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Wednesday, September 10, 2025

टीईटी परीक्षा में आवेदन ही नहीं कर सकेंगे 50 हजार शिक्षक

टीईटी परीक्षा में आवेदन ही नहीं कर सकेंगे 50 हजार शिक्षक

लखनऊः सुप्रीम कोर्ट ने पहली से आठवीं कक्षा तक के शिक्षकों के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) उत्तीर्ण करना अनिवार्य कर दिया है। शीर्ष न्यायालय के इस आदेश के बाद टीईटी पास नहीं कर पाने वाले शिक्षकों की चिंता बढ़ गई है। 

शिक्षक संगठनों का कहना है कि पांच श्रेणियों के शिक्षक टीईटी में आवेदन ही नहीं कर पाएंगे। वर्ष 2000 से पहले नियुक्त शिक्षक, स्नातक में कम 'अंक पाने वाले, बीएड उपाधिधारक, विशिष्ट बीटीसी के आधार पर नियुक्त, मृतक आश्रित कोटे के तहत नियुक्त तथा डीपीएड व बीपीएड शिक्षक इसमें शामिल हैं।  प्रदेश के शिक्षक संगठन संयुक्त मोर्चा बनाकर सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल करने की मांग कर रहे हैं।

शिक्षक संगठनों का कहना है कि कार्यरत कई शिक्षक न्यूनतम शैक्षिक योग्यता के अभाव में टीईटी के लिए आवेदन तक नहीं कर पा रहे हैं। टीईटी के लिए स्नातक और बीटीसी आवश्यक है, जबकि अनेक शिक्षक इस अर्हता को पूरा नहीं कर पाएंगे। कई शिक्षकों के स्नातक में 45 प्रतिशत अंक नहीं होने से भी आवेदन में दिक्कत आएगी। शिक्षक संगठनों का दावा है कि 50 हजार से अधिक कार्यरत शिक्षकों के पास टीईटी में बैठने की न्यूनतम योग्यता ही नहीं है। संगठन सरकार से हस्तक्षेप की अपील कर रहा है। नियम स्पष्ट है कि टीईटी के लिए न्यूनतम योग्यता स्नातक के साथ बीटीसी और स्नातक में कम से कम 45 प्रतिशत अंक की है।




लगभग दो लाख बेसिक शिक्षकों की नौकरियों पर खतरा, सरकार ढूंढ़ रही विकल्प, सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक टीईटी उत्तीर्ण किए बिना कोई शिक्षक पात्र नहीं

सुप्रीम कोर्ट के आदेश से टीईटी व्यवस्था के पहले से नियुक्त शिक्षकों पर संकट


लखनऊ : प्रदेश के परिषदीय स्कूलों में कार्यरत करीब 2 लाख शिक्षकों की नौकरी पर तलवार लटक रही है। कारण बना है सुप्रीम कोर्ट का हालिया फैसला, जिसमें स्पष्ट किया गया है कि टीचर एलिजिबिलिटी टेस्ट (टीईटी) उत्तीर्ण किए बिना कोई भी शिक्षक पात्र नहीं माना जा सकता। ऐसे में योगी सरकार ने शिक्षक संगठनों की चिंता के मद्देनजर शिक्षा विभाग को व्यावहारिक कार्ययोजना बनाने के निर्देश दिए हैं।

सुप्रीम कोर्ट का फैसला देशभर के कक्षा 1 से 8 तक परिषदीय स्कूलों के शिक्षकों के लिए है। दरअसल, 2 अगस्त 2010 को एनसीटीई ने गाइडलाइन जारी की थी। उसमें स्पष्ट किया गया था कि जो शिक्षक पहले से कार्यरत हैं या जिनकी भर्ती प्रक्रिया पहले से चल रही है, उन पर यह परीक्षा लागू नहीं होगी। लेकिन 3 अगस्त 2017 को केंद्र सरकार ने नया नियम जारी कर दिया और सभी राज्यों को जानकारी दी कि 2019 तक हर शिक्षक को टीईटी पास करना होगा।

इसके विरोध में कुछ शिक्षक सुप्रीम कोर्ट चले गए। इसी क्रम में 1 सितंबर 2025 को कोर्ट ने सभी शिक्षकों को दो साल में टीईटी परीक्षा पास करने का फैसला दिया है। इससे शिक्षकों में हड़कंप मचा हुआ है। यूपी में सरकारी प्राइमरी स्कूलों में कुल शिक्षकों की संख्या 3 लाख 38 हजार 590 है, जबकि उच्च प्राथमिक में 1 लाख 20 हजार 860 हैं यानी कुल शिक्षक 4 लाख 59 हजार 450 हैं, लेकिन निकाय, निजी, समाज कल्याण विभाग से संबद्ध आदि स्कूलों को मिलाकर संख्या दोगुनी तक पहुंच जाती है। शिक्षक संगठनों का कहना है कि करीब 1.80 लाख से 2 लाख शिक्षक सुप्रीम कोर्ट के आदेश से प्रभावित हो रहे हैं।

उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ ने इस फैसले के खिलाफ आवाज उठाई है। संघ ने सीधे राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को ज्ञापन भेजते हुए अपील की है कि सेवारत शिक्षकों को टीईटी अनिवार्यता से छूट दी जाए और सरकार वार्ता के लिए आगे आए। कई अनुभवी अध्यापकों ने भी दो-दो दशकों से सेवा देने के बाद अचानक परीक्षा बाध्य करने के फैसले पर आपत्ति जताई है। कई जगह विरोध-प्रदर्शन शुरू हो गए हैं।


सरकार की कार्रवाई पर टिकीं निगाहें

सरकार के लिए परिस्थिति सिर्फ कानूनी नहीं, बल्कि सामाजिक और मानवीय स्तर पर भी संवेदनशील है। ऐसे में सरकार को कोर्ट का फैसला और शिक्षकों के साथ भी न्यायोचित कदम उठाने की चुनौती है। लाखों शिक्षकों और परिवारों का भविष्य दांव पर है। सभी की नजरें अब राज्य सरकार की अगली कार्रवाई पर टिकी हैं।

शिक्षा विभाग को कार्ययोजना बनाने के निर्देश

सूत्रों के अनुसार, राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट के फैसले का अध्ययन करा रही है। मामले को गंभीरता से लेते हुए बेसिक शिक्षा विभाग से ऐसे सभी शिक्षकों की विस्तृत सूची मांगी है, जो टीईटी नहीं पास कर सके हैं। इसके साथ ही निर्देश दिए गए है कि ऐसे शिक्षकों को अब टीईटी पास कराने की व्यावहारिक योजना बनाई जाए, ताकि उनकी सेवाएं बचाई जा सकें।




टीईटी अनिवार्यता से यूपी के 50 हजार से ज्यादा शिक्षक हो सकते हैं प्रभावित, सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का अध्ययन करने में जुटा बेसिक शिक्षा विभाग

 लखनऊ: कक्षा एक से आठ तक के स्कूलों में शिक्षकों की नई भर्ती, पदोन्नति और सेवा जारी रखने के लिए अब टीईटी (शिक्षक पात्रता परीक्षा) उत्तीर्ण करना अनिवार्य होगा। सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश से शिक्षकों में बेचैनी बढ़ गई है। कई शिक्षकों को अपनी नौकरी बचाने और पदोन्नति पाने के लिए अनिवार्य रूप से टीईटी उत्तीर्ण करनी होगी। प्रदेश के 50 हजार से अधिक शिक्षकों की पदोन्नति पर इसका असर पड़ सकता है। फिलहाल बेसिक शिक्षा विभाग सुप्रीम कोर्ट के आदेश का अध्ययन कर रहा है।

सोमवार को आए इस आदेश के अनुसार जिन शिक्षकों की सेवा अवधि पांच साल से कम बची है, वे बिना टीईटी के सेवानिवृत्ति तक काम कर सकते हैं। लेकिन यदि वे पदोन्नति चाहते हैं, तो उन्हें टीईटी पास करना होगा। वहीं, जो शिक्षक आरटीई (शिक्षा का अधिकार अधिनियम) लागू होने से पहले नियुक्त हुए हैं और जिनकी सेवा अवधि पांच साल से अधिक बची है, उन्हें दो साल के भीतर टीईटी उत्तीर्ण करना होगा, अन्यथा उन्हें सेवा छोड़नी पड़ेगी।

प्रदेश में 1.30 लाख परिषदीय विद्यालय हैं। शिक्षक संघों के अनुसार करीब 30 हजार शिक्षक ऐसे हैं, जिनकी सेवा पांच से सात साल बची है और उन्हें टीईटी उत्तीर्ण करना अनिवार्य होगा। वहीं, पदोन्नति के लिए इंतजार कर रहे करीब 50 हजार शिक्षकों पर असर पड़ सकता है। महानिदेशक स्कूल शिक्षा कंचन वर्मा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले का अभी अध्ययन किया जा रहा है। इसका असर शिक्षकों के समायोजन या स्थानांतरण पर नहीं पड़ेगा। शिक्षकों की पदोन्नति पर असर पड़ सकता है।


सरकार से याचिका दाखिल करने की मांग

प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष निर्भय सिंह का कहना है कि शिक्षकों को किसी के बहकावे में न आकर टीईटी की तैयारी करनी चाहिए। दो साल में यूपीटीईटी और सीटीईटी पास करने के छह मौके मिलेंगे। इसमें केवल पास होना है। यह उन शिक्षकों के लिए भी अवसर है, जो टीईटी पास कर चुके हैं और पदोन्नति का इंतजार कर रहे हैं। वहीं, बीटीसी शिक्षक संघ के अध्यक्ष अनिल यादव का कहना है कि 55 साल से अधिक उम्र वाले शिक्षकों के लिए टीईटी उत्तीर्ण करना आसान नहीं होगा। शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2010 से पहले नियुक्त शिक्षकों को इससे छूट मिलनी चाहिए। प्रदेश सरकार से मांग है कि इस पर पुनः याचिका दाखिल करे।




टीईटी पर निर्णय के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएंगे शिक्षक और शिक्षक sangh 

सुप्रीम कोर्ट के वकील बोले-कई मुद्दे हैं जिन्हें आधार बनाकर पुनर्विचार याचिका दाखिल करेंगे

शिक्षक संघ भी सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के विरुद्ध याचिका दायर करने की तैयारी में


नई दिल्ली: कक्षा एक से आठ तक को पढ़ाने वाले शिक्षकों के सेवा में बने रहने और प्रोन्नति के लिए टीईटी परीक्षा पास करने की अनिवार्यता के फैसले के खिलाफ शिक्षक सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल करने पर विचार कर रहे हैं। उनका कहना है कि कई मुद्दे हैं जिन्हें आधार बनाकर फैसले पर पुनर्विचार करने का सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया जाएगा।

उत्तर प्रदेश के कुछ शिक्षकों की ओर से पेश सुप्रीम कोर्ट के वकील राकेश मिश्रा कहते हैं कि वे फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल करेंगे। उनके मुवक्किलों ने अर्जी दाखिल कर प्रोन्नति के लिए टीईटी पास करने की अनिवार्यता से छूट मांगी है। उनका कहना है कि नौकरी सिर्फ तीन-चार वर्ष की बची है, ऐसे में प्रोन्नति के लिए टीईटी पास करने की अनिवार्यता नहीं लगाई जाए। जबकि सुप्रीम कोर्ट का जो आदेश आया है उसमें प्रोन्नति के लिए तो टीईटी पास करना अनिवार्य है ही बल्कि नौकरी में बने रहने के लिए भी जरूरी है। इससे लंबे समय से नौकरी कर रहे देश भर के शिक्षकों के लिए नई मुश्किल खड़ी हो गई है। 


पुनर्विचार याचिका में यह आधार दिया जाएगा कि अगर कोर्ट को देशभर के लिए आदेश देना था तो उसे सभी राज्यों को नोटिस जारी करना चाहिए था और सभी राज्यों शिक्षकों के आंकड़े लेकर बहस सुननी चाहिए थी, जो नहीं सुनी गई। राकेश मिश्रा कहते हैं कि पुनर्विचार याचिका में कोर्ट से टीईटी पास करने के लिए तय दो वर्ष का समय भी बढ़ाने की मांग की जाएगी। नियम हर छह महीने में टीईटी कराने का है। कोर्ट इस समय को बढ़ा देता है तो शिक्षकों को ज्यादा मौका मिलेगा। ये फैसला सिर्फ सरकारी स्कूलों पर ही नहीं, बल्कि सहायता प्राप्त और गैर सहायता प्राप्त स्कूलों के शिक्षकों पर भी लागू होता है।

उत्तर प्रदेश में प्राथमिक शिक्षक संघ के पूर्व जिला अध्यक्ष राहुल पांडेय का कहना है कि इस फैसले के खिलाफ सभी शिक्षकों को संगठित होकर अगला कदम उठाना होगा। पांडेय कहते हैं कि शिक्षक संघ के बड़े नेता भी पुनर्विचार विचार दाखिल करने पर विचार कर रहे हैं। आल इंडिया बीटीसी शिक्षक संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल यादव कहते हैं कि शिक्षकों के लिए टीईटी अनिवार्य करने के फैसले से देश में कार्यरत लाखों शिक्षकों के सामने नई चुनौतियां खड़ी हो गई हैं। फैसले से उत्तर प्रदेश में ही दो-ढाई लाख शिक्षक प्रभावित होंगे। अगर किसी शिक्षक को प्राथमिक शिक्षक से जूनियर शिक्षक के रूप में प्रोन्नत होना है तो उसे अपर प्राइमरी टीईटी पास करना होगा।

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