DISTRICT WISE NEWS

अंबेडकरनगर अमरोहा अमेठी अलीगढ़ आगरा इटावा इलाहाबाद उन्नाव एटा औरैया कन्नौज कानपुर कानपुर देहात कानपुर नगर कासगंज कुशीनगर कौशांबी कौशाम्बी गाजियाबाद गाजीपुर गोंडा गोण्डा गोरखपुर गौतमबुद्ध नगर गौतमबुद्धनगर चंदौली चन्दौली चित्रकूट जालौन जौनपुर ज्योतिबा फुले नगर झाँसी झांसी देवरिया पीलीभीत फतेहपुर फर्रुखाबाद फिरोजाबाद फैजाबाद बदायूं बरेली बलरामपुर बलिया बस्ती बहराइच बागपत बाँदा बांदा बाराबंकी बिजनौर बुलंदशहर बुलन्दशहर भदोही मऊ मथुरा महराजगंज महोबा मिर्जापुर मीरजापुर मुजफ्फरनगर मुरादाबाद मेरठ मैनपुरी रामपुर रायबरेली लखनऊ लख़नऊ लखीमपुर खीरी ललितपुर वाराणसी शामली शाहजहाँपुर श्रावस्ती संतकबीरनगर संभल सहारनपुर सिद्धार्थनगर सीतापुर सुलतानपुर सुल्तानपुर सोनभद्र हमीरपुर हरदोई हाथरस हापुड़

Tuesday, April 25, 2017

गोरखपुर : सरकारी शिक्षा को रोशनी दिखा रहीं किरन, जिलाधिकारी ने बेस्ट टीचर के सम्मान से किया था सम्मानित

जिलाधिकारी ने किया था सम्मानित शुरुआती दिनों में ही किरन की कोशिशों के बारे में पता चलने पर तत्कालीन जिलाधिकारी डा. हरिओम विद्यालय का दौरा करने पहुंचे थे। बच्चों के पढ़ने और शिक्षकों के पढ़ाने का तरीका देखकर वह काफी प्रभावित हुए। पढ़ाई का स्तर परखने के लिए बच्चों से उन्होंने गणित और विज्ञान का कठिन से कठिन सवाल पूछा तो बच्चों ने सटीक जवाब देकर उन्हें प्रभावित किया। जिलाधिकारी ने उस साल किरन को बेस्ट टीचर के सम्मान के सम्मानित किया था।

पिपराइच विकास खंड के चनगही प्राथमिक विद्यालय में बच्चों के बैठने के लिए खुद की डेस्क-बेंच की व्यवस्था

जिस दौर में सरकारी स्कूल की शिक्षा व्यवस्था को लेकर हर तरफ सवाल खड़े हो रहे हों, शिक्षकों के स्कूल न जाने की शिकायतें आम हों और इन स्कूलों में बच्चों की उपस्थित न के बराबर रहती हो, उस दौर में पिपराइच विकास खंड के चनगही सरकारी स्कूल (प्राथमिक विद्यालय) के छात्रों की किरन मैडम, इस व्यवस्था को नई रोशनी दे रही हैं। इस स्कूल में पढ़ाई का माहौल कान्वेंट स्कूलों की तरह है। विद्यालय में पठन-पाठन का माहौल बनाने के लिए किरन खुद की तनख्वाह लगाने से भी नहीं हिचकतीं। अपने पैसे से उन्होंने बच्चों के बैठने के लिए न सिर्फ डेस्क-बेंच बनवाया है बल्कि ठंड के मौसम में छात्रों को स्वेटर भी बांटती हैं।

