जागरण संवाददाता, बरेली: डीएम सुरेंद्र सिंह ने बदहाल सरकारी शिक्षा व्यवस्था को सुधारने के लिए रोड मैप तैयार किया है। वह चाहते हैं कि सरकारी स्कूल प्राइवेट की बराबरी करें। उनसे भी होनहार निकलें। अपनी सोच को जमीन पर लाने के लिए डीएम ने बुधवार को संजय कम्युनिटी हाल में एक हजार लोगों की बैठक बुलाई है।1दोपहर 12 बजे से होने वाली बैठक में शिक्षा विभाग के अफसरों के साथ शिक्षक और अभिभावक भी बुलाए हैं। समाजसेवा के क्षेत्र से जुड़े लोग भी इस बैठक में हिस्सा लेंगे। डीएम ने बताया कि कदम दर कदम लगातार प्रयास करके सरकारी स्कूलों को प्राइवेट जैसी स्थिति में ले आएंगे। गुणवत्ता के लिए शिक्षकों को प्रेरित करेंगे। एकेडमिक कैलेंडर तैयार करेंगे। स्कूलों पर नजर रखने की जिम्मेदारी अभिभावकों पर रहेगी। हर स्कूल से मेधावी छांटने के लिए जिला स्तर पर प्रतियोगिताएं होंगी। आदर्श शिक्षक, छात्र और अभिभावकों की पहचान की जाएगी। उन्हें बड़े मंचों पर सम्मानित करके उत्साह बढ़ाएंगे। प्रतिस्पर्धा के लिए प्राइवेट स्कूलों जैसा माहौल बना दिया जाएगा। उससे पहले ही जिले के डेढ़ सौ स्कूल खुल जाएंगे, जो शिक्षकों के अभाव में बंद हैं। जहां ज्यादा शिक्षक हैं, उन्हें कम करके उन स्कूलों में भेजा जाएगा, जहां कोई शिक्षक तैनात नहीं है।जागरण संवाददाता, बरेली: डीएम सुरेंद्र सिंह ने बदहाल सरकारी शिक्षा व्यवस्था को सुधारने के लिए रोड मैप तैयार किया है। वह चाहते हैं कि सरकारी स्कूल प्राइवेट की बराबरी करें। उनसे भी होनहार निकलें। अपनी सोच को जमीन पर लाने के लिए डीएम ने बुधवार को संजय कम्युनिटी हाल में एक हजार लोगों की बैठक बुलाई है।1दोपहर 12 बजे से होने वाली बैठक में शिक्षा विभाग के अफसरों के साथ शिक्षक और अभिभावक भी बुलाए हैं। समाजसेवा के क्षेत्र से जुड़े लोग भी इस बैठक में हिस्सा लेंगे। डीएम ने बताया कि कदम दर कदम लगातार प्रयास करके सरकारी स्कूलों को प्राइवेट जैसी स्थिति में ले आएंगे। गुणवत्ता के लिए शिक्षकों को प्रेरित करेंगे। एकेडमिक कैलेंडर तैयार करेंगे। स्कूलों पर नजर रखने की जिम्मेदारी अभिभावकों पर रहेगी। हर स्कूल से मेधावी छांटने के लिए जिला स्तर पर प्रतियोगिताएं होंगी। आदर्श शिक्षक, छात्र और अभिभावकों की पहचान की जाएगी। उन्हें बड़े मंचों पर सम्मानित करके उत्साह बढ़ाएंगे। प्रतिस्पर्धा के लिए प्राइवेट स्कूलों जैसा माहौल बना दिया जाएगा। उससे पहले ही जिले के डेढ़ सौ स्कूल खुल जाएंगे, जो शिक्षकों के अभाव में बंद हैं। जहां ज्यादा शिक्षक हैं, उन्हें कम करके उन स्कूलों में भेजा जाएगा, जहां कोई शिक्षक तैनात नहीं है।
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