■ इस फॉर्मूले में आठवीं अनुसूची में दर्ज भारतीय भाषाएं ही पढ़ाई जाएंगी
■ इच्छुक विद्यार्थियों को विदेशी भाषा वैकल्पिक विषय के रूप में लेनी होगी
नई दिल्ली : अगले शैक्षणिक सत्र से स्कूलों में जर्मन और फ्रेंच जैसी विदेशी भाषाएं त्रिभाषा फॉमरूले का हिस्सा नहीं होंगी। माना जा रहा है कि मानव संसाधन विकास मंत्रलय ने केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) से कहा है कि जो विद्यार्थी विदेशी भाषाएं सीखने के इच्छुक हैं उन्हें वैकल्पिक विषय के रूप में चौथी भाषा का चयन करना चाहिए।
सूत्रों के मुताबिक, ‘संविधान की आठवीं अनुसूची में सूचीबद्ध भाषाएं ही त्रिभाषा फॉमरूले के तहत सिखाई जानी चाहिए। इस संबंध में सीबीएसई के साथ विचार-विमर्श जारी है और अगले शैक्षणिक सत्र से बदलावों को लागू किए जाने की संभावना है।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत, त्रिभाषा फॉमरूले का आशय है कि हंिदूीभाषी राज्यों में विद्यार्थियों को हंिदूी और अंग्रेजी के अलावा एक आधुनिक भारतीय भाषा सीखनी चाहिए। जबकि गैर-हंिदूीभाषी राज्यों में उन्हें स्थानीय भाषा और अंग्रेजी के अलावा हंिदूी भी सीखनी चाहिए। हालांकि, 18 हजार से संबद्ध संस्थानों में से आठवीं तक मातृभाषा या हंिदूी, अंग्रेजी और एक विदेशी भाषा सिखाते हैं। पिछले साल दिसंबर में सीबीएसई ने माध्यमिक शिक्षा के लिए प्रस्तावित त्रिभाषा फॉमरूला मानव संसाधन विकास मंत्रलय को भेजा था। इसके बाद से ही कयास लगाए जा रहे थे कि नई योजना को कब से लागू किया जाएगा।
■ जर्मन पर मच चुका है बखेड़ा
केंद्रीय विद्यालयों की 1968 की त्रिभाषा नीति के मुताबिक जिस राज्य में स्कूल है उस राज्य की भाषा को तीसरी भाषा के रूप में पढ़ाया जाएगा। हिंदी व अंग्रेजी क्रमश: पहली व दूसरी भाषाएं रहेंगी। 2011 में जर्मन को केंद्रीय विद्यालयों में तीसरी अनिवार्य भाषा का दर्जा मिला। इसके बदले जर्मन सरकार के गोथे संस्थान ने केंद्रीय विद्यालय संगठन को 700 जर्मन शिक्षक दिए।
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