यूपी बोर्ड : हाईस्कूल में दस और इंटर में सात विषय की करनी होगी पढ़ाई, बदलेगा मूल्यांकन का तरीका
यूपी बोर्ड : इंटर में सात विषय की करनी होगी पढ़ाई
प्रयागराज : यूपी बोर्ड कक्षा 9 से 12 तक एनईपी 2020 और एनसीएफ 2023 को लागू करने के लिए चरणबद्ध बदलाव करेगा। कक्षा 9 और 10 में 6 की बजाय 10 विषय, और कक्षा 11 और 12 में 5 की बजाय 7 विषय होंगे।
प्रयागराज। राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 और राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा (एनसीएफ) 2023 लागू करने के लिए यूपी बोर्ड में कक्षा नौ से 12 तक चरणबद्ध तरीके से बदलाव होगा। पहले कक्षा नौ और दस में छह की बजाय दस विषय लागू होंगे। उसके बाद कक्षा 11 और 12 में पांच की बजाय सात विषय का पैटर्न लागू होगा। समूह एक में विद्यार्थियों के लिए दो भाषाएं पढ़ना अनिवार्य होगा।
समूह दो के तहत कला शिक्षा, शारीरिक एवं स्वास्थ्य शिक्षा व व्यावसायिक शिक्षा, समूह तीन सामाजिक विज्ञान और मानविकी व अंतरविषयक क्षेत्र जबकि समूह चार विज्ञान, गणित और कंप्यूटेशनल सोच में से किन्हीं दो समूहों में से चार और एक वैकल्पिक कुल सात विषय का अध्ययन करना होगा। पाठ्यक्रम, परीक्षा और मूल्यांकन में बदलाव पर चर्चा के लिए यूपी बोर्ड की ओर से सीमैट सभागार में आयोजित दो दिनी कार्यशाला का समापन बुधवार को हुआ।
समापन अवसर पर केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) के पूर्व चेयरमैन अशोक गांगुली और सीबीएसई के पूर्व परीक्षा नियंत्रक पवनेश कुमार ने विभिन्न बिन्दुओं पर चर्चा की। यूपी बोर्ड के सचिव भगवती सिंह ने आभार ज्ञापित किया।
UP Board : यूपी बोर्ड में अगले सत्र से 10 विषय पढ़ाने की तैयारी, पाठ्यक्रम बनाने को लेकर मंथन
नई शिक्षा नीति चार वर्ष पहले घोषित की गई थी, अब उस पर अमल करने की तैयारी है। नई शिक्षा नीति के क्रम में जारी नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क (एनसीएफ)-2023 के अंतर्गत हाईस्कूल में 10 विषय पढ़ाए जाने हैं। इसमें तीन विषय भाषा के होंगे। इसके अलावा सात विषयों में गणित, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान, अंतर्विषयक क्षेत्र, शारीरिक शिक्षा, कला शिक्षा और व्यावसायिक शिक्षा के होंगे।
नई शिक्षा नीति के अनुसार यूपी बोर्ड के पाठ्यक्रम और प्रश्नपत्र के स्वरूप में काफी कुछ बदलाव की तैयारी है। इसके लिए मंगलवार से दो दिवसीय मंथन शुरू हुआ। इसमें सीबीएसई के पूर्व चेयरमैन अशोक गांगुली और पूर्व परीक्षा नियंत्रक पवनेश कुमार ने बदलाव के संबंध में बोर्ड के अधिकारियों को कई सुझाव दिए।
नई शिक्षा नीति चार वर्ष पहले घोषित की गई थी, अब उस पर अमल करने की तैयारी है। नई शिक्षा नीति के क्रम में जारी नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क (एनसीएफ)-2023 के अंतर्गत हाईस्कूल में 10 विषय पढ़ाए जाने हैं। इसमें तीन विषय भाषा के होंगे। इसके अलावा सात विषयों में गणित, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान, अंतर्विषयक क्षेत्र, शारीरिक शिक्षा, कला शिक्षा और व्यावसायिक शिक्षा के होंगे।
