पीयूष दुबे, बरेली1देश में अनिवार्य शिक्षा का अधिकार लागू होने के बाद से हर बच्चे को निश्शुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा देने का अधिकार मिला है। सर्व शिक्षा अभियान की ओर से एक स्लोगन जारी किया गया था, ‘स्कूल चलें हम..’। आधा शैक्षिक सत्र गुजरने के बाद भी गरीब घरों के तमाम बच्चे नंगे पैर स्कूल जाने के लिए मजबूर हैं। उनके लिए इस स्लोगन में थोड़ा सा बदलाव करने की जरूरत है। बस इसके बाद की कहानी खुद स्लोगन ही बयां कर देगा। ‘नंगे पैर’ स्कूल चलें हम ..। 1बरेली मंडल के चार जिलों बरेली, शाहजहांपुर, बदायूं और पीलीभीत के परिषदीय स्कूलों में पढ़ रहे करीब 11 लाख 18 हजार बच्चों के लिए जूते और मोजे खरीदे जाने हैं। इसके लिए सितंबर में क्रय आदेश जारी हुए हैं, लेकिन अब तक आपूर्ति शुरू नहीं हो सकी है। ऐसे में सितंबर के अंत तक सभी विद्यार्थियों को सरकारी जूते-मोजे नसीब होते नजर नहीं आ रहे हैं, जबकि ग्रामीण परिवेश के तमाम बच्चे तो नंगे पैर स्कूल आते हैं। उनकी ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है। ऐसे में हैरानी की बात यह है कि बेसिक शिक्षा निदेशक के कार्यालय से रोजाना ही जूते और मोजे वितरण के बारे में सूचना मांगी जा रही है। 1पैरों की नाप में लगा वक्त 1बच्चों के जूते-मोजे वितरण में देरी लगने की मुख्य वजह शिक्षकों ने बताई। नाम न छापने की शर्त पर एक शिक्षक ने बताया कि बच्चों के पैरों के नाप स्टैंडर्ड साइज में लेकर भेजना था। स्कूल कम आने वाले बच्चों के पैरों का नाप लेने में खासी परेशानी का सामना करना पड़ा। 1’>>मंडल के 11.18 लाख बच्चों को लिए जारी किए गए क्रय आदेश 1’>>बेसिक शिक्षा निदेशक रोजाना ले रहे जूता-मोजा वितरण का अपडेटजिला स्तर से जूते खरीदने के लिए क्रय आदेश भी जारी हो चुके हैं। उम्मीद है कि जल्द आपूर्ति शुरू हो जाएगी। 1शशि देवी शर्मा, सहायक शिक्षा निदेशक, बेसिक, बरेली मंडलआंवला के पिपरिया वीरपुर गांव में पथरीले रास्ते हैं। बच्चों के पास जूते-चप्पल नहीं मगर वे इन रास्तों पर पड़ने वाली मुश्किलों को दरकिनार कर पढ़ने जरूर जाते हैं ’ राजेंद्र वर्मा
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