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Saturday, July 7, 2018

अलीगढ़ : आधा दर्जन स्कूलों में हुआ शिक्षक भर्ती महाघोटाला, मुख्यमंत्री को हुई शिकायत, बीएसए ने ग्रांट रोकते हुए शुरू की जांच

अलीगढ़ : आधा दर्जन स्कूलों में हुआ शिक्षक भर्ती महाघोटाला, मुख्यमंत्री को हुई शिकायत, बीएसए ने ग्रांट रोकते हुए शुरू की जांच



जनता जूनियर हाईस्कूल सालारपुर की रोकी गई ग्रांट, इसी नाम के गंगीरी में स्थित स्कूल में फर्जी रिकार्ड बनाने का डाल रहे दबाव


गौरव दुबे’अलीगढ़ 1निजी स्कूलों में भी भर्ती घोटाला हो गया है। यह वहां हुआ, यहां जूनियर सेक्शन को ग्रांट मिलती थी, किंतु प्राइमरी सेक्शन को नहीं। अधिकांश के यहां प्राइमरी सेक्शन कागजी थे। कानूनी लड़ाई जीतने पर प्राइमरी कक्षाओं को ग्रांट की छूट मिली तो शिक्षा विभाग से साठ-गांठ करके न सिर्फ फर्जी रिकार्ड तैयार कराया, बल्कि शासन तक को गुमराह किया। यहां 15-20 लाख रुपये रिश्वत लेकर शिक्षक भर्ती किए जा रहे हैं। ऐसा मामला मिलने पर बीएसए ने जनता जूनियर हाईस्कूल सालारपुर की ग्रांट रोक दी है। वेतन न देने का आदेश दिया है। वहीं, जनता जूनियर हाईस्कूल गंगीरी में भी ऐसे ही फर्जीवाड़े की सीएम से शिकायत हुई है। यहां कई शिक्षकों की भर्ती हो चुकी है। पर, यहां से रिटायर्ड शिक्षक ही प्राइमरी सेक्शन चलने से बेखबर हैं।1जनता जूनियर हाईस्कूल गंगीरी के प्रधानाध्यापक ऋषिपाल सिंह ने केंद्र सरकार को यू-डायस प्रपत्र में जो ब्योरा दिया है, वही फर्जीवाड़े की पुष्टि-सी करता है। यह बताता है कि पिछले पांच साल तक उनके यहां न तो प्राइमरी का कोई बच्चा पढ़ा, न ही कोई शिक्षक था। यहां जूनियर हाईस्कूल (छह से आठ) चला। यू-डायस पर प्राइमरी का डाटा शून्य होकर भी बीएसए ने पिछले साल पांच अक्टूबर-17 को शिक्षा निदेशक को जो रिपोर्ट भेजी, उसमें वर्ष 2012-13 में 466, 2013-14 में 455, 2014-15 में 471, 2015-16 में 470 और 2016-17 में 462 बच्चे पढ़ते दिखा दिए।1हालांकि, जनता जूनियर हाईस्कूल गंगीरी के संरक्षक लक्ष्मण प्रसाद यादव दावे से कहते हैं कि प्राइमरी व जूनियर दोनों स्कूल वर्ष 1966 से ही चल रहे हैं। मैनेजमेंट का विवाद होने की वजह से कुछ लोग झूठे आरोप लगाते रहते हैं।1पूर्व शिक्षक बेखबर : सुरेशपाल सिंह बताते हैं कि मैंने 1976 से 2014 तक शिक्षण किया है। सिर्फ चार साल ही प्राइमरी चला। जूनियर की मान्यता होने पर आगे इसी की पढ़ाई हुई। प्राइमरी स्कूल कभी न चला। विद्यारतन माहेश्वरी कहते हैं, जुलाई 1970 से 2007 तक पढ़ाया है। इस दौरान जनता जूनियर हाईस्कूल में प्राइमरी कक्षाएं नहीं लगीं।1क्या है खेल : छठवीं से आठवीं तक के कुछ निजी स्कूलों शिक्षकों के वेतन व अन्य खर्चो के लिए सरकार अनुदान देती है। ये प्राइमरी स्कूल के लिए भी अनुदान मांग रहे थे। लड़ाई सुप्रीम कोर्ट तक पहुंची और ये जीत गए। सूत्र बताते हैं कि जिले के 12 स्कूलों ने भी रिट दायर की। इसमें नौ को ग्रांट मंजूर हो चुकी है। इसके लिए बच्चों का फर्जी डाटा तैयार हुआ। शिक्षकों के फर्जी नाम तय किए गए। इन्हें सरकारी नौकरी देने के बदले अब 15 से 20 लाख रुपये लिए जा रहे हैं। इसके लिए रिकार्ड में हेराफेरी की जा रही है। पुराने रिकार्ड पर दस्तखत के लिए शिक्षकों को धमकियां भी दी जा रही हैं।जनता जूनियर हाईस्कूल गंगीरी में प्राइमरी कक्षाएं न चलते हुए भी सैकड़ों बच्चों का दाखिला दिखाकर अनुदान पाना बेहद गंभीर मामला है। इसकी जांच कराऊंगा। यू-डायस से इनके डाटा का मिलान करूंगा। बच्चों के नाम, सीरियल नंबर, हाजिरी रजिस्टर देखने के साथ गांव के लोगों से भी इसकी तस्दीक करूंगा कि क्या वहां कभी प्राइमरी सेक्शन चला है? जो भी सत्यता मिलेगी, उसके हिसाब से कार्रवाई करूंगा। गड़बड़ी मिली तो ग्रांट रोकेंगे, शासन को भी लिखेंगे। 1डॉ. लक्ष्मीकांत पांडेय, बीएसए1’>>यू-डायस में दिया ब्योरा-प्राइमरी में न कोई शिक्षक रहा, न ही बच्चा1’>>मुख्यमंत्री से की गई स्कूलों की शिकायत, जिले में चल रहा खेल1


