएंगी। किताबों को बीआरसी के माध्यम से स्कूल पहुंचाया जा रहा है। एक अप्रैल को किताबों का वितरण कराने की तैयारी है।

कक्षा एक से आठ तक के विद्यार्थियों को शिक्षित करने के लिए बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से पुस्तकें भेजे जाने की तैयारी हैं। शैक्षिक सत्र में विभिन्न कक्षाओं में पंजीकृत बच्चे 24 मार्च से परीक्षा देने के बाद एक अप्रैल से नवीन कक्षा में प्रवेश करेंगे। नवीन कक्षा में प्रवेश के बाद शैक्षिक सत्र 2025-26 में बच्चों को पुरानी पाठ्य पुस्तक से शिक्षण कार्य करने की परेशानी नहीं होगी। सत्र शुरू होने के बाद स्कूल पहुंचे बच्चों के हाथों में नई किताबें होंगी।


नए शिक्षा सत्र के पहले दिन बच्चों को पुस्तकें उपलब्ध कराने के लिए बेसिक शिक्षा विभाग पूरी तरह से गंभीर है। पहले चरण में कक्षा तीन से आठ तक पढ़ने वाले बच्चों को पुस्तकें मुहैया कराने का फैसला लिया गया है। एक अप्रैल से नए शैक्षणिक सत्र की शुरुआत होगी। नामित संस्थाएं अब तक बेसिक शिक्षा विभाग को काफी पाठ्य पुस्तकें उपलब्ध करा चुकी है, शेष किताबें भी आ रही हैं।

विभाग की तैयारी है कि सत्यापन का कार्य होते ही बीआरसी पर पुस्तकें भेजी जाएंगी, वहां से स्कूलों तक किताबें पहुंचाई जाएंगी। विभाग के जानकारों की मानें तो कक्षा एक और दो के लिए एनसीईआरटी से किताबें आएंगी। किताबों की आपूर्ति मिलने के बाद विभाग ने गोदाम में सुरक्षित रखवाने के बाद जिला स्तरीय कमेटी से सत्यापन के साथ वितरण की कवायद शुरू कर दी है।

 एक अप्रैल से प्रारंभ होने वाले शिक्षा सत्र के पहले दिन ही बच्चों को पुस्तकें मुहैया कराई जाएंगी। बीआरसी के माध्यम से विद्यालयों तक पहुंचाने का खाका तैयार कर लिया गया है। आपूर्ति मिलने के साथ सत्यापन समेत अन्य प्रक्रिया पूरी कर अप्रैल के प्रथम सप्ताह में स्कूलों में समारोह आयोजित कर परीक्षा फल वितरण के साथ बच्चों को पाठ्य पुस्तकें वितरित की जाएंगी।

प्रोजेक्ट अलंकार से संवरेंगे 71 राजकीय माध्यमिक विद्यालय, मरम्मत व निर्माण कार्य कराने के लिए 11 करोड़ स्वीकृत कर पहली किस्त जारी

प्रोजेक्ट अलंकार से संवरेंगे 71 राजकीय माध्यमिक विद्यालय, मरम्मत व निर्माण कार्य कराने के लिए 11 करोड़ स्वीकृत कर पहली किस्त जारी 


लखनऊ। प्रोजेक्ट अलंकार के तहत अब राजकीय माध्यमिक विद्यालयों को भी संवारा जाएगा। पहले चरण में प्रदेश के 71 राजकीय माध्यमिक विद्यालयों में मरम्मत व निर्माण कार्य कराने के लिए 11 करोड़ स्वीकृत कर पहली किस्त जारी कर दी गई है। 


माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ. महेंद्र देव ने बताया कि शासन की अनुमति के बाद 71 जिलों के एक-एक राजकीय माध्यमिक विद्यालयों के लिए यह रकम मंजूर की गई है। 


उन्होंने सभी मंडलीय संयुक्त शिक्षा निदेशकों को निर्देश दिया है कि वे अपने क्षेत्र में विद्यालयों के निर्माण कार्य शुरू होने से काम पूरा होने तक पर्यवेक्षण करें। संबंधित डीआईओएस भी बजट का सही प्रयोग करना सुनिश्चित कराएंगे। ब्यूरो

बेसिक शिक्षकों को लंबित पदोन्नति पर पूछे गए सवाल का बेसिक शिक्षा मंत्री दे दिया ये उत्तर

बेसिक शिक्षकों को लंबित पदोन्नति पर पूछे गए सवाल का बेसिक शिक्षा मंत्री दे दिया ये उत्तर 


Aligarh GPF fraud case : अलीगढ़ में 10 वर्षों तक होता रहा GPF में घोटाला, 11 बीएसए, 30 बीईओ, 10 वित्त अधिकारी समेत 61 पर मुकदमा दर्ज

Aligarh GPF fraud case : अलीगढ़ में 10 वर्षों तक होता रहा GPF में घोटाला,  11 बीएसए, 30 बीईओ, 10 वित्त अधिकारी समेत 61 पर मुकदमा दर्ज


शिक्षा विभाग में 2003 से 2013 तक शिक्षकों के सामान्य भविष्य निधि (जीपीएफ) खातों में पांच करोड़ रुपये का घोटाला हुआ है। अपर मुख्य सचिव बेसिक की जांच के बाद मंगलवार को बीएसए डॉ. राकेश कुमार सिंह ने उस अवधि में अलीगढ़ में तैनात रहे 11 बीएसए, 30 बीईओ, 10 वित्त अधिकारी समेत 61 अधिकारियों व कर्मचारियों के पद नाम से बन्नादेवी थाने में मुकदमा दर्ज कराया है।


जिले में वर्ष 2003 से 2013 तक 520 शिक्षकों के डमी खाते खोले गए। इसके बाद उनमें चार करोड़ 92 लाख 39 हजार 749 रुपये का लेनदेन किया गया। जबकि शिक्षक न तो आवेदन करते थे न ही बीएसए कार्यालय आते थे। कुछ मामलों में जब शिक्षक के खाते में पैसे आ जाते तब कार्यालय का कर्मचारी उनके पास जाकर गलती से उनके खाते में पैसा आ गया कहकर वापस करने को कहता। इसके बाद शिक्षक बैंक से पैसे निकालकर कर्मचारी को दे देते थे। कुछ डमी खातों में से आरोपी पैसे निकाल कर उसका उपयोग करते रहे।


इस तरह सामने आया था मामला :

