उरई,
जागरण संवाददाता : दिल्ली में 5 से 7 अक्टूबर तक आयोजित होने वाले धरने के
लिए शिक्षामित्र और उनके परिजन रविवार को यहां से रवाना हुए। जिले के
विभिन्न स्थानों से बसों और चारपहिया वाहनों से यह लोग शाम को दिल्ली के
लिए रवाना हुए।
मालूम हो कि हाईकोर्ट के फैसले के बाद शिक्षामित्रों का भविष्य अधर में लटक गया है। अपना हित सुरक्षित करने के मकसद से वह प्रदेश सरकार से गुहार लगाने के बाद अब शिक्षामित्रों को केंद्र सरकार से मदद की आस है। यही कारण है कि शिक्षामित्रों ने दिल्ली में 5 से 7 अक्टूबर तक धरने देने का निर्णय लिया है।
इसके लिए शिक्षामित्रों के साथ ही उनके परिजन भी दिल्ली जा रहे हैं। रविवार को शाम को शिक्षामित्र नगर के साथ ही विभिन्न स्थानों से बसों और चार पहिया वाहनों से रवाना हुए। शिक्षामित्रों के परिजनों श्याम सुंदर, जानकी देवी ने कहा कि उनके परिवार में एक नौकरी की वजह से अब खुशहाली का माहौल आया था परंतु अब नौकरी छिन जाने से पूरे परिवार के सामने समस्या उत्पन्न हो गई है। यह स्थिति उनके जैसे तमाम लोगों की है इसलिए सरकार को उचित निर्णय लेकर शिक्षामित्रों का भविष्य सुरक्षित करना चाहिए। वैसे भी कई वर्षों से वह लगातार विद्यालयों में सेवा दे रहे हैं। शिक्षामित्र संगठन के शैलेंद्र, प्रवीण परिहार ने कहा कि शिक्षामित्र अपने हक की बात कर रहे हैं इसलिए सरकार को तुरंत फैसला लेना चाहिए। कई शिक्षामित्र अपने परिवार में अकेले कमाने वाले हैं ऐसे में उन परिवारों के सामने संकट उत्पन्न हो गया है।
मालूम हो कि हाईकोर्ट के फैसले के बाद शिक्षामित्रों का भविष्य अधर में लटक गया है। अपना हित सुरक्षित करने के मकसद से वह प्रदेश सरकार से गुहार लगाने के बाद अब शिक्षामित्रों को केंद्र सरकार से मदद की आस है। यही कारण है कि शिक्षामित्रों ने दिल्ली में 5 से 7 अक्टूबर तक धरने देने का निर्णय लिया है।
इसके लिए शिक्षामित्रों के साथ ही उनके परिजन भी दिल्ली जा रहे हैं। रविवार को शाम को शिक्षामित्र नगर के साथ ही विभिन्न स्थानों से बसों और चार पहिया वाहनों से रवाना हुए। शिक्षामित्रों के परिजनों श्याम सुंदर, जानकी देवी ने कहा कि उनके परिवार में एक नौकरी की वजह से अब खुशहाली का माहौल आया था परंतु अब नौकरी छिन जाने से पूरे परिवार के सामने समस्या उत्पन्न हो गई है। यह स्थिति उनके जैसे तमाम लोगों की है इसलिए सरकार को उचित निर्णय लेकर शिक्षामित्रों का भविष्य सुरक्षित करना चाहिए। वैसे भी कई वर्षों से वह लगातार विद्यालयों में सेवा दे रहे हैं। शिक्षामित्र संगठन के शैलेंद्र, प्रवीण परिहार ने कहा कि शिक्षामित्र अपने हक की बात कर रहे हैं इसलिए सरकार को तुरंत फैसला लेना चाहिए। कई शिक्षामित्र अपने परिवार में अकेले कमाने वाले हैं ऐसे में उन परिवारों के सामने संकट उत्पन्न हो गया है।
खबर साभार : दैनिक जागरण
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