जागरण संवाददाता, अलीगढ़ : निजी स्कूलों को अनुदान के दायरे में लाने और फिर शिक्षकों की भर्ती के महाघोटाले के ‘खेल’ में कई ‘खिलाड़ी’ और भी हैं। यह आंकड़ा आधा दर्जन तक पहुंचता दिख रहा है। लोग स्वत:स्फूर्त ऐसे स्कूलों की पोल खोल रहे हैं। इंदिरा गांधी जूनियर हाईस्कूल नगला अहिवासी, इगलास में भर्ती घोटाले का प्रकरण डीएम के दर पहुंच चुका है। डीएम ने बीएसए को न सिर्फ इस स्कूल, बल्कि ऐसे सभी प्रकरणों की गहनता से जांच का निर्देश दिया है। हालांकि, शिक्षा विभाग के अफसर सिर्फ दो स्कूलों की ही जांच की बात मानते हैं। इनमें एक जनता जूनियर हाईस्कूल सालासर है तो दूसरा इंदिरा गांधी जूनियर हाईस्कूल नगला अहिवासी। जनता जूनियर हाईस्कूल गंगीरी समेत कॉलेज चार स्कूलों की मुख्यमंत्री से शिकायत हुई है। इनकी भी जांच शुरू कर रहे हैं।1बिना शिक्षक और बिना बच्चों के ही दशकों तक स्कूल चलाना दिखाकर कई स्कूल संचालकों ने अनुदान के लिए महाघोटाला किया है। ये स्कूल जूनियर हाईस्कूल स्तर के हैं। कुछ के यहां जूनियर सेक्शन चलता था। उन्होंने इसे भी अनुदान के दायरे में लाने की कानूनी लड़ाई लड़ी और जीते भी। मगर, इनके बहाने कुछ ‘खिलाड़ी’ भी हाथ साफ करने में जुट गए। इन्हें शिक्षा विभाग के महाभ्रष्ट अफसरों का साथ मिला और तमाम डाटा फर्जी तैयार कर लिया गया। निरीक्षण में इसका अनुमोदन अफसरों ने किया और इसे अदालत व शासन के समक्ष पेश करके जूनियर सेक्शन को भी अनुदान की श्रेणी में रखवा लिया गया। इन स्कूलों में ही शिक्षकों की भर्ती में 20-20 लाख रुपये उगाहे जा रहे हैं। शिक्षक भर्ती घोटाले की खबर ‘दैनिक जागरण’ ने छह जुलाई के अंक में प्रकाशित की तो बाकी स्कूलों के खेल भी सामने आने लगे। बीएसए डॉ. लक्ष्मीकांत पांडेय कहते हैं कि हर स्कूल की गंभीरता से जांच होगी। यू-डायस प्रपत्र से ही नहीं, हर उस तथ्य को परखा जाएगा, जो इनके झूठ को सामने ला सके। पर, यह कवायद दो दिन बाद चालू हो पाएगी। अभी कार्यालय में दूसरे जिलों से स्थानांतरित होकर आए शिक्षकों की काउंसिलिंग चल रही है। इसके बाद अनुदानित स्कूलों में शिक्षक भर्ती के आरोपों की जांच करेंगे।’>>चार और की सीएम से शिकायत, दो स्कूलों की बीएसए ने शुरू की जांच1’>>दैनिक जागरण में खबर आने के बाद दूसरे स्कूलों की खुल सकती है कलईफर्जी शिक्षक भर्ती मामले में शामिल हर स्कूल व शिक्षकों के प्रपत्रों जांच करने के आदेश दिए हैं। जल्द से जल्द जांच पूरी कराई जाएगी। जो भी दोषी मिला उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।1चंद्रभूषण सिंह, डीएम

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