यह घोटाला 2020 में तब सामने आया जब टप्पल के शिक्षक जगदीश प्रसाद के खाते 35 बार में 34 लाख रुपये भेजे गए। इसके बाद जिला स्तर पर जांच शुरू हुई। जांच में अधिकारियों और पटल लिपिकों की संलिप्तता पाई गई। जांच में आख्या ऋण नहीं घटाने, लेजर पृष्ठ गायब, ऋण की प्रविष्टि नहीं होने, रजिस्टर में चेक नंबर अंकित नहीं होने, चेक की एंट्री नहीं होने, रजिस्टर में निरस्त चेक का जिक्र नहीं होने, भुगतान की गई धनराशि व चेक अंकित नहीं होना सामने आया। मामले में दो बाबू निलंबित कर दिए गए।


जिला स्तर पर जांच के बाद शासन स्तर से मामले में जांच हुई। जीपीएफ प्रकरण में 4 फरवरी 2025 को अपर मुख्य सचिव, बेसिक शिक्षा उप्र शासन लखनऊ की अध्यक्षता में वीडियो कान्फ्रेंसिंग से समीक्षा की गई, जिसमें शासन स्तर से कराई गई। विशेष सम्परीक्षा आख्या के आधार पर घटना की प्राथमिकी दर्ज कराने के निर्देश दिए गए।


इसी क्रम में मंगलवार को थाना बन्नादेवी में 2003 से 2013 तक बीएसए कार्यालय में तैनात रहे बीएसए, वित्त एवं लेखाधिकारी बेसिक शिक्षा, समस्त खंड शिक्षा अधिकारी, जीपीएफ पटल सहायक कर्मचारी, परिषदीय शिक्षक, शिक्षणेत्तर कर्मचारियों द्वारा जीपीएफ कार्य के लिए संबद्ध कर्मचारी, जीपीएफ भुगतान चेक देने वाले पटल सहायक, संबंधित लाभार्थी शिक्षक के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया।


वर्ष 2003 से 2013 तक तैनात रहे बीईओ

इस दौरान जिले में तैनात रहे बीईओ अब अलग-अलग जनपदों में तैनात हैं। अलीगढ़ में तैनात रहे बीईओ हरिशंकर सिंह एटा, मोहम्मद अजहरे आलम मुरादाबाद, बुद्धसेन सिंह बुलंदशहर, कैलाश चंद्र पांडेय पीलीभीत (निलंबित) मंडलीय सहायक शिक्षा निदेशक (बेसिक) बरेली में संबद्ध, अमित सक्सेना एटा, उदित कुमार बागपत, सर्वेश कुमार गाजियाबाद, छोटेलाल हरदोई, ओम प्रकाश यादव बुलंदशहर, अमित कुमार गुप्ता बुलंदशहर, चंद्रभूषण प्रसाद नोएडा, सुनील कुमार मिर्जापुर, वंदना सैनी मुरादाबाद, माजुद्दीन अंसारी मैनपुरी (निलंबित) डायट गौतमबुद्धनगर से संबद्ध, जयपाल आगरा, अनिल कुमार बुलंदशहर, अखिलेश यादव हाथरस, गिरिराज सिंह हाथरस, हेमलता एटा, आलोक प्रताप श्रीवास्तव हाथरस, वीरेंद्र सिंह इटावा, अखिलेश प्रताप सिंह हाथरस, दीप्ति एटा, गोपाल त्यागी बुलंदशहर, सर्वेश सिंह कन्नौज (निलंबित) मंडलीय सहायक शिक्षा निदेशक (बेसिक) कानपुर में संबद्ध, अरुण कुमार अमरोहा, राकेश यादव प्रयागराज, संजय भारती मुजफ्फरनगर, तारकेश्वर पांडेय अयोध्या, केएल वर्मा उन्नाव में तैनात हैं।


ये रहे बीएसए तैनात

दिनेश सिंह, पुष्पा सिंह, मोहम्मद अल्ताफ अंसारी, मनोज कुमार, डॉ. मुकेश कुमार, एमपी वर्मा, महेंद्र प्रताप सिंह, एसपी यादव, संजय शुक्ला, धीरेंद्र कुमार यादव, डाॅ. लक्ष्मीकांत पांडेय।


अधिकारी मुकदमा दर्ज कराकर जांच पर जांच बिठाकर अपना दामन साफ करने का प्रयास कर रहे हैं। जूनियर शिक्षक संघ इस घोटाले को शुरू से उठाता रहा है। संघ तब तक मुद्दा उठाता रहेगा जब तक सभी शिक्षकों को उनका पूरा जीपीएफ नहीं मिल जाता है। - डॉ. प्रशांत शर्मा, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, उत्तर प्रदेशीय जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ



Wednesday, March 19, 2025

B.Ed, M.Ed समेत 9 शिक्षण पाठ्यक्रम के लिए NCTE की गवर्निंग बॉडी की बैठक में नए नियमों पर आज लगेगी मुहर

B.Ed, M.Ed समेत 9 शिक्षण पाठ्यक्रम के लिए NCTE की गवर्निंग बॉडी की बैठक में नए नियमों पर आज लगेगी मुहर


नई दिल्ली : देश में 9 टीचिंग कोर्सेज के लिए तैयार किए गए नये नियमों पर बुधवार को मुहर लगेगी। इस दिन नैशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन (NCTE) की गवर्निंग बॉडी की बैठक है, जिसमें नए रेगुलेशंस को अंतिम रूप दिया जाएगा। NCTE के चेयरमैन प्रो. पंकज अरोड़ा ने बताया, ड्रॉफ्ट रेगुलेशंस पर 7000 से ज्यादा सुझाव मिले हैं और हर सुझाव का विश्लेषण किया जा रहा है। जो भी फीडबैक मिला है, उसके हर पहलू को देखने के लिए हाई लेवल विशेषज्ञ कमिटी बनाई गई है। यह कमिटी देखेगी कि किन सुझावों को नए रेगुलेशंस में शामिल किया जाना है, उसके बाद फाइनल रेगुलेशंस सामने आएंगे।


प्रो. अरोड़ा ने बताया कि गवर्निंग बॉडी की मंजूरी के बाद नए नियमों को केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के पास भेजा जाएगा। नए रेगुलेशंस में टीचिंग कोर्सेज में बड़े बदलावों का रोडमैप है, जिसमें एक-एक साल के B.Ed (बैचलर ऑफ एजुकेशन) और M.Ed (मास्टर ऑफ एजुकेशन) कोर्स के साथ मास्टर ऑफ एजुकेशन प्रोग्राम (पार्ट टाइम) की भी वापसी सुनिश्चित हो सकेगी। प्रो. अरोड़ा का कहना है कि जो फीडबैक मिला है, उसमें कुछ अडिशनल एलिजिबिलिटी शर्तों को शामिल किए जाने की भी बात है।


