संवाद सहयोगी, हाथरस : कैंसर से पीड़ित होने के बाद भी वे बच्चों को पढ़ाते रहे, शिक्षा का अलख जलाते रहे ताकि वेतन जारी हो सके और अपना इलाज ठीक से करा सकें। ज्वाइनिंग के बाद नौ माह बीस दिन तक शिक्षक का वेतन निर्धारण तो नहीं हुआ, मगर कैंसर के कारण उनकी मौत हो गई। अब अपने इकलौते बेटे की मौत से व्यथित पिता उसके पारिश्रमिक के पैसे के लिए संघर्ष कर रहे हैं। बीएसए को पत्र भी लिखा, मगर सुनवाई नहीं हुई। कृपा कुंज कालोनी, शमशाबाद जिला आगरा निवासी रुस्तम सिंह रावल के परिवार में उनकी पत्नी के अलावा दो बेटी सावित्री व रेखा, इकलौता पुत्र ज्ञानेन्द्र सिंह रावल थे। ज्ञानेंद्र ने वर्ष 2009-10 में हाथरस से ही दो वर्षीय बीटीसी का प्रशिक्षण प्राप्त किया और बाद में सहायक अध्यापक के पद पर नियुक्ति मिल गई। इकलौते पुत्र की नौकरी लग जाने से परिवार में खुशी का आलम था। 1खुशियों को लगा ग्रहण 1एक जुलाई 2011 को ज्ञानेन्द्र कुमार रावल की सहायक अध्यापक के पद पर नियुक्ति सिकंदराराऊ ब्लाक के प्राथमिक विद्यालय नीरजा में हो गई। पिता रुस्तम सिंह रावल की मानें तो नौकरी के दौरान ही पुत्र को कैंसर हो गया। एक माह सिकंदराराऊ में नौकरी करने के बाद उसने अपना सम्बद्धीकरण 12 सितंबर 2011 को सादाबाद ब्लाक के प्राथमिक विद्यालय बासपुरम में करा लिया। इस दौरान उसने कैंसर से लड़ते हुए भी बच्चों को पढ़ाना जारी रखा ताकि उसका वेतन निर्धारण हो सके, लेकिन बीमारी से लड़ते-लड़ते बीस अप्रैल 2012 को उसकी मौत हो गई। बीमारी के दौारन ही ज्ञानेंद्र ने अपने वेतन निर्धारण के तमाम प्रयास किए लेकिन सफल नहीं हो सके। इकलौते पुत्र की मौत से पूरा परिवार सदमे में आ गया। पिता की स्थिति खराब हो जाने के बाद वे भी गुमसुम से हो गए। सिस्टम की लचर व्यवस्था शिक्षक की कैंसर से मौत हो जाने के बाद सिकंदराराऊ में प्रथम नियुक्ति वाले विद्यालय के पत्र व्यवहार में तो जानकारी अंकित कर दी गई, लेकिन शिक्षक के परिवार के प्रति संवेदना अधिकारियों सहित कर्मचारियों ने नहीं दिखाई। किसी ने भी उनके वेतन को लेकर प्रयास नहीं किया। मृतक के परिजनों को सूचना देकर वेतन आदि की कार्रवाई के लिए पत्र तक लिखना मुनासिब नहीं समझा। नहीं छोड़ी उम्मीद मृत शिक्षक के पिता ने बताया कि आखिर उनके पुत्र को वेतन क्यूं नहीं दिया गया? इसकी जानकारी भी नहीं दी जा रही है, जबकि उनके पुत्र ने उस दौरान करीब नौ माह बीस दिन तक शिक्षण कार्य किया था। बेटा तो नहीं रहा, मगर उसके पारिश्रमिक को वे लेकर रहेंगे, ताकि उनके पुत्र की आत्मा को शांति मिले। 24 सितंबर को उन्होंने बीएसए को पत्र दिया था मगर अभी तक कोई जवाब नहीं मिला। सिकंदाराराऊ ब्लाक में वेतन बिल आदि का कार्य देख रहे बिल बाबू सौमानी की मानें तो यह जानकारी की जा रही है कि शिक्षक को किस कारण वेतन नहीं मिल सका। मेरे चार्ज लेने से पहले यह शिक्षक तैनात थे, उस समय विद्यालय में तैनात रहे हेड मास्टर ने अवगत कराया है कि शिक्षक अटैचमेंट पर यहां तैनात थे, जिनकी बाद में मौत हो गई। शिक्षक का वेतन निर्धारण सिकंदराराऊ ब्लाक से होना था। जितेन्द्र चौधरी, खंड शिक्षा अधिकारी, सादाबाद
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