Wednesday, May 21, 2025
शिक्षामित्रों ने भी समर कैंप को लेकर खोला मोर्चा, ग्रीष्मावकाश के बजाय जुलाई में आयोजन की मांग
शिक्षामित्रों ने भी समर कैंप को लेकर खोला मोर्चा, ग्रीष्मावकाश के बजाय जुलाई में आयोजन की मांग
20 मई 2025
लखनऊ । परिषदीय स्कूलों में शुरू समर कैम्प को लेकर अब शिक्षामित्रों ने भी मोर्चा खोल दिया है। उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षामित्र संघ ने स्कूल शिक्षा महानिदेशक को पत्र भेजकर समर कैम्प का आयोजन ग्रीष्मावकाश के दौरान न करके जुलाई में कराने की मांग की है। संगठन के प्रदेश अध्यक्ष शिवकुमार शुक्ला ने स्कूल शिक्षा महानिदेशक को लिखे पत्र में कहा है कि शिक्षामित्रों को वर्ष में एक साथ अधिक दिन के लिए ग्रीष्म कालीन अवकाश ही मिलता है, इसमें महिला बहनों को अपने ससुराल / मायके में बच्चों के पास जाना होता है जो कि एक जटिल समस्या है।
साथ ही पुरुष साथियों को भी इसी अवकाश में अपना पारिवारिक कार्य करना रहता है। चूंकि समर कैम्प का संचालन इसी अवकाश अवधि में होना है। इसमें संशोधन किया जाना नितान्त आवश्यक है। भीषण गर्मी को देखते हुए बच्चों अथवा शिक्षामित्रों, अनुदेशकों, शिक्षकों के हित को ध्यान में रखते हुए समर कैम्प का संचालन जुलाई में कराया जाना सुनिश्चित किया जाए, जिससे पूरे मनोयोग से समर कैम्प का संचालन हो सके। यह भी कहा है कि कि जिन चयनित विद्यालयों में समर कैम्प का संचालन होना है, विद्यालय की व्यवस्था अथवा रखरखाव के लिए प्रधानाध्यापक, प्रभारी प्रधानाध्यापक की उपस्थिति संचालन अवधि में होना सुनिश्चित किया जाए। संचालन प्रक्रिया में जो शिक्षा मित्र भाई-बहन स्वेच्छा से संचालन करना चाहते हैं, उन्हीं को लगाया जाए। साथ ही शिक्षामित्रों की समस्याओं पर भी विचार करके उनकी ड्यूटी लगायी जाए।
अब समर कैंप के विरोध में उतरे शिक्षामित्र और अनुदेशक, आयोजन को बताया अव्यावहारिक, स्थगित करने की मांग, मुख्य संगठनों ने मुद्दे पर साधी चुप्पी
बच्चों के साथ ही शिक्षामित्र अनुदेशकों के स्वास्थ्य की चिंता की मांग
17 मई 2025
लखनऊ। प्रदेश के अशासकीय सहायता प्राप्त (एडेड) व सेल्फ फाइनेंस माध्यमिक विद्यालयों में समर कैंप को लेकर मिली राहत के बाद अब बेसिक विद्यालयों में समर कैंप के आयोजन का विरोध बढ़ गया है। गर्मी की छुट्टियों में समर कैंप आयोजन करने का शिक्षामित्रों व अनुदेशकों ने विरोध किया है।
विभिन्न शिक्षक व शिक्षामित्र संगठनों ने भीषण गर्मी व सुविधाओं के अभाव में समर कैंप का आयोजन को अव्यावहारिक बताया है। उन्होंने कहा कि यह छोटे बच्चों के स्वास्थ्य के साथ-साथ शिक्षामित्रों व अनुदेशकों के साथ भी खिलवाड़ है। 21 मई से प्रस्तावित समर कैंप में शिक्षामित्रों-अनुदेशकों की ही ड्यूटी लगाना, उनके साथ सौतेला व्यवहार है।
जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ के मनोज मौर्य ने कहा कि पहले से ही गर्मी की वजह से बहुत कम बच्चे स्कूल आ रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्र में बिजली बहुत कम आती है। वहीं विद्यालयों में संसाधन भी नहीं हैं। हर जूनियर विद्यालय में अनुदेशक भी नहीं हैं। शिक्षक शिक्षामित्र उत्थान समिति के प्रदेश सचिव उबैद अहमद सिद्दीकी ने शिक्षामित्रों को ही समर कैंप के आयोजन में लगाने का विरोध किया है।
आदर्श शिक्षामित्र वेलफेयर एसोसिएशन के राम सागर ने कहा कि विभाग यह बताए कि क्या शिक्षामित्र-अनुदेशकों को लू नहीं लगती है। उनके स्वास्थ्य के लिए कौन जिम्मेदार होगा। बता दें कि परिषदीय विद्यालयों में 21 मई से 15 जून के बीच विद्यालयों में समर कैंप का आयोजन किया जाएगा। विभाग ने इसके लिए शिक्षामित्र अनुदेशकों को ही तैनात करने का निर्देश दिया है। उन्हें इस अवधि के लिए 6000 रुपये मानदेय व 2000 रुपये स्टेशनरी खर्च के लिए विद्यालय को दिए जाएंगे।
मुख्य संगठनों ने शिक्षामित्रों के मुद्दे पर साधी चुप्पी
शिक्षामित्रों के हक-हुकूक आदि की मांग उठाने व उनका नेतृत्व करने वाले प्रदेश में दो मुख्य संगठन हैं। इसमें उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षामित्र संघ व उत्तर प्रदेश बीटीसी शिक्षक संघ है। किंतु इन दोनों संगठनों ने सिर्फ शिक्षामित्रों-अनुदेशकों के भरोसे ही समर कैंप के आयोजन को लेकर कोई बयान तक नहीं जारी किया। उनकी लड़ाई लड़ना तो दूर की बात है।
Tuesday, May 20, 2025
10336 बाल श्रमिकों की हुई पहचान, 12426 बच्चों को मिला शिक्षा का मौका
10336 बाल श्रमिकों की हुई पहचान, 12426 बच्चों को मिला शिक्षा का मौका
लखनऊ। यूपी सरकार साल 2027 तक प्रदेश को बालश्रम से मुक्त करने की तैयारी में है। इसके लिए जागरूकता से लेकर शिक्षा और पुनर्वासन तक, हर स्तर पर ठोस प्रयास किए जा रहे हैं। बाल श्रम निषेध दिवस के अवसर पर 12 जून को प्रदेश में विशेष जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाने का भी प्रस्ताव है। इसके साथ ही विभिन्न विभागों के समन्वय से जागरूकता अभियान को धार दी जाएगी।
प्रदेश से बालश्रम को खत्म करने के लिए सरकार की ओर से 10336 बाल श्रमिकों की पहचान की जा चुकी है। वर्ष 2017-18 से 2024-25 तक 12426 बाल श्रमिकों का शैक्षिक पुनर्वासन कराया गया है। इसके अलावा 1089 परिवारों को आर्थिक मदद भी दी गई है।
योगी सरकार द्वारा संचालित 'बाल श्रमिक विद्या योजना' के अंतर्गत 2000 कामकाजी बच्चों को स्कूल में दाखिला दिलाकर आर्थिक सहायता भी दिलाई गई। श्रम कल्याण परिषद के माध्यम से संगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिए आठ कल्याणकारी योजनाएं संचालित की जा रही हैं। इसके लिए सरकार ने 40 करोड़ रुपये की कॉर्पस निधि उपलब्ध कराई है। वर्ष 2024-25 में अब तक 309 श्रमिकों को 1.32 करोड़ रुपये की सहायता देकर राहत पहुंचाई जा चुकी है।
11,350 ग्राम पंचायतों में बनेगी डिजिटल लाइब्रेरी, प्रत्येक लाइब्रेरी की स्थापना पर चार-चार लाख रुपये होंगे खर्च
11,350 ग्राम पंचायतों में बनेगी डिजिटल लाइब्रेरी, प्रत्येक लाइब्रेरी की स्थापना पर चार-चार लाख रुपये होंगे खर्च
नेशनल बुक्स ट्रस्ट के माध्यम से लेंगे ई बुक्स
लखनऊ । प्रदेश में 11350 ग्राम पंचायतों में डिजिटल लाइब्रेरी की सुविधा दी जाएगी। प्रत्येक लाइब्रेरी की स्थापना पर चार-चार लाख रुपये खर्च होंगे। पहले चरण में कुल 454 करोड़ रुपये खर्च कर इन डिजिटल लाइब्रेरी की स्थापना की जा रही है। ग्रामीण क्षेत्रों में छात्रों को पंचायत भवन में अपने बाल साहित्य, साहित्यिक व प्रेरणादायक पुस्तकों के साथ-साथ अपने कोर्स व प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए ई-बुक्स पढ़ने की सुविधा मिलेगी। पंचायतीराज विभाग नेशनल बुक्स ट्रस्ट की मदद से ई बुक्स खरीदेगा।
ऐसे पंचायत भवन जहां पर दो-दो कमरे और एक हॉल है, वहां पहले चरण में डिजिटल लाइब्रेरी की स्थापना की जा रही है। फिलहाल अलग-अलग कमेटियों का गठन कर लाइब्रेरी स्थापना का कार्य शुरू कर दिया गया है। डिजिटल लाइब्रेरी के लिए कंप्यूटर, फर्नीचर व ई बुक्स इत्यादि की खरीद के लिए कमेटियां बनाई गई हैं। जिनकी देखरेख में यह कार्य किया जाएगा।
निदेशक पंचायतीराज की अध्यक्षता में 10 सदस्यीय पुस्तक चयन समिति का गठन किया गया है। जिसमें महानिदेशक, स्कूल शिक्षा व बेसिक शिक्षा निदेशक की ओर से नामित एक-एक शिक्षाधिकारी, बाल साहित्य लेखक, प्रतिष्ठित सामान्य लेखक, शिक्षाविद् और नेशल बुक्स ट्रस्ट का एक नामित सदस्य इत्यादि शामिल किए गए हैं। ऐसे ही कंप्यूटर व फर्नीचर की खरीद के लिए भी कमेटी बनी है, जिसकी देखरेख में ही खरीददारी होगी।
Monday, May 19, 2025
मानदेय पर ब्लॉक स्तर पर करियर काउंसलर नियुक्त करने की तैयारी
मानदेय पर ब्लॉक स्तर पर करियर काउंसलर नियुक्त करने की तैयारी
● ऑन साइट करियर परामर्श सत्र का आयोजन होगा
लखनऊ, छात्रों के भविष्य निर्माण के लिए अब ब्लॉक स्तर पर करियर काउंसलर्स नियुक्त किए जाएंगे। मानदेय पर नियुक्त होने वाले ये करियर काउंसलर्स, ब्लॉक के अंतर्गत आने वाले माध्यमिक विद्यालयों में नियमित रूप से ऑन साइट कैरियर परामर्श सत्र का आयोजन करेंगे। सत्र के दौरान छात्रों को रुचि आधारित मार्गदर्शन देने के साथ-साथ, लक्ष्य निर्धारण तथा व्यावसायिक अवसरों की समझ भी विकसित के जाएगी।
यही नहीं करियर काउंसलर शिक्षकों, अभिभावकों और विद्यालय प्रशासन के साथ समन्वय स्थापित कर छात्रों के संपूर्ण कैरियर विकास को नई दिशा प्रदान करने में सहयोगी बनेंगे।
प्रदेश में यूनिसेफ के सहयोग से विद्यार्थियों के भविष्य निर्धारण के लिए सशक्त करियर काउंसलिंग कार्यक्रम का संचालन शुरू किया गया है, जिसका उद्देश्य माध्यमिक विद्यालयों के छात्रों में करियर जागरूकता, आत्मविश्वास, क्षमता पहचान तथा दीर्घकालिक योजना विकसित करना है।
इस पहल को और सशक्त बनाने के उद्देश्य से अब ब्लॉक स्तर पर भी कैरियर काउंसलर्स की नियुक्ति शुरू की जा रही है ताकि ब्लाक स्तर पर भी ये काउंसलर्स छात्रों को उनके भविष्य का ताना-बाना बुनने के लिए प्रेरित कर सकें। राज्य सरकार की यह पहल छात्र-केंद्रित शिक्षा सुधार कार्यक्रम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