2026 से टीचिंग प्रोग्राम में होंगे बड़े बदलाव : 2026 से देश में टीचिंग प्रोग्राम में काफी बदलाव होंगे। 4-ईयर इंटीग्रेटिड टीचर एजुकेशन प्रोग्राम (ITEP) कोर्स में भी नई स्ट्रीम जोड़ी गई हैं। ये 9 कोर्स 2026 बैच से लागू होंगे। एनसीटीई चेयरमैन ने कहा, कोई टीचिंग इंस्टिट्यूट छात्रों से डोनेशन या कैपिटेशन फीस नहीं ले सकता है।

शिक्षामित्रों का मानदेय बढ़ाने के निर्णय लेने के लिए हाईकोर्ट ने यूपी सरकार को दी एक माह की और मोहलत

शिक्षामित्रों का मानदेय बढ़ाने के निर्णय लेने के लिए हाईकोर्ट ने यूपी सरकार को दी एक माह की और मोहलत

19 मार्च 2025
प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शिक्षामित्रों का मानदेय बढ़ाने को लेकर हाईकोर्ट के आदेश पर निर्णय लेने के लिए सरकार को एक माह का और समय दिया है। कोर्ट ने बेसिक शिक्षा विभाग उत्तर प्रदेश के प्रमुख सचिव को अगली तिथि एक मई को आदेश के अनुपालन में हलफनामा प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।

यह आदेश न्यायमूर्ति सलिल कुमार राय ने वाराणसी के विवेकानंद की अवमानना याचिका पर दिया है। याचियों की ओर से अधिवक्ता सत्येंद्र चंद्र त्रिपाठी ने कहा कि 2023 में शिक्षामित्रों ने समान कार्य के लिए समान वेतन की मांग करते हुए याचिका दाखिल की थी। कोर्ट ने शिक्षामित्रों के मानदेय को न्यूनतम मानते हुए राज्य को समिति का गठन कर एक सम्मानजनक मानदेय निर्धारित करने का निर्देश दिया था। समिति का गठन व मानदेय बढ़ाए जाने पर सरकार की ओर से कोई फैसला नहीं लेने पर अवमानना याचिका दाखिल की।

सोमवार को अवमानना याचिका पर राज्य के वकील ने कोर्ट को बताया कि मानदेय में वृद्धि के लिए संबंधित विभागों के बीच परामर्श अभी जारी है। कोर्ट के पूर्व में पारित आदेश के अनुपालन के लिए दो माह का और समय देने की प्रार्थना की। इस पर कोर्ट ने एक माह का समय देते हुए अगली सुनवाई की तिथि एक मई निर्धारित की है।




शिक्षामित्रों का मानदेय बढ़ाने पर क्या कर रही सरकारः हाईकोर्ट

06 जनवरी 2025
प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सरकार से करीब डेढ़ लाख शिक्षामित्रों का मानदेय बढ़ाने पर लिए गए फैसले की 27 जनवरी तक जानकारी तलब की है। यह आदेश न्यायमूर्ति सलिल कुमार राय की अदालत ने वाराणसी के विवेकानंद की अवमानना याचिका पर दिया है।

अब तक समिति का गठन व मानदेय बढ़ाए जाने पर सरकार ने कोई फैसला नहीं लिया। यह आरोप लगा याची ने अवमानना याचिका दाखिल की है। अधिवक्ता सत्येंद्र चंद्र त्रिपाठी ने दलील दी कि 2023 में याची ने समान कार्य के लिए समान वेतन के आधार पर मानदेय बढ़ाने की मांग को लेकर याचिका दाखिल की थी। इस पर कोर्ट ने समिति गठित कर निर्णय लेने का आदेश दिया था।

स्थायी अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि आदेश के अनुपालन में शिक्षा निदेशक की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति बनाई गई थी। समिति ने रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है। वित्तीय बोझ को देखते हुए रिपोर्ट वित्त विभाग को भेजी गई है। साथ ही विस्तृत जानकारी देने के लिए मोहलत की मांग की। इस पर कोर्ट ने इजाजत दे दी।



शिक्षामित्रों का मानदेय बढ़ाने पर हाईकोर्ट ने यूपी सरकार से मांगी जानकारी

06 जनवरी 2025
प्रयागराज : प्रदेश के प्राथमिक विद्यालयों में कार्यरत लगभग डेढ़ लाख शिक्षामित्रों का मानदेय बढ़ाए जाने के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सरकार से जानकारी मांगी है। कोर्ट ने मानदेय बढ़ाने पर लिए गए निर्णय के बारे में 27 जनवरी तक जानकारी मांगी है। यह आदेश न्यायमूर्ति सलिल कुमार राय ने वाराणसी के विवेकानंद की अवमानना याचिका पर दिया है। इसके पहले याची ने मानदेय बढ़ाने की मांग को लेकर याचिका दाखिल की थी। इस पर कोर्ट ने सम्मानजनक मानदेय निर्धारित करने के लिए सरकार को समिति गठित करने का आदेश दिया था।

प्रदेश सरकार द्वारा समिति का गठन व मानदेय बढ़ाए जाने पर सरकार के कोई फैसला नहीं लेने पर अवमानना याचिका दाखिल की गई। अधिवक्ता सत्येंद्र चंद्र त्रिपाठी ने कहा कि 2023 में शिक्षामित्रों ने समान कार्य के लिए समान वेतन की मांग कर याचिका दाखिल की थी। कोर्ट ने शिक्षामित्रों के मानदेय को न्यूनतम मानते हुए राज्य को समिति का गठन कर एक सम्मानजनक मानदेय निर्धारित करने का निर्देश दिया था। 

अवमानना याचिका पर राज्य के वकील ने न्यायालय को बताया था कि आदेश के अनुपालन में शिक्षा निदेशक की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति बनाई गई थी। समिति ने रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है। कोर्ट ने वित्त विभाग और राज्य सरकार के ओर लिए गए निर्णय के संबंध में 27 जनवरी तक जानकारी मांगी है।




शिक्षामित्रों को सम्मानजनक मानदेय देने के लिए वित्त विभाग की सहमति का इंतजार 

डेढ़ लाख शिक्षामित्रों का मानदेय बढ़ाएगी सरकार, हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान प्रदेश सरकार की ओर से दी गई जानकारी

