स्कूलों का शैक्षिक सत्र शुरू हो चुका है, लेकिन व्यवस्था की लापरवाही के चलते अभी तक छात्रों के पढ़ने के लिए किताबें नहीं मिली हैं। ऐसे में छात्र-छात्रएं बिना किताबों के ही ज्ञान लेकर स्कूलों से घर वापस हो रहे हैं। छात्र छात्रएं स्कूल में पहाड़ा, गिनती पढ़ने व खेलकूद में अपना समय बिताकर घर वापस हो जाते हैं। रुदौली में 197 प्राथमिक स्कूल, 57 पूर्व माध्यमिक स्कूल व एक कस्तूरबा गांधी स्कूल संचालित है, लेकिन एक भी स्कूल में किताबें अभी तक नहीं पहुंच पाई हैं। सरकार शिक्षा को सुधारने के लिए लगातार प्रयास कर रही है। कुषोषण दूर करने के लिए स्कूलों में मिड डे मील के साथ ही सप्ताह में एक दिन फल व एक दिन दूध भी दिया जा रहा है। पर अफसरों की लापरवाही के चलते सरकार की मंशा परवान नहीं चढ़ पा रही है। शैक्षिक सत्र एक अप्रैल से आरंभ हो गया था। ग्रीष्मकालीन अवकाश के बाद दो जुलाई को फिर से स्कूल खुल गए हैं। हैरत की बात तो स्कूलों में छात्रों के पास पढ़ने के लिए किताबें नहीं है। बिना किताबों के वह स्कूल जाने को मजबूर है। कुछ छात्रों को जरूर पुरानी किताबें देकर किसी तरह गुरुजी काम चला रहे हैं। कुछ ऐसा ही हाल मवई शिक्षा क्षेत्र का है। यहां पर भी किसी परिषदीय स्कूल में किताबों का वितरण नहीं हो सका है। ऐसे में परिषदीय स्कूलों की बुनियादी शिक्षा को गुणवत्तापरक बनाने की सरकार की मंशा पर पानी फिरता नजर आ रहा है।
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