इन विषयों का पाठ्यक्रम और प्रश्नपत्र का स्वरूप तैयार करने के लिए सीमैट में दो दिवसीय कार्यशाला हुई। इसमें अशोक गांगुली ने कहा कि हाईस्कूल स्तर के विद्यार्थियों पर अतिरिक्त दबाव न पड़े, इसके लिए जरूरी है कि पाठ्यक्रम संक्षिप्त किया जाए।
हाईस्कूल स्तर पर प्रत्येक विषय के पाठ्यक्रम में केवल आधारभूत जानकारी शामिल की जाए। अंग्रेजी, गणित, विज्ञान और सामाजिक विज्ञान का पाठ्यक्रम एनसीईआरटी का ले सकते हैं। अन्य विषय में बोर्ड बदलाव करे।
वहीं, पवनेश कुमार कहा कि हमारी मूल्यांकन प्रक्रिया पर सवाल उठते रहे हैं। वर्षभर पढ़ाई की और तीन घंटे में पांच प्रश्न हल करवाकर बच्चे का हम मूल्यांकन करते हैं, यह उचित नहीं है। जो कुछ पढ़ाया है, उन सबमें से प्रश्न पूछे जाए। हर अध्याय से प्रश्न रहने पर ही सही मूल्यांकन हो सकेगा।
उन्होंने प्रश्नपत्र निर्माण की विधि बताई। यूपी बोर्ड के अफसरों ने कई प्रश्न भी पूछे। कार्यशाला में यूपी बोर्ड के सचिव भगवती सिंह, अपर सचिव एसके सिंह, अपर सचिव प्रशासन सरदार सिंह और उप सचिव देवव्रत सिंह थे।
बदलेगा मूल्यांकन का तरीका
नई शिक्षा नीति के अंतर्गत 100 अंक के प्रश्नपत्र में 80 अंक की लिखित परीक्षा और 20 अंक का आंतरिक मूल्यांकन होगा। तीन भाषाओं और गणित, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान व अंतर्विषयक क्षेत्र के प्रश्नों की सार्वजनिक परीक्षा होगी। जबकि शारीरिक शिक्षा, कला और व्यावसायिक शिक्षा का मूल्यांकन वाह्यपरीक्षक करेंगे। इन तीनों विषयों में लिखित परीक्षा 30 अंकों की और आंतरिक मूल्यांकन 70 अंक का होगा।
हाईस्कूल में 10 विषय की कार्ययोजना पर कई बदलाव के सुझाव, NEP के तहत यूपी बोर्ड की तैयारी पर कार्यशाला में विशेषज्ञों ने कराए कई बदलाव
• सीमैट में आज इंटर के पाठ्यक्रम और परीक्षा को लेकर बोर्ड अधिकारी करेंगे मंथन
राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी)-2020 के तहत यूपी बोर्ड के हाईस्कूल यानी कक्षा नौ व 10 में 10 विषय की परीक्षा, पाठ्यक्रम व मूल्यांकन को लेकर मंगलवार को कार्यशाला आयोजित की गई। राज्य शैक्षिक प्रबंधन एवं प्रशिक्षण संस्थान (सीमैट) में आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला में पहले दिन विशेषज्ञों ने यूपी बोर्ड के अधिकारियों को कार्ययोजना में कई बदलाव करने के सुझाव दिए। व्यावसायिक पाठ्यक्रम को अपडेट करने की जरूरत बताई। बुधवार को इसे अपडेट करके फिर विशेषज्ञों के समक्ष रखा जाएगा। उसके तुरंत बाद इंटरमीडिएट यानी कक्षा 11 एवं कक्षा 12 के संबंध में चर्चा की जाएगी।
कार्यशाला के विशेषज्ञ सीबीएसई के पूर्व चेयरमैन अशोक गांगुली और सीबीएसई के सेवानिवृत्त परीक्षा नियंत्रक एवं यूपी बोर्ड के पूर्व सचिव पवनेश कुमार ने यूपी बोर्ड की तैयारियों के देखा। बताया कि इस बात का ध्यान रखना होगा कि छह विषय पढ़ रहे विद्यार्थियों को 10 विषय पढ़ने में कठिनाई महसूस न हो। इसके लिए पाठ्यक्रम के कंटेंट को छोटा करना होगा, जिससे सिलेबस छोटा रहे।
अंतर विषयक क्षेत्र के विषयों में गृहविज्ञान, एनसीसी सहित अन्य विषयों को अलग-अलग न कर सभी से कंटेंट जुटाकर एक विषय के रूप में किया जाना चाहिए। व्यावसायिक पाठ्यक्रम इसके अलावा आंतरिक मूल्यांकन में विद्यालयों की ओर से मनमानी से नंबर देने के बजाय एक गाइडलाइन जारी की जाए, जिससे विषमता न हो।
