मीरजापुर : यूनीफार्म वितरण के कपड़ों की आपूर्ति कर दी लेकिन भुगतान नहीं हुआ। लाखों रुपये फंसाकर आपूर्तिकर्ता अब भुखमरी के कगार पर पहुंच चुका है लेकिन विभाग मौन बना हुआ है। विभागीय घालमेल से पूरी व्यवस्था ही अब ध्वस्त होने के कगार पर है। आपूर्तिकर्ता तहसील दिवस और विभागों का चक्कर लगाकर हैरान- परेशान हो रहा है। विभाग मौन बना हुआ है। वर्ष 2012 में कोन विकास खंड निवासी अनुराग सिंह की फर्म ने लालगंज विकास खंड में लगभग चार लाख रुपये के कपड़े की आपूर्ति की थी। नियमत: फर्म को एसएमसी से चेक द्वारा भुगतान किया जाना चाहिए था लेकिन फर्म को संबंधित एसएमसी के प्रभारियों ने भुगतान ही नहीं किया, जब मामले की जांच पड़ताल हुई तो पता चला कि संबंधित प्रभारियों ने संबंधित बैंक से खुद ही धन की निकासी करा ली। यह मामला जब खुला तो हड़कंप मच गया। विभागीय जांच होने लगी लेकिन कोई कार्रवाई न होने से मामला ठंडे बस्ते में चला गया। इसी के साथ ही अनुराग सिंह की फर्म के दुर्दिन शुरू हो गए। चार लाख रुपया फंस जाने से वह भुखमरी की कगार पर पहुंच गए। इस अधिकारी से उस अधिकारी के पास तथा कई तहसील दिवसों पर भी आवेदन कर वह हलकान हो गए लेकिन कहीं से उनको राहत नहीं मिली। इसी बीच कई बीएसए आए और गए लेकिन किसी ने भी उनके मामले में दिलचस्पी नहीं ली। अनुराग सिंह का कहना है कि ऐसा एक जगह नहीं बल्कि कई जगहों पर यह स्थिति है। इसमें विभागीय संलिप्तता है, इसकी उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए। अनुराग सिंह का कहना है कि अध्यापकों से बैंक से नकद भुगतान लेने का उनके पास सबूत है। इसके बाद भी विभाग कार्रवाई नहीं कर रहा है।
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