बच्चों का टाट-पट्टी पर बैठना अखरता था पहली नियुक्ति कैंपियरगंज विकास खंड में हुई। विकास खंड मुख्यालय से विद्यालय की दूरी 16 किलोमीटर थी। आने-जाने का कोई समुचित साधन भी नहीं था। फिर भी गोरखपुर से वह नियमित रूप से विद्यालय आती-जाती थीं। इस दौरान टाट-पट्टी पर बैठकर छात्रों का पढ़ना उन्हें अखरता था। उन्होंने अपने विद्यालय से टाट-पट्टी खत्म करने का निर्णय लिया। इसी बीच वर्ष 2008 में उनका तबादला पिपराइच विकास खंड के प्राथमिक विद्यालय चनगही में हो गया। यहां भी बच्चों के बैठने के लिए टाट-पट्टी की ही व्यवस्था थी। बच्चों की संख्या भी काफी कम थी। पूर्व तैनाती वाले विद्यालय में लिए गए निर्णय को किरन ने चनगही में धरातल पर उतारा। खुद लकड़ी खरीद कर बच्चों के बैठने के लिए डेस्क-बेंच बनवाया। नंगे पैर आने वाले बच्चों के लिए जूते का इंतजाम किया और उनके अभिभावकों से व्यक्तिगत तौर पर मिलकर साफ-सुथरे स्कूल ड्रेस में उन्हें स्कूल भेजने के लिए समझाया।1बात की तो सबका मिला साथ

व्यवस्था ठीक करने के बाद उनके सामने चुनौती पढ़ाई का स्तर सुधारने की थी। सरकारी स्कूलों में लगातार गिर रहे शिक्षा के स्तर से चनगहीं प्राथमिक विद्यालय भी अछूता नहीं था। इसको लेकर किरन ने साथी शिक्षकों से बात की। पहले तो यह कहकर उन्होंने उनको टाल दिया कि जब हर विद्यालय की यही दशा है तो सिर्फ इसी विद्यालय में पढ़ाई का स्तर सुधारने से क्या होगा, लेकिन बाद में किरन की इच्छाशक्ति और उनकी कोशिश देख वे भी उनके कदम से कदम मिलाकर चलने लगे।

यह किरन की कोशिशों का ही कमाल है कि इस समय प्राथमिक विद्यालय चनगहीं में कक्षा एक से चार तक 149 छात्र पढ़ रहे हैं। पांचवीं कक्षा में 52 बच्चे थे, जो इस साल पास होकर छठवीं कक्षा में चले गए। अधिकतर छात्र रोज विद्यालय में उपस्थित भी रहते हैं। प्रत्येक दिन सुबह प्रार्थना और राष्ट्रगान के बाद पढ़ाई की शुरुआत होती है। राष्ट्रगान खत्म होने के बाद बच्चों को सुविचार सुनाए जाते हैं। इसके बाद वे अपनी कक्षा में जाते हैं और तय सारिणी के अनुसार पढ़ाई शुरू होती है।

धूमधाम से मनाया जाता है राष्ट्रीय पर्व : विद्यालय में 15 अगस्त और 26 जनवरी इतने भव्य तरीके से मनाया जाता है कि आयोजन देखने के लिए चनगहीं के ही नहीं बल्कि आसपास के गांवों के लोग भी आते हैं। शिक्षक दिवस और बाल दिवस पर भी विद्यालय में होने वाला भव्य आयोजन चर्चा में रहता है।

पुरस्कृत होते हैं अच्छे अंक पाने वाले बच्चे  रिजल्ट वितरण के लिए विद्यालय में कान्वेंट विद्यालयों की ही तरह भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है। छात्रों को प्रोत्साहित करने के लिए हर कक्षा में अधिक अंक पाने वाले तीन बच्चों को पुरस्कृत किया जाता है। समारोह के अंत में बच्चों को भोजन कराकर विदा किया जाता है। बच्चों के साथ भोज में शिक्षक भी शामिल होते हैं।प्राथमिक विद्यालय में छात्रों को पढ़ातीं किरन ’ जागरणजीवन की दुश्वारियों ने दिखाई राह1जीवन की दुश्वारियों ने किरण को कुछ बेहतर करने की राह दिखाई। शादी के तीन साल बाद ही पति संजय कुमार का निधन हो गया। उस समय तक किरन पूरी तरह घरेलू महिला थीं। पति का साथ छूटने के बाद उठ खड़ी हुई चुनौतियों से पीछा छुड़ाने की बजाय उन्होंने उनका मुकाबला करने का निश्चय किया। उनकी यह इच्छाशक्ति रंग लाई। वर्ष 2004 में उनका चयन विशिष्ट बीटीसी में हो गया और वर्ष 2006 में प्राथमिक विद्यालय में शिक्षक की नौकरी मिल गई।

No comments:
Write comments