पहले बात बेसिक शिक्षा की। 2897 प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालय हैं। इनमें लगभग तीन लाख बच्चे शिक्षा पा रहे हैं। इसमें लड़कियों का प्रतिशत 36 है। बाकी छात्र हैं जबकि पिछले सालों में लड़कियों का प्रतिशत 42 तक पहुंच गया था। इसकी वजह लगातार लड़कियां स्कूल छोड़ रही हैं जबकि उनके लिए स्पेशल कक्षाएं लगाने, मुफ्त पुस्तकें व यूनीफार्म देने का काम शुरू किया गया है। यही नहीं उन्हें जूनियर हाईस्कूल तक पहुंचते ही सिलाई-कढ़ाई का प्रशिक्षण दिया जाता है। कक्षा आठ तक पहुंचते-पहुंचे चार फीसद लड़कियां स्कूलों से किनारा कर लेती हैं। उसका एक कारण घर से स्कूलों की दूरी अधिक होना तो दूसरा कारण परिवारों की आर्थिक स्थिति का मजबूत न होना है। कक्षा नौ से इंटर तक की बात करें तो दो लाख विद्यार्थी शिक्षा पा रहे हैं। इसमें लगभग 55 हजार छात्रएं हैं। इनका ग्राफ भी गिर रहा है। उच्च शिक्षा तक पहुंचते-पहुंचते आठ फीसद लड़कियां पढ़ाई छोड़ देती हैं। इसका कारण भी वही है। तीसरा कारण उनकी शादी का जुड़ जाता है।
पहले बात बेसिक शिक्षा की। 2897 प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालय हैं। इनमें लगभग तीन लाख बच्चे शिक्षा पा रहे हैं। इसमें लड़कियों का प्रतिशत 36 है। बाकी छात्र हैं जबकि पिछले सालों में लड़कियों का प्रतिशत 42 तक पहुंच गया था। इसकी वजह लगातार लड़कियां स्कूल छोड़ रही हैं जबकि उनके लिए स्पेशल कक्षाएं लगाने, मुफ्त पुस्तकें व यूनीफार्म देने का काम शुरू किया गया है। यही नहीं उन्हें जूनियर हाईस्कूल तक पहुंचते ही सिलाई-कढ़ाई का प्रशिक्षण दिया जाता है। कक्षा आठ तक पहुंचते-पहुंचे चार फीसद लड़कियां स्कूलों से किनारा कर लेती हैं। उसका एक कारण घर से स्कूलों की दूरी अधिक होना तो दूसरा कारण परिवारों की आर्थिक स्थिति का मजबूत न होना है। कक्षा नौ से इंटर तक की बात करें तो दो लाख विद्यार्थी शिक्षा पा रहे हैं। इसमें लगभग 55 हजार छात्रएं हैं। इनका ग्राफ भी गिर रहा है। उच्च शिक्षा तक पहुंचते-पहुंचते आठ फीसद लड़कियां पढ़ाई छोड़ देती हैं। इसका कारण भी वही है। तीसरा कारण उनकी शादी का जुड़ जाता है।
No comments:
Write comments