परिषदीय विद्यालयों एवं कस्तूरबा गांधी आवसीय बालिका विद्यालयों में शिक्षक अब अपने-अपने स्कूल के लिए डेवलपमेंट प्लान बनाएंगे। इसके तहत शिक्षक विद्यालय प्रबंध समिति के माध्यम से अपने विद्यालय के लिए एक सशक्त विकास योजना तैयार करेंगे। इसमें अभिभावक भी अपने सुझाव दे सकेंगे। उसी के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। सर्व शिक्षा अभियान के राज्य परियोजना निदेशालय की ओर से इस संबंध में निर्देश भेज दिए गए हैं।दरअसल, बेसिक शिक्षा परिषद के अधीन प्रदेश भर में करीब एक लाख 60 हजार विद्यालय संचालित हैं। इनमें तकरीबन पौने दो करोड़ बच्चे अध्ययनरत हैं। हर साल इन विद्यालयों में मिड-डे-मील, यूनीफार्म, किताबों से लेकर अन्य जिलों में हजारों करोड़ का बजट खर्च होता है। लेकिन फिर भी इन विद्यालयों में शिक्षा की स्थिति अच्छी नहीं है। विभागीय जानकारी के मुताबिक निशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 में समुदाय एवं अध्यापकों को यह अधिकार दिया गया है कि वह संयुक्त प्रयास कर अपने विद्यालय के लिए एक सशक्त विद्यालय विकास योजना तैयार करें। विद्यालय विकास योजना एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है जो विद्यालय के अध्यापकों व विद्यालय प्रबंध समिति के सदस्यों को कार्य करने के लिए आधार एवं मार्गदर्शन प्रदान करती है। वहीं यह योजना बच्चों, महिलाओं व अपवंचित समुदाय के अभिभवाकों को भी अपने बच्चों के लिए विद्यालय में प्राप्त होने वाली सुविधाओं एवं शिक्षा व्यवस्था पर सुझाव देने का अवसर देती है। इसलिए तय किया गया है कि प्रत्येक विद्यालय में शिक्षक एवं विद्यालय प्रबंध समिति (एसएमसी) विद्यालय विकास योजना की पंजिका बनाएंगे।प्रत्येक विद्यालय का तीन वर्ष का तैयार होगा प्लान : प्रत्येक विद्यालय प्रबंध समिति अपने विद्यालय के लिए तीन वर्षीय विद्यालय विकास योजना तैयार करेगी। इसमें वर्ष 2016-17, 2017-18 एवं 2018-19 तक का प्लान बनाना होगा। विद्यालय विकास योजना की प्रत्येक वर्ष समीक्षा की जाएगी और उसे अपडेट किया जाएगा। इस वर्ष विद्यालय विकास योजना के लिए पंजिका के मुद्रण के लिए 150 रुपए प्रति कॉपी का बजट भी स्वीकृत कर दिया गया है।
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