उप्र निशुल्क व अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम-2009 के तहत अब प्राथमिक व जूनियर विद्यालय प्रबंध समिति में भी आधी आबादी का पूरा ख्याल रखा गया है। इसलिए विद्यालय के समिति में निर्णय लेने के लिए आधी आबादी का जलवा है। शासन ने प्रबंध समिति में पुरुषों के बराबर महिला सदस्यों को रखने का निर्देश सभी बेसिक शिक्षा अधिकारियों को दिया है। ऐसे में सभी विद्यालय के प्रधानाध्यापकों को दिशा निर्देश जारी कर दिया गया है।पहले प्राथमिक व जूनियर विद्यालयों में ग्राम प्रधान व प्रधानाध्यापक मिलकर अपने मनमाफिक सदस्य बनाकर अध्यक्ष व उपाध्यक्ष का चयन कर लेते थे। इसकी वजह से निष्पक्ष निर्णय पर प्रश्नचिह्न उठता था। विद्यालय प्रबंध समिति में अब कुल 15 सदस्य होंगे। इनमें से चार पदेन सदस्य होंगे। अन्य 11 सदस्य विद्यालय में अध्ययनरत छात्र/छात्रओं के अभिभावक होंगे जिनसे विद्यालय प्रबंध समिति का गठन किया जाना है। विद्यालय प्रबन्ध समिति के चयनित सदस्यों में से 01 अध्यक्ष एवं 01 उपाध्यक्ष का चयन होगा। सदस्यों में 50 प्रतिशत महिला सदस्य का होना अनिवार्य है। विद्यालय प्रबन्ध समिति के संरक्षक सदस्यों में एक-एक सदस्य अनुसुचित जाति, अनुसुचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग तथा कमजोर वर्ग के माता-पिता अथवा संरक्षक सम्मिलित होंगे।1 प्राथमिक विद्यालय में अध्यक्ष कक्षा 1 से 3 तथा उच्च प्राथमिक विद्यालय में कक्षा 6 से 7 में अध्ययनरत छात्र के अभिभावक का ही चयन किया जाएगा ताकि वो अपना दो वर्ष का कार्यकाल पूर्ण कर सकें। सदस्यों का चयन खुली बैठक में हाथ उठाकर अथवा पक्ष एवं विपक्ष को अलग-अलग बैठाकर बहुमत के आधार पर किया जाएगा। समिति गठित होने के एक सप्ताह के अन्दर समिति के सचिव द्वारा चुने गए सदस्यों की सूची (माता-पिता/संरक्षक के पाल्य बच्चों के नाम एवं कक्षा के साथ) विद्यालय के दीवार पर प्रदर्शित किए जाएंगे।जनपद के गैर अनुदानित विद्यालयों के अतिरिक्त समस्त प्राथमिक/उच्च प्राथमिक विद्यालयों में अध्ययनरत छात्र/छात्रओं के माता-पिता/संरक्षक अपने विद्यालय की खुली बैठक में प्रतिभाग कर पारदर्शी एवं निष्पक्ष समिति के गठन में अपना अमुल्य सहयोग प्रदान करें। यह कार्रवाई प्रधानाध्यापक अपने खंड शिक्षा अधिकारी के पर्यवेक्षण में 25 जुलाई तक हर हाल में कर लें।
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