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Monday, April 8, 2024

चुनाव प्रचार के दौरान बच्चों को गोद में नहीं ले सकेंगे नेता और प्रत्याशी, चुनाव कार्यों में बच्चों के उपयोग को किया प्रतिबंधित

बच्चों से चुनाव प्रचार कराया तो प्रत्याशी पर होगी कार्रवाई 

चुनाव प्रचार के दौरान बच्चों को गोद में नहीं ले सकेंगे नेता और प्रत्याशी, चुनाव कार्यों में बच्चों के उपयोग को किया प्रतिबंधित


लखनऊ। भारत निर्वाचन आयोग ने आगामी लोकसभा चुनाव में 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों का चुनाव प्रचार या चुनाव से जुड़े किसी भी कार्यक्रम में उपयोग करने पर प्रतिबंध लगाया है। चुनाव प्रचार के दौरान राजनीतिक दलों के नेता और प्रत्याशी छोटे बच्चों को गोद में भी नहीं ले सकेंगे।

मुख्य निर्वाचन अधिकारी नवदीप रिणवा ने बुधवार को बताया कि आयोग ने बालश्रम कानून के तहत आगामी लोकसभा चुनाव में प्रचार अभियानों व अन्य चुनावी गतिविधियों में बच्चों के उपयोग के प्रति शून्य सहनशीलता का संदेश दिया है। 

बताया कि राजनीतिक दलों, अभ्यर्थियों एवं चुनाव से जुड़े प्रशासनिक तंत्र को नाबालिग बच्चों का उपयोग नहीं करने का निर्देश दिए हैं। चुनाव के दौरान बच्चों को रैलियां निकालने, नारे लगवाने, पोस्टर एवं पत्रक बांटने के कार्य में नहीं लगाया जाएगा। 

राजनीतिक दलों के नेता और प्रत्याशी की ओर से बच्चों को गोद में लेने, वाहन या रैलियों में बच्चे को ले जाने पर पूर्ण प्रतिबंध रहेगा। किसी राजनीतिक दल की भारत निर्वाचन आयोग ने उपलब्धियों को बढ़ावा देने या विरोधी दलों व अभ्यर्थियों की आलोचना करने सहित किसी भी प्रकार से प्रचार- अभियान की झलक बनाने के लिए बच्चों का उपयोग करने पर भी प्रतिबंध लगाया है। 

कहा कि चुनाव कार्य में किसी भी राजनीतिक दल, प्रत्याशी या सरकारी मशीनरी की ओर से बच्चों का उपयोग पाया गया तो उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी



राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों को चुनाव प्रचार में बच्चों का इस्तेमाल पड़ेगा भारी, चुनाव आयोग हुआ सख्त
 
चुनाव प्रचार अभियान में बच्चों का इस्तेमाल करने पर इलेक्शन कमीशन ने कड़ी नाराजगी जताई है। लोकसभा चुनाव से पहले निर्वाचन आयोग ने राजनीतिक दलों से कहा कि वे पोस्टर और पर्चों सहित प्रचार की किसी भी सामग्री में बच्चों का इस्तेमाल किसी भी रूप में न करें। राजनीतिक दलों को इसे लेकर EC ने परामर्श जारी किया। इसमें आयोग ने दलों और उम्मीदवारों की ओर से किसी भी तरीके से बच्चों का इस्तेमाल किए जाने के प्रति अपनी कतई बर्दाश्त नहीं करने की नीति से अवगत कराया।


चुनाव आयोग ने कहा कि नेताओं और उम्मीदवारों को प्रचार गतिविधियों में बच्चों का इस्तेमाल किसी भी तरीके से नहीं करना चाहिए, चाहे वे बच्चे को गोद में उठा रहे हों या वाहन में या फिर रैलियों में बच्चे को ले जाना हो। इलेक्शन कमीशन की ओर से जारी बयान में कहा गया, 'किसी भी तरीके से राजनीतिक प्रचार अभियान चलाने के लिए बच्चों के इस्तेमाल पर भी यह प्रतिबंध लागू है जिसमें कविता, गीत, बोले गए शब्द, राजनीतिक दल या उम्मीदवार के प्रतीक चिह्न का प्रदर्शन शामिल है।' गौरतलब है कि हाल-फिलहाल में चुनावी कैंपेन के दौरान बच्चों का इस्तेमाल बढ़ता देखा गया है। अलग-अलग पार्टियों के नेता चुनाव प्रचार के दौरान छोटे बच्चों के साथ वोट मांगते दिख जाते हैं। 