सरकार की इस कार्यक्रम को व्यापक रूप देने की योजना
सरकार की ओर से इस कार्यक्रम को और व्यापक रूप देने की योजना है ताकि प्रदेश के सभी माध्यमिक विद्यालयों में कैरियर क्लब, कैरियर हब, अभिभावक शिक्षक बैठकें और कैरियर मेलों का आयोजन किया जा सके। इसको लेकर शिक्षक संदर्शिका व विद्यार्थी गतिविधि पुस्तिका भी तैयार की गई हैं, जिसे मुद्रण उपरांत विद्यालयों में वितरित किया जाएगा।
समग्र शिक्षा के अपर राज्य परियोजना निदेशक विष्णु कान्त पाण्डेय कहते हैं कि इस दिशा में ‘पंख पोर्टल’ की स्थापना की गई है, जहां विद्यार्थी अपनी नामांकन संख्या से लॉगिन कर 500 से अधिक कैरियर विकल्पों, कॉलेज प्रवेश प्रक्रिया, एवं छात्रवृत्ति योजनाओं की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
यूपी बोर्ड : स्कूलों में शिक्षकों के साथ छात्रों की भी लगेगी ऑनलाइन हाजिरी, तैयार किया जा रहा सॉफ्टवेयर, सत्र 2025-26 से लागू की जाएगी व्यवस्था
माध्यमिक शिक्षा: शैक्षिक गुणवत्ता सुधारने व नियमित उपस्थिति सुनिश्चित करने हेतु शिक्षकों संग छात्रों की भी लगेगी ऑनलाइन हाजिरी, 2025-26 से लागू की जाएगी व्यवस्था
यूपी बोर्ड: अभी शिक्षकों और छात्रों की ऑनलाइन उपस्थिति, फिर समय सीमा भी होगी तय
प्रयागराज : यूपी बोर्ड हाईस्कूल एवं इंटरमीडिएट के करीब एक करोड़ छात्र-छात्राओं तथा विद्यालय के सभी स्टाफ की आनलाइन उपस्थिति दर्ज करने की व्यवस्था बना रहा है। इसके लिए टेंडर आमंत्रित कर एजेंसी फाइनल कर ली गई है।
उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद के पोर्टल पर विद्यालयों के सभी स्टाफ एवं छात्र-छात्राओं का विवरण अपलोड रहेगा। इसमें प्रतिदिन उपस्थित रहने वालों के नाम के आगे सही का टिक तथा अनुपस्थित वालों के नाम के आगे क्रास का निशान कक्षा शिक्षक लगाएंगे।
पहले चरण में सिर्फ उपस्थिति ली जाएगी। इसके बाद अगले चरण में आते और जाते समय यानी दो बार उपस्थिति लिए जाने की व्यवस्था बनाई जाएगी, ताकि शिक्षक व विद्यार्थी विद्यालय समय में रहकर पठन-पाठन कर/करा सकें।
हाईस्कूल व इंटरमीडिएट की परीक्षा सख्ती से कराने के बाद अब यूपी बोर्ड सचिव भगवती सिंह का जोर विद्यालय में विद्यार्थियों और शिक्षकों की उपस्थिति तथा पठन-पाठन पर है। आनलाइन उपस्थिति की व्यवस्था होने पर विद्यालयों में फर्जी प्रवेश पर भी प्रतिबंध लग जाएगा। बोर्ड सचिव ने बताया कि टेंडर फाइनल हो गया है।
यूपी बोर्ड के विद्यालयों में ऑनलाइन अटेंडेंस व्यवस्था के लिए टेंडर फाइनल, शिक्षक व विद्यार्थी देंगे उपस्थिति
प्रयागराजः यूपी बोर्ड हाईस्कूल एवं इंटरमीडिएट के करीब एक करोड़ छात्र-छात्राओं तथा विद्यालय के सभी स्टाफ की आनलाइन उपस्थिति दर्ज करने की व्यवस्था बना रहा है। इसके लिए टेंडर आमंत्रित कर एजेंसी फाइनल कर ली गई है।
उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद के पोर्टल पर विद्यालयों के सभी स्टाफ एवं छात्र-छात्राओं का विवरण अपलोड रहेगा। इसमें प्रतिदिन उपस्थित रहने वालों के नाम के आगे सही का टिक तथा अनुपस्थित वालों के नाम के आगे क्रास का निशान कक्षा शिक्षक लगाएंगे।
पहले चरण में सिर्फ उपस्थिति ली जाएगी। इसके बाद अगले चरण में आते और जाते समय यानी दो बार उपस्थिति लिए जाने की व्यवस्था बनाई जाएगी, ताकि शिक्षक व विद्यार्थी विद्यालय समय में रहकर पठन-पाठन कर करा सकें।
हाईस्कूल व इंटरमीडिएट की परीक्षा सख्ती से कराने के बाद अब यूपी बोर्ड सचिव भगवती सिंह का जोर विद्यालय में विद्यार्थियों और शिक्षकों की उपस्थिति तथा पठन पाठन पर है। आनलाइन उपस्थिति की व्यवस्था होने पर विद्यालयों में फर्जी प्रवेश पर भी प्रतिबंध लग जाएगा। बोर्ड सचिव ने बताया कि टेंडर फाइनल हो गया है।
कक्षा नौ और 11 में होने वाले पंजीकरण के विवरण परिषद के पोर्टल पर ही दर्ज कराए जाएंगे। कक्षा 10 व 12 के विद्यार्थियों के विवरण पुरानी फर्म लेकर स्थनांतरित करा दिए जाएंगे। इससे नए तरह से फीडिंग नहीं करानी पड़ेगी। ग्रीष्म अवकाश में आनलाइन व्यवस्था पूरी कर ली जाएगी। मई माह में ही आनलाइन पोर्टल विद्यालयों को उपलब्ध करा दिया जाएगा, ताकि शिक्षक नए होने वाले प्रवेश को पोर्टल पर अपलोड कर सकें।
शिक्षकों की आनलाइन उपस्थिति प्रधानाचार्य सुनिश्चित कराएंगे। आनलाइन उपस्थिति प्रक्रिया मई अंत तक प्रयोग के तौर पर प्रारंभ हो जाएगी। जुलाई में विद्यालय खुलने पर इसे पूरी तरह से लागू कर दिया जाएगा।
यूपी बोर्ड : स्कूलों में शिक्षकों के साथ छात्रों की भी लगेगी ऑनलाइन हाजिरी, तैयार किया जा रहा सॉफ्टवेयर, सत्र 2025-26 से लागू की जाएगी व्यवस्था
प्रदेश में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए माध्यमिक शिक्षा परिषद की ओर से महत्वपूर्ण पहल
प्रयागराज। उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में अब शिक्षकों के साथ छात्रों की हाजिरी भी ऑनलाइन होगी। यूपी बोर्ड सत्र से 2025-26 से इसे लागू करेगा। इसके लिए नया सॉफ्टवेयर भी तैयार कराया जा रहा है। प्रदेश में बोर्ड के तकरीबन 28 हजार माध्यमिक विद्यालय हैं और इनमें पांच लाख शिक्षक व एक करोड़ विद्यार्थी हैं। स्कूलों में आए दिन अनुपस्थित रहने वाले शिक्षकों पर निगरानी और विद्यार्थियों की उपस्थिति सुनिश्चित करने के उद्देश्य से बोर्ड शिक्षकों व छात्रों की ऑनलाइन हाजिरी की व्यवस्था लागू करने जा रहा है।
शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार की दिशा में यह एक अच्छी पहल मानी जा रही है। बोर्ड इसके लिए एक ऐसा सॉफ्टवेयर तैयार करा रहा है, जिससे शिक्षकों व छात्रों की उपस्थिति की सटीक सूचना मिल सकेगी। स्कूलों से ऑनलाइन हाजिरी की सूचना सुबह 11 बजे तक यूपी बोर्ड बोर्ड मुख्यालय को मिल जाएगी। इससे पता चल जाएगा कि किस विद्यालय में कितने शिक्षक व छात्र-छात्राएं उपस्थित या अनुपस्थित हैं। सूचना भेजने की जिम्मेदारी स्कूलों के प्रधानाचार्यों की होगी।
प्रधानाचार्य को लॉगइन आईडी व पासवर्ड दिया जाएगा। सूचना देते समय उनकी वेबकैम से फोटो भी खिंचेगी। ऐसा सॉफ्टवेयर डेवलप किया जा रहा है कि विद्यालय के 200 मीटर दायरे से बाहर जाने पर सूचना प्रेषित नहीं की जा सकेगी। फोटो की जिओ टैगिंग भी होगी, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि प्रधानाचार्य ने स्कूल से ही सूचना भेजी है।
ऑनलाइन हाजिरी की निगरानी जिला, मंडल और प्रदेश स्तर पर की जाएगी। जिला स्तर पर डीआईओएस व मंडल स्तर पर संयुक्त शिक्षा निदेशक माध्यमिक इसकी निगरानी करेंगी और प्रदेश स्तर पर यूपी बोर्ड मुख्यालय ऑनलाइन उपस्थिति पर नजर रखेगा
नए सत्र 2025-26 से बोर्ड के स्कूलों में शिक्षकों व छात्र-छात्राओं की ऑनलाइन हाजिरी की व्यवस्था को लागू किया जाएगा। इसके लिए सॉफ्टवेयर तैयार कराया जा रहा है। शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार और शिक्षकों एवं विद्यार्थियों की उपस्थिति सुनिश्चित करने के उद्देश्य से यह व्यवस्था लागू की जा रही है। -भगवती सिंह, सचिव, यूपी बोर्ड
यूपी बोर्ड की इंप्रूवमेंट व कंपार्टमेंट परीक्षा के लिए 19 मई से आवेदन, 10 जून की मध्यरात्रि तक स्वीकार किए जाएंगे आवेदन, बाद में घोषित की जाएगी परीक्षा तिथि, हाईस्कूल के अर्ह परीक्षार्थी इंप्रूवमेंट व कंपार्टमेंट और इंटर के परीक्षार्थी दे सकेंगे कंपार्टमेंट परीक्षा
एक विषय में फेल होने वाले छात्रों को मौका, इंप्रूवमेंट-कंपार्टमेंट परीक्षा के लिए आवेदन शुरू, 19 मई से 10 जून तक लिए जाएंगे ऑनलाइन आवेदन
बाद में घोषित की जाएगी परीक्षा तिथि, हाईस्कूल के अर्ह परीक्षार्थी इंप्रूवमेंट व कंपार्टमेंट और इंटर के परीक्षार्थी दे सकेंगे कंपार्टमेंट परीक्षा
प्रयागराज। यूपी बोर्ड की वर्ष 2025 की हाईस्कूल परीक्षा में इंप्रूवमेंट व परीक्षा के लिए अर्ह परीक्षार्थियों के लिए 19 मई से ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया शुरू होने जा रही है। आवेदन 10 जून की मध्यरात्रि 12 बजे तक स्वीकार किए जाएंगे। माध्यमिक शिक्षा परिषद की आधिकारिक वेबसाइट upmsp.edu.in पर आवेदन किए जाने हैं। यूपी बोर्ड के सचिव भगवती सिंह ने अनुसार परीक्षा तिथि बाद में घोषित की जाएगी।
सचिव ने बताया कि हाईस्कूल में इंप्रूवमेंट परीक्षा के तहत परीक्षार्थी अपने अनुत्तीर्ण हुए एक विषय और कंपार्टमेंट परीक्षा के तहत परीक्षार्थी अपने अनुत्तीर्ण हुए दो विषयों में से किसी एक विषय की परीक्षा में शामिल हो सकते हैं।
परीक्षा शुल्क 256 रुपये निर्धारित है। वहीं, इंटरमीडिएट में मानविकी, विज्ञान और वाणिज्य वर्ग के परीक्षार्थी किसी एक विषय में, कृषि भाग-1 और भाग-2 में निर्धारित विषयों में से किसी एक प्रश्नपत्र में और व्यावसायिक वर्ग के ट्रेड विषय के किसी एक प्रश्नपत्र में अनुतीर्ण परीक्षार्थी कंपार्टमेंट परीक्षा में शामिल होने के लिए अर्ह माने जाएंगे। परीक्षा शुल्क 306 रुपये निर्धारित है।
निर्धारित परीक्षा शुल्क को कोषागार में चालान के माध्यम से माध्यमिक शिक्षा परिषद, उत्तर प्रदेश के निर्धारित मानक मद में जमाकर चालान की मूल प्रति के साथ हाईस्कूल इंपूवमेंट/कंपार्टमेंट परीक्षा और इंटरमीडिएट की कंपार्टमेंट परीक्षा के ऑनलाइन भरे गए आवेदन की प्रति को डाउनलोड करके 13 जून तक परिषद के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय को रजिस्टर्ड डाक के माध्यम से भेजना अनिवार्य होगा।
