सरकारी स्कूलों में ऑनलाइन हाजिरी बंद होने की जानकारी नहीं है। इसे दिखावाया जाएगा, कहां पर दिक्कत आ रही है। -डॉ. मुकेश कुमार सिंह, डीआईओएस
सबसे पहले स्कूलों में संसाधन होना जरूरी है। कई सरकारी स्कूल तो जूनियर हाईस्कूल के कमरे में चल रहे हैं। कर्मचारी हैं नहीं। सरकार को चाहिए पहले संसाधन मुहैया करवाए। -पारस नाथ पांडेय, प्रांतीय अध्यक्ष, राजकीय शिक्षक संघ उप्र
एक शिक्षक ने बताया कि स्कूल में कोई संसाधन नहीं दिया गया। फिर भी कुछ स्कूल में शिक्षकों ने अपने पास से पैसे खर्च करके साइबर कैफे के माध्यम से ऑनलाइन हाजिरी की सूचना अपलोड की। लेकिन ज्यादा दिन तक यह व्यवस्था नहीं चल पाई।
राजधानी में 49 सरकारी स्कूल संचालित हैं। इनमें 36 स्कूल राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के तहत चल रहे हैं। लेकिन ज्यादातर के पास न तो अपना भवन है और न ही बिजली और न बैठने के लिए फर्नीचर। कुछ तो कई साल से एक-दो कमरे में चल रहे हैं। ऐसे में यहां के शिक्षकों व कर्मचारियों की ऑनलाइन हाजिरी शुरू ही नहीं हो पाई।
साइबर कैफे पर खर्च करने पड़े पैसे
• अखिल सक्सेना, लखनऊ: सरकारी स्कूलों के शिक्षकों व कर्मचारियों के लिए ऑनलाइन हाजिरी दर्ज करवाने की योजना कागजों तक सीमित रह गई। जिस वेबसाइट पर उपस्थिति अपलोड की जानी थी, वह कई महीने से बंद है। वहीं, इस व्यवस्था को शुरू तो कर दिया गया, लेकिन स्कूलों को संसाधन तक नहीं उपलब्ध करवाए गए। विभागीय जिम्मेदारों ने भी इसे गंभीरता से नहीं लिया। नतीजा, ऑनलाइन हाजिरी का सिस्टम फेल हो गया।
केंद्र सरकार ने बीते वर्ष एक सितंबर से सभी राजकीय स्कूलों के शिक्षकों व कर्मचारियों की उपस्थिति ऑनलाइन भेजने की योजना शुरू की थी। इसमें www.shaladarpanup.com पर हर स्कूल के प्रिंसिपल को शिक्षकों व कर्मचारियों की उपस्थिति हर सप्ताह अपलोड की जानी थी। उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा अभियान (यूपीएमएसए) के तहत सभी डीआईओएस को निर्देश जारी किए गए। वहीं, स्कूलों के प्रिंसिपल को यूजर एवं पासवर्ड एसएमएस के माध्यम से भेज दिए गए। विभागीय सूत्रों के मुताबिक कुछ महीने ऑनलाइन हाजिरी की प्रक्रिया चली, उसके बाद से वेबसाइट ही बंद है।
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