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Friday, July 14, 2017

आखिर कौन बंद कराएगा अमान्य स्कूल? बेसिक और माध्यमिक शिक्षा के शासनादेशों की उड़ाई जा रही हैं धज्जियां


फतेहपुर : अमान्य स्कूलों का बेखौफ संचालन पर रोक लगाने मामले में बेसिक और माध्यमिक शिक्षा विभाग पूरी तरह से फेल नजर आ रहा है। शासन और प्रशासन के नियमों को बला-ए-ताक में रखकर बिना मान्यता और मान्यता से अधिक कक्षाओं का संचालन खुले आम किया जा रहा है। शासनादेश के अनुपालन में हर वर्ष अभियान चलता है नोटिस देकर मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है। अभिभावकों से मोटी रकम वसूल कर इन शिक्षण संस्थान के संचालक दिन दूनी रात चौगुना विकास कर रहे हैं।




जिला मुख्यालय से लेकर गांव की गलियों तक अमान्य विद्यालयों की फौज है। मान्यता न लेने, टीन और छप्पर के नीचे कक्षाएं संचालित करने, मान्यता से अधिक कक्षाएं संचालित करने जैसे गलत काम करने धन कमाने की लालसा ने शिक्षण संस्थान संचालकों के दिलों से डर गायब कर दिया है। हरसाल ऐसे विद्यालयों की संख्या बढ़ती जा रही है। जानकार बताते हैं कि बीते पांच सालों के इतिहास में एक भी अमान्य स्कूल में तालाबंदी प्रशासन नहीं करा सका है। शासनादेश के अनुपालन में निरीक्षण और नोटिस देकर पक्ष रखने तक ही कार्यवाही सीमित रही है। एक अनुमान के मुताबिक बेसिक में पांच सैकड़ा से ऊपर और माध्यमिक में सवा सौ शिक्षण संस्थान ऐसे हैं जो शासनादेश की धज्जियां उड़ाए हुए हैं।




हाल ही में फीस की उगाही को लेकर उठे बंवडर में शहर के एक नामचीन स्कूल द्वारा इसी सत्र में बिना मान्यता के स्कूल के संचालन का प्रकरण उजागर हुआ। डीएम ने स्कूल में तालाबंदी कराने का मौखिक आदेश दिया तो संचालक ने जोर जुगत से मान्यता की एक फाइल बेसिक शिक्षा विभाग में जमा कर दी। विद्यालय को अब तक न मान्यता मिली और न ही तालाबंदी हुई है। इसी तरह ललौली रोड में एक विद्यालय मान्यता एवं मानक विहीन चल रहा है। चर्चा में होने के बाद भी ऐसे स्कूलों पर कार्यवाही करने से जिम्मेदारों के हाथ कांपते रहे हैं।




कभी दी सूची तो कभी दी सफाई : बेसिक शिक्षा विभाग में वर्ष 2014-15 में तत्कालीन बीएसए ने खंड शिक्षाधिकारियों को निर्देशित किया था कि मान्यताविहीन स्कूलों का संचालन बंद कराया जाए। इसके बाद हुए पत्रचार में इन विभागीय अधिकारियों ने बीएसए को लिखित में दे दिया कि सभी को नोटिस देकर समय से संचालन बंद करा दिया गया है। जबकि असलियत कुछ और ही थी नोटिस देकर विद्यालयों का संचालन कराया जा रहा था। बीएसए के स्थानांतरण के बाद मामला ठंडे बस्ते में चला गया।




राजनैतिक हस्तक्षेप से पीछे होते हाथ : बिना मान्यता अथवा मान्यता की आड़ में नियमों की धज्जियां उड़ाकर विद्यालयों की जब कभी पड़ताल होती है तो सूबे में सत्तासीन दल के राजनेताओं का हस्ताक्षेप आड़े आ जाता है। हस्तक्षेप के बाद अधिकारियों की कलम बंद हो जाती है। संचालक भी चतुराई दिखाते हैं वह विद्यालयों में होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रमों में सत्तादल के नेताओं को अतिथि बनाकर उनसे नाता जोड़ लेते हैं। मौका पड़ते ही संचालन नेताओं से जुड़ाव का लाभ उठा लेते हैं।



मई माह में भिटौरा ब्लाक के लतीफपुर गांव में एक कोठरी में कक्षा 8 तक संचालित स्कूल का मुआयना करने खंड शिक्षाधिकारी पहुंचे तो माना जा रहा था कि अब तालाबंदी होकर रहेगी। पल भर में आए एक फोन के बाद खंड शिक्षाधिकारी के तेवर बदल गए। आज तक कार्यवाही नहीं हुई। कार्यवाही को ठंडे बस्ते में डलवाने में एक विधायक की भूमिका भी उजागर हो गई।



डीआइओएस के बाद बीएसए करा रहे जांच : ¨बदकी के सरस्वती ज्ञान मंदिर प्रकरण की शिकायत सीएम के पोर्टल पर हुई तो डीआइओएस ने मामले की जांच कराई। जिसमें पाया कि बेसिक शिक्षा के प्राथमिक स्तर की मान्यता की आड़ में इंटर तक की कक्षाओं का संचालन हो रहा है। मामले में डीआईओएस ने बीएसए के जांच और शिकायत भेजकर एफआईआर दर्ज कराने के निर्देश दिए। जिस पर बीएसए ने बताया कि मामले की जांच खंड शिक्षाधिकारी द्वारा कराई जा रही है। अब देखना होगा कि विधिक रूप से गलत संचालन को लेकर बीएसए क्या फैसला और कार्यवाही करते हैं।

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