प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा ने वर्ष 2013 में एक शासनादेश जारी किया। उसके मुताबिक एक स्कूल माह में 100 यूनिट तक बिजली खर्च कर सकता है। बिजली का दाम प्रति यूनिट तीन रुपए निर्धारित किया। बेसिक शिक्षा विभाग का कहना है कि बिजली निगम के भेजे गए बिजली बिल की धनराशि से शासन को अवगत कराया जाएगा। वहां से दिशा-निर्देश मिलने के बाद ही भुगतान होगा।
गोरखपुर कार्यालय संवाददाताग्रामीणांचल के परिषदीय स्कूलों में वर्षों पहले बिजली कनेक्शन लगा। वर्तमान में स्कूलों में पंखा चलता है न बल्ब जलता है। बावजूद बिजली निगम ने करीब 150 स्कूलों को 84-84 हजार रुपए का बिल भेजा है। इतनी बड़ी धनराशि का बिल मिलने पर बीएसए ने सभी खण्ड शिक्षा अधिकारियों से रिपोर्ट तलब की है। इसको लेकर खण्ड शिक्षा अधिकारियों की मुश्किल बढ़ गई है। अब वे अपने-अपने ब्लॉक के स्कूलों में जाकर बिजली कनेक्शन और इस्तेमाल की जांच करने में जुटे हैं। उधर बिजली निगम का कहना है कि बेसिक शिक्षा विभाग ने स्कूलों में कनेक्शन लगवाने के बाद अब तक बिजली बिल का भुगतान नहीं किया है। स्कूलों में लगे बिजली मीटर बंद पड़े हुए हैं। ऐसे में 104 यूनिट प्रतिमाह बिजली खर्च मानकर बिल तैयार किया गया है।बिजली का दाम छह रुपए प्रति यूनिट : बिजली निगम ने ग्रामीणांचल के स्कूलों खर्च होने वाली बिजली का दाम प्रति यूनिट छह रुपए निर्धारित किया है। ग्रामीण क्षेत्रों में दिन में बिजली आपूर्ति कम ही मिलती है। बावजूद इसके स्कूलों में प्रतिमाह 104 यूनिट बिजली खर्च निगम मानकर बिल बना रहा है। विभाग के पास नहीं है कनेक्शन का आकंड़ा : ग्रामीणांचल के कितने परिषदीय स्कूलों बिजली कनेक्शन लगा है? इसका वास्तविक आंकड़ा बेसिक शिक्षा विभाग के पास नहीं है। जानकारों के मुताबिक वर्ष 2012-13 और 13-14 में कुल 301 स्कूलों में बिजली कनेक्शन लगने की फाइल उपलब्ध है। इसके पहले लगे कनेक्शनों का रिकॉर्ड विभाग से गायब है। अब बीएसए के निर्देश पर स्कूल-स्कूल कनेक्शन की जांच की जा रही है।
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