एनसीईआरटी की किताब में जोड़ेंगे वैदिक गणित का पाठ, कक्षा छह से आठ तक की किताब में परिवर्तन किए जाने की तैयारी
एनसीईआरटी की किताब में जोड़ेंगे वैदिक गणित का पाठ, कक्षा छह से आठ तक की किताब में परिवर्तन किए जाने की तैयारी
राज्य विज्ञान शिक्षा संस्थान को दी गई है अहम जिम्मेदारी
प्रयागराज । उत्तर प्रदेश के परिषदीय प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्कूलों में चरणबद्ध तरीके से राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) लागू की जा रही है। इन किताबों को अपनाने से पहले उत्तर प्रदेश के बच्चों को शैक्षिक आवश्यकतानुसार ढाला जा रहा है।
इसी क्रम में राज्य विज्ञान शिक्षा संस्थान के विशेषज्ञ एनसीईआरटी की कक्षा छह से आठ तक की गणित की हिन्दी और अंग्रेजी माध्यम की किताबों में वैदिक गणित को भी शामिल करेंगे। इसके लिए एससीईआरटी से निर्देश प्राप्त हो चुके हैं।
एनसीईआरटी में गणित प्रकाश नाम से कक्षा छह से आठ में चल रही किताब तो बहुत अच्छी है लेकिन उसमें वैदिक गणित नहीं है। बेसिक शिक्षा परिषद की कक्षा छह से आठ तक में गणित मंथन नाम से चल रही किताब में वैदिक गणित का बहुत थोडा हिस्सा है।
राज्य विज्ञान शिक्षा संस्थान के निदेशक अनिल भूषण चतुर्वेदी का कहना है कि एनसीईआरटी की किताबों में वैदिक गणित का पाठ अपग्रेड करके जोड़ा जाएगा जिससे बच्चे आधुनिक शिक्षा के साथ प्राचीन भारतीय ज्ञान से भी लाभान्वित हो सकें।
प्रयागराज । उत्तर प्रदेश के परिषदीय प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्कूलों में चरणबद्ध तरीके से राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) लागू की जा रही है। इन किताबों को अपनाने से पहले उत्तर प्रदेश के बच्चों को शैक्षिक आवश्यकतानुसार ढाला जा रहा है। इसी क्रम में राज्य विज्ञान शिक्षा संस्थान के विशेषज्ञ एनसीईआरटी की कक्षा छह से आठ तक की गणित की हिन्दी और अंग्रेजी माध्यम की किताबों में वैदिक गणित को भी शामिल करेंगे। इसके लिए एससीईआरटी से निर्देश प्राप्त हो चुके हैं।
एनसीईआरटी में गणित प्रकाश नाम से कक्षा छह से आठ में चल रही किताब तो बहुत अच्छी है लेकिन उसमें वैदिक गणित नहीं है। बेसिक शिक्षा परिषद की कक्षा छह से आठ तक में गणित मंथन नाम से चल रही किताब में वैदिक गणित का बहुत थोड़ा हिस्सा है।
राज्य विज्ञान शिक्षा संस्थान के निदेशक अनिल भूषण चतुर्वेदी का कहना है कि एनसीईआरटी की किताबों में वैदिक गणित का पाठ अपग्रेड करके जोड़ा जाएगा जिससे बच्चे आधुनिक शिक्षा के साथ प्राचीन भारतीय ज्ञान से भी लाभान्वित हो सकें।