लिखित व प्रयोगात्मक दोनों भागों की परीक्षा में हो सकते हैं शामिल
हाईस्कूल परीक्षा में इंप्रूवमेंट/कंपार्टमेंट परीक्षा के लिखित और प्रयोगात्मक/प्रोजेक्ट (आंतरिक मूल्यांकन) और इंटरमीडिएट की कंपार्टमेंट परीक्षा के लिखित व प्रयोगात्मक दोनों भागों में अनुत्तीर्ण परीक्षार्थियों को दोनों भागों की परीक्षा में शामिल होना होगा। किसी विषय के दोनों में से किसी एक भाग में अनुत्तीर्ण व दूसरे भाग में उत्तीर्ण परीक्षार्थी केवल अनुत्तीर्ण भाग में या अगर चाहें तो अनुत्तीर्ण और उत्तीर्ण दोनों भागों की परीक्षा में शामिल हो सकते हैं। लिखित व प्रयोगात्मक परीक्षाओं की तिथियों की सूचना बाद में अलग से जारी की जाएगी।
हाईस्कूल में इंप्रूवमेंट के लिए 2.81 लाख परीक्षार्थी अर्ह:
हाईस्कूल की इंप्रूवमेंट परीक्षा के लिए कुल दो लाख 81 हजार 473 परीक्षार्थी और कंपार्टमेंट परीक्षा के लिए 291 परीक्षार्थी अर्ह हैं। क्षेत्रीय कार्यालयवार आंकड़े देखें तो हाईस्कूल में इंप्रूवमेंट व कंपार्टमेंट के लिए मेरठ क्षेत्रीय कार्यालय में क्रमशः 53,959 व 44, बरेली में 40,073 व आठ, प्रयागराज में 76,672 व 92, वाराणसी में 67,447 व 123 और गोरखपुर क्षेत्रीय कार्यालय में 43,322 व 24 परीक्षार्थी अहे हैं।
19 मई से करें इम्प्रूवमेंट और कम्पार्टमेंट के लिए आवेदन
प्रयागराज । यूपी बोर्ड की हाईस्कूल और इंटरमीडिएट परीक्षा 2025 में इम्प्रूवमेंट और कम्पार्टमेंट के लिए अर्ह छात्र-छात्राओं से 19 मई से दस जून तक ऑनलाइन आवेदन लिए जाएंगे। हाईस्कूल में एक विषय में फेल 2,81,473 विद्यार्थी इम्प्रूवमेंट परीक्षा देकर अपने अंक बढ़वा सकते हैं, जबकि दो विषय में फेल 291 छात्र किसी एक विषय में कम्पार्टमेंट परीक्षा देकर पास हो सकते हैं। वहीं इंटरमीडिएट में एक विषय में फेल छात्र कम्पार्टमेंट परीक्षा देकर पास हो सकते हैं। हाईस्कूल में इम्प्रूवमेंट तथा कम्पार्टमेंट परीक्षा के लिए शुल्क 256.50 निर्धारित है।
वहीं इंटरमीडिएट कम्पार्टमेंट परीक्षा में मानविकी, वैज्ञानिक एवं वाणिज्य वर्ग से सम्मिलित परीक्षार्थी किसी एक विषय में, कृषि भाग-1 एवं भाग-2 में निर्धारित विषयों में से किसी एक प्रश्नपत्र में एवं व्यावसायिक वर्ग के ट्रेड विषय के किसी एक प्रश्नपत्र में अनुत्तीर्ण परीक्षार्थी कम्पार्टमेंट परीक्षा में सम्मिलित होने के लिए अर्ह हैं। इनके लिए परीक्षा शुल्क 306 रुपये निर्धारित है। परीक्षा शुल्क कोषागार में चालान के माध्यम से यूपी बोर्ड के मानक मद में जमाकर शुल्क की मूल प्रति के साथ ऑनलाइन भरे गए आवेदन की प्रति की हार्डकॉपी के साथ 13 जून तक संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय को रजिस्टर्ड डाक के माध्यम से भेजना अनिवार्य है।
यूपी बोर्ड के सचिव भगवती सिंह के अनुसार हाईस्कूल परीक्षा में इम्प्रूवमेंट/कम्पार्टमेंट परीक्षा लिखित तथा प्रयोगात्मक/प्रोजेक्ट (आन्तरिक मूल्यांकन) एवं इंटरमीडिएट की कम्पार्टमेंट परीक्षा के लिखित एवं प्रयोगात्मक दोनों भागों में अनुत्तीर्ण रहे परीक्षार्थियों को दोनों भागों की परीक्षा में सम्मिलित होना होगा। किसी विषय के दोनों में से किसी एक भाग में अनुत्तीर्ण तथा दूसरे भाग में उत्तीर्ण परीक्षार्थी केवल अनुत्तीर्ण भाग में अथवा यदि चाहें तो अनुत्तीर्ण तथा उत्तीर्ण दोनों भागों की परीक्षा में सम्मिलित हो सकते हैं। इनकी लिखित एवं प्रयोगात्मक परीक्षाओं की तिथियों की सूचना बाद में दी जाएगी।
Sunday, May 18, 2025
लंबा हो रहा बेसिक शिक्षकों के म्यूचुअल ट्रांसफर का इंतजार, बढ़ रही तारीख पर तारीख, डेढ़ महीने में आवेदनों का सत्यापन नहीं कर पाए BSA
लंबा हो रहा बेसिक शिक्षकों के म्यूचुअल ट्रांसफर का इंतजार, बढ़ रही तारीख पर तारीख, डेढ़ महीने में आवेदनों का सत्यापन नहीं कर पाए BSA
18 मई 2025
लखनऊ । बेसिक शिक्षकों के अंतरजनपदीय (जिले के वाहर) म्यूचुअल तवादलों के लिए 1 अप्रैल से और अंतःजनपदीय (जिले के अंदर) म्यूचुअल तवादलों के लिए 2 अप्रैल से आवेदन की शुरुआत हुई थी। तव से डेढ़ महीने वीत गए। तारीख पर तारीख वढ़ती जा रही है लेकिन जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी (BSA) अभी तक इन आवेदनों का सत्यापन नहीं कर पाए हैं। अव गर्मी की छुट्टियां भी शुरू होने जा रही हैं। शिक्षकों को यह आशंका सता रही है कि कहीं ऐसा न हो कि तवादले फिर सर्दी की छुट्टियों तक न टल जाएं।
पहले भी डेढ़ साल चली प्रक्रिया :
शासनादेश के अनुसार वेसिक शिक्षकों के म्यूचुअल तवादले साल में दो वार होंगे। इनके लिए साल में कभी भी प्रक्रिया शुरू की जा सकती है। तवादले गर्मियों और सर्दियों की छुट्टियों में किए जाएंगे। इसके वावजूद वेसिक शिक्षा विभाग पहले तो प्रक्रिया देर से शुरू करता है। उसके बाद प्रक्रिया इतनी लंबी चलती है कि तवादले होने में एक-डेढ़ साल लग जाता है। इससे पहले भी डेढ़ साल में तवादले हो पाए थे।
कई बार बढ़ी तारीख: इस वार भी दिसंबर और जनवरी में शासन ने तवादला नीति जारी कर दी। उसके वाद मार्च में वेसिक शिक्षा परिषद ने टाइम टेवल जारी किया। अप्रैल से आवेदन शुरू हो गए। पहले तो आवेदन की तारीख ही कई वार बढ़ाई गई। उसके बाद कई वीएसए ने मांग की कि सत्यापन पूरा नहीं हो सका है, इसलिए तारीख वढ़ाई जाए। उनके अनुरोध पर कई वार तारीख वढ़ाई जा चुकी है लेकिन अभी तक सभी वीएसए सत्यापन पूरा नहीं कर पाए हैं।
सोमवार से पेयर बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। एनआईसी ने तैयारी कर ली है। कुछ जिलों में सत्यापन नहीं हुआ था। वह भी अब पूरा हो गया है। - कंचन वर्मा, महानिदेशक-स्कूल शिक्षा
शिक्षकों से अपेक्षा तो अधिकारियों से क्यों नहीं?
प्राथमिक शिक्षक संघ लखनऊ के अध्यक्ष निर्भय सिंह कहते हैं कि साल में दो बार तबादलों का प्रावधान है लेकिन एक बार प्रक्रिया पूरी होने में ही साल भर से ज्यादा बीत जाता है। शिक्षकों की ओर से एक बार भी तारीख बढ़ाने की मांग नहीं की गई है। फिर अधिकारी समय पर क्यों नहीं तबादले पूरे कर पाते, यह समझ से परे है। प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षित स्नातक असोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष विनय कुमार सिंह का कहना है कि शिक्षकों से यह अपेक्षा की जाती है कि हर काम तय समय पर पूरा करें। ऐसा न करने पर उनको सजा भी दी जाती है। ऐसे में अधिकारियों से भी यह अपेक्षा होनी चाहिए कि वे भी समय से काम पूरा करें।
परस्पर तबादले में 30 से अधिक जिलों में नहीं हो पाया सत्यापन
15 मई 2025
लखनऊ। परिषदीय विद्यालयों के शिक्षकों को परस्पर तबादले के लिए अब भी 30 से अधिक जिलों में आवेदन पत्रों का सत्यापन नहीं हुआ है। एक से दूसरे जिले में हुए 31 हजार से अधिक आवेदन में से मात्र दस फीसदी और जिले के अंदर हुए 39859 आवेदन में से 15 फीसदी आवेदनों का ही सत्यापन हो सका है।
विभाग के आला अधिकारियों का बीएसए के ऊपर कोई असर नहीं पड़ रहा है। वे अपनी ही गति से प्रक्रिया का संचालन कर रहे हैं। इससे शिक्षकों में काफी ज्यादा नाराजगी बढ़ रही है।
प्रक्रिया पूरी करने में न निकल जाए समय
उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के निर्भय सिंह ने कहा कि शिक्षक यह सवाल उठा रहे हैं कि जाड़े की छुट्टियों की ही तरह गर्मी की छुट्टियां भी प्रक्रिया पूरी करने में ही न निकल जाएं। क्योंकि प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों में 20 मई से गर्मी की छुट्टियां शुरू हो रही हैं।
विभाग ने गर्मी की छुट्टियों में शिक्षकों को कार्यमुक्त व कार्यभार ग्रहण कराने का आदेश दिया था। किंतु जिस गति से प्रक्रिया चल रही है, वह समय से पूरी होती नहीं दिख रही है।
अंतर व अंतः जनपदीय पारस्परिक तबादले में लग सकता है समय, रजिस्ट्रेशन फॉर्म के सत्यापन की कल अंतिम तिथि, केवल पांच से छह फीसदी हुआ काम
12 मई 2025
प्रयागराज। बेसिक शिक्षा परिषद के अधीन संचालित विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों व शिक्षिकाओं के शैक्षिक सत्र 2024-25 के तहत अंतरजनपदीय एवं अंतः जनपदीय तबादले की प्रक्रिया में देर हो सकती है। रजिस्ट्रेशन फॉर्म के ऑनलाइन सत्यापन की अंतिम तिथि 13 मई है, लेकिन अब तक महज पांच से छह फीसदी रजिस्ट्रेशन फॉर्म का सत्यापन हो सका है।
सचिव बेसिक शिक्षा परिषद ने सभी जिला विद्यालय निरीक्षकों को पत्र जारी कर हुए सचेत किया है कि किसी भी सूरत में ऑनलाइन सत्यापन की प्रक्रिया 13 मई तक पूरी कर ली जाए। अंतरजनपदीय पारस्परिक स्थानांतरण में 31,015 के मुकाबले महज 1913 (छह फीसदी) और अंतः जनपदीय पारस्परिक स्थानांतरण में 39,859 के मुकाबले केवल 2009 (पांच फीसदी) रजिस्ट्रेशन फॉर्म ही सत्यापित किए गए हैं।