■ अवमानना याचिका पर एकल पीठ कर रही सुनवाई 

■ बढ़े मानदेय के लिए वित्त विभाग को भेजी रिपोर्ट


20 नवम्बर 2024
प्रयागराज। प्रदेश के परिषदीय प्राथमिक विद्यालयों में काम कर रहे लगभग डेढ़ लाख शिक्षामित्रों का मानदेय सरकार बढ़ा सकती है। राज्य सरकार की ओर से वित्त विभाग को इस संबंध में पत्र भेजा गया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट में शिक्षामित्रों को सम्मानजनक मानदेय दिए जाने को लेकर दाखिल अवमानना याचिका पर सरकार की ओर से यह जानकारी दी गई है।


मंगलवार को सुनवाई के दौरान राज्य के वकील ने कोर्ट को बताया कि लगभग एक लाख पचास हजार शिक्षामित्रों के मानदेय वृद्धि से सरकारी खजाने पर काफी भार पड़ेगा इसलिए वित्त विभाग को सहमति के लिए रिपोर्ट भेजी गई है। वाराणसी के विवेकानंद की अवमानना याचिका पर न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल की पीठ सुनवाई कर रही है।


याची के अधिवक्ता सत्येंद्र चंद्र त्रिपाठी ने बताया कि 2023 में शिक्षामित्रों को समान कार्य के समान वेतन की मांग करते हुए एक याचिका दाखिल की गई थी। याचिका निस्तारित करते हुए न्यायालय ने कहा था कि शिक्षामित्रों को दिया जाने वाला मानदेय काफी कम है। कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया था कि एक समिति का गठन किया जाए। वित्तीय इंडेक्स के अनुसार जीवन जीने के लिए एक सम्मानजनक मानदेय निर्धारित किया जाए। इस आदेश का पालन नहीं किए जाने पर अवमानना याचिका दाखिल की गई है। 


सरकारी वकील ने कोर्ट को अवगत कराया कि कोर्ट के 12 जनवरी 2024 के आदेश के अनुपालन में शिक्षा निदेशक की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय समिति बनाई गई थी। समिति ने अपनी रिपोर्ट सरकार को नौ अगस्त 2024 को सौंप दी है। वित्तीय बोझ को देखते हुए वित्त विभाग को रिपोर्ट भेजी गई है।




शिक्षामित्रों को सम्मानजनक गुजारा भत्ता नहीं देने संबंधी अवमानना याचिका पर आज होगी सुनवाई

14 नवंबर 2024
प्रयागराज। हाईकोर्ट में शिक्षामित्रों को सम्मानजनक गुजारा भत्ता न देने संबंधी अवमानना याचिका पर बृहस्पतिवार को सुनवाई होगी। 


न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल की अदालत वाराणसी के विवेकानंद की अवमानना याचिका पर सुनवाई कर रही है। याची के अधिवक्ता सत्येंद्र चंद्र त्रिपाठी ने बताया कि 2023 में शिक्षामित्रों को समान कार्य के समान वेतन की मांग करते हुए एक याचिका दाखिल की गई थी। 


याचिका निस्तारित करते हुए न्यायालय ने कहा था कि शिक्षामित्रों को भुगतान की जाने वाली मानदेय राशि न्यूनतम है। राज्य को निर्देश दिया था कि एक समिति का गठन किया जाए। वित्तीय इंडेक्स के अनुसार जीवन जीने के लिए एक सम्मान जनक मानदेय निर्धारित किया जाए। इस आदेश का पालन नहीं किए जाने पर अवमानना याचिका दाखिल की गई है। 

यूपी के निजी स्कूलों की वित्तीय स्थिति जांचने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने की समिति गठित, कोरोना के दौरान निजी स्कूलों को फीस का 15% समायोजित या लौटाने के हाईकोर्ट के आदेश का मामला

यूपी के निजी स्कूलों की वित्तीय स्थिति जांचने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने की समिति गठित, कोरोना के दौरान निजी स्कूलों को  फीस का 15% समायोजित या लौटाने के हाईकोर्ट के आदेश का मामला  


हाईकोर्ट ने कोरोना के दौरान निजी स्कूलों को वित्तीय 2020-2021 की अवधि के लिए अभिभावकों से वसूली फीस का 15% समायोजित या लौटाने का निर्देश दिया गया था।

■ हाईकोर्ट के पूर्व जज बने दो सदस्यीय समिति के अध्यक्ष


नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व जज जीपी मित्तल की अध्यक्षता में दो सदस्यीय समिति बनाई है। समिति उत्तर प्रदेश के निजी स्कूलों की वित्तीय स्थिति की जांच करेगी।

शीर्ष अदालत ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ निजी स्कूलों के समूह की ओर से दाखिल अपील पर यह आदेश दिया है। हाईकोर्ट ने कोरोना के दौरान निजी स्कूलों को वित्तीय 2020-2021 की अवधि के लिए अभिभावकों से वसूली फीस का 15% समायोजित या लौटाने का निर्देश दिया गया था।


मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना, संजय कुमार, के.वी. विश्वनाथन की पीठ ने कहा कि हर निजी स्कूल के तथ्यों और वित्तीय हालात पर विचार बिना हाईकोर्ट ने व्यापक दृष्टिकोण अपनाया, जो संभव नहीं है। हर के तथ्यों, खातों की जांच जरूरी है। हम पूर्व जज जस्टिस जीपी मित्तल और सीए आदिश मेहरा की एक समिति नियुक्त करते हैं। समिति स्कूलों के खातों की जांच करेगी और महामारी अवधि के दौरान संबंधित स्कूलों की वित्तीय स्थिति के बारे में एक रिपोर्ट पेश करेगी।

यूपी बोर्ड परीक्षा का मूल्यांकन आज से, पंद्रह दिन में 1.35 लाख परीक्षक जांचेंगे तीन करोड़ कॉपियां

यूपी बोर्ड परीक्षा का मूल्यांकन आज से, पंद्रह दिन में 1.35 लाख परीक्षक जांचेंगे तीन करोड़ कॉपियां

यूपी बोर्ड की कॉपियों के मूल्यांकन के लिए 13944 उप प्रधान परीक्षक नियुक्त


प्रयागराज। यूपी बोर्ड वर्ष 2025 की हाईस्कूल व इंटरमीडिएट परीक्षा की कॉपियों का मूल्यांकन 19 मार्च से शुरू होने जा रहा है मूल्यांकन कार्य दो अप्रैल को पूरा कर लिया जाएगा। मूल्यांकन में एक लाख 34 हजार 723 परीक्षकों की ड्यूटी लगाई गई है, जो पंद्रह दिनों में दो करोड़ 96 लाख 93 हजार 855 कॉपियां जांचेंगे।

