महराजगंज : जिले के नवनियुक्त शिक्षकों के एरियर भुगतान की प्रक्रिया लापरवाही की भेंट चढ़ गई। हैरत की बात यह कि विभाग एक तरफ बजट का रोना रो रहा है और दूसरी तरफ शासन को 90 लाख रुपये वापस कर दिया गया। छह से आठ माह तक का एरियर करीब 350 शिक्षकों का फंसा है। शिक्षक आए दिन विभाग का चक्कर लगा रहे हैं। लेकिन पटल छोड़ लिपिकों के गायब रहने की कार्यप्रणाली से शिक्षकों की उम्मीदें ढेर हो रही हैं, वहीं विभाग की कार्यशैली पर सवाल भी उठे रहे हैं। दरअसल 72825 प्रशिक्षु शिक्षक भर्ती प्रक्रिया के तहत प्राथमिक विद्यालयों में इन्हें मौलिक नियुक्ति तो मिल गई। लेकिन एरियर भुगतान में नियमों के तय मानक ने शिक्षकों की परेशानी बढ़ा दी थी। पहले तो दो अंकपत्रों के सत्यापन पर ही करीब हजार शिक्षकों का एरियर जारी कर दिया गया था। बाद में शोर-शराब होने पर चार सत्यापन पर ही एरियर आदेश जारी किया जाने लगा। जिससे शिक्षकों को अपने चारो अंकपत्रों के लिए काफी इंतजार करना पड़ा था। बेसिक शिक्षा विभाग ने अक्टूबर 2016 से फरवरी 2017 के बीच 350 शिक्षकों के एरियर भुगतान के लिए बिल लेखाधिकारी कार्यालय को प्रस्तुत किया। बावजूद इन शिक्षकों का एरियर टीईटी अंकपत्रों की जांच के नाम पर तत्कालीन बीएसए के निर्देश पर रोक दिया गया। इसके बाद पूरा मामला चुनावी प्रक्रिया के भेंट चढ़ गया और बजट के इंतजार में लंबा समय गुजर गया। जब मार्च के अंतिम समय में कुछ शिक्षकों के एरियर भुगतान की प्रक्रिया शुरू हुई तो सियासत परवान चढ़ गई। आरोप-प्रत्यारोप लगने लगे। फलस्वरूप 90 लाख रुपये शासन को वापस चला गया।
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