सचिव ने कहा है कि यह स्थिति अत्यंत दयनीय है। स्पष्ट है कि जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी अपने कार्यों में शिथिलता बरते रहे हैं। सचिव ने पत्र के माध्यम से यह भी कहा कि बेसिक शिक्षा अधिकारियों के अनुरोध पर पूर्व में कई बार समयावधि बढ़ाई जा चुकी है। जबकि, शासनादेश में निहित प्रावधानों के अनुरूप ग्रीष्मावकाश में कार्यमुक्त व कार्यभार ग्रहण कराए जाने की कार्यवाही भी की जानी है। सचिव ने स्पष्ट किया है कि समयावधि बढ़ाया जाना किसी भी दशा में संभव नहीं होगा।
प्रयागराज। बेसिक शिक्षा परिषद के अधीन संचालित विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों के शैक्षिक सत्र 2024-25 में अंतर जनपदीय एवं अन्तः जनपदीय पारस्परिक स्थानांतरण के सत्यापन में लापरवाही पर सचिव सुरेन्द्र कुमार तिवारी ने सख्ती की है। सचिव ने सभी बेसिक शिक्षा अधिकारियों को पत्र लिखकर तय समय में सत्यापन की कार्यवाही पूरी करने के निर्देश दिए हैं। पूर्व में 13 मई तक रजिस्ट्रेशन पत्रों के ऑनलाइन सत्यापन की समय सीमा तय की गई थी। हालांकि अब तक अंतर जनपदीय पारस्परिक स्थानान्तरण में 31015 आवेदन के सापेक्ष मात्र 1913 तथा अन्तः जनपदीय पारस्परिक स्थानान्तरण में 39859 आवेदन के सापेक्ष मात्र 2009 ही सत्यापित किए गए हैं।
साफ है कि कुल 70874 आवेदन में से 3922 (5.53 प्रतिशत) का ही सत्यापन हो सका है। उक्त स्थिति को अत्यन्त दयनीय बताते हुए सचिव ने बीएसए के स्तर से कार्यों में शिथिलता बरतने पर नाराजगी जताई है। लिखा है कि पूर्व में बीएसए के अनुरोध पर कई बार समयावधि बढ़ाई जा चुकी है तथा शासनादेश के अनुसार ग्रीष्मावकाश में कार्यमुक्ति एवं कार्यभार ग्रहण कराने की कार्यवाही भी की जानी है।
लिहाजा अधिकारियों को सचेत करते हुए निर्देशित किया है कि अंतर जनपदीय एवं अन्तः जनपदीय पारस्परिक स्थानान्तरण के संबंध में जारी समय सारिणी के अनुसार निर्धारित समयावधि में सभी कार्यवाही पूर्ण कराना सुनिश्चित करें। सचिव ने साफ किया है कि किसी भी दशा में समयावधि बढ़ाया जाना सम्भव नहीं होगा।
42 हजार परीक्षक यूपी बोर्ड मूल्यांकन कार्य में रहे अनुपस्थित
42 हजार परीक्षक यूपी बोर्ड मूल्यांकन कार्य में रहे अनुपस्थित
18 मई
प्रयागराज। यूपी बोर्ड ने वर्ष 2025 की परीक्षाओं में अनुपस्थित रहे परीक्षकों की रिपोर्ट प्रदेश के सभी 261 केंद्रों के प्रधानाचार्यों से तलब की थी। शनिवार तक इनमें से 220 केंद्रों की रिपोर्ट माध्यमिक शिक्षा परिषद को मिल गई है।
बोर्ड के सूत्रों का कहना कि इन 220 केंद्रों में तकरीबन 42 हजार परीक्षक मूल्यांकन कार्य में अनुपस्थित रहे। सभी अनुपस्थित परीक्षकों से साक्ष्य सहित कारण पूछा गया था। ऐसे परीक्षकों के स्पटीकरण से असंतुष्ट होने पर यूपी बोर्ड इन्हें मूल्यांकन एवं आगामी परीक्षाओं से संबंधित अन्य कार्यों से प्रतिबंधित कर सकता है।
मूल्यांकन में अनुपस्थित रहे परीक्षकों को साक्ष्य सहित बताना होगा कारण, यूपी बोर्ड के सचिव ने एक हफ्ते का दिया था समय
15 मई 2025
प्रयागराज। यूपी बोर्ड की वर्ष 2025 की हाईस्कूल व इंटरमीडिएट की परीक्षाओं की कॉपियों के मूल्यांकन में गैरहाजिर रहे परीक्षकों को अपनी अनुपस्थिति का कारण भी बताना होगा। बोर्ड ने पूर्व निर्धारित समय के अनुरूप मूल्यांकन कार्य करा लिया था। 19 मार्च से दो अप्रैल तक चले मूल्यांकन कार्य के लिए एक लाख 41 हजार 510 परीक्षकों की ड्यूटी लगाई गई थी। मूल्यांकन के पहले दिन 73 हजार 951 परीक्षकों (52.27 फीसदी) ने उपस्थिति दर्ज कराई थी, जबकि 67559 परीक्षक अनुपस्थित थे।
बाद के दिनों में कुछ अनुपस्थित शिक्षक कॉपियों जांचने पहुंचे और केंद्रों में नियमित रूप से मौजूद रहे परीक्षकों ने 15 दिनों में कुल तीन करोड़ एक लाख 48 हजार 236 कॉपियों का मूल्यांकन पूरा कर लिया था। बोर्ड अब अनुपस्थित रहे परीक्षकों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की तैयारी कर रहा है। सूत्रों का कहना है कि राजकीय व एडेड विद्यालयों से परीक्षकों की उपस्थिति तो 90 फीसदी के आसपास रही लेकिन निजी विद्यालयों से नियुक्त किए गए परीक्षकों की गैरहाजिरी ज्यादा रही।
बोर्ड के सचिव ने एक मई को सभी जिला विद्यालयों निरीक्षकों व मूल्यांकन केंद्रों के उपनियंत्रकों/प्रधानाचार्यों से एक सप्ताह में अनुपस्थित रहे परीक्षकों के बारे में जानकारी तलब की थी। बोर्ड ने अनुपस्थित रहे उप प्रधान परीक्षक/परीक्षा का नाम, परीक्षा संख्या, विषय, विद्यालय का नाम और सुसंगत साक्ष्यों सहित अनुपस्थिति का कारण पूछा है। सूत्रों का कहना है कि अनुपस्थित रहे परीक्षकों की संख्या 50 हजार के आसपास है। ऐसे में हर जिले से जानकारी अभी इकट्ठा नहीं की सकी है। बोर्ड के सचिव भगवती सिंह ने बताया, इस हफ्ते सभी जिलों से रिपोर्ट आ जाने की उम्मीद है।
नौकरी छोड़कर गए शिक्षकों की ड्यूटी लगने की आशंका
बोर्ड के सूत्रों का कहना है कि जुलाई-अगस्त में निजी विद्यालयों में नए शिक्षक ज्वाइन करते हैं और प्रबंधन से विवाद के बाद कुछ माह बाद नौकरी छोड़ देते हैं, लेकिन उनके नाम की लिस्ट वेबसाइट पर पड़ी रह जाती है और इसी लिस्ट के हिसाब से मूल्यांकन में उनकी ड्यूटी लग जाती है। यही वजह है कि मूल्यांकन में ज्यादातर निजी विद्यालयों के शिक्षक अनुपस्थित रहे।
मूल्यांकन नहीं करने वाले शिक्षकों को तलाश रहा यूपी बोर्ड, संदेह के चलते डीआईओएस से मांगी गई कुंडली
यूपी बोर्ड परीक्षा का परिणाम 25 अप्रैल को घोषित हो चुका है। अब यूपी बोर्ड पूरे प्रदेश में ऐसे शिक्षकों की तलाश कर रहा है, जिन्होंने यूपी बोर्ड की कॉपियों का मूल्यांकन नहीं किया। बोर्ड का फोकस ऐसे शिक्षकों पर है, जिन्होंने एक भी दिन मूल्यांकन नहीं किया। यूपी बोर्ड के सचिव भगवती सिंह ने सूबे के सभी जिला विद्यालय निरीक्षकों (डीआईओएस) को पत्र लिखकर ऐसे शिक्षकों का ब्योरा मांगा है, जानकारी देने के लिए डीआईओएस को एक प्रारूप भी भेजा जा रहा है। इस प्रारूप में इस बात का भी उल्लेख करना है कि राजकीय, सहायता प्राप्त और वित्त विहीन मान्यता प्राप्त स्कूलों के कितने शिक्षकों ने मूल्यांकन नहीं किया।
बोर्ड सचिव भगवती सिंह ने कहा कि अब तक दो जनपदों के एक-एक केंद्र का ब्योरा मिला है। यह जानकारी बिना पत्र भेजे ही उन तक पहुंची है। ये दो जिले चित्रकूट और आंबेडकर नगर हैं। उन्होंने यह भी बताया कि आंबेडकर नगर के एक मूल्यांकन केंद्र से 95 ऐसे शिक्षक हैं जो एक दिन भी मूल्यांकन कार्य में शामिल नहीं हुए हैं। बोर्ड में इस बात की भी चर्चा है कि मूल्यांकन से अनुपस्थित रहने वालों ज्यादातर वही शिक्षक हैं जो एडेड एवं राजकीय कॉलेज के प्रधानाचार्य के पद पर कार्यरत हैं। सचिव का कहना है कि दोषी पाए गए शिक्षकों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई के साथ एफआईआर दर्ज कराई जाएगी।
विदित हो कि हाईस्कूल एवं इंटरमीडिएट की परीक्षा 12 मार्च को खत्म हुई थी। इसके बाद करीब 3 करोड़ उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन कराया गया। मूल्यांकन कार्य 19 मार्च से 2 अप्रैल तक 261 केंद्रों पर हुआ। इन उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन करने के लिए 1 लाख 48 हजार 667 परीक्षक नियुक्त किए गए थे। सचिव भगवती सिंह ने बताया कि परीक्षा के दौरान कई केंद्रों पर फर्जी कक्ष निरीक्षक भी पकड़े गए थे। इनके खिलाफ परीक्षा अधिनियम के तहत केस दर्ज कराया गया था।
35,000 शिक्षकों ने नहीं जांचीं कापियां, लिखित परीक्षा में की थी ड्यूटी, उत्तरपुस्तिकाएं नहीं जांचने पर उनके फर्जी होने का संदेह, मांगी गई जानकारी
प्रयागराजः हाईस्कूल एवं इंटमीडिएट परीक्षा-2025 का परिणाम घोषित करने के बाद यूपी बोर्ड अब उन शिक्षकों को खोज रहा है, जिन्होंने परीक्षा में कक्ष निरीक्षक के रूप में तो ड्यूटी की, लेकिन उत्तरपुस्तिकाएं जांचने नहीं पहुंचे। परीक्षा के दौरान कई केंद्रों पर फर्जी क्क्ष निरीक्षक पकड़ चुके यूपी बोर्ड को उत्तरपुस्तिकाएं न जांचने वालों के फर्जी होने का संदेह है।
इसके लिए बोर्ड सचिव भगवती सिंह ने सभी जिला विद्यालय निरीक्षकों से ऐसे करीब 35,000 शिक्षकों के अंकपत्र सहित रिकार्ड मांगे हैं। इसमें फर्जी मिलने वालों के विरुद्ध उत्तर प्रदेश सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों का निवारण) अधिनियम-2024 के तहत मुकदमा दर्ज कराकर जेल भेजा जाएगा। इस अधिनियम में आजीवन कारावास एवं एक करोड़ रुपये तक जुर्माने का प्रविधान है।
12 मार्च को हाईस्कूल एवं इंटरमीडिएट परीक्षा संपन्न कराने के बाद यूपी बोर्ड ने करीब 2.84 करोड़ उत्तरपुस्तिकाओं का 19 मार्च से दो अप्रैल तक 261 केंद्रों पर मूल्यांकन कराया। इन उत्तरपुस्तिकाओं का मूल्यांकन करने के लिए 1,48,667 परीक्षक नियुक्त किए गए थे।
बोर्ड सचिव ने मूल्यांकन करने एक भी दिन नहीं पहुंचने वालों का आंकड़ा निकलवाया तो संख्या लगभग 35,000 मिली। बोर्ड इनके विषय में यह जानकारी जुटा रहा है कि जब परीक्षा के दौरान कक्ष निरीक्षक के रूप में ड्यूटी की तो फिर ऐसा क्या हो गया जो उत्तरपुस्तिकाओं का मूल्यांकन करने नहीं पहुंचे।
यूपी बोर्ड के सचल दलों ने परीक्षा के दौरान कई केंद्रों पर फर्जी कक्ष निरीक्षकों को उनके विरुद्ध परीक्षा अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज कराया था, जिससे वह जेल में हैं। बोर्ड यह जानने में जुटा है कि कहीं यह सभी नकल कराने के उद्देश्य से तो फर्जी कक्ष निरीक्षक नहीं बने थे।