कॉपियों के मूल्यांकन के लिए प्रदेश में कुल 261 केंद्र बनाए गए हैं। हाईस्कूल में 1,63,22,248 लिखित उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन के लिए 84,122 परीक्षक एवं 8,473 उप प्रधान परीक्षक और इंटरमीडिएट में 1,33,71,607 लिखित उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन के लिए 50,601 परीक्षक एवं 5,471 उप प्रधान परीक्षक नियुक्त किए गए हैं। यूपी बोर्ड मई के मध्य तक परीक्षाफल घोषित करने की तैयारी में है।


यूपी बोर्ड के सचिव भगवती सिंह ने जिला विद्यालय निरीक्षकों (मुख्य नियंत्रक) के साथ ही परीक्षा केंद्रों के उपनियंत्रकों (प्रधानाचायों) को मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) भेजते हुए यह स्पष्ट किया है कि कि प्रत्येक परीक्षक को प्रतिदिन हाईस्कूल में 50 व कुल अवधि में 700 (कला विषय में 80 व कुल अवधि में 800) एवं इंटरमीडिएट में 45 व  कुल अवधि में 600 से अधिक उत्तर पुस्तिकाएं नहीं दी जाएंगी। मूल्यांकन सीसीटीवी कैमरे की निगरानी में होगा और मांगे जाने पर सीसीटीवी रिकॉर्डिंग उपलब्ध करानी होगी। 

मुख्य नियंत्रक एवं उप नियंत्रक की जिम्मेदारी होगी कि वह मूल्यांकन कार्य से संबंधित व्यक्ति के अलावा कोई अन्य व्यक्ति मूल्यांकन केंद्र में प्रवेश नहीं करेगा। अन्यथा की स्थिति में संबंधित के विरुद्ध सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों का निवारण) अधिनियम, 2024 के तहत कार्रवाई की जाएगी। उप प्रधान परीक्षकों एवं परीक्षकों को भी मोबाइल फोन एवं अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरण मूल्यांकन कक्ष में ले जाने पर रोक है।


प्रशिक्षण में 40 फीसदी परीक्षक रहे गैरहाजिर

प्रयागराज। यूपी बोर्ड परीक्षा की कॉपियों के मूल्यांकन के लिए नियुक्त किए गए परीक्षकों को निर्देश दिए गए थे कि 17 मार्च को मूल्यांकन केंद्र में अपनी उपस्थिति दर्ज कराएंगे और 18 मार्च को उन्हें प्रशिक्षण दिया जाएगा।

समीक्षा में पाया गया कि औसतन उपस्थिति 60 फीसदी ही रहे, बाकी 40 फीसदी परीक्षक अनुपस्थित रहे। यूपी बोर्ड के सचिव भगवती सिंह ने इस स्थिति को असंतोषजनक बताते हुए सभी जिला विद्यालय निरीक्षकों को निर्देश जारी किए हैं कि 19 मार्च को अपने जनपद के मूल्यांकन केंद्रों में अनुपस्थित परीक्षकों की शतप्रतिशत उपस्थिति सुनिश्चित कराएं एवं उनका प्रशिक्षण कराकर मूल्यांकन कार्य प्रारंभ कराएं।

सचिव ने चेतावनी दी है कि यदि कोई परीक्षक/मूल्यांकनकर्मी सौंपे गए कार्य की जानबूझकर उपेक्षा करे या उसको कार्य करने में किसी के द्वारा अवरोध उत्पन्न किया जा रहा हो तो उसके विरुद्ध त्वरित एवं कठोर कार्रवाई की जाए।



कंप्यूटर फर्मों में होगा ओएमआर शीट का मूल्यांकन

परीक्षाफल समय से तैयार किया जा सके, इसके लिए 20 अंकों की वस्तुनिष्ठ परीक्षा के लिए प्रयोग की गई ओएमआर शीट संबंधित कंप्यूटर फर्मों तक पहुंचाने का कार्य तीन चरणों में चार मार्च से ही शुरू करा दिया गया था, जो 18 मार्च को पूरा हो गया। एक तरफ केंद्रों में कॉपियों का मूल्यांकन होगा तो इसके साथ ही ओएमआर शीट का मूल्यांकन भी जारी रहेगा।

Tuesday, March 18, 2025

प्रदेश के 1,41000 स्कूलों में सुरक्षा उपायों का मुआयना कराने की उ0प्र0 सरकार ने बनाई योजना

प्रदेश के 1,41000 स्कूलों में सुरक्षा उपायों का मुआयना कराने की उ0प्र0 सरकार ने बनाई योजना


लखनऊ। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ में प्रदेश के 1,41000 स्कूलों की सुरक्षा का मुआयना कराने के मामले में राज्य सरकार की ओर से कोर्ट को बताया गया कि सरकार ने अविनाश मेहरोत्रा के केस में दिए दिशा निर्देशों के तहत इसकी योजना बना ली है और जल्द इसका विज्ञापन जारी किया जाएगा। राज्य सरकार के अपर महाधिवक्ता ने कहा कि इस कार्रवाई की स्टेटस रिपोर्ट भी पेश की जाएगी। 


कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 28 मार्च को नियत की है। इससे पहले हुई सुनवाई पर हाईकोर्ट ने सुप्रीमकोर्ट के दिशा निर्देशों को 14 साल से लागू न किए जाने पर सख्त रुख अपनाया था। इस मामले में हाईकोर्ट ने, सुप्रीम कोर्ट के अविनाश मेहरोत्रा के मामले में दिए गए सुरक्षा संबंधी दिशा निर्देशों को लागू करने का आदेश दिया था। न्यायमूर्ति आलोक माथुर और न्यायमूर्ति बृजराज सिंह की खंडपीठ ने यह आदेश गोमती रिवर बैंक रेजिडेंट्स की और से वर्ष 2020 में दाखिल जनहित याचिका पर दिया। 

Monday, March 17, 2025

आजमगढ़ में तत्कालीन BSA समेत क्लर्क, शिक्षक सहित 9 पर मुकदमा दर्ज, पांच शिक्षिकाओं की फर्जी नियुक्ति का आरोप

फर्जी शिक्षक नियुक्ति घोटाले पर एफआईआर दर्ज होते ही बेसिक शिक्षा विभाग में मचा हड़कंप, शिक्षा निदेशालय ने अन्य जिलों में भी जांच की शुरू


इस घोटाले के खुलासे के बाद शिक्षा विभाग में हड़कंप मच गया है. मामला सामने आते ही शिक्षा निदेशालय ने अन्य जिलों में भी इसी तरह की फर्जी नियुक्तियों की जांच शुरू कर दी है. इस घोटाले के बाद यह आशंका जताई जा रही है कि अन्य जिलों में भी इसी तरह की फर्जी नियुक्तियां हुई होंगी और यदि गहन जांच की जाए, तो इस तरह के कई और मामले सामने आ सकते हैं. 


