सुधार न होने की स्थिति में प्राथमिक स्कूलों की तरह विश्वविद्यालय व कॉलेजों में भी पढ़ेंगे सिर्फ गरीबों के बच्चे
एनआइओएस (नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओपन स्कूल) के चेयरमैन प्रो. सीबी शर्मा ने शैक्षिक गुणवत्ता के स्तर में आई गिरावट को, उच्च शिक्षा के वजूद के लिए खतरा माना है। उन्होंने सरकारी-अनुदानित विश्वविद्यालय और डिग्री कॉलेजों को आईना दिखाते हुए कहा कि अगर इनके यहां पढ़ाई में सुधार नहीं हुआ तो निजी शिक्षण संस्थाओं का दायरा बढ़ेगा। तब सरकारी शिक्षण संस्थाओं का हश्र भी प्राथमिक विद्यालयों जैसा हो जाएगा। शनिवार को रुहेलखंड विश्वविद्यालय की आइक्यूएसी (आंतरिक गुणवत्ता सुधार सेल) की वर्कशॉप में करीब सौ जिलों के प्राचार्य प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि प्रो. सीबी शर्मा ने ये बातें कहीं।1उन्होंने कहा कि आज हर व्यक्ति अपने बच्चों को प्राथमिक विद्यालयों की बजाय निजी स्कूलों में पढ़ाना बेहतर समझता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि वहां पढ़ाई बेपटरी हो गई। अगर यही हाल सरकारी-अनुदानित विवि कॉलेजों का रहा तो यहां कोई प्रवेश लेने को तैयार नहीं होगा। तब सिर्फ गरीबों के बच्चे ही इनमें पढ़ेंगे। प्राचार्य और शिक्षकों से गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का माहौल बनाने का आह्वान भी किया। अध्यक्षता, रुविवि के कुलपति प्रो. अनिल शुक्ल ने की। उन्होंने भी पढ़ाई के स्तर में सुधार की जरूरत जताते हुए कहा कि पाठ्यक्रम में नियमित तौर पर बदलाव किया जाता रहे। छात्र-शिक्षक दोनों की कक्षा में उपस्थिति सुनिश्चित हो, निश्चित तौर पर अच्छे स्टूडेंट्स निकलेंगे। विशिष्ट अतिथि लखनऊ विवि के प्रो. राजीव मनोहर थे।
उन्होंने कॉलेजों को नैक ग्रेड की वैल्यू बताते हुए कहा कि भविष्य में ये ग्रेड कॉलेजों के आधार कार्ड के तौर पर काम करेगा। जिस कॉलेज का मूल्यांकन नहीं होगा, उसकी मान्यता तक जा सकती है। रुविवि में आइक्यूएसी के समन्वयक प्रो. बीआर कुकरेती ने नैक मूल्यांकन और संशोधित प्रक्रिया, मानक और पैमाने में हुए बदलाव पर प्रकाश डाला। संचालन डॉ. तरुण राष्ट्रीय ने किया। डॉ. रश्मि अग्रवाल, प्रो. एनएन पांडेय, डॉ. संतोष अरोड़ा, डॉ. प्रेमपाल सिंह, डॉ. केके माहेश्वरी आदि मौजूद रहे।रुविवि में आइक्यूएसी की वर्कशॉप में कुलपति प्रो. अनिल शुक्ल, एनआइओएस के चेयरमैन प्रो. सीबी शर्मा, एलयू के प्रो. राजीव मनोहर, कार्यक्रम समन्वयक प्रो. बीआर कुकरेती व अन्य ’इन जिलों के रहे प्राचार्य वर्कशॉप में बरेली, पीलीभीत, शाहजहांपुर, बदायूं और रामपुर जिलों में स्थित डिग्री कॉलेजों के प्राचार्य व प्रतिनिधि मौजूद रहे।
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