किन लोगों को मिलेगी छूट, चुनाव आयोग ने बताया
आयोग ने कहा, 'अगर कोई नेता जो किसी भी राजनीतिक दल की चुनाव प्रचार गतिविधि में शामिल नहीं है और वह कोई बच्चा अपने माता-पिता या अभिभावक के साथ उसके समीप केवल मौजूद रहता है। ऐसी परिस्थिति में यह दिशानिर्देशों का उल्लंघन नहीं माना जाएगा।' मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार ने निर्वाचन आयोग के प्रमुख हितधारकों के रूप में राजनीतिक दलों की महत्वपूर्ण भूमिका पर लगातार जोर दिया है। खासतौर से उन्होंने आगामी संसदीय चुनावों के मद्देनजर लोकतांत्रिक मूल्यों को बनाए रखने में उनसे सक्रिय भागीदार बनने का आग्रह किया है। 



चुनाव प्रचार और रैलियों में बच्चों के इस्तेमाल पर चुनाव आयोग की नज़र टेढ़ी, जारी की सख्त गाइडलाइन


नई दिल्ली। आयोग ने कहा कि नेताओं और उम्मीदवारों को प्रचार गतिविधियों में बच्चों का इस्तेमाल किसी भी तरीके से नहीं करना चाहिए। चाहे वे बच्चे को गोद में उठा रहे हों या वाहन में या फिर रैलियों में बच्चे को ले जाना हो।

आयोग ने एक बयान में कहा कि किसी भी तरीके से राजनीतिक प्रचार अभियान चलाने के लिए बच्चों के इस्तेमाल पर भी यह प्रतिबंध लागू है, जिसमें कविता, गीत, बोले गए शब्द, राजनीतिक दल या उम्मीदवार के प्रतीक चिह्न का प्रदर्शन शामिल है।

आयोग ने कहा कि लेकिन यदि कोई नेता जो प्रचार गतिविधि में शामिल नहीं है और कोई बच्चा अभिभावक के साथ उसके समीप केवल मौजूद होता है तो यह दिशानिर्देशों का उल्लंघन नहीं माना जाएगा।


ECI ने चुनावी प्रक्रिया के दौरान किसी भी तरह से बच्चों को शामिल करने के प्रति 'जीरो टॉलरेंस' की बात कही

लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election 2024) से पहले चुनाव आयोग (Election Commission) ने राजनीतिक पार्टियों के लिए प्रचार से जुड़ा सख्त गाइडलाइन जारी किया है. आयोग ने चुनाव प्रचार में बच्चों और नाबालिग को शामिल करने पर रोक लगा दी है. आयोग का कहना है कि अगर कोई उम्मीदवार गाइडलाइन का उल्लंघन करते पाया जाएगा तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.


चुनाव आयोग की गाइडलाइंस में क्या है?
लोकसभा चुनाव की तैयारियों के बीच निर्वाचन आयोग ने सोमवार, 5 जनवरी को सख्त निर्देश जारी किए हैं. इसके तहत चुनाव प्रचार में बच्चों या नाबालिगों को शामिल करने पर पूरी तरह रोक लगा दी गई है. आयोग ने पार्टियों और उम्मीदवारों द्वारा चुनावी प्रक्रिया के दौरान किसी भी तरह से बच्चों को शामिल करने के प्रति 'जीरो टॉलरेंस' की बात कही है.

आयोग ने कहा है कि "राजनीतिक दलों को स्पष्ट रूप से निर्देशित किया जाता है कि वो बच्चों को किसी भी प्रकार के चुनाव अभियान में शामिल न करें, जिसमें रैलियां, नारे लगाना, पोस्टर या पैम्फलेट का वितरण, या कोई अन्य चुनाव-संबंधी गतिविधि शामिल है."

इसके साथ ही आयोग ने कहा कि राज नेताओं और उम्मीदवारों को किसी भी तरह से प्रचार गतिविधियों में बच्चों को शामिल नहीं करना चाहिए, जिसमें बच्चे को गोद में लेना, वाहन में बच्चे को ले जाना या रैलियों में शामिल करना शामिल है।


