लखनऊ : बेसिक स्कूलों की तर्ज पर प्रदेश के माध्यमिक स्कूलों में भी दादा-दादी और नाना-नानी दिवस मनाया जाएगा। पारिवारिक मूल्यों से छात्रों को जोड़ने और बुजुर्गों के प्रति सम्मान का भाव सिखाने की कवायद का यह हिस्सा है। इसे यूपी बोर्ड में नैतिक खेल और शारीरिक शिक्षा के 9वीं के सिलेबस और 10वीं के प्रॉजक्ट वर्क का हिस्सा बनाया गया है।
प्राइमरी स्कूलों में पिछले साल पहली बार एक अक्टूबर को दादा-दादी और नाना-नानी दिवस मनाने की शुरुआत की गई थी। इसमें बच्चों ने अपने बुजुर्गों के प्रति अनुभवों की चर्चा की और कई स्कूलों में बच्चों के बीच में बुजुर्गों को बुलाकर सम्मानित भी किया गया था। इस पहल को माध्यमिक शिक्षा विभाग ने भी आगे बढ़ाया है। यूपी बोर्ड ने नए सत्र से 9 से 12वीं तक की कक्षाओं में कई विषयों के सिलेबस में बदलाव किया है। सामाजिक विज्ञान, शारीरिक शिक्षा, साइंस, सहित दूसरे विषयों के भी सिलेबस में नए पाठ जोड़े गए हैं। सबसे ज्यादा बदलाव सामाजिक विज्ञान एवं नैतिक शिक्षा के विषयों में किया गया है।
सामाजिक विज्ञान में 9वीं में बैंकिंग ऑपरेशन से जुड़े चैप्टर जोड़े गए हैं जिसमें डेबिट और क्रेडिट कार्ड का उपयोग भी शामिल हैं। प्रॉजेक्ट वर्क के तौर पर छात्रों को बैंकों में खाता खोलना, चेक का इस्तेमाल, क्रेडिट-डेबिट कार्ड का आवेदन करना बताया जाएगा। इस विषय के 10वीं के सिलेबस में गुड्स एवं सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) और वैट भी शामिल किए गए हैं। पैन कार्ड और आधार कार्ड के साथ ही इन्कम टैक्स के लिए कौन से फॉर्म कैसे भरे जाते हैं, ये भी इनके प्रॉजेक्ट वर्क में शामिल होंगे।
बोर्ड का जोर सिलेबस को ज्यादा से ज्यादा व्यवहारिक और रोजमर्रा के जीवन में होने वाली घटनाओं से जोड़ने पर है। इसी कड़ी में 9वीं के नैतिक खेल और शारीरिक शिक्षा में समाजोपयोगी उत्पादक कार्य में बुजुर्गों पर चैप्टर जोड़ा गया है। इसमें बच्चों एवं युवाओं को वरिष्ठ नागरिकों की समस्याओं से परिचित कराना और उनके प्रति उत्तरदायी बनाना, दादा-दादी, नाना-नानी और वरिष्ठ नागरिकों के प्रति संवेदनशील बनाना और आदर का भाव पैदा करना शामिल है। वहीं 10वीं में इस विषय को प्रॉजेक्ट वर्क में जोड़ा गया है। इसमें निरक्षर वरिष्ठ नागरिकों को साक्षर बनाना और उन्हें अधिकारों के प्रति जागरूक करने का काम दिया जाएगा। साथ ही 1 अक्टूबर को स्कूलों में दादा-दादी और नाना-नानी दिवस मनाया जाएगा।
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