बोले जिम्मेदार अभिभावकों के साथ घर-घर जाकर जो बैठकें की गईं उसमें बच्चों की सुरक्षा एक सबसे बड़ा मुद्दा था। जब सभी अभिभावकों को यह पूर्ण रूप से सुनिश्चित हो गया कि बच्चे सुरक्षित विद्यालय आएंगे जाएंगे तो वे अपने-अपने बच्चों को विद्यालय में भेजने को तैयार हो गए।फरहद जहां, प्रधानाध्यापक, पूर्व माध्यमिक विद्यालय जसवंतनगर
पढ़ाने का जुनून
स्कूलों में बच्चे कम हों या फिर ज्यादा, आम तौर पर शिक्षकों को सिर्फ अपनी नौकरी से मतलब होता है। मगर, कुछ शिक्षक ऐसे भी हैं जो न केवल बच्चों को सरकारी स्कूल में पढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं बल्कि पूरी मेहनत से गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दे रहे हैं। जसवंतनगर के पूर्व माध्यमिक विद्यालय के प्रधानाध्यापक फरहद जहां व शिक्षकों की टीम ने एक वर्ष में स्कूल में बच्चों की संख्या दोगुनी कर मिसाल कायम कर दी।
शैक्षिक गुणवत्ता का अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि स्कूल में सभी कक्षाओं में अंग्रेजी माध्यम से शिक्षा प्रदान की जा रही है। स्कूल में विद्यार्थियों के बैठने के लिए फर्नीचर, भोजन और बच्चों को स्कूल तक लाने व घर तक छोड़ने के लिए वाहन का भी प्रबंध है। इसका असर यह हुआ कि महज एक साल विद्यालय में छात्र संख्या 63 से बढ़कर 125 हो गई। पिछले सत्र में नौ शिक्षकों पर मात्र 63 विद्यार्थी थे। तब बच्चों की घटती संख्या को लेकर शिक्षक चिंतित थे। ऐसे में शिक्षकों ने निजी स्कूलों की चुनौती को स्वीकार करते हुए मिसाल कायम कर दी।
विद्यालय के प्रधानाध्यापक फरहत जहां ने अपने शिक्षकों के साथ योजना बनाकर आसपास के गांव सुगंध नगर, भावलपुर में घर-घर जाकर अभिभावकों के साथ बैठक की। उनसे अपने बच्चों को सरकारी स्कूल में पढ़ाने को कहा। इसके लिए उन्होंने स्वयं के खर्च से बच्चों को स्कूल लाने व छोड़ने के लिए टेंपो की व्यवस्था की।1 इस पर अभिभावक अपने बच्चों को सरकारी स्कूल में पढ़ाने को तैयार हो गए। शिक्षकों ने लड़कियों की सुरक्षा की गारंटी भी ली। नतीजतन, विद्यालय में छात्रओं की संख्या ज्यादा है। प्रधानाध्यापक कहते हैं कि इस कार्य में प्राथमिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष विनोद यादव, सहायक अध्यापक हाफिज अरशद, रोहित यादव, जहांगीर आलम, नरेश कुमार आदि शिक्षकों का सहयोग रहा।पूर्व माध्यमिक विद्यालय जसवंतनगर में बच्चों को पढ़ाते हुए प्रधानाध्यापक व पूर्व माध्यमिक विद्यालय के बच्चे टैंपो से घर जाते हुए’
पूर्व माध्यमिक विद्यालय के शिक्षकों ने पेश की मिसाल शिक्षकों के प्रयास से एक वर्ष में स्कूल में बच्चों की संख्या हुई दोगुनी
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