 इस मामले की गंभीरता को देखते हुए शिक्षा विभाग ने सभी जिलों के बीएसए को अपने-अपने यहां नियुक्तियों से जुड़े रिकॉर्ड की जांच के निर्देश दिए हैं. इसके अलावा, विभागीय स्तर पर एक टीम गठित की गई है, जो इस तरह की नियुक्तियों से जुड़े कागजातों की गहराई से पड़ताल कर रही है. 


अधिकारियों की भूमिका पर सवाल, कार्रवाई की तैयारी 
जांच में यह साफ हो चुका है कि यह घोटाला अकेले विद्यालय स्तर पर नहीं हुआ, बल्कि इसमें शिक्षा विभाग के कई अधिकारियों की मिलीभगत रही. यह घोटाला इतना बड़ा था कि बिना बीएसए कार्यालय और उच्च अधिकारियों की अनुमति के इसे अंजाम नहीं दिया जा सकता था. अब सवाल यह है कि क्या प्रशासन सिर्फ निचले स्तर के अधिकारियों और विद्यालय प्रबंधक पर ही कार्रवाई करेगा, या फिर इसमें शामिल बड़े अधिकारियों पर भी शिकंजा कसेगा? 


पुलिस द्वारा अब इन आरोपियों की भूमिका की गहराई से जांच की जा रही है. संभावना जताई जा रही है कि आगे और भी बड़े नाम इस घोटाले में सामने आ सकते हैं. इसके अलावा, सभी दस्तावेजों की फॉरेंसिक जांच कराने की भी तैयारी की जा रही है, जिससे यह स्पष्ट हो सके कि कब और कैसे दस्तावेजों में हेरफेर किया गया.




आजमगढ़ में तत्कालीन BSA समेत क्लर्क, शिक्षक सहित 9 पर मुकदमा दर्ज, पांच शिक्षिकाओं की फर्जी नियुक्ति का आरोप 


आजमगढ़ जिले के बेसिक शिक्षा अधिकारी राजीव पाठक ने जिले के पूर्व बेसिक शिक्षा अधिकारी मनोज कुमार मिश्रा पटल सहायक तत्समय, पटल सहायक डिस्पैच, जय किशन गुप्ता प्रबंधक, सहित 5 शिक्षिकाओं पर एफआईआर दर्ज हुई है। 

इस मामले में संयुक्त शिक्षा निदेशक आजमगढ़ मंडल ने मामले की जांच कराई। जांच में यह बातें सामने आई की पांचो शिक्षिकाओं की नियुक्ति में उत्तर प्रदेश मान्यता प्राप्त बेसिक स्कूल नियमावली 1975 के प्रावधानों का पालन न करके प्रबंधक और जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी आपसी साठ गांठ करके फर्जी डॉक्यूमेंट के आधार पर यह नियुक्ति की गई।


कोविड संक्रमण के समय दिखाया गया साक्षात्कार

इस मामले में जांच में अभी बातें सामने आई की पूर्व जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी अमरेश कुमार के फर्जी हस्ताक्षर से अनुमोदन प्रदान किया गया। इसके साथ ही लॉकडाउन के समय साक्षात्कार दर्शाया गया। इसके साथ ही अनियमित रूप से नियुक्त तीन शिक्षकों को वेतन भुगतान रोकने का आदेश किसी भी स्तर से न किए जाने के कारण इन्हें राजकोष से भुगतान किया जाता रहा। इसके साथ ही बार-बार विद्यालय प्रबंधन को बुलाए जाने पर भी उपस्थित नहीं होने के मामले में यह शिकायत दर्ज कराई गई।

इस मामले में मनोज कुमार मिश्रा जोगी तत्कालीन जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी थे जांच रिपोर्ट में आरोपित पाए गए जिसके आधार पर नौ आरोपियों के विरुद्ध यह मुकदमा दर्ज कराया गया है। जिले के पूर्व जिला विद्यालय निरीक्षक और एडी बेसिक रहे मनोज कुमार मिश्रा पर जिले में तैनाती के दौरान भ्रष्टाचार के भी आरोप लगे थे। 


100000 की रिश्वत लेते गिरफ्तार हुआ था एडी बेसिक कार्यालय में तैनात बाबू

आजमगढ़ जिले में तैनात रहे एडी बेसिक मनोज कुमार मिश्रा के कार्यालय में तैनात अस्सिटेंट क्लर्क मनोज श्रीवास्तव 19 फरवरी 2024 को ₹100000 की रिश्वत लेते जिले की एंट्री करप्शन टीम ने गिरफ्तार किया था।

एंटी करप्शन की पूछताछ टीम में आरोपी क्लर्क मनोज श्रीवास्तव ने बताया था कि इस पैसे को एडी बेसिक मनोज कुमार मिश्रा तक पहुंचाना था। इस मामले में भी एडी बेसिक मनोज कुमार मिश्रा पर मुकदमा दर्ज हुआ था।


लंबा होता जा रहा आठ साल बाद घर वापसी का इंतज़ार, जानिए! शासनादेश जारी होने के बाद अब कहां फंस रहा शिक्षामित्रों की घरवापसी में पेच?

लंबा होता जा रहा आठ साल बाद घर वापसी का इंतज़ार,  जानिए! शासनादेश जारी होने के बाद अब कहां फंस रहा शिक्षामित्रों की घरवापसी में पेच?
 



आठ साल के इंतजार के बाद आदेश हुआ था कि शिक्षा मित्र अपने घर के नजदीकी स्कूलों में आ सकेंगे। यह शासनादेश तीन जनवरी को हुआ था। उसके बाद से शिक्षामित्र फिर इंतजार कर रहे हैं। बेसिक शिक्षा विभाग ने अब तक तबादला प्रक्रिया शुरू नहीं की है और न इस बाबत कोई नया आदेश आया है।


ऐसे दूर हुए थे शिक्षामित्र
सपा सरकार में प्रदेश के करीब 1.37 लाख शिक्षा मित्रों को शिक्षक बनाया गया था। शिक्षक बनने पर उनको दूर-दराज के ब्लॉक में पोस्टिंग दी गई थी। शिक्षक बनने पर उन्होंने खुशी-खुशी दूर-दराज के स्कूलों में जाना स्वीकार कर लिया। उसके बाद सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर उनका बतौर शिक्षक किया गया समायोजन रद्द कर दिया गया। वे फिर से शिक्षा मित्र बन गए। ऐसे में उनका मानदेय फिर से 10 हजार ही रह गया लेकिन उनकी तैनाती वहीं रह गई जहां वे शिक्षक बन कर गए थे और वे अपने घर से दूर हो गए।


