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Monday, March 17, 2025

यूपी में 9,448 आंगनबाड़ी केंद्रों का जल्द पूरा होगा निर्माण

यूपी में 9,448 आंगनबाड़ी केंद्रों का जल्द पूरा होगा निर्माण


लखनऊ : प्रदेश में 9,448 आंगनबाड़ी केंद्र बनाए जा रहे हैं जिनका निर्माण कार्य शीघ्र पूरा किया जाएगा। बच्चों को बेहतर पोषाहार उपलब्ध कराने के साथ गुणवत्तापरक शिक्षा देने के लिए हर ग्राम पंचायत में एक आदर्श आंगनबाड़ी केंद्र के निर्माण का लक्ष्य रखा गया है। बीते आठ वर्षों में राज्य सरकार 19 हजार से अधिक आंगनबाड़ी केंद्रों का निर्माण कर चुकी है।


वर्ष 2024-25 में 3,020 ग्राम पंचायतों में इनका निर्माण कराया गया है। आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों के खेलने की सुविधाएं, शौचालय व शुद्ध पेयजल की व्यवस्था की जा रही है। आंगनबाड़ी केंद्र को एक समग्र विकास केंद्र के रूप में विकसित किया जा रहा है।


Sunday, November 10, 2024

आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को स्थायी कर्मियों के समान माना जाए : हाईकोर्ट

आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को स्थायी कर्मियों के समान माना जाए : हाईकोर्ट

गुजरात हाई कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार को दिया निर्देश कहा-दोनों में बड़ा भेदभाव

फैसले से देश भर में लाखों आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं को होगा लाभ


अहमदाबाद : गुजरात हाई कोर्ट ने राज्य और केंद्र सरकार को निर्देश दिया है कि वे आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं के साथ नियमित रूप से चयनित स्थायी सिविल कर्मचारियों के समान व्यवहार करें। हाई कोर्ट के इस फैसले से देश भर में लाखों आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं को लाभ होगा।


जस्टिस निखिल एस केरियल ने कहा कि सरकारी कर्मचारियों के मामले में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और आंगनबाड़ी सहायिकाओं के बीच भेदभाव अधिक है। इसे देखते हुए राज्य और केंद्र सरकार को सरकारी सेवा में उक्त दोनों पदों को समाहित करने के लिए संयुक्त रूप से नीति बनानी चाहिए। 


अदालत ने कहा कि इसके साथ ही उन्हें नियमितीकरण का लाभ भी प्रदान किया जाए। अदालत ने 1983 और 2010 के बीच केंद्र की एकीकृत बाल विकास सेवा (आइसीडीएस) योजना के तहत नियुक्त आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं व आंगनबाड़ी सहायिकाओं द्वारा दायर याचिकाओं पर अपना फैसला सुनाया। 


आइडीसीएस योजना में छह वर्ष से कम उम्र के बच्चों के साथ-साथ गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं के लिए आंगनबाड़ी केंद्र बनाने की परिकल्पना की गई थी, जिन्हें आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और आंगनबाड़ी सहायिकाओं संचालित किया जाता है। द्वारा याचिकाकर्ताओं ने कहा था कि 10 साल से अधिक समय तक और दिन में छह घंटे से अधिक काम करने के बावजूद उन्हें मामूली राशि दी जा रही। उन्होंने अपने वाजिब अधिकार के लिए अदालत से निर्देश जारी करने का अनुरोध किया था। 


याचिकाकर्ताओं ने कहा कि उन्हें एक नियमित प्रक्रिया के माध्यम से भर्ती किया गया था, लेकिन उन्हें एक योजना माना के तहत काम करने वाला गया, न कि सरकारी कर्मचारी। अदालत ने कहा कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और आंगनबाड़ी सहायिकाओं को क्रमशः 10 हजार रुपये और पांच हजार रुपये के मासिक मानदेय से यह स्पष्ट है कि राज्य सरकार सिविल पदों पर काम करने वाले कर्मचारियों की तुलना में भेदभाव कर रही है। अदालत ने राज्य और केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि स्थायी सिविल कर्मचारियों के समान व्यवहार के हकदार होंगे।

Wednesday, October 16, 2024

एजुकेटर भर्ती रद्द करने और शासकीय कर्मचारी का दर्जा देने की मांग को लेकर आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का जोरदार प्रदर्शन

एजुकेटर भर्ती रद्द करने और शासकीय कर्मचारी का दर्जा देने की मांग को लेकर आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का जोरदार प्रदर्शन


