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Tuesday, July 6, 2021
Friday, October 9, 2020

एडेड माध्यमिक विद्यालयों को देना होगा सम्पत्ति का ब्योरा, नई व्यवस्था लागू, निर्देश जारी
एडेड माध्यमिक विद्यालयों को देना होगा सम्पत्ति का ब्योरा, नई व्यवस्था लागू, निर्देश जारी।
निर्देश : विद्यालय की संपत्ति को लेकर हो रहे विवाद के मद्देनजर लागू की गयी नई व्यवस्था, शिक्षा विभाग ने जारी किए निर्देश, एक क्लिक पर मिलेगी जानकारी।
अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक (एडेड) विद्यालयों की संपत्तियां अब एक क्लिक पर माध्यमिक शिक्षा परिषद की वेबसाइट पर होगी। इसके लिए सभी एडेड विद्यालयों को उनकी संपत्तियों का ब्योरा परिषद के पोर्टल upmsp पर अपलोड करने के निर्देश दिए गए हैं। यह व्यवस्था माध्यमिक विद्यालयों में आए दिन संपत्ति को लेकर हो रहे विवाद के मुद्दे की गई है।
अनुदान से लेकर दुकान और बच्चों की संख्या व अन्य संपतियों की देनी है जानकारी : डीआइओएस डॉ. मुकेश कुमार सिंह ने बताया कि विद्यालयों को उनकी चल-अचल संपत्ति, कक्षों की संख्या, बच्चों की संख्या, कितना अनुदान किस निधि से मिला उसका कितना खर्च हुआ। फीस का ब्योरा, शिक्षकों- कर्मचारियों का ब्योरा, फर्नीचर, इमारत आदि के अलावा शिक्षण विषय, वित्तीय स्थिति, विद्यालय में दुकानें आदि तो नहीं हैं, हैं तो कितनी हैं, कितना किराया आता है। इनकी जानकारी अपलोड करनी है। जानकारी न देने वाले विद्यालयों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
संपत्ति को लेकर होता है विवाद : डीआइओएस ने बताया कि विद्यालयों में अक्सर संपत्ति को लेकर प्रबंध समिति में विवाद होता रहता है। बीते कुछ साल पहले मोहान रोड स्थित योगेश्वर ऋषिकुल इंटर कॉलेज के ग्राउंड को बेच दिया गया था। उसको लेकर विवाद चल रहा है। डीएवी कॉलेज, आर्यकन्या पाठशाला इंटर कॉलेज, कुम्हरावां इंटर कॉलेज समेत राजधानी के कई एडेड विद्यालयों में विवाद चल रहा है। यहां शिक्षा विभाग और शासन को अपने कंट्रोलर बैठाने पड़े हैं। इस कारण यह व्यवस्था की जा रही है।
Sunday, August 30, 2020

कौशाम्बी : अब देखी जाएगी कायाकल्प में हुए काम की हकीकत, बीएसए ने सत्यापन के लिए जारी किया निर्देश
कौशाम्बी : अब देखी जाएगी कायाकल्प में हुए काम की हकीकत, बीएसए ने सत्यापन के लिए जारी किया निर्देश।
जिले के परिषदीय स्कूलों के सुंदरीकरण व मरम्मत का कार्य कायाकल्प योजना से कराने के बाद अब इन कार्यों की जांच होगी। शासन के निर्देश पर जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ने सभी स्कूलों के प्रधानाध्यापकों को सत्यापन का निर्देश दिया है।
जिले के परिषदीय स्कूलों के सुंदरीकरण व मरम्मत का कार्य कायाकल्प योजना से कराने के बाद अब इन कार्यों की जांच होगी। शासन के निर्देश पर जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ने सभी स्कूलों के प्रधानाध्यापकों को सत्यापन का निर्देश दिया है। साथ ही यह भी स्पष्ट किया है कि विद्यालयों में कराए गए कार्यों की जांच अपने स्तर से कर ले। बाद में किसी प्रकार की शिकायत मिली तो रिपोर्ट लगाने वाले प्रधानाध्यापकों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
जनपद के 1165 परिषदीय स्कूलों में कायाकल्प योजना से ग्राम पंचायतों ने सुंदरीकरण व मरम्मत का कार्य कराया था। इसमें ग्राम निधि के लाखों रुपये खर्च हुए। अब राज्य परियोजना निदेशक ने कायाकल्प के तहत हुए कार्यों के सत्यापन का फैसला लिया है। इसको लेकर निदेशक ने डीएम व बीएसए को पत्र भेजा है। जल्द ही स्कूलों में जांच होगी। जांच में जिन विद्यालयों की स्थिति खराब मिलेगी, उनकेप्रधानाध्यापक के खिलाफ कार्रवाई होगी। जांच से पूर्व बीएसए ने सभी शिक्षकों को अपने स्तर से एक बार स्कूल की स्थिति का मूल्यांकन का निर्देश दिया है। बीएसए ने बताया कि सभी स्कूलों की जांच 33 बिदुओं पर होगी जिसमें स्कूल में पेयजल, बालक व बालिका के लिए अलग-अलग क्रियाशील शौचालय, मल्टीपल हैंड वाशिंग यूनिट, रसोईघर, क्लास रूम की फर्श पर टाइल, रंगाई-पोताई, दिव्यांग सुलभ रैंप व रेलिग, वायरिग, विद्युत उपकरण, स्कूल में तैनात शिक्षक, शिक्षामित्र व अनुदेशकों की संख्या, छात्रों की उपस्थिति, लर्निंग आउटकम प्रशिक्षण की निगरानी, रेमेडियल क्लास का संचालन, यूनिफार्म, किताबों का वितरण आदि बिदु शामिल हैं।

