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Monday, June 19, 2017

लखीमपुर खीरी : निरंतर घट रही प्राथमिक विद्यालयों के छात्रों की संख्या, जागरूकता अभियान का भी नहीं हो रहा असर

बीते शैक्षिक सत्र में प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों में तमाम जागरूकता अभियान चलाने के बावजूद छात्रों की संख्या में गिरावट दर्ज की गई है। 20 मई 2016 तक प्राथमिक विद्यालय में जहां 38418 छात्र की संख्या दर्ज है वहीं उच्च प्राथमिक विद्यालय में 16205 छात्र अध्ययनरत रहे थे। जबकि 20 अक्टूबर 2016 तक इन्हीं छात्रों में भारी संख्या में गिरावट देखी गई। प्राथमिक विद्यालय में 33021 छात्रों की उपस्थिति देखी गईवहीं उच्च प्राथमिक विद्यालय में 9046 छात्र अध्ययनरत पाए गए। वहीं इस शैक्षिक सत्र 2017-18 में 20 मई 2017 तक प्राथमिक विद्यालयों में 29593 छात्र व उच्च प्राथमिक विद्यालय में 9447 छात्रों की संख्या रजिस्टरों में दर्ज है।

शिव आसरे गुप्तानिघासन-खीरी। क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालयों में बच्चों की संख्या बढ़ाने के लिए हर वर्ष कई अभियान चलाए जाते हैं, लेकिन इसका कोई असर होता नहीं दिख रहा हैं। अगर हर वर्ष हो रहे नामांकन के आंकड़ों पर गौर किया जाए तो परिषदीय स्कूलों में बच्चों की संख्या निरंतर घटती जा रही हैं। नवीन शिक्षण सत्र में हुए नामांकन के विभागीय आंकड़ों में बच्चों की संख्या घटी हैं। निघासन तहसील में 186 प्राथमिक विद्यालय व 68 उच्च प्राथमिक विद्यालय हैं। बीते वषोंर् में कार्यरत शिक्षकों की बात करें तो नाम मात्र शिक्षकों ने ही बड़ी संख्या में बच्चों को विद्यालयों में रोके रखा था, लेकिन अब पहले की तुलना में शिक्षकों की संख्या तीन गुना अधिक हो गई हैं। इसके बावजूद भी परिषदीय विद्यालयों में बच्चों के नामांकन की संख्या बढ़ना तो दूर की बात हैं। बड़े पैमाने पर बच्चों की संख्या घटती ही जा रही हैं। नि:शुल्क शिक्षा, किताबें, वर्क बुक, बैग, दो जोड़ी यूनिफार्म के साथ बच्चों को छात्रवृत्ति के साथ ही स्कूलों में मीनू के अनुसार दोपहर का भोजन दिए जाने की योजना हैं। इसके अतिरिक्त बच्चों को ताजा दूध व फल सहित अन्य योजनाएं शासन ने बच्चों को आकर्षित करने की अनेकों योजनाएं चला रखी हैं। जिसमें किन्ही कारणों के चलते कुछ वषोंर् से छात्रवृत्ति योजना बन्द हैं। जिससे बच्चों की संख्या पर भी कुछ असर देखने को मिल रहा हैं। इस सम्बन्ध में कार्यवाहक खंड शिक्षा अधिकारी सुनील कुमार सिंह ने बताया कि अगर शिक्षकों की लापरवाही से बच्चों की संख्या घट रही हैं, तो ऐसे लापरवाह शिक्षकों के प्रति कठोर कार्यवाई की जाएगी। जुलाई में पुन: अभियान चलाकर बच्चों के नामांकन कराए जाएंगे, रही बात छात्रवृत्ति की तो वह शासन की जिम्मेदारी हैं। विभाग की नहीं।

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