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Thursday, February 16, 2017

विजिलेंस ने बनाया पांचवां शिकार, भ्रष्टाचारियों को पकड़ने में आगरा अव्वल, शिक्षा विभाग में हर काम के देने पड़ते दाम, रेट लिस्ट देखें

किताब घोटाले में भी निलंबित हो चुकी हैं बीईओ
..और बाल-बाल बच गए अधिकारी

जोन के 20 भ्रष्टाचारी निशाने पर
किसी ने नहीं की आवाज उठाने की हिम्मत

2013 में शमसाबाद ब्लॉक में हुआ था किताब घोटाला, विजीलेंस ने बनाया बीईओ को पांचवां शिकार


जागरण आगरा: विजीलेंस द्वारा बुधवार को शमसाबाद ब्लॉक में 50 हजार रुपये रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार बीईओ पूनम चौधरी इस सालभ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई की पहली कड़ी है। बिना दाम के काम न करने वाले विजिलेंस जोन में 20 भ्रष्ट अधिकारी और कर्मचारी विजीलेंस के निशाने पर हैं। इनमें सबसे ज्यादा शिकायतें शिक्षा विभाग की हैं। विजिलेंस के पास आगरा, मथुरा, फीरोजाबाद, मैनपुरी, अलीगढ़, हाथरस, एटा तथा काशीराम नगर जिलों के 20 मामले हैं। इसमें पीड़ितों ने संबंधित विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों द्वारा रिश्वत मांगने की शिकायत की हैं।
रिश्वत लेते पकड़ी गई खंड शिक्षाधिकारी पूनम चौधरी इससे पहले भी फर्जीवाड़े के आरोप में निलंबित हो चुकी है। पूनम पर वेतन लगाने में भी गड़बड़ी के आरोप लगे थे।
आरोपी खंड शिक्षाधिकारी पूनम चौधरी वर्ष 2013 में भी शमसाबाद ब्लॉक में तैनात रही थीं। उनके कार्यकाल में सर्व शिक्षा अभियान की पुस्तकों का घोटाला हुआ था। करीब एक लाख किताबों के हेरफेर का मामला सामने आया था। मामले में अपर शिक्षा निदेशक ने निलंबित कर दिया था। वर्ष 2014 में इन्हें बहाल कर मैनपुरी तैनात कर दिया गया। मगर, वहां से ट्रांसफर कराकर फिर आगरा आ गईं। एत्मादपुर और बिचपुरी ब्लॉक की बीईओ रहते हुए इन पर बिना रिलीव किए एक शिक्षिका को दूसरे विद्यालय में ज्वाइन कराने के आरोप लगे थे।बीआरसी, शमसाबाद पर पकड़े जाने के बाद थाने ले जातीं पूनम चौधरी ’ जागरणबेसिक शिक्षा विभाग में भारी भ्रष्टाचार है। यहां हर छोटे बड़े काम के बदले शिक्षकों को सुविधा शुल्क देना पड़ता है। ऐसे में पिछले तीन साल से लगातार कोई न कोई रिश्वत लेते पकड़ा जा रहा है। बीईओ से पहले भी चार लोग विजिलेंस के हत्थे चढ़ चुके हैं:

लेखाधिकारी आरसी मौर्या को 10 अक्टूबर 2014 को विजिलेंस ने कार्यालय में रिश्वत लेते पकड़ा था।

रिटायर शिक्षक से रिश्वत मांगने पर पेंशन कार्यालय के बाबू आर एस प्रजापति को अगस्त 2015 में पकड़ा। मई 2016 विजिलेंस ने फतेहाबाद ब्लॉक एबीआरसी उत्तम सिंह को रिश्वत लेते दबोचा।

अक्टूबर में एबीआरसी भूप सिंह मौर्य को रंगे हाथ दबोचा।आगरा : रानी देवी ने बताया कि उन्होंने बीईओ पूनम चौधरी को अपनी परेशानी बताते हुए बच्चे की देखभाल का हवाला दिया। इसके बावजूद वह रिश्वत लेने पर अड़ी रहीं। सिर्फ वही नहीं अन्य शिक्षिकाएं भी भ्रष्ट बीईओ से परेशान थीं। इसके खिलाफ आवाज उठाने की हिम्मत कोई नहीं कर रहा था। इस पर उन्होंने अधिकारी को सबक सिखाने का फैसला किया।
कार्यालयों से भागे कर्मचारी : बीईओ को रिश्वत लेने रंगे हाथों गिरफ्तार करने की जानकारी होते ही अन्य कर्मचारियों में अफरातफरी मच गई। कई कर्मचारी वहां से खिसक लिए। इन कर्मचारियों को डर था कि बीईओ कहीं उनका नाम भी अपने साथ न ले लें। आरोपी को थाने ले जाने के बाद वह अपने कार्यालय में लौटे।

इसलिए कहते हैं रंगे हाथ : रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़े जाने के पीछे भी वैज्ञानिक तथ्य है। विजिलेंस द्वारा रिश्वत में दिए जाने वाले नोटों पर फिनॉफ्थलीन पाउडर लगाया जाता है। रुपये पकड़ते ही यह आरोपी के हाथ में लग जाता है। जिसे पानी से धोने पर आरोपी के हाथों का रंग लाल हो जाता है। इस वैज्ञानिक साक्ष्य को शीशी में भरकर सीलबंद कर दिया जाता है। भ्रष्टाचारी को पकड़ने वाली टीम के साथ प्रशासन के दो गवाह भी होते हैं।

बीईओ ने लगाया मारपीट का आरोप : विजिलेंस के हत्थे चढ़ी बीईओ पूनम चौधरी ने अपने साथ मारपीट का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि उन्हें जबरन फंसाया है। शिकायतकर्ता की ओर से आए लोगों ने उनके साथ मारपीट की। पूनम मूल रूप से बुलंदशहर की रहने वाली हैं।

बचने को लगाई दौड़ : विजिलेंस की गिरफ्त से बचने के लिए बीईओ ने पूरी कोशिश की। महिला पुलिसकर्मियों को धक्का देकर भागने का प्रयास किया, लेकिन पीड़ित पक्ष के सहयोग से पुलिसकर्मियों ने उन्हें पकड़ लिया।

भ्रष्टाचारियों को पकड़ने में आगरा अव्वल : उप्र में भ्रष्टाचारियों को पकड़ने के मामले में पिछले साल आगरा अव्वल रहा था। जोन में नौ लोगों को रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़कर जेल भेजा था। इनमें सबसे ज्यादा आरोपी शिक्षा विभाग के थे।बेसिक शिक्षा विभाग में भ्रष्टाचार की हालत यह है कि हर काम के रुपये देने पड़ते हैं। शिक्षक और कर्मचारियों के अनुसार इसके रेट निम्न हैं:अलीगढ़ मंडल के एक शिक्षा अधिकारी ने पिछले साल शिक्षक का वेतन आहरित करने को लेकर रिश्वत मांगी थी। पीड़ित की शिकायत पर विजिलेंस ने उसे रंगे हाथों गिरफ्तार करने की तैयारी कर ली। अधिकारी ने ऐनवक्त पर रिश्वत लेने का फैसला बदल दिया था। इसके चलते वह गिरफ्तारी से बच गया।


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