टीईटी अनिवार्यता से यूपी के 50 हजार से ज्यादा शिक्षक हो सकते हैं प्रभावित, सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का अध्ययन करने में जुटा बेसिक शिक्षा विभाग
लखनऊ: कक्षा एक से आठ तक के स्कूलों में शिक्षकों की नई भर्ती, पदोन्नति और सेवा जारी रखने के लिए अब टीईटी (शिक्षक पात्रता परीक्षा) उत्तीर्ण करना अनिवार्य होगा। सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश से शिक्षकों में बेचैनी बढ़ गई है। कई शिक्षकों को अपनी नौकरी बचाने और पदोन्नति पाने के लिए अनिवार्य रूप से टीईटी उत्तीर्ण करनी होगी। प्रदेश के 50 हजार से अधिक शिक्षकों की पदोन्नति पर इसका असर पड़ सकता है। फिलहाल बेसिक शिक्षा विभाग सुप्रीम कोर्ट के आदेश का अध्ययन कर रहा है।
सोमवार को आए इस आदेश के अनुसार जिन शिक्षकों की सेवा अवधि पांच साल से कम बची है, वे बिना टीईटी के सेवानिवृत्ति तक काम कर सकते हैं। लेकिन यदि वे पदोन्नति चाहते हैं, तो उन्हें टीईटी पास करना होगा। वहीं, जो शिक्षक आरटीई (शिक्षा का अधिकार अधिनियम) लागू होने से पहले नियुक्त हुए हैं और जिनकी सेवा अवधि पांच साल से अधिक बची है, उन्हें दो साल के भीतर टीईटी उत्तीर्ण करना होगा, अन्यथा उन्हें सेवा छोड़नी पड़ेगी।
प्रदेश में 1.30 लाख परिषदीय विद्यालय हैं। शिक्षक संघों के अनुसार करीब 30 हजार शिक्षक ऐसे हैं, जिनकी सेवा पांच से सात साल बची है और उन्हें टीईटी उत्तीर्ण करना अनिवार्य होगा। वहीं, पदोन्नति के लिए इंतजार कर रहे करीब 50 हजार शिक्षकों पर असर पड़ सकता है। महानिदेशक स्कूल शिक्षा कंचन वर्मा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले का अभी अध्ययन किया जा रहा है। इसका असर शिक्षकों के समायोजन या स्थानांतरण पर नहीं पड़ेगा। शिक्षकों की पदोन्नति पर असर पड़ सकता है।
सरकार से याचिका दाखिल करने की मांग
प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष निर्भय सिंह का कहना है कि शिक्षकों को किसी के बहकावे में न आकर टीईटी की तैयारी करनी चाहिए। दो साल में यूपीटीईटी और सीटीईटी पास करने के छह मौके मिलेंगे। इसमें केवल पास होना है। यह उन शिक्षकों के लिए भी अवसर है, जो टीईटी पास कर चुके हैं और पदोन्नति का इंतजार कर रहे हैं। वहीं, बीटीसी शिक्षक संघ के अध्यक्ष अनिल यादव का कहना है कि 55 साल से अधिक उम्र वाले शिक्षकों के लिए टीईटी उत्तीर्ण करना आसान नहीं होगा। शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2010 से पहले नियुक्त शिक्षकों को इससे छूट मिलनी चाहिए। प्रदेश सरकार से मांग है कि इस पर पुनः याचिका दाखिल करे।
सुप्रीम कोर्ट के वकील बोले-कई मुद्दे हैं जिन्हें आधार बनाकर पुनर्विचार याचिका दाखिल करेंगे
शिक्षक संघ भी सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के विरुद्ध याचिका दायर करने की तैयारी में
नई दिल्ली: कक्षा एक से आठ तक को पढ़ाने वाले शिक्षकों के सेवा में बने रहने और प्रोन्नति के लिए टीईटी परीक्षा पास करने की अनिवार्यता के फैसले के खिलाफ शिक्षक सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल करने पर विचार कर रहे हैं। उनका कहना है कि कई मुद्दे हैं जिन्हें आधार बनाकर फैसले पर पुनर्विचार करने का सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया जाएगा।
उत्तर प्रदेश के कुछ शिक्षकों की ओर से पेश सुप्रीम कोर्ट के वकील राकेश मिश्रा कहते हैं कि वे फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल करेंगे। उनके मुवक्किलों ने अर्जी दाखिल कर प्रोन्नति के लिए टीईटी पास करने की अनिवार्यता से छूट मांगी है। उनका कहना है कि नौकरी सिर्फ तीन-चार वर्ष की बची है, ऐसे में प्रोन्नति के लिए टीईटी पास करने की अनिवार्यता नहीं लगाई जाए। जबकि सुप्रीम कोर्ट का जो आदेश आया है उसमें प्रोन्नति के लिए तो टीईटी पास करना अनिवार्य है ही बल्कि नौकरी में बने रहने के लिए भी जरूरी है। इससे लंबे समय से नौकरी कर रहे देश भर के शिक्षकों के लिए नई मुश्किल खड़ी हो गई है।
पुनर्विचार याचिका में यह आधार दिया जाएगा कि अगर कोर्ट को देशभर के लिए आदेश देना था तो उसे सभी राज्यों को नोटिस जारी करना चाहिए था और सभी राज्यों शिक्षकों के आंकड़े लेकर बहस सुननी चाहिए थी, जो नहीं सुनी गई। राकेश मिश्रा कहते हैं कि पुनर्विचार याचिका में कोर्ट से टीईटी पास करने के लिए तय दो वर्ष का समय भी बढ़ाने की मांग की जाएगी। नियम हर छह महीने में टीईटी कराने का है। कोर्ट इस समय को बढ़ा देता है तो शिक्षकों को ज्यादा मौका मिलेगा। ये फैसला सिर्फ सरकारी स्कूलों पर ही नहीं, बल्कि सहायता प्राप्त और गैर सहायता प्राप्त स्कूलों के शिक्षकों पर भी लागू होता है।
उत्तर प्रदेश में प्राथमिक शिक्षक संघ के पूर्व जिला अध्यक्ष राहुल पांडेय का कहना है कि इस फैसले के खिलाफ सभी शिक्षकों को संगठित होकर अगला कदम उठाना होगा। पांडेय कहते हैं कि शिक्षक संघ के बड़े नेता भी पुनर्विचार विचार दाखिल करने पर विचार कर रहे हैं। आल इंडिया बीटीसी शिक्षक संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल यादव कहते हैं कि शिक्षकों के लिए टीईटी अनिवार्य करने के फैसले से देश में कार्यरत लाखों शिक्षकों के सामने नई चुनौतियां खड़ी हो गई हैं। फैसले से उत्तर प्रदेश में ही दो-ढाई लाख शिक्षक प्रभावित होंगे। अगर किसी शिक्षक को प्राथमिक शिक्षक से जूनियर शिक्षक के रूप में प्रोन्नत होना है तो उसे अपर प्राइमरी टीईटी पास करना होगा।
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