जिले के परिषदीय स्कूलों के सुंदरीकरण व मरम्मत का कार्य कायाकल्प योजना से कराने के बाद अब इन कार्यों की जांच होगी। शासन के निर्देश पर जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ने सभी स्कूलों के प्रधानाध्यापकों को सत्यापन का निर्देश दिया है।
जिले के परिषदीय स्कूलों के सुंदरीकरण व मरम्मत का कार्य कायाकल्प योजना से कराने के बाद अब इन कार्यों की जांच होगी। शासन के निर्देश पर जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ने सभी स्कूलों के प्रधानाध्यापकों को सत्यापन का निर्देश दिया है। साथ ही यह भी स्पष्ट किया है कि विद्यालयों में कराए गए कार्यों की जांच अपने स्तर से कर ले। बाद में किसी प्रकार की शिकायत मिली तो रिपोर्ट लगाने वाले प्रधानाध्यापकों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
जनपद के 1165 परिषदीय स्कूलों में कायाकल्प योजना से ग्राम पंचायतों ने सुंदरीकरण व मरम्मत का कार्य कराया था। इसमें ग्राम निधि के लाखों रुपये खर्च हुए। अब राज्य परियोजना निदेशक ने कायाकल्प के तहत हुए कार्यों के सत्यापन का फैसला लिया है। इसको लेकर निदेशक ने डीएम व बीएसए को पत्र भेजा है। जल्द ही स्कूलों में जांच होगी। जांच में जिन विद्यालयों की स्थिति खराब मिलेगी, उनकेप्रधानाध्यापक के खिलाफ कार्रवाई होगी। जांच से पूर्व बीएसए ने सभी शिक्षकों को अपने स्तर से एक बार स्कूल की स्थिति का मूल्यांकन का निर्देश दिया है। बीएसए ने बताया कि सभी स्कूलों की जांच 33 बिदुओं पर होगी जिसमें स्कूल में पेयजल, बालक व बालिका के लिए अलग-अलग क्रियाशील शौचालय, मल्टीपल हैंड वाशिंग यूनिट, रसोईघर, क्लास रूम की फर्श पर टाइल, रंगाई-पोताई, दिव्यांग सुलभ रैंप व रेलिग, वायरिग, विद्युत उपकरण, स्कूल में तैनात शिक्षक, शिक्षामित्र व अनुदेशकों की संख्या, छात्रों की उपस्थिति, लर्निंग आउटकम प्रशिक्षण की निगरानी, रेमेडियल क्लास का संचालन, यूनिफार्म, किताबों का वितरण आदि बिदु शामिल हैं।

