कैसे सुधरेगी परिषदीय विद्यालयों की स्थिति? कैसे उज्ज्वल होगा बच्चों का भविष्य? ऐसे ही कुछ सवालों ने परिषदीय विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों के अभिभावकों की नींद उड़ाकर रख दी है। क्षेत्र के पड़रियां निवासी बद्र्री सिंह का कहना है कि गरीबी के चलते वे अपने बच्चों को प्राइवेट विद्यालयों में पढ़ाने में असमर्थ हैं। उन्होेंने इस आशा से गांव के प्राथमिक विद्यालय पड़रियां में अपनी पुत्री सुधा सिंह, पुत्र रुद्र प्रताप सिंह को प्रवेश दिलाया था कि उनके बच्चे पढ़ लिखकर कुछ ना कुछ बन जाएंगे। किन्तु विद्यालय के प्रधानाध्यापक महेश कुमार यादव के मनमाने रवैए के चलते बद्री सिंह का सपना साकार न हो सका। विदित हो कि अभिभावक बद्री सिंह ने प्राथमिक विद्यालय पड़रिया में तैनात प्रधानाध्यापक महेश कुमार यादव द्वारा ड्रेस वितरण में बड़े पैमाने धांधली करने व घटिया किस्म की ड्रेसें वितरित करने एवं अधिकांशत: प्रधानाध्यापक के नदारत रहने की शिकायत शिक्षा विभाग उच्चाधिकारियों से की थी। बद्री सिंह द्वारा की गई शिकायत पर कोई कार्रवाई तो नहीं हुई किन्तु उनके घर बैक डेट में नोटिस भेजकर बच्चों का नाम अवश्य काट दिया गया। जिसके बाद पीड़ित बद्री सिंह द्वारा प्रधानाध्यापक की करतूतों के विषय में खंड शिक्षाधिकारी, जिलाधिकारी, मुख्यमंत्री से लेकर शिक्षा विभाग के उच्चाधिकारियों तक लिखित शिकायत की गई। जिसके बाद कार्रवाई होना तो दूर शिक्षक की ऊंची पहुंच के चलते बिना जांच के ही पीड़ित की शिकायत को निराधार बता दिया गया। शिक्षा विभाग की उदासीनता के चलते शिकायतकर्ता के बच्चों को वर्ष 2017 की वार्षिक परीक्षा से वंचित कर दिया गया। पीड़ित बद्री सिंह का कहना है कि शिक्षा विभाग की उदासीनता के चलते उसके बच्चों का भविष्य चौपट होने की कगार पर है।
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