चुनाव आयोग की गाइडलाइन के मुताबिक, राजनीतिक दलों/उम्मीदवारों द्वारा कविता, गीत, बोले गए शब्दों, प्रतीक चिन्हों, राजनीतिक दल की विचारधारा, उनकी उपलब्धियों को बढ़ावा देने सहित किसी भी तरीके से राजनीतिक अभियान से जुड़ी गतिविधियों में बच्चों को शामिल करने पर रोक रहेगी.
सभी राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों को बाल श्रम (निषेध और विनियमन) संशोधन अधिनियम, 2016 द्वारा संशोधित बाल श्रम (निषेध और विनियमन) अधिनियम, 1986 का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित करना आवश्यक है. इसके साथ ही आयोग ने सभी चुनाव अधिकारियों और मशीनरी को स्पष्ट रूप से निर्देश दिया है कि वो चुनाव-संबंधी कार्य या गतिविधियों के दौरान किसी भी क्षमता में बच्चों को शामिल करने से बचें।


आयोग ने बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले का दिया हवाला
आयोग ने गाइडलाइन जारी करते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट के एक फैसले का हवाला दिया है. चेतन रामलाल भुटाडा बनाम महाराष्ट्र राज्य और अन्य केस में 4 अगस्त, 2014 को अपने फैसले में कोर्ट ने यह सुनिश्चित करने पर जोर दिया गया था कि राजनीतिक दल बच्चों को चुनाव प्रचार में शामिल न करें और अपने उम्मीदवारों को भी इसकी अनुमति न दें।

Saturday, September 16, 2023

फैसला : माता-पिता का संरक्षण बच्चे का मौलिक हक : हाईकोर्ट

फैसला : माता-पिता का संरक्षण बच्चे का मौलिक हक : हाईकोर्ट

बंबई हाईकोर्ट ने एक महिला को बेटे का संरक्षण अमेरिका में रह रहे उसके पूर्व पति को वापस देने का निर्देश दिया


● बच्चे को जन्म से ही अमेरिकी नागरिकता प्राप्त है

● तीन साल के बच्चे को पिता के पास भेजने का निर्देश

● कोर्ट ने आदेश पिता द्वारा दाखिल याचिका पर पारित किया


मुंबई :  बंबई हाईकोर्ट के अनुसार, बच्चे के बेहतर हित का अर्थ अपने आप में काफी व्यापक है और इसे उसकी देखरेख करने वाले माता-पिता के प्यार और देखभाल के दायरे तक ही सीमित नहीं रखा जा सकता। कोर्ट ने कहा कि यह बच्चे का मौलिक मानवाधिकार है कि उसे माता-पिता दोनों की देखभाल और सुरक्षा मिले।


बच्चे को पिता के पास भेजने का निर्देश जस्टिस रेवती मोहिते डेरे और गौरी गोडसे की एक खंडपीठ ने गुरुवार को एक महिला को उसके साढ़े तीन साल के बेटे का संरक्षण 15 दिनों के भीतर अमेरिका में रह रहे उसके पूर्व पति को वापस देने का निर्देश दिया। कोर्ट का यह आदेश पिता द्वारा दाखिल याचिका पर पारित किया गया। पिता नेदावा किया कि उसके और उसकी पूर्व पत्नी के बीच एक समझौता हुआ था कि उनका बेटा अपनी मां के साथ अमेरिका में रहेगा। 


व्यक्ति ने कहा कि इसके बावजूद उसकी पूर्व पत्नी बच्चे के साथ भारत आ गई और लौटने से मना कर दिया। कोर्ट ने कहा कि बच्चे की भलाई इसी में है कि वह वापस अमेरिका जाए, जहां उसका जन्म हुआ है। अदालत ने कहा कि अगर महिला अपने बच्चे के साथ रहना चाहती है तो वह ऐसा कर सकती है और पीठ ने व्यक्ति को उसे व उसके बच्चे को निवास और मासिक भत्ता मुहैया कराने का निर्देश दिया। बच्चे को जन्म से ही अमेरिकी नागरिकता प्राप्त है।



बच्चे के बेहतर हित को प्राथमिकता

इस मामले में मां का उदाहरण देते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि बच्चे का बेहतर हित हमेशा पहली प्राथमिकता होनी चाहिए। 31 मार्च 2010 को मुंबई में शादी की और 16 जून 2010 को दंपत्ति अमेरिका चले गए थे। अक्तूबर 2020 में उन्हें ग्रीन कार्ड मिला। 25 दिसंबर 2019 को बच्चे का जन्म हुआ था। महिला 13 जनवरी 2021 के वापसी टिकट के साथ अपने बेटे को लेकर 21 दिसंबर 2020 को भारत लौट आई। तीन दिन बाद उसने अपने पति को सूचित किया कि वह उससे संपर्क करने की कोशिश न करे।