Saturday, August 29, 2020

विवि व कॉलेजों में ई-प्रकोष्ठ बनाने के निर्देश
विवि व कॉलेजों में ई-प्रकोष्ठ बनाने के निर्देश।
राज्य मुख्यालय : उच्च शिक्षा विभाग ने उत्तर प्रदेश स्टार्ट-अप नीति 2020 के तहत सभी राज्य विश्वविद्यालयों व महाविद्यालयों को ई-प्रकोष्ठ स्तापित करने का निर्देश दिया है। यह प्रकोष्ठ छात्रों को अपना उद्यम शुरू करने के लिए प्रोत्साहित करेगा। विश्वविद्यालयों को स्टार्ट अप संस्कृति की मजबूती के लिए नोडल संस्था की सलाह से नवाचार व उद्यमिता पाठ्यक्रम शुरू करने को कहा गया है।
इस पाठ्यक्रम को संबद्ध महाविद्यालयों को भी स्वीकार करना होगा। महाविद्यालय स्तर पर नवाचार व उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए विश्वविद्यालय व महाविद्यालय स्तर पर फैकल्टी विकास कार्यक्रमों का आयोजन करने को भी कहा गया है। शासनादेश में कहा गया है कि जो छात्र उद्यमिता के क्षेत्र में आगे आना चाहते हैं, उन्हें स्नातक व स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम के प्रथम वर्ष के बाद एक वर्ष का अवकाश (अंतराल वर्ष) लेने की अनुमति दी जाएगी। पाठ्यक्रम की पूर्ति के लिए आवश्यक अधिकतम अवधि में एक वर्ष के अंतराल वर्ष की गणना नहीं की जाएगी। पाठ्यक्रम की निरंतरता बनाए रखने के लिए अंतराल वर्ष की सुविधा को पाठ्यक्रम में पुन: शामिल होते समय दिया जा सकता है।
किसी स्टार्ट अप अवधारणा पर काम करने वाले छात्र उद्यमी को डिग्री की पूर्णता के लिए अपनी स्टार्ट अप परियोजना को अपने अंतिम वर्ष की परियोजना के रूप में बदलने की अनुमति दी जाएगी। शासन के इस आदेश पर स्टार्ट-अप नीति के क्रियान्वयन के संबंध में उच्च शिक्षा निदेशालय ने सभी राज्य विश्वविद्यालयों के कुलसचिवों, सभी क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारियों तथा राजकीय व सहायता प्राप्त महाविद्यालयों के प्राचार्यों से रिपोर्ट मांगी है।
राज्य मुख्यालय : उच्च शिक्षा विभाग ने उत्तर प्रदेश स्टार्ट-अप नीति 2020 के तहत सभी राज्य विश्वविद्यालयों व महाविद्यालयों को ई-प्रकोष्ठ स्तापित करने का निर्देश दिया है। यह प्रकोष्ठ छात्रों को अपना उद्यम शुरू करने के लिए प्रोत्साहित करेगा। विश्वविद्यालयों को स्टार्ट अप संस्कृति की मजबूती के लिए नोडल संस्था की सलाह से नवाचार व उद्यमिता पाठ्यक्रम शुरू करने को कहा गया है।
इस पाठ्यक्रम को संबद्ध महाविद्यालयों को भी स्वीकार करना होगा। महाविद्यालय स्तर पर नवाचार व उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए विश्वविद्यालय व महाविद्यालय स्तर पर फैकल्टी विकास कार्यक्रमों का आयोजन करने को भी कहा गया है। शासनादेश में कहा गया है कि जो छात्र उद्यमिता के क्षेत्र में आगे आना चाहते हैं, उन्हें स्नातक व स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम के प्रथम वर्ष के बाद एक वर्ष का अवकाश (अंतराल वर्ष) लेने की अनुमति दी जाएगी। पाठ्यक्रम की पूर्ति के लिए आवश्यक अधिकतम अवधि में एक वर्ष के अंतराल वर्ष की गणना नहीं की जाएगी। पाठ्यक्रम की निरंतरता बनाए रखने के लिए अंतराल वर्ष की सुविधा को पाठ्यक्रम में पुन: शामिल होते समय दिया जा सकता है।
किसी स्टार्ट अप अवधारणा पर काम करने वाले छात्र उद्यमी को डिग्री की पूर्णता के लिए अपनी स्टार्ट अप परियोजना को अपने अंतिम वर्ष की परियोजना के रूप में बदलने की अनुमति दी जाएगी। शासन के इस आदेश पर स्टार्ट-अप नीति के क्रियान्वयन के संबंध में उच्च शिक्षा निदेशालय ने सभी राज्य विश्वविद्यालयों के कुलसचिवों, सभी क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारियों तथा राजकीय व सहायता प्राप्त महाविद्यालयों के प्राचार्यों से रिपोर्ट मांगी है।
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