सरकार ने 2018 में शिक्षा मित्रों को अपने मूल विद्यालय में आने का मौका दिया था। ऐसे में करीब एक लाख शिक्षा मित्र तो उस समय वापस आ गए। बाकी करीब 35 हजार शिक्षा मित्र शिक्षक बनने उम्मीद में अपने मूल विद्यालय में नहीं आए। उन्हें उम्मीद थी कि कोर्ट से लेकर सड़क तक लड़ाई लड़ी जा रही है। ऐसे में वे शिक्षक बन सकते हैं। नए शासनादेश ने उनको मौका दिया है कि वे अपने घर के नजदीकी स्कूल में आ सकते है लेकिन अब तक प्रक्रिया शुरू न होने से निराश है।


दरअसल, कुछ ऐसी महिला शिक्षा मित्र भी है, जिनकी शादी हो गई है। कुछ की शादी दूसरे जिले में और कुछ की जिले में ही काफी दूर हो गई है। शासनादेश के अनुसार, उनको अपनी ससुराल के नजदीकी स्कूल में जाने का मौका भी मिलेगा। 


सूत्रों के अनुसार, शासन स्तर पर इसी को लेकर फिर नया पेंच फंस गया है। अधिकारी यह तर्क भी दे रहे हैं कि शिक्षामित्र संविदा पर हैं। नियमित महिला शिक्षकों को तो तबादलों में ससुराल का विकल्प चुनने का मौका दिया जा सकता है, संविदा कर्मी को नहीं। इसे ध्यान में रखते हुए शासनादेश में संशोधन को लेकर भी अधिकारियों में मंथन चल रहा है। इसी वजह से तबादला प्रक्रिया शुरू नहीं हो सकी है।

बेसिक शिक्षा अन्तर्गत सत्र 2024-25 में विभिन्न मदों में जारी धनराशियां और उनके कंपोनेंट कोड देखें

Lबेसिक शिक्षा अन्तर्गत सत्र 2024-25 में विभिन्न मदों में जारी धनराशियां और उनके कंपोनेंट कोड देखें


यूपी में 9,448 आंगनबाड़ी केंद्रों का जल्द पूरा होगा निर्माण

यूपी में 9,448 आंगनबाड़ी केंद्रों का जल्द पूरा होगा निर्माण


लखनऊ : प्रदेश में 9,448 आंगनबाड़ी केंद्र बनाए जा रहे हैं जिनका निर्माण कार्य शीघ्र पूरा किया जाएगा। बच्चों को बेहतर पोषाहार उपलब्ध कराने के साथ गुणवत्तापरक शिक्षा देने के लिए हर ग्राम पंचायत में एक आदर्श आंगनबाड़ी केंद्र के निर्माण का लक्ष्य रखा गया है। बीते आठ वर्षों में राज्य सरकार 19 हजार से अधिक आंगनबाड़ी केंद्रों का निर्माण कर चुकी है।


वर्ष 2024-25 में 3,020 ग्राम पंचायतों में इनका निर्माण कराया गया है। आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों के खेलने की सुविधाएं, शौचालय व शुद्ध पेयजल की व्यवस्था की जा रही है। आंगनबाड़ी केंद्र को एक समग्र विकास केंद्र के रूप में विकसित किया जा रहा है।


Sunday, March 16, 2025

यूपी स्पेशल में परिषदीय स्कूलों के विद्यार्थी पढ़ेंगे अपने जिले की गाथा, NCERT की एक किताब में नए सत्र से होगी जनपद की खासियत


यूपी स्पेशल में परिषदीय स्कूलों के विद्यार्थी पढ़ेंगे अपने जिले की गाथा, NCERT की एक किताब में नए सत्र से होगी जनपद की खासियत


ग्रेटर नोएडा। परिषदीय स्कूलों में पढ़ने वाले छात्र नए सत्र से प्रदेश के हर जिले की खासियत पढ़ेंगे। राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) की पुस्तकों में नए सत्र से परिवर्तन किया गया है। तीसरी और छठवीं कक्षा की किताबों में यह परिवर्तन उत्तर प्रदेश से संबंधित है। इसमें यूपी स्पेशल जोड़ा जा रहा है।

जैसे ग्रेटर नोएडा की खासियत रावण की जन्मभूमि से लेकर द्रोणाचार्य और नोएडा एयरपोर्ट के बारे में छात्र जान सकेंगे। साथ ही यूपी के स्वतंत्रता आंदोलन में योगदान से लेकर प्राचीन इतिहास, धर्म संस्कृति से जुड़े स्थल, वैज्ञानिक योगदान, भूगोल, जनसंख्या समेत पढ़ाया जाएगा।

जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट) के नोडल अधिकारी राजेश खन्ना ने बताया, यूपी स्पेशल किताब में प्रदेश के हर जनपद की पौराणिक से लेकर आधुनिकता के बारे में जानकारी होगी। इसके माध्यम से उत्तर प्रदेश के बारे में प्रचुर जानकारी देकर छात्रों को प्रदेश की जानकारी से समृद्ध करना है। अंग्रेजी विषय की पुस्तक में परिवर्तन को लेकर आंग्ल भाषा शिक्षण संस्थान में कार्यशाला भी आयोजित की गई थी। 2019 के सत्र में उत्तर प्रदेश के सरकारी स्कूलों में एनसीईआरटी की पुस्तकों का चलन शुरू कर दिया गया था। कक्षा एक व दो के छात्र भी परिषदीय स्कूलों में एनसीईआरटी की किताबें पढ़ रहे हैं।

जिले की स्थापना से लेकर यमुना के किनारे बसे दनकौर कस्बे की धार्मिक व ऐतिहासिक धरोहर के बारे में जानकारी राज्य शैक्षिक अनुसंधान परिषद (एससीईआरटी) को भेजी गई है। महाभारत के प्रमुख चरित्र पांडवों और कौरवों के गुरु द्रोणाचार्य की कर्मस्थली दनकौर प्राचीन ऐतिहासिक नगरी है। पुरातत्व विभाग ने वर्ष 2023 में प्राचीन मंदिर व तालाब को राष्ट्रीय स्मारक घोषित किया था। नौ दशकों से प्रतिवर्ष श्री कृष्ण जन्मोत्सव पर दनकौर में प्रसिद्ध द्रोण मेला आयोजित किया जाता है।