सचिव ने सभी जिला विद्यालय निरीक्षकों से ऐसे शिक्षकों के विवरण जुटाने और विद्यालय में उनके शिक्षक होने/न होने के संबंध में रिपोर्ट मांगी है। जो सही शिक्षक होंगे और मूल्यांकन करने नहीं पहुंचे, उनसे जवाब लेकर विभागीय कार्यवाही की जाएगी। फर्जी मिलने पर परीक्षा अधिनियम के तहत कार्रवाई होगी ही, संबंधित विद्यालय और प्रधानाचार्यों का भी उत्तरदायित्व तय किया जाएगा।
प्रयागराज। उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद के सचिव भगवती सिंह ने यूपी बोर्ड की वर्ष 2025 की हाईस्कूल व इंटरमीडिएट की परीक्षाओं के मूल्यांकन कार्य में अनुपस्थित रहने वाले परीक्षकों एवं उप प्रधान परीक्षकों का विवरण तलब किया है।
सचिव ने सभी जिला विद्यालयों निरीक्षकों और मूल्यांकन केंद्रों के उपनियंत्रकों/प्रधानाचार्यों को पत्र जारी कर निर्देश दिए हैं कि 19 मार्च से दो अप्रैल 2025 अप्रैल तक संचालित मूल्यांकन कार्य में परिषद की ओर से नियुक्त जिन परीक्षकों व उप प्रधान परीक्षकों ने मूल्यांकन कार्य नहीं किया, उनका विवरण निर्धारित प्रारूप में परिषद के अधिकृत ईमेल आईडी पर एक सप्ताह के भीतर प्रेषित कर दिया जाए।
अगले शैक्षिक सत्र से कक्षा चार में एनसीईआरटी की किताबें, बेसिक शिक्षा परिषद के विद्यालयों के लिए की जाएगी कस्टमाइज
अगले शैक्षिक सत्र से कक्षा चार में एनसीईआरटी की किताबें, बेसिक शिक्षा परिषद के विद्यालयों के लिए की जाएगी कस्टमाइज
कक्षा तीन में इसी सत्र के लागू किया गया एनसीईआरटी पाठ्यक्रम
प्रयागराज : बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक व उच्च प्राथमिक के 1.57 लाख विद्यालयों में राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) का पाठ्यक्रम चरणबद्ध लागू किया जा रहा है। शैक्षिक सत्र 2025-26 से कक्षा तीन में एनसीईआरटी के पाठ्यक्रम को उत्तर प्रदेश के संदर्भमें कस्टमाइज करके लागू कर दिया गया है।
अगले शैक्षिक सत्र से कक्षा चार में एनसीईआरटी का पाठ्यक्रम लागू किया जाएगा। इसके लिए अभी अंग्रेजी माध्यम की कुछ पाठ्यपुस्तकें प्रदेश के संदर्भ में कस्टमाइज किए जाने के लिए प्राप्त हो गई हैं। हिंदी माध्यम के दो विषयों की पुस्तकें अभी आई हैं।
प्रदेश भर में 1.11 लाख परिषदीय प्राथमिक और करीब 45 हजार उच्च प्राथमिक विद्यालय संचालित हैं। कक्षा तीन के विद्यार्थी एनसीईआरटी आधारित पाठ्यपुस्तक से पढ़ेंगे। जिलों में पुस्तकें पहुंच गई हैं। सभी स्कूलों में जल्द पहुंचाई जाएंगी। इसके अलावा अगले सत्र से कक्षा चार में एनसीईआरटी पाठ्यक्रम को लागू करने की तैयारी शुरू कर दी गई है।
इसके लिए गणित, हिंदी, हमारा अद्भुत संसार (सामाजिक विषय) और उर्दू की एनसीईआरटी की पुस्तकों को राज्य शिक्षा संस्थान के प्राचार्य नवल किशोर के निर्देशन में विशेषज्ञों के माध्यम से उत्तर प्रदेश के अनुकूल (कस्टमाइज) बनाया जाएगा। इसी तरह अंग्रेजी की पुस्तक को आंग्ल भाषा शिक्षण संस्थान के प्राचार्य स्कंद शुक्ल के निर्देशन में कस्टमाइज किया जाएगा।
अंग्रेजी माध्यम के कक्षा चार के विषयों की पाठ्यपुस्तकें कस्टमाइज किए जाने के लिए आई हैं। हिंदी माध्यम के विद्यालयों के लिए अभी सिर्फ हिंदी व सामाजिक विषय की पाठ्यपुस्तक प्राप्त हुई है। पाठ्यपुस्तकों को कस्टमाइज किए जाने के बाद एससीईआरटी को भेजा जाएगा, ताकि परीक्षण के उपरांत प्रकाशन कराया जा सके।
प्रक्रिया इसलिए तेजी से शुरू की गई है, ताकि अगले सत्र के आरंभ में ही विद्यार्थियों को नई पाठ्यपुस्तकें उपलब्ध कराई जा सकें। कक्षा चार में एनसीईआरटी की सात पाठ्यपुस्तकें पढ़ाई जाती हैं, लेकिन इसमें से शारीरिक शिक्षा व कला वर्तमान में परिषदीय स्कूल में संचालित नहीं है।
CBSE Sugar Boards Diabetes : बच्चों में बढ़ रहे मधुमेह के मामलों को देखते हुए सीबीएसई ने दिया स्कूलों को आदेश – लगाएं शुगर बोर्ड
CBSE Sugar Boards Diabetes : बच्चों में बढ़ रहे मधुमेह के मामलों को देखते हुए सीबीएसई ने दिया स्कूलों को आदेश – लगाएं शुगर बोर्ड
चीनी से होने वाली हानि, कितनी मात्रा में खाएं चीनी आदि की जानकारी मिलेगी शुगर बोर्ड से
नई दिल्ली। प्रमुख संवाददाता देश में टाइप 2 मधुमेह के बच्चों में बढ़ते प्रभाव को देखते हुए केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने अपने से संबद्ध विद्यालयों को बच्चों के चीनी सेवन पर नजर रखने और उसे कम करने के लिए 'शुगर बोर्ड' लगाने का निर्देश दिया है। सीबीएसई ने इस बाबत एक सर्कुलर भी जारी किया है। जिसमें उल्लेख किया है कि पिछले दशक में बच्चों में टाइप 2 मधुमेह के मामलों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जो पहले मुख्य रूप से वयस्कों में देखा जाता था। बोर्ड ने स्कूल प्रधानाचार्यों को लिखे पत्र में कहा है कि यह खतरनाक प्रवृत्ति मुख्य रूप से चीनी के अधिक सेवन के कारण है, जो अकसर स्कूल के वातावरण में मीठे स्नैक्स, पेय पदार्थ और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों की आसानी से उपलब्धता के कारण होता है।
चीनी के अत्यधिक सेवन से न केवल मधुमेह का खतरा बढ़ता है, बल्कि मोटापा, दांत की समस्याएं और अन्य चयापचय संबंधी विकार भी होते हैं, जो अंततः बच्चों के दीर्घकालिक स्वास्थ्य और शैक्षणिक प्रदर्शन को प्रभावित करते हैं। अध्ययनों से पता चलता है कि 4 से 10 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए दैनिक कैलोरी सेवन में चीनी का हिस्सा 13 प्रतिशत है, तथा 11 से 18 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए यह 15 प्रतिशत है, जो अनुशंसित 5 प्रतिशत की सीमा से काफी अधिक है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि इस अत्यधिक सेवन के लिए स्कूल में आसानी से उपलब्ध होने वाले मीठे स्नैक्स, पेय पदार्थ और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों का अत्यधिक उपयोग जिम्मेदार है। सीबीएसई की निदेशक (शैक्षणिक) डॉ. प्रज्ञा एम. सिंह द्वारा हस्ताक्षरित इस सर्कुलर में यह भी कहा गया है कि स्कूल इन गतिविधियों से संबंधित रिपोर्ट व फोटो https://shorturl.at/e33kc लिंक पर 15 जुलाई 2025 तक अपलोड करें। यह निर्देश राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) के कहने पर जारी किया गया।
ज्ञात हो कि एनसीपीसीआर एक वैधानिक निकाय है, जिसका गठन बच्चों के अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित करने लिए किया गया था, खासकर उन बच्चों के जो सबसे कमजोर और हाशिए पर हैं। विद्यालयों को 'शुगर बोर्ड' लगाने के लिए कहा गया है, जिस पर छात्रों को चीनी के अत्यधिक सेवन के जोखिमों के बारे में शिक्षित करने के लिए जानकारी प्रदर्शित की जाए।
स्कूल आयोजित करेंगे जागरूकता सेमिनार
सीबीएसई द्वारा विद्यालयों को इस संबंध में जागरूकता सेमिनार और कार्यशालाएं आयोजित करने के लिए भी कहा गया है। इसमें कहा गया है कि इस पट्टिका पर आवश्यक जानकारी प्रदान की जानी चाहिए, जिसमें अनुशंसित दैनिक चीनी का सेवन, आम तौर पर खाए जाने वाले खाद्य पदार्थ (जंक फूड, कोल्ड ड्रिंक्स आदि जैसे अस्वास्थ्यकर भोजन) में चीनी की मात्रा, उच्च चीनी के सेवन से जुड़े स्वास्थ्य जोखिम और स्वस्थ आहार विकल्प शामिल हैं। यह छात्रों को सूचित भोजन विकल्पों के बारे में शिक्षित करेगा और छात्रों के बीच दीर्घकालिक स्वास्थ्य लाभों को बढ़ावा देगा।
कंपोजिट ग्रांट में हिस्सा मांगना पड़ा भारी, भ्रष्टाचार की शिकायत पर प्रयागराज जिले के खंड शिक्षा अधिकारी निलंबित
कंपोजिट ग्रांट में हिस्सा मांगना पड़ा भारी, भ्रष्टाचार की शिकायत पर प्रयागराज जिले के खंड शिक्षा अधिकारी निलंबित
घूस लेने के मामले में तीन अप्रैल को आरोपी से मांगा गया था स्पष्टीकरण
प्रयागराज/मेजा। भ्रष्टाचार के आरोप में खंड शिक्षा अधिकारी उरुवा राजेश यादव को निलंबित कर दिया गया। कार्रवाई अपर शिक्षा निदेशक (बेसिक) ने की है। इससे पहले प्राथमिक विद्यालय मिश्रपुर के प्रभारी प्रधानाध्यापक प्रदीप पाल ने शिक्षा निदेशक (बेसिक) को शपथ पत्र देकर खंड शिक्षा अधिकारी उरुवा राजेश यादव पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था।
यही नहीं उच्च प्राथमिक विद्यालय कुंवरपट्टी, उच्च प्राथमिक विद्यालय जेरा, प्राथमिक विद्यालय पकरी की ओर से भी खंड शिक्षा अधिकारी पर भ्रष्टाचार के अलावा कई आरोप लगाए गए थे।
अपर शिक्षा निदेशक (बेसिक) कामता राम पाल ने पदीय दायित्वों के निर्वहन न करने, भ्रष्टाचार करने, उच्चाधिकारियों के आदेशों की अवहेलना करने, अनुशासनहीनता बरतने, शिक्षकों का उत्पीड़न करने आदि आरोपों में खंड शिक्षा अधिकारी राजेश यादव को प्रथम दृष्टया दोषी पाया है। मामले में खंड शिक्षा अधिकारी को निलंबित कर दिया गया। यह भी कहा गया है कि निलंबन की अवधि में कार्यालय मंडलीय सहायक शिक्षा निदेशक (बेसिक) प्रयागराज मंडल प्रयागराज से संबद्ध रहेंगे।
दरअसल, शिकायतों के संबंध में शिक्षा निदेशालय ने बीईओ राजेश यादव से तीन अप्रैल को स्पष्टीकरण मांगा था। इस पर बीईओ ने 12 अप्रैल को प्रार्थना पत्र देकर शिकायतों के सापेक्ष साक्ष्य दिखाने का अनुरोध किया। इसके बाद 28 अप्रैल को सभी शिकायतकर्ताओं से सबूत मांगा गया था।