लखनऊ। राजधानी लखनऊ में मंगलवार को आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने जोरदार प्रदर्शन करते हुए शासकीय कर्मचारी का दर्जा और एजुकेटर भर्ती को रद्द करने की मांग की। प्रदेश भर से हजारों की संख्या में कार्यकर्ता ईको गार्डेन में जुटीं, जहां आंगनबाड़ी अधिकार संयुक्त मोर्चा के बैनर तले यह विरोध प्रदर्शन किया गया। कार्यकर्ताओं की प्रमुख मांग थी कि उन्हें शासकीय कर्मचारी का दर्जा दिया जाए, और तब तक आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को 18,000 रुपये व सहायिकाओं को 9,000 रुपये प्रति माह मानदेय सुनिश्चित किया जाए।


प्रदर्शन की अध्यक्षता मोर्चा की संयोजक सरिता सिंह और सह संयोजक प्रभावती देवी ने की। उन्होंने आक्रामक स्वर में एजुकेटर भर्ती को तत्काल प्रभाव से रद्द करने की मांग की, यह तर्क देते हुए कि आंगनबाड़ी केंद्रों पर एजुकेटर की कोई जरूरत नहीं है, क्योंकि आंगनबाड़ी कार्यकर्ता पहले से ही बच्चों को शिक्षित करने का काम कर रही हैं। 

सरिता सिंह ने कहा, "सरकार की नीतियों में यह विरोधाभास स्पष्ट है कि जब आंगनबाड़ी कार्यकर्ता बच्चों की शिक्षा के साथ-साथ पोषण और स्वास्थ्य संबंधी जिम्मेदारियों को निभा रही हैं, तो अलग से एजुकेटर की भर्ती क्यों की जा रही है?" उन्होंने चेतावनी दी कि अगर यह भर्ती रद्द नहीं की गई, तो कार्यकर्ताओं का प्रदर्शन और अधिक उग्र हो सकता है। 


सरकार पर दबाव बढ़ा
वहीं, प्रदर्शनकारियों का कहना था कि एजुकेटर की नियुक्ति आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की भूमिका को कमजोर करने की साजिश है। कार्यकर्ताओं ने स्पष्ट किया कि वे किसी भी हालत में इस भर्ती को स्वीकार नहीं करेंगी, और अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो वे आगे व्यापक स्तर पर आंदोलन करने के लिए तैयार हैं। 

प्रदर्शन के दौरान आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने "एजुकेटर भर्ती बंद करो", "हम भी शिक्षक हैं, हमें हमारा हक दो" जैसे नारे लगाए, और जोर दिया कि शासकीय कर्मचारी का दर्जा उनके अधिकारों को सुनिश्चित करने का सबसे उचित समाधान है।

Monday, September 16, 2024

आंगनबाड़ी, आशा और मिड-डे मील रसोईया को सम्मानजनक मानदेय के लिए संगठनों ने बनाई रणनीति, मांग को लेकर 26 नवंबर को रैली

आंगनबाड़ी, आशा और मिड-डे मील रसोईया को सम्मानजनक मानदेय के लिए संगठनों ने बनाई रणनीति, मांग को लेकर 26 नवंबर को रैली 


लखनऊ। आंगनबाड़ी, आशा और मिड-डे मील सहित सभी स्कीम वर्कर्स को सम्मानजनक मानदेय देने, 5000 पेंशन व ग्रेच्युटी, रसोइयों को न्यूनतम वेतन देने और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को ग्रेच्युटी देने के हाईकोर्ट के आदेश को लागू करने करने की मांग की गई है।


मांग को लेकर 26 नवंबर को रैली निकाली जाएगी। श्रम विभाग के हॉल में आंगनबाड़ी, आशा और मिड-डे मील कर्मियों की यूनियनों की रविवार को हुई संयुक्त बैठक में यह निर्णय लिया गया। 


एटक की उषा शर्मा ने कहा कि सरकार का तर्क है कि आंगनबाड़ी, आशा, रसोइया, शिक्षामित्र और रोजगार सेवक जैसी स्कीम वर्करों को सम्मानजनक मानदेय देने के लिए संसाधन नहीं है। उन्होंने कहा कि अगर कॉरपोरेट घरानों की संपत्ति पर समुचित टैक्स लगाए तो सम्मानजनक मानदेय व पेंशन दी जा सकती है। संवाद

Monday, September 2, 2024

ECCE एजुकेटर की नियुक्ति की प्रक्रिया आरंभ होने से पहले ही आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों का विरोध शुरु

ECCE एजुकेटर की नियुक्ति की प्रक्रिया आरंभ होने से पहले ही आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों का विरोध शुरु 


उत्तर प्रदेश। समग्र शिक्षा व पीएमश्री योजना के तहत राज्यभर में प्री-प्राइमरी ECCE एजुकेटर की नियुक्ति की प्रक्रिया आरंभ की जानी है, लेकिन इससे पहले प्रदेशभर के आंगनबाड़ी केंद्रों में कार्यरत आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने आक्रोश व्यक्त करते हुए इन पदों पर अपनी नियुक्ति की मांग को लेकर मोर्चा खोल दिया है। उनका कहना है कि उनके पास बच्चों को खेल-खेल में शिक्षा देने और उनके समग्र विकास के लिए वर्षों का अनुभव है, फिर भी उन्हें नजरअंदाज करना उनके साथ अन्याय होगा।


आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का कहना है कि वे दशकों से तीन से छह साल के बच्चों को शिक्षा प्रदान कर रही हैं और ईसीसीई (प्रारंभिक बाल्यकाल देखभाल और शिक्षा) का प्रशिक्षण प्राप्त कर चुकी हैं। ऐसे में, जब वे स्नातक और परास्नातक योग्यता भी रखती हैं, तो उन्हें इन पदों पर प्राथमिकता न देना सरकार की गलत नीति और उनके साथ क्रूर मजाक है।


आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का आरोप है कि उन्हें केंद्र सरकार से महज 4500 रुपये और राज्य सरकार से 1500 रुपये का मानदेय देकर उनके वर्षों के अनुभव और मेहनत का अनादर किया जा रहा है। यह मानदेय किसी भी सूरत में उनके जीवन यापन के लिए पर्याप्त नहीं है। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि उन्हें ईसीसीई एजुकेटर पदों पर प्राथमिकता नहीं दी गई, तो वे बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन करने से भी पीछे नहीं हटेंगी।


राज्य आंगनबाड़ी कर्मचारी संघ ने प्रदेश के मुख्यमंत्री समेत सभी जिम्मेदार अधिकारियों को पत्र भेजकर इस अन्याय के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की है। उन्होंने यह भी कहा कि अगर सरकार ने उनकी मांगों को अनसुना किया, तो आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सड़कों पर उतरकर अपना हक छीनने के लिए मजबूर होंगी।


यह विरोध अब सिर्फ एक मांग नहीं, बल्कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की गरिमा और अधिकारों की लड़ाई बन चुका है। प्रदेशभर में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने सरकार को स्पष्ट संदेश दे दिया है कि वे अपने अनुभव और योग्यता के साथ कोई समझौता नहीं करेंगी और न्याय के लिए संघर्ष करती रहेंगी।

Monday, May 27, 2024

आदेश की अवहेलना में क्यों न राज्य व केंद्र के अधिकारियों को दंडित किया जाए, प्रदेश की 3.72 लाख आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं व सहायिकाओं के ग्रेच्युटी भुगतान का मामला

आदेश की अवहेलना में क्यों न राज्य व केंद्र के अधिकारियों को दंडित किया जाए : हाईकोर्ट

कारण बताने में नाकाम रहने पर अफसरों को तलब कर तय किए जा सकते हैं आरोप

प्रदेश की 3.72 लाख आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं व सहायिकाओं के ग्रेच्युटी भुगतान का मामला


लखनऊ। हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने अवमानना के मामले में प्रदेश की 3.72 लाख आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं को ग्रेच्युटी का भुगतान न किए जाने पर सख्त रुख अपनाया है। कोर्ट ने मामले में पक्षकार बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग की सचिव बी चंद्रकला समेत अन्य अफसरों को नोटिस जारी कर कारण पूछा है कि आखिर रिट कोर्ट की जानबूझकर अवज्ञा के लिए उन्हें क्यों न दंडित किया जाए? कोर्ट ने चेतावनी दी कि कारण बताने में नाकाम रहने पर इन अफसरों को तलब कर इनपर अवमानना के आरोप तय किए जा सकते हैं।


न्यायमूर्ति राजीव सिंह की एकल पीठ ने यह आदेश उत्तर प्रदेश महिला आंगनबाड़ी कर्मचारी संघ की ओर से दाखिल अवमानना याचिका पर दिया। याची संघ की अधिवक्ता अभिलाषा पांडेय का कहना था कि पहले अन्य याचिका पर रिटकोर्ट ने 15 दिसंबर 2023 को राज्य और केंद्र सरकार के अफसरों को सभी अर्ह आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं को ग्रेच्युटी का भुगतान 4 माह के भीतर किए किए जाने का निर्देश दिया था।


 संघ की ओर से बार-बार अनुरोध के बावजूद, सरकार ने आदेश के 5 माह बीत जाने के बाद भी इस आदेश का पालन नहीं किया। इसके खिलाफ संघ ने यह अवमानना याचिका दाखिल की। इस पर कोर्ट ने कड़ा रुख् अपनाते हुए केंद्र में महिला बाल विकास विभाग मंत्रालय के सचिव और राज्य सरकार के सचिव और अन्य अफसरों को नोटिस जारी कर पूछा है कि उन्हें आदेश की अवज्ञा के लिए दंडित क्यों न किया जाय। साथ ही चेताया कि कारण बताने में नाकाम रहने पर केंद्र और राज्य के अधिकारियों को तलब कर उनके खिलाफ आरोप तय किए जा सकते हैं। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 26 जुलाई को नियत की है।