दनकौर के पास ही मुंहफाड़ गांव में अश्वत्थामा का मंदिर भी है। स्थानीय लोगों का मानना है कि रात में आज भी अश्वत्थामा विचरण करते हैं। जेवर ब्लॉक में बलदाऊ जी का भी मंदिर है, दूर-दूर से यहां श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं। गौतमबुद्ध नगर के बिसरख गांव में रावण का मंदिर है, जो कि रावण की जन्मस्थली (ननिहाल) मानी जाती है। 1857 की क्रांति में दादरी के राजा राव उमरावसिंह ने अंग्रेजों के दांत खट्टे किए थे। जेवर ब्लॉक में एशिया का सबसे बड़ा नोएडा एयरपोर्ट भी बन रहा है। इसके साथ ही खेल जगत की जानकारी भी छात्र पढ़ेंगे।

यह होने जा रहे परिवर्तन

इस वर्ष तीसरी और छठवीं कक्षा की पुस्तकों में बदलाव किया जा रहा है। हिंदी, अंग्रेजी और सामाजिक विज्ञान की पुस्तकों में बदलाव करके अगले सत्र से इनको लागू कर दिया जाएगा। कक्षा तीन और छठवीं कक्षा में बच्चों की समझ के अनुसार पुस्तकों में बदलाव के लिए उत्तर प्रदेश के महापुरुष, क्रांतिकारी, प्रमुख मेले, तीर्थस्थान, पक्षी विहार, उत्तर प्रदेश के राज्यपाल, मुख्यमंत्रियों का क्रम, इतिहास और जनसंख्या आदि से संबंधित तथ्य जोड़े जा रहे हैं।



नए सत्र से परिषदीय बच्चों को  "उत्तरप्रदेश विशेष"  भी पढ़ना होगा, अंग्रेजी, हिंदी और सामाजिक विज्ञान की पुस्तकों में होगा बदलाव

12 मार्च 2025
लखनऊ । राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) की पुस्तकों में इस सत्र से परिवर्तन किया गया है। तीसरी और छठवीं कक्षा की किताबों यह परिवर्तन उत्तरप्रदेश से संबंधित है जिसमें यूपी स्पेशल जोड़ा जा रहा है। जिसमें उत्तर प्रदेश का स्वतंत्रता आंदोलन में योगदान से लेकर प्राचीन इतिहास, धर्म संस्कृति से जुड़े स्थल, वैज्ञानिक योगदान, भूगोल, जनसंख्या आदि पढ़ाया जाएगा। इसके लिए विशेषज्ञों की टीम बनाई गई थी जो जोड़ जाने वाले तथ्यों को निर्धारित किए हैं। इन पुस्तकों में उत्तर प्रदेश के बारे में प्रचुर जानकारी देकर छात्रों को प्रदेश की जानकारी से समृद्ध करना है।


अंग्रेजी विषय की पुस्तक में परिवर्तन को लेकर आंग्ल भाषा शिक्षण संस्थान में कार्यशाला भी आयोजित की गई थी। वर्ष 2019 के सत्र में उत्तर प्रदेश के सरकारी स्कूलों में एनसीईआरटी की पुस्तकों का चलन शुरू कर दिया गया था। आरंभ में पहली और दूसरी कक्षा में पुस्तकों को लागू कर दिया गया था। इन कक्षाओं की पुस्तकों में संशोधन करके उत्तर प्रदेश से संबंधित तथ्यों को जोड़ा गया था। इस वर्ष तीसरी और छठवीं कक्षा की पुस्तकों में बदलाव किया जा रहा है। हिंदी, अंग्रेजी और सामाजिक विज्ञान की पुस्तकों में बदलाव करके अगले सत्र से इनको लागू कर दिया जाएगा।


यह होंगे परिवर्तन

कक्षा तीन और छठवीं कक्षा में बच्चों की समझ के अनुसार पुस्तकों में बदलाव के लिए उत्तर प्रदेश के महापुरुष, क्रांतिकारी, प्रमुख मेले, तीर्थस्थान, पक्षी विहार, उत्तर प्रदेश के राज्यपाल, मुख्यमंत्रियों का क्रम, इतिहास और जनसंख्या आदि से संबंधित तथ्य जोड़े गए हैं।

यूपी में बढ़े डिग्री कॉलेज पर घटी छात्रों की संख्या

यूपी में बढ़े डिग्री कॉलेज पर घटी छात्रों की संख्या 


उच्च शिक्षा में सकल नामांकन अनुपात (जीईआर) बढ़ाने के लक्ष्य के विपरीत शैक्षणिक सत्र 2024-25 में परंपरागत पाठ्यक्रमों में विद्यार्थियों की संख्या कम हो गई। आश्चर्य की बात है कि प्रदेश में निजी विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों की संख्या बढ़ने के बावजूद तकरीबन डेढ़ लाख विद्यार्थियों की कमी दर्ज की गई है।

उच्च शिक्षा विभाग की ओर से विधानसभा में प्रस्तुत आय-व्ययक रिपोर्ट के अनुसार 2024-25 में परंपरागत पाठ्यक्रमों में 53,28,969 छात्र-छात्राएं अध्ययनरत थे जबकि 2023-24 सत्र में पढ़ने वाले विद्यार्थियों की संख्या 54,76,441 थी। स्पष्ट है कि छात्रसंख्या में पिछले सत्र की तुलना में 1,47,472 की कमी आई है।

2023-24 में निजी महाविद्यालयों की संख्या 7924 थी जो 2024-25 में बढ़कर 7984 हो गई। 2023-24 में निजी विश्वविद्यालयों की संख्या 38 थी जो 2024-25 में बढ़कर 47 हो गई थी। यानि इस दौरान 60 निजी महाविद्यालय और नौ निजी विश्वविद्यालय भी खोले गए लेकिन विद्यार्थियों की संख्या में वृद्धि नहीं हो सकी।

2024 में खुले निजी विश्वविद्यालय यूपी में वर्ष 2024 में सरोज इंटरनेशनल विश्वविद्यालय लखनऊ, शारदा विश्वविद्यालय आगरा, जेएसएस विश्वविद्यालय नोएडा, एचआरआईटी विश्वविद्यालय गाजियाबाद, जीएस विश्वविद्यालय हापुड़, फ्यूचर विश्वविद्यालय बरेली, विद्या विश्वविद्यालय मेरठ, चंडीगढ़ विश्वविद्यालय उन्नाव, विवेक विश्वविद्यालय बिजनौर खुले हैं।


इनका कहना है

उच्च शिक्षा में छात्र-छात्राओं की कमी को लेकर शासन भी गंभीर है। पूरा प्रयास किया जा रहा है कि आने वाले सत्र में पंजीकरण में वृद्धि हो।- डॉ. अमित भारद्वाज, उच्च शिक्षा निदेशक