नए व्यावसायिक पाठ्यक्रम बनाने की आवश्यकता
प्रयागराज । यूपी बोर्ड में कक्षा नौ से 12 तक के पाठ्यक्रम, परीक्षा और मूल्यांकन में राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 और राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा (एनसीएफ) 2023 लागू करने के उद्देश्य से सीमैट सभागार में दो दिनी कार्यशाला का उद्घाटन मंगलवार को हुआ। मुख्य अतिथि केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) के पूर्व चेयरमैन अशोक गांगुली और सीबीएसई के पूर्व परीक्षा नियंत्रक पवनेश कुमार ने 2025-26 सत्र से कक्षा नौ में छह की बजाय दस विषयों की परीक्षा लेने और त्रिभाषा फॉर्मूला समेत अन्य बदलाव को लेकर चर्चा की। नई व्यवस्था में बच्चों को छह की बजाय दस विषय पढ़ने होंगे, इसलिए पाठ्यक्रम को थोड़ा छोटा करने पर भी विचार करने को कहा गया।
अशोक गांगुली ने कहा कि यूपी बोर्ड के व्यावसायिक पाठ्यक्रमों को अपडेट करने की आवश्यकता है। नए उभरते व्यावसायिक कोर्स को लागू करने के साथ ही पहले से चल रहे पाठ्यक्रम की अध्ययन सामग्री भी बदलने की दिशा-निर्देश तैयार कर रहा है, जरूरत है। उनका मानना था कि बहुविकल्पीय और विस्तृत उत्तरीय प्रश्नपत्र अलग-अलग होने चाहिए। उन्होंने कहा कि अंतर विषयक पाठ्यक्रम को लेकर एनसीईआरटी भाषा में पूछे जाने चाहिए कि हर बच्चे को समझ आए। प्रश्नपत्र में बच्चे के ज्ञान, बौद्धिक क्षमता, अनुप्रयोग आदि कौशल का परीक्षण होना चाहिए।
आंग्ल भाषा शिक्षण संस्थान के प्राचार्य डॉ. स्कंद शुक्ल ने कहा कि भाषा को तीन समूहों की बजाय दो में रखा जाना चाहिए। एक अनिवार्य हिन्दी और दूसरे समूह में सभी भाषाओं को रखते हुए छात्र- छात्राओं को किन्हीं दो का विकल्प लेने की छूट मिले।
पवनेश कुमार ने प्रश्नपत्र के प्रारूप को लेकर खास चर्चा की। कहा कि प्रश्नपत्र में सवाल ऐसी बुधवार को भी बदलाव को लेकर चर्चा जारी रहेगी। अतिथियों का स्वागत यूपी बोर्ड के सचिव भगवती सिंह ने किया। इस दौरान अपर सचिव पाठ्यपुस्तक सतेन्द्र सिंह, उपसचिव देवव्रत कुमार, चेतन त्रिपाठी आदि उपस्थित रहे।
यूपी बोर्ड में नई शिक्षा नीति लागू करने के लिए मंथन के लिए कार्यशाला आज से
13 अगस्त 2024
प्रयागराज। यूपी बोर्ड में नई शिक्षा नीति (एनईपी) के अनुसार अगले वर्ष से पाठ्यक्रम लागू किया जा सकता है। इसके लिए मंगलवार से दो दिवसीय कार्यशाला सीमैट के सभागार में शुरू हो रही है।
इस कार्यशाला में केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) के पूर्व चेयरमैन अशोक गांगुली और पूर्व परीक्षा नियंत्रक पवनेश कुमार एनईपी के बारे में बताएंगे। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 29 जुलाई 2020 को घोषित की गई थी। अब तक उसके सभी पहलुओं को लागू नहीं किया गया है।
यूपी बोर्ड में इसे लागू करने के लिए अब मशक्कत शुरू हो गई है। अगले सत्र से हाईस्कूल के पाठ्यक्रम में 10 विषय लाने के लिए जून में सुझाव भी मांगे गए थे। उसमें तमाम लोगों ने सुझाव दिए हैं। बोर्ड में उन सुझावों पर भी काम चल रहा है। वर्तमान में हाईस्कूल में छह और इंटरमीडिएट में पांच विषय पढ़ाए जा रहे हैं। विषय बढ़ने पर कई तरह की दिक्कतें आएंगी। इन सभी मुद्दों पर दो दिन तक मंथन होगा।