प्राइमरी के प्रधानाध्यापकों के जूनियर में तबादले पर मची रार, पदोन्नति की लड़ाई लड़ रहे शिक्षक विभाग के इस आदेश के खिलाफ उतरे
प्रयागराज । बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों का स्थानांतरण उच्च प्राथमिक विद्यालय में सहायक अध्यापक के पद पर करने को लेकर रार मची है। पदोन्नति में शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) की अनिवार्यता को लेकर लड़ाई लड़ रहे शिक्षकों का कहना है कि बेसिक शिक्षा परिषद के अधिकारियों ने विभागीय नियमों व हाईकोर्ट के आदेशों की अनदेखी कर मनमाने तरीके से ट्रांसफर किया है।
हाईकोर्ट ने अपने कई आदेशों में निर्देश दिए हैं कि प्राथमिक विद्यालय से उच्च प्राथमिक विद्यालय में शिक्षकों की पदोन्नति या स्थानांतरण करते समय राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) की 23 अगस्त 2010, 29 जुलाई 2011 व 12 नवम्बर 2014 की अधिसूचनाओं को ध्यान में रखा जाए।
अधिसूचनाओं के अनुसार प्राथमिक से उच्च प्राथमिक विद्यालय में पदोन्नति या स्थानांतरण के लिए बीएड व बीटीसी के साथ कक्षा छह से आठ स्तर का टीईटी पास होना अनिवार्य है। जबकि शिक्षकों के स्थानांतरण के लिए 23 मई 2025 को जारी शासनादेश में भी एनसीटीई के प्रावधानों का पालन करने का जिक्र तो था लेकिन 30 जून को जारी स्थानांतरण सूची में अधिसूचना की पूरी तरह अनदेखी की गई है।
हजारों शिक्षकों का हुआ नियम विरुद्ध तबादला
शिकायतकर्ता बलिया के ललित मोहन सिंह के अनुसार 30 जून को जारी सूची में प्रदेशभर के हजारों शिक्षकों का नियम विरुद्ध तबादला हुआ है। प्रयागराज में ही प्राथमिक विद्यालय भटकर बहादुरपुर ब्लॉक के प्रधानाध्यापक जय प्रकाश पांडेय का तबादला कंपोजिट स्कूल जलालपुर सैदाबाद हुआ है। इसी प्रकार बहादुरपुर के ही प्राथमिक विद्यालय छतनाग के प्रधानाध्यापक शौकल हुसैन का स्थानांतरण कंपोजिट विद्यालय तेंदुई बहादुरपुर में हुआ है।
मद्रास हाईकोर्ट रद्द कर चुका है प्रमोशन
ऐसे ही एक मामले में तमिलनाडु सरकार की ओर से बिना टीईटी पास शिक्षकों को उच्च प्राथमिक विद्यालयों में पदोन्नत किए जाने की प्रक्रिया को मद्रास उच्च न्यायालय रद्द कर चुका है। कोर्ट ने कहा है कि कक्षा छह से आठ के लिए उच्च प्राथमिक स्तर का टीईटी उत्तीर्ण होना अनिवार्य है। इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है, लेकिन सर्वोच्च न्यायालय ने मद्रास उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक नहीं लगाई है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रखा है।
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