सभी शिकायतकर्ताओं ने आरोप लगाया कि स्कूल में मरम्मत व साफ-सफाई के लिए मिली 25 से 50 हजार की कम्पोजिट ग्रांट में से राजेश यादव पांच-पांच हजार रुपये ले चुके हैं। इसके बाद भी वेतन और इंक्रीमेंट रुकवाने के साथ निलंबित करवाने की धमकी देकर और रुपयों की मांग करते हैं।
आय-व्यय का ब्योरा मांगा, की 50 हजार की डिमांड
प्रभारी प्रधानाध्यापक प्रदीप कुमार पाल ने पांच मई को सबूत देते हुए बताया कि 17 जनवरी 2025 को सहायक अध्यापक आशीष कुमार संतोषी के सामने पांच हजार रुपये बीईओ को दिए। इसके बाद बीईओ ने मार्च 2025 को उनसे पांच वर्ष का आय-व्यय का ब्यौरा मांगा। इसके बाद एक वर्ष के लिए दस हजार रुपये की दर से कुल 50 हजार रुपये की मांग की।
परिषदीय स्कूल के बच्चों को DBT के रुपयों का इंतजार, सत्र शुरू हुए 47 दिन बीते, 70 फीसदी बच्चों का ही आधार सत्यापन पूरा
परिषदीय स्कूल के बच्चों को DBT के रुपयों का इंतजार, सत्र शुरू हुए 47 दिन बीते, 70 फीसदी बच्चों का ही आधार सत्यापन पूरा
लखनऊ । प्राइमरी स्कूल में सत्र शुरू हुए 47 दिन बीत गए हैं लेकिन अभी तक यूनीफार्म के पैसे अभिभावकों के खाते नहीं पहुंचे हैं। कक्षा एक से आठवीं तक के विद्यार्थियों की यूनीफार्म, स्वेटर, जूते, मोजे व स्टेशनरी के प्रति छात्र 1200 रुपये अभिभावकों के खाते में आने हैं।
प्रेरणा पोर्टल पर एक लाख से अधिक छात्रों (70 फीसदी) और अभिभावकों के बैंक अकाउंट नंबर, आधार नंबर, आईएफएससी कोड की फीडिंग पूरी हो चुकी है। अभिभावक स्कूल आकर शिक्षकों से यूनीफार्म के पैसे भेजने का दबाव बना रहे हैं।
प्रधानाध्यापकों का कहना है कि स्कूल के पास आउट, प्रोन्नत और नव प्रवेशित करीब 70 फीसदी छात्र-छात्राओं का विवरण प्रेरणा पोर्टल पर अपलोड किया जा चुका है। जो बचे हैं उनका ब्योरा अपलोड किया जा रहा है।
एडी बेसिक श्याम किशोर तिवारी बताते हैं कि किसी भी दिन अभिभावकों के खाते में यूनीफार्म के पैसे भेजे जा सकते हैं। विभाग की ओर से तैयारियां पूरी हैं। कक्षा वार ब्योरा अपलोड हो गया है
हर मंडल में खुलेंगे इंटीग्रेटेड आयुष महाविद्यालय, नेचुरोपैथी और योग सहित आयुष की सभी विधाएं एक कैम्पस में होगी उपलब्ध
हर मंडल में खुलेंगे इंटीग्रेटेड आयुष महाविद्यालय, नेचुरोपैथी और योग सहित आयुष की सभी विधाएं एक कैम्पस में होगी उपलब्ध
लखनऊ । मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को आयुष विभाग की उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक में निर्देश दिया कि प्रदेश के प्रत्येक मंडल में एक इंटीग्रेटेड आयुष महाविद्यालय की स्थापना सुनिश्चित की जाए, जिसमें आयुर्वेद, यूनानी, होम्योपैथी समेत आयुष की सभी पद्धतियों को एक ही परिसर में मुहैया कराएं।
उन्होंने कहा कि यह कदम आयुष चिकित्सा पद्धति को सुदृढ़ करेगा, बल्कि भविष्य की स्वास्थ्य-आधारित शिक्षा प्रणाली को भी सशक्त बनाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार आयुष चिकित्सा पद्धति को जन-जन तक पहुंचाने के लिए मिशन मोड में कार्य कर रही है।
उन्होंने निर्देश दिया कि सभी आयुष संस्थानों में नेचुरोपैथी और योग सेंटर की स्थापना अनिवार्य रूप से की जाए। कहा कि प्रदेश के हर जनपद में हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर प्रारंभ किए जाएं, जो सरकारी या पीपीपी (पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप) मोड में संचालित हो सकते हैं।
Saturday, May 17, 2025
यूपी बोर्ड: जून के पहले सप्ताह से अंकपत्र सह प्रमाणपत्र मिलने की उम्मीद
यूपी बोर्ड: जून के पहले सप्ताह से अंकपत्र सह प्रमाणपत्र मिलने की उम्मीद
प्रयागराज। यूपी बोर्ड की हाईस्कूल और इंटरमीडिएट परीक्षा में शामिल छात्र-छात्राओं को जून के पहले सप्ताह से अंकपत्र सह प्रमाणपत्र मिलने की उम्मीद है। बोर्ड के प्रयागराज, मेरठ, वाराणसी, बरेली और गोरखपुर क्षेत्रीय कार्यालयों में अंकपत्र पहुंचने लगे हैं। प्रयागराज क्षेत्रीय कार्यालय के अधीन 23 जिलों में से इंटर के नौ और हाईस्कूल के 15 जिलों के प्रमाणपत्र शुक्रवार तक पहुंच गए थे। प्रयागराज जिले के प्रमाणपत्र आना बाकी है।
बोर्ड कर्मचारी स्कूलवार अंकपत्र सह प्रमाणपत्र के बंडल तैयार करने में लगे हैं। प्रयागराज क्षेत्रीय कार्यालय की अपर सचिव विभा मिश्रा का कहना है कि परीक्षार्थियों की क्रॉस लिस्ट और कुछ जिलों के प्रमाणपत्र अभी नहीं मिले हैं। इनके मिलने के बाद संबंधित जिले के जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालयों को प्रमाणपत्र भेज दिया जाएगा।
सभी स्कूलों में स्काउट और गाइड दल का गठन होगा, ऑपरेशन सिंदूर चला तब फिर स्काउट एवं गाइड की याद आई
सभी स्कूलों में स्काउट और गाइड दल का गठन होगा
लखनऊ। भारत-पाकिस्तान के बीच जब युद्ध जैसी स्थिति बन गई तब जिम्मेदारों को स्काउट एवं गाइड की याद आई। लिहाजा अब स्काउट एवं गाइड को भी पूरी तरह से सक्रिय करने का निर्णय लिया गया है। इसके तहत प्रदेश के सभी स्कूलों में अनिवार्य रूप से स्काउट एवं गाइड दल के गठन के निर्देश दिए गए हैं।
साथ ही प्रत्येक जिले में 50-50 अध्यापकों को भी सात से 10 दिनों का प्रशिक्षण दिलाए जाने को कहा गया है। यह भी कहा गया है कि पड़ोसी देश द्वारा युद्ध थोपे जाने या युद्ध जैसे हालात पैदा किए जाने के कारण स्काउट एण्ड गाइड की भी भूमिका अहम हो जाती हैं। लिहाजा सभी स्कूलों में स्काउट एण्ड गाइड दल का गठन कर उसे घायलों को फस्ट ऐड देने, आनन-फानन में स्ट्रेचर का निर्माण करने, गम्भीर रूप से घायल लोगों को निकटतम अस्पतालों तक पहुंचाने आदि की ट्रेनिंग दिलाई जाए।
सभी स्कूल प्रशासन से कहा गया है कि स्कूली बच्चों के बीच नैतिकता, अनुशासन, राष्ट्रीय एकता एवं सेवा व मदद की भावना जगाने तथा चरित्र निर्माण के गुणों का विकास करने के लिए स्काउट एवं गाइड का गठन अनिवार्य हो जाता है। ऐसे में कक्षा एक से कक्षा पांच तक के बालकों का 'कब' नाम से दलों का गठन किया जाए जबकि बालिकाओं का 'बुलबुल' के नाम से दल का गठन किया जाए। प्रत्येक दल में 24 कब व 24 बुलबुल होंगी। वहीं कक्षा छह से कक्षा आठ तक लड़कों का दल 'स्काउट' व लड़कियों का दल 'गाइड' के नाम से बनेगा।
स्काउट एवं गाइड के क्या हैं कार्य और दायित्व
युद्ध या प्राकृतिक अथवा किसी आपदा के अलावा सामाजिक कार्यों में भी स्काउट एवं गाइड की भूमिका काफी अहम हो जाती है। इनका मूल मंत्र ही है तैयार रहो। युद्ध या आपदाओं के दौरान स्काउड एवं गाइड दल के सदस्य घायलों को तत्काल फस्ट ऐड की सहायता प्रदान कराते हैं। गम्भीर रूप से घायलों को स्वनिर्मित स्ट्रेचर पर लादकर पास के अस्पताल तक पहुंचाना तथा भूखे लोगों के लिए भोजन आदि की व्यवस्था कर उन्हें सहायता पहुंचना है। इसके अलावा सामाजिक कार्यों में भी इनकी भूमिका अहम रहती है। मतदान के दौरान मतदाताओं को बूथ तक ले जाने में मदद करना भी एक जिम्मेदारी है।
समर्थ पोर्टल पर एक से 15 जून तक अपलोड किया जा सकेगा डाटा, शिक्षकों की मांग पर शासन ने डाटा अपलोड करने के लिए दिया अंतिम अवसर
समर्थ पोर्टल पर एक से 15 जून तक अपलोड किया जा सकेगा डाटा, शिक्षकों की मांग पर शासन ने डाटा अपलोड करने के लिए दिया अंतिम अवसर
प्रयागराज। उच्च शिक्षा में शिक्षकों का डाटा समर्थ पोर्टल पर अपलोड किए जाने की अंतिम तिथि बढ़ा दी गई है। साथ ही लंबित प्रकरणों को पूरा करने के लिए भी अतिरिक्त समय दिया गया है। इस बाबत विशेष सचिव निधि श्रीवास्तव ने दिशा-निर्देश जारी किए हैं।
पोर्टल पर डाटा अपलोड करने की अंतिम तिथि 15 मई थी, लेकिन बड़ी संख्या में प्रकरण लंबित रह गए थे। शासन ने लंबित प्रकरणों के निस्तारण के लिए 31 मई तक का समय दिया है। साथ ही तय किया है कि एक से 15 जून तक पोर्टल दोबारा खोला जाएगा। यह अंतिम अवसर होगा। इसके बाद कोई समयवृद्धि नहीं की जाएगी।
इस मसले पर उत्तर प्रदेश राजकीय महाविद्यालय शिक्षक वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. इंदु प्रकाश सिंह व अन्य पदाधिकारियों ने 15 मई को उच्च शिक्षा निदेशक डॉ. अमित भारद्वाज व सहायक निदेशक डॉ. बीएल शर्मा से मुलाकात की थी।
उन्होंने वार्षिक और सेमेस्टर परीक्षाओं में व्यस्तता और महाविद्यालयों को प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए केंद्र बनाए जाने के कारण हुए विलंब का हवाला देते हुए डाटा अपलोड करने के लिए अतिरिक्त समय मांगा था।
समर्थ के चक्कर में फंस गई एडेड और राजकीय महाविद्यालयों के हजारों शिक्षकों की पदोन्नति
लंबी-चौड़ी सूचनाएं व कागज देने में शिक्षकों को छूट रहा पसीना
15 मई तक सूचना न देने पर शिक्षकों का वेतन रोकने की चेतावनी
लखनऊ। प्रदेश के राज्य विश्वविद्यालयों में परीक्षा और प्रवेश के बाद समर्थ पोर्टल के चक्कर में अब राजकीय व अशासकीय सहायता प्राप्त (एडेड) महाविद्यालयों के हजारों शिक्षकों की पदोन्नति फंस गई है। उच्च शिक्षा विभाग की ओर से शिक्षकों से समर्थ पोर्टल पर लगभग 64 कॉलम में लगभग 170 बिंदुओं पर मांगी गई सूचनाएं देने में शिक्षकों को पसीना छूट रहा है।
प्रदेश के राज्य विश्वविद्यालयों में समर्थ पोर्टल के माध्यम से कोई भी व्यवस्था आसानी से लागू नहीं हो पा रही है। पहले इसके चक्कर में परीक्षाओं में देरी हुई और उनको पूर्व की प्रक्रिया से आयोजित करना पड़ा। इस सत्र से प्रवेश में समर्थ पोर्टल को लागू करने का प्रयोग भी सफल नहीं हुआ। अंत में प्रवेश भी पुरानी प्रक्रिया से ही कराने का निर्णय लिया गया। वहीं अब इसके चक्कर में महाविद्यालयों के शिक्षकों की पदोन्नति फंसती जा रही है।
विभाग की ओर से एक अक्तूबर 2024 तक जिन शिक्षकों का प्रमोशन ड्यू है, वह ऑफलाइन होगा। इसके बाद का प्रमोशन ऑनलाइन होगा। इसके लिए शिक्षकों से समर्थ पोर्टल पर भारी भरकम सूचना मांग ली गई है। खास यह कि सिर्फ सूचना ही नहीं मांगी गई है, हर बिंदु से संबंधित कागजात भी अपलोड करने हैं। जो शिक्षक छह महीने बाद सेवानिवृत्त होने वाले हैं, उनसे भी पीएचडी कब अवार्ड हुई, इसकी तिथि और सर्टिफिकेट मांगा जा रहा है।
इसी तरह उनके शैक्षिक अनुभव, मुख्य संस्थान से इतर तैनाती, प्रशासनिक अनुभव, पीएचडी गाइडेंस, एमफिल-पीजी गाइडेंस, प्रकाशन आदि सूचनाएं मांगी गई हैं। इतना ही नहीं उच्च शिक्षा विभाग ने 15 मई तक सूचना न अपलोड करने पर संबंधित शिक्षकों व प्राचार्य के वेतन रोकने के भी निर्देश दे दिए हैं। इसे लेकर 331 एडेड व 141 राजकीय महाविद्यालयों के 15 हजार से अधिक उच्च शिक्षा विभाग के शिक्षक अब आंदोलन की राह पर हैं।
विभाग खुद अपलोड कराए सूचनाएं
शिक्षकों का कहना है कि किसी भी शिक्षक ने जब ज्वाइन किया है, कब उसकी पीएचडी हुई है, कब उसका प्रमोशन हुआ है। इसकी सारी सूचनाएं वह पूर्व में दे चुका है। यह सूचनाएं उच्च शिक्षा विभाग व निदेशालय के भी पास है। ऐसे में वह इन सूचनाओं को खुद पोर्टल पर अपलोड कराए। शिक्षकों के ऊपर इसको मढ़ना ठीक नहीं है। शिक्षकों के पास इतना समय नहीं है कि वह इतनी सूचनाएं अपलोड कर सकें।
दिन भर करा रहे परीक्षाएं कब अपलोड करें सूचना :
फुपुक्टा के संयुक्त मंत्री डॉ. गंगेश दीक्षित ने कहा कि इस समय राज्य विश्वविद्यालयों में परीक्षाएं चल रही हैं। शिक्षक सुबह से शाम तक इसमें व्यस्त रहते हैं। वह सूचनाएं कब अपलोड करें। बीच सत्र में यह नियम लागू करना ठीक नहीं है। यह सूचनाएं घर से अपलोड कर पाना संभव नहीं है। इसके लिए साइबर कैफे में घंटों समय देना पड़ेगा। ऊपर से साइट भी ठप हो जा रही है। उन्होंने कहा कि अगर विभाग जून तक ऑफलाइन प्रमोशन की छूट नहीं देता है तो प्रदेश संगठन आंदोलन के लिए बाध्य होगा।
Friday, May 16, 2025
एक शिक्षक के सहारे चल रहे समाज कल्याण के 109 विद्यालय, मान्यता पर लटकी तलवार
एक शिक्षक के सहारे चल रहे समाज कल्याण के 109 विद्यालय, मान्यता पर लटकी तलवार
प्रयागराज। समाज कल्याण विभाग की ओर से संचालित प्रदेश के 109 विद्यालयों की मान्यता पर तलवार लटकी है। यह विद्यालय वर्षों से एक ही शिक्षक के दम पर संचालित हैं जबकि यहां छात्र संख्या बहुत अधिक है। ऐसे में बेसिक शिक्षा की नियमावली का पालन नहीं हो पा रहा है। विद्यालयों को पूर्व में शासन स्तर से दो नोटिस दिया जा चुका है। अब तीसरे नोटिस के बाद भर्ती या समायोजन न करने पर इनकी मान्यता रद्द की जा सकती है। ऐसे सर्वाधिक 14 विद्यालय प्रयागराज में संचालित हैं।
पिछले दिनों निदेशक समाज कल्याण ने प्रदेश के सभी उप निदेशकों व जिला समाज कल्याण अधिकारियों के साथ बैठक की। इस दौरान प्रयागराज का जिक्र आते ही कहा कि यहां पर एकल विद्यालयों की स्थिति क्या है। उप निदेशक समाज कल्याण सुधीर कुमार ने बताया कि जिले में 14 विद्यालय हैं। इन विद्यालयों को पूर्व में दो नोटिस दिया गया है। जिसमें इन्हें कहा गया है कि या तो यह शिक्षकों की भर्ती करें अन्यथा दो विद्यालयों को समायोजित किए जाए लेकिन इन विद्यालयों ने दोनों ही विकल्पों पर सहमति नहीं दी। अब निदेशक ने प्रदेशभर के ऐसे विद्यालयों को एक और नोटिस देकर उचित कार्रवाई के लिए कहा। साथ ही कहा कि अगर ऐसा नहीं करते हैं तो इन विद्यालयों की मान्यता समाप्त करने के लिए शासन को पत्र लिखा जाए।
चार विद्यालयों में एक भी ट्रेंड शिक्षक नहीं: प्रदेश में चार विद्यालय ऐसे भी हैं जहां एक भी ट्रेंड या नियमित शिक्षक नहीं हैं। यहां पर शिक्षा मित्रों के सहारे काम चल रहा है। इसमें आजमगढ़ गौसपुर घुरी का राष्ट्रीय अनुसूचित जाति प्राथमिक पाठशाला, देवरिया भीखमपुर का अनुसूचित जाति प्राथमिक पाठशाला, हरदोई मोहकमपुर का अनुसूचित जाति प्राथमिक पाठशाला और हेमनखेड़ा का मोतीलाल कृषक शिक्षा निकेतन शामिल है।
मंडल के विद्यालयों की स्थिति: बाल विद्यालय नयापुरा में 15, कन्या प्राथमिक पाठशाला रमन का पुरा में 12, शांति शिक्षा सदन राजापुर में नौ, जन सेवा समिति प्राथमिक विद्यालय महाजना हंडिया में आठ, हरिजन कन्या प्राथमिक पाठशाला मलाकराज में सात, वाल्मीकि कन्या प्राथमिक विद्यालय न्याय मार्ग में पांच तथा आदिवासी प्राथमिक पाठशाला खरका, आदिवासी प्राथमिक पाठशाला घोरी, आदिवासी प्राथमिक विद्यालय अकबरशाहपुर, आदिवासी प्राथमिक विद्यालय मंगलपुर, आदिवासी प्राथमिक विद्यालय पटेहरा, आदिवासी प्राथमिक विद्यालय पटेहरी, आदिवासी प्राथमिक विद्यालय कोइहला, कस्तूरबा गांधी कन्या विद्यालय चौखटा में शिक्षकों के दो-दो पद स्वीकृत हैं पर एक ही शिक्षक कार्यरत है। उधर, कौशाम्बी के गौतमबुद्ध प्राथमिक विद्यालय में सात शिक्षकों के सापेक्ष सिर्फ एक शिक्षक की तैनाती है।
जिन एकल विद्यालयों में स्वीकृत पद के सापेक्ष भर्ती नहीं की गई है, उन्हें समायोजन का विकल्प दिया गया है। इस पर जो लोग राजी नहीं होंगे, उनके विद्यालय की मान्यता समाप्त करने के लिए पत्र लिखा जाएगा। –सुधीर कुमार, उप निदेशक समाज कल्याण
क्यों नहीं हो रही है भर्ती
गीष्मावकाश में प्रदेश के समस्त राजकीय, आशसकीय सहायता प्राप्त एवं स्ववित्तपोषित माध्यमिक विद्यालयों में समर कैम्प आयोजन के सम्बन्ध में।
प्रदेश के एडेड और स्ववित्तपोषित विद्यालयों में समर कैंप की अनिवार्यता नहीं, विरोध के बाद बदला फैसला, पूर्व में जारी आदेश संशोधित
प्रदेश के अशासकीय सहायता प्राप्त (एडेड) व स्ववित्तपोषित माध्यमिक विद्यालयों में समर कैंप के आयोजन की अनिर्वायता नहीं होगी। यह विद्यालय अपनी स्वेच्छा (ऐच्छिक रूप) से समर कैंप का आयोजन करेंगे। इतना ही नहीं कैंप का आयोजन विद्यार्थियों, अभिभावकों व शिक्षकों की सहमति से ही किया जाएगा। जबकि राजकीय माध्यमिक विद्यालयों में कैंप का आयोजन पूर्व की भांति 21 मई से किया जाएगा।
शिक्षक संगठनों के विरोध में आने पर विभाग ने अपना पूर्व में जारी आदेश संशोधित कर दिया है। समग्र शिक्षा के अपर राज्य परियोजना निदेशक विष्णुकांत पांडेय की ओर से बृहस्पतिवार को जारी निर्देश में कहा गया है कि एडेड व सेल्फ फाइनेंस विद्यालय अपने भौतिक व वित्तीय संसाधनों को देखते हुए ऐच्छिक रूप से समर कैंप के आयोजन का निर्णय लेंगे। इसकी सूचना डीआईओएस को भी देंगे। समर कैंप का आयोजन विद्यार्थियों, अभिभावकों व शिक्षकों की सहमति से होगा।
जबकि इससे पहले उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ (चंदेल गुट) के संरक्षक व विधान परिषद सदस्य राज बहादुर सिंह चंदेल ने महानिदेशक स्कूल शिक्षा को पत्र लिखकर समर कैंप को स्थगित करने की मांग किया है। उन्होंने कहा कि इस भीषण गर्मी में समर कैंप अप्रासंगिक है। इससे बच्चों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। उप्र माध्यमिक शिक्षक संघ (पांडेय गुट) ने समर कैंप के आयोजन को असंवैधानिक बताते हुए इसके बहिष्कार की घोषणा की है।
संघ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. जितेंद्र कुमार सिंह पटेल ने महानिदेशक स्कूल शिक्षा कंचन वर्मा से भीषण गर्मी को देखते हुए इसे स्थगित करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि गर्मी को देखते हुए ही स्कूलों में छुट्टी का प्रावधान किया गया है। संघ के प्रादेशिक उपाध्यक्ष ओम प्रकाश त्रिपाठी ने समर कैंप के आयोजन को तत्काल स्थगित करके आगे कार्य दिवसों में ऐसे आयोजन कराने की मांग की है।
उन्होंने कहा कि समर कैंप का आदेश जब तक स्थगित नहीं होता है, तब तक शिक्षक इसका क़ाली पट्टी बांधकर अपना विरोध जताएंगे। वहीं माध्यमिक शिक्षक संघ (शर्मा गुट) के प्रदेश अध्यक्ष सुरेश कुमार त्रिपाठी व महामंत्री नरेंद्र कुमार वर्मा ने भी महानिदेशक स्कूल शिक्षा को पत्र लिखकर प्रदेश के अधिकतर जिलों में 40 डिग्री से अधिक तापमान है। बुंदेलखंड में लू चल रही है। विद्यालयों में न तो कूलर हैं न ही पर्याप्त पंखे ही। ऐसे में समर कैंप का आयोजन बच्चों के स्वास्थ्य के हित में नहीं है। एमएलसी ध्रुव कुमार त्रिपाठी ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर समर कैंप का आदेश वापस लेने की मांग की है।
दिए गए हैं निर्देश
- समर कैंप में आने वाले शिक्षकों को नियमानुसार छुट्टी दी जाएगी
- बिना अभिभावक की सहमति के छात्रों को स्कूल में नहीं रोकेंगे
- धूप में किसी प्रकार की गतिविधि नहीं आयोजित करेंगे
- समर कैंप में छात्रों को किसी तरह का तनाव नहीं देंगे
- किसी भी गतिविधि में शामिल होने के लिए छात्रों को बाध्य नहीं करेंगे
ग्रीष्मावकाश में प्रदेश के समस्त राजकीय, अशासकीय सहायता प्राप्त एवं स्ववित्तपोषित माध्यमिक विद्यालयों में समर कैम्प आयोजन के सम्बन्ध में
समर कैम्प में जो शिक्षक आएंगे उन्हें मिलेगा उपार्जित अवकाश, शिक्षक संगठनों के विरोध को देखते हुए माध्यमिक शिक्षा विभाग ने इस बारे में जारी शासनादेश की ओर सभी पक्षों का ध्यान आकृष्ट किया
लखनऊ। स्कूलों में समर कैम्प आयोजित किए जाने को लेकर शिक्षक संगठनों के विरोध को देखते हुए माध्यमिक शिक्षा विभाग ने इस बारे में जारी शासनादेश की ओर सभी पक्षों का ध्यान आकृष्ट किया है। बीते सात मई को स्कूल शिक्षा महानिदेशक कंचन वर्मा की ओर से जारी आदेश में भी इसका स्पष्ट उल्लेख है कि ग्रीष्मावकाश के दौरान 21 मई से 10 जून तक आयोजित होने वाले समर कैम्प में ड्यूटी करना सभी शिक्षकों के लिए अनिवार्य नहीं है।
साथ ही यह भी प्रावधान किया गया है कि जो शिक्षक समर कैम्प में बुलाए जाएंगे चाहे वे राजकीय विद्यालयों के हों या अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों के हों उन्हें नियमानुसार उपार्जित अवकाश दिया जाएगा। समर कैम्प में भाग लेने वाले विद्यार्थियों को लेकर भी बकायदा स्पष्ट निर्देश हैं कि विद्यार्थियों के अभिभावकों से 16 मई से पूर्व लिखित सहमति अवश्य प्राप्त कर ली जाए। तय तिथि के दौरान विद्यालयों में खोज एवं खेल-खेल में सीखने के उद्देश्य से समर कैम्प का आयोजन किया जा रहा है ताकि विद्यार्थी नियमित पढ़ाई से भिन्न रोचक गतिविधियों का आनन्द ले सकें।
विभागीय अधिकारियों का कहना है कि ग्रीष्मावकाश के दौरान प्राइवेट विद्यालयों में समर कैम्प का आयोजन किया जाता है। जिसमें विद्यार्थी जीवन कौशल, खेल, सांस्कृतिक एवं साहित्यिक गतिविधियां सीखते हैं, जबकि अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों एवं राजकीय माध्यमिक विद्यालयों के विद्यार्थी इससे वंचित रह जाते हैं। इसी को दृष्टिगत रखते हुए विद्यार्थियों में जीवन कौशल, खेल, आत्मविश्वास, टीम वर्क, कैरियर गाइडेंस आदि की भावना को जागृत करने के लिए समर कैम्प के आयोजन कराया जा रहा है। हालांकि अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में समर कैम्प का आयोजन प्रधानाचार्य/शिक्षक स्वेच्छानुसार कर सकते हैं।
सहायता प्राप्त व स्ववित्तपोषित कॉलेजों में भी होंगे समर कैंपडीएम की अध्यक्षता में बनी कमेटी कराएगी आयोजन, विभाग ने 21 मई से 10 जून का विस्तृत कार्यक्रम भी किया जारी
लखनऊ। प्रदेश में गर्मी की छुट्टियों में राजकीय ही नहीं अशासकीय सहायता प्राप्त (एडेड) स्ववित्तपोषित माध्यमिक विद्यालयों में भी समर कैंप आयोजित किए जाएंगे। खास यह कि शिक्षकों के विरोध को देखते हुए जिलाधिकारी की अध्यक्षता वाली कमेटी को समर कैंप के आयोजन की जिम्मेदारी दी गई है।
कैंप के आयोजन, अनुश्रवण व पर्यवेक्षण के लिए डीएम की अध्यक्षता में सात सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया है। राज्य परियोजना निदेशालय के अनुसार 21 मई से 10 जून तक समर कैंप का आयोजन किया जा रहा है। निदेशालय ने कहा है कि इस दौरान विद्यार्थियों में रचनात्मक सोच विकसित करने, टीम वर्ग, आत्मविश्वास, जीवन कौशल का विकास, सामाजिक-सांस्कृतिक मूल्यों की समझ, खेलकूद, कला, विज्ञान व सांस्कृतिक गतिविधियों से छात्रों का समग्र विकास किया जाएगा। निदेशालय ने कहा है कि 13 मई तक सभी कॉलेजों में बैठक कर इसकी तैयारी कर ली जाए। ब्लॉक स्तर पर कम से कम एक राजपत्रित अधिकारी को नोडल बनाया जाए। कैंप की व्यवस्था डीआईओएस के माध्यम से कराई जाए। कैंप न्यूनतम तीन घंटे का होगा।
कैंप में यह होंगी गतिविधियां
निदेशालय के अनुसार कैंप में सुबह योग व व्यायाम। रस्साकशी, म्यूजिकल चेयर व रस्सी कूद, खो-खो, फुटबाल, रंगोली, मिट्टी कला, कॅरिअर गाइडेंस से संबंधित गतिविधि व जानकारी दी जाएगी। वहीं बेसिक लाइफ सपोर्ट, सीपीआर, वीडियो एडिटिंग, साइबर सुरक्षा जैसी तमाम अन्य जानकारियां दी जाएंगी।
शिक्षकों को दिया जाएगा उपार्जित अवकाश: महानिदेशक स्कूल शिक्षा कंचन वर्मा ने कहा है कि कैंप में सभी विद्यालयों के प्रधानाचार्य की उपस्थिति अनिवार्य है। वहीं 100 छात्र संख्या वाले विद्यालयों में एक प्रधानाचार्य और एक शिक्षक स्कूल आएंगे। अगर छात्र संख्या 100 से ज्यादा है तो दो शिक्षकों को बुलाया जाएगा। इस दौरान आने वाले शिक्षकों को नियमानुसार उपार्जित अवकाश दिया जाएगा।
यूपी के माध्यमिक विद्यालयों में भी होगा समर कैंप, 21 मई से 10 जून तक होगा आयोजन, रोजाना होंगी अलग-अलग गतिविधियां
गीष्मावकाश में प्रदेश के समस्त राजकीय, आशसकीय सहायता प्राप्त एवं स्ववित्तपोषित माध्यमिक विद्यालयों में समर कैम्प आयोजन के सम्बन्ध में।
प्रदेश के समस्त माध्यमिक विद्यालयों में 21 मई से 10 जून 2025 तक होगा समर कैंप का आयोजन, देखें आदेश
Thursday, May 15, 2025
Wednesday, May 14, 2025
CBSE Results : 10वीं-12वीं में बेटियों का जलवा, 10वीं में 93.66% और 12वीं में 88.39% विद्यार्थी पास
CBSE Results : 10वीं-12वीं में बेटियों का जलवा, 10वीं में 93.66% और 12वीं में 88.39% विद्यार्थी पास
10वीं में करीब 2.5% व 12वीं में करीब 6% लड़कियां ज्यादा पास
नई दिल्ली। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने 10वीं और 12वीं के नतीजे घोषित कर दिए। परिणाम में बेटियों फिर छाई हुई हैं। लड़कों की तुलना में हाईस्कूल में करीब ढाई फीसदी और इंटरमीडिएट में करीब छह फीसदी ज्यादा लड़कियां पास हुई हैं।
10वीं में 93.66 फीसदी विद्यार्थी पास हुए, जो पिछले वर्ष के 93.60 फीसदी से 0.06 फीसदी ज्यादा हैं। वहीं, 12वीं में 88.39 फीसदी परीक्षार्थी उत्तीर्ण हुए हैं। यह पिछले साल के 87.98 फीसदी की तुलना में 0.41 फीसदी अधिक है। हालांकि, 12वीं में 90 फीसदी या अधिक अंक लाने वाले विद्यार्थियों की संख्या में बीते साल के मुकाबले हल्की गिरावट है।
सीबीएसई के परीक्षा नियंत्रक संयम भारद्वाज के अनुसार, 10वीं में 95 फीसदी छात्राएं व 92.63 फीसदी छात्र पास हुए हैं। ट्रांसजेंडर अभ्यर्थियों का पास प्रतिशत 95 रहा, जबकि पिछले साल यह 91.30 प्रतिशत था। 12वीं में 91.64 प्रतिशत लड़कियां और 85.70 प्रतिशत लड़के सफल हुए हैं। इस बार सभी ट्रांसजेंडर परीक्षार्थी सफल रहे। उनका पास प्रतिशत पिछले साल के 50 प्रतिशत से दोगुना है।
विजयवाड़ा क्षेत्र अव्वल, प्रयागराज पीछे
12वीं में विजयवाड़ा क्षेत्र में सबसे अधिक 99.60 प्रतिशत विद्यार्थी उत्तीर्ण हुए। त्रिवेंद्रम 99.32 प्रतिशत परिणाम के साथ दूसरे स्थान पर रहा। प्रयागराज क्षेत्र में सबसे कम 79.53 प्रतिशत विद्यार्थी उत्तीर्ण हुए।
पीएम मोदी ने दी बधाई, बढ़ाया हौसला
सभी विद्यार्थियों को हार्दिक बधाई। यह आपके दृढ़ संकल्प, अनुशासन व कड़ी मेहनत का नतीजा है। आज का दिन माता-पिता, शिक्षकों और अन्य सभी लोगों की भूमिका स्वीकार करने का भी दिन है, जिन्होंने इस उपलब्धि में योगदान दिया है। परीक्षा योद्धाओं को आगे आने वाले सभी अवसरों में सफलता की शुभकामनाएं। नरेंद्र मोदी, पीएम
नीचे दिए लिंक से क्लिक करके रिजल्ट देख सकते हैं
- • Secondary School Examination (Class X) Results 2025 (Link 1) - Announced on 13th May 2025
- • Secondary School Examination (Class X) Results 2025 (Link 2) - Announced on 13th May 2025
- • Secondary School Examination (Class X) Results 2025 (Link 3) - Announced on 13th May 2025
- • Senior School Certificate Examination (Class XII) Results 2025 (Link 1) - Announced on 13th May 2025
- • Senior School Certificate Examination (Class XII) Results 2025 (Link 2) - Announced on 13th May 2025
- • Senior School Certificate Examination (Class XII) Results 2025 (Link 3) - Announced on 13th May 2025
मदरसे के विद्यार्थी पढ़ेंगे विज्ञान व गणित, मदरसा बोर्ड के कक्षा 9 से 12 तक के पाठ्यक्रम में होगा बदलाव
मदरसे के विद्यार्थी पढ़ेंगे विज्ञान व गणित, मदरसा बोर्ड के कक्षा 9 से 12 तक के पाठ्यक्रम में होगा बदलाव
लखनऊ। मदरसे में कक्षा-9 से 12 तक के विद्यार्थियों को विज्ञान और गणित जैसे विषय भी पढ़ाए जाएंगे। यूपी बोर्ड की तर्ज पर इन विषयों को मदरसा बोर्ड के पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा। इसके लिए शीघ्र ही निदेशक समाज कल्याण की अध्यक्षता में गठित कमेटी की बैठक होगी।
प्रदेश में वर्तमान में 13329 मान्यता प्राप्त मदरसे संचालित हैं। इनमें 1235400 छात्र-छात्राएं अध्ययनरत हैं। इन मदरसों में 9,979 प्राथमिक व उच्च प्राथमिक स्तर (कक्षा 1 से 8) और 3,350 माध्यमिक व उच्चतर माध्यमिक स्तर (कक्षा 9 से 12) के हैं। इनमें से 561 मदरसे राज्य सरकार से अनुदानित हैं, जिनमें कुल 231806 छात्र पंजीकृत हैं।
इन मदरसों में कक्षा 1-8 तक का पाठ्यक्रम लगभग बेसिक शिक्षा परिषद के समान है, लेकिन कक्षा-9 से 12 में अभी विज्ञान और गणित जैसे विषय नहीं पढ़ाए जाते हैं। उच्चस्तर पर फैसला किया गया है कि इन विद्यार्थियों को भी उर्दू, अरबी, फारसी और अंग्रेजी भाषा के साथ विज्ञान और गणित जैसे आधुनिक विषय भी अनिवार्य रूप से पढ़ाए जाएं।
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