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Sunday, July 14, 2024

डिजिटल हाजिरी के खिलाफ आंदोलन हुआ और तेज, कई जिलों के शिक्षक संकुलों ने दिया इस्तीफा, विभागीय व्हाट्सएप समूहों को छोड़ने का चल रहा स्वस्फूर्त अभियान

कई जिलों के शिक्षकों ने अतिरिक्त प्रभार से इस्तीफा दिया


प्राइमरी शिक्षकों की ओर से ऑनलाइन हाजिरी का विरोध दिन-प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है। प्रदेश भर में शिक्षकों की ओर से संकुल प्रभारी, बूथ लेबल अधिकारी, एबीआरसी, जिला समन्यवयक, बाढ़ आदि कार्यों लगाए गए पदों से त्याग पत्र देना शुरू कर दिया है। 

शनिवार को बरेली, आगरा, अलीगढ़, अमेठी, कुशीनगर, मऊ तथा शामली में 150 से अधिक शिक्षकों ने अतिरिक्त प्रभार के रूप में प्राप्त संकुल प्रभारी के पद से इस्तीफा दे दिया। शुक्रवार को भी: आगरा, एटा, मैनपुर, इटावा समेत अनेक जिलों के पांच दर्जन से अधिक शिक्षकों ने अतिरिक्त कार्यभार से इस्तीफा भेज दिया था। शिक्षक नेताओं का दावा है कि सोमवार को जब स्कूल खुलेंगे तो बाकि बचे जिलों में भी शिक्षक अपने अतिरिक्त प्रभार से इस्तीफा देंगे।


डिजिटल अटेंडेंस को लेकर अधिकारी शिक्षकