सुप्रीम कोर्ट के फैसले से आहत शिक्षक नहीं मनाएंगे शिक्षक दिवस, टीईटी मामले में केंद्र सरकार से हस्तक्षेप की अपील
लखनऊ। सुप्रीम कोर्ट द्वारा एक सितंबर को दिए आदेश में शिक्षण सेवा में बने रहने या पदोन्नति पाने के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) को अनिवार्य करने से शिक्षक आहत हैं। अदालती फैसले से निराश शिक्षकों ने पांच सितंबर को शिक्षक दिवस नहीं मनाने का फैसला किया है। शिक्षक संगठनों ने कहा कि इस निर्णय से देश भर में 10 लाख से अधिक शिक्षकों की नौकरी पर संकट मंडरा रहा है। संगठनों ने इस मामले में केंद्र सरकार से हस्तक्षेप की अपील की है।
उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. दिनेश चंद्र शर्मा ने कहा है कि नौकरी पर मंडराते खतरे के बीच शिक्षक दिवस नहीं मनाने का फैसला किया गया है। संगठन की ओर से पांच सितंबर को किए जाने वाले सम्मान के कार्यक्रम भी स्थगित कर दिए गए हैं। कहा, सरकार शिक्षक दिवस पर जिन शिक्षकों को सम्मानित करेगी उन्हें दो साल का सेवा विस्तार मिलेगा। अगर उनकी नौकरी ही नहीं बचेगी तो इस सेवा विस्तार व सम्मान का वो क्या करेंगे? उन्होंने पीएम व केंद्रीय शिक्षा मंत्री से मामले में हस्तक्षेप कर शिक्षकों के साथ न्याय करने की अपील कही। कहा, देश भर के किसी शिक्षक की नौकरी प्रभावित नहीं होगी, यही घोषणा शिक्षकों के लिए वास्तविक सम्मान होगा।
प्राथमिक शिक्षक संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष बासवराज गुरिकर, राष्ट्रीय महासचिव कमलाकांत त्रिपाठी, महामंत्री उमाशंकर सिंह व विनय तिवारी ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री को पत्र भेजकर फैसले पर पुनर्विचार करने और जरूरत पर संसद से कानून पास कराने की मांग की।
उप्र. बीटीसी शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अनिल यादव ने शिक्षा मंत्रालय पर टीईटी को लेकर किए गए संशोधन को छिपाने का आरोप लगाया। विशिष्ट बीटीसी शिक्षक वेलफेयर एसोसिएशन के प्रांतीय महासचिव ने भी संगठन शिक्षक दिवस न मनाने की घोषणा की है। शिक्षक नेता सुशील पांडेय ने पीएम को पत्र लिखकर सहानुभूति पूर्वक फैसला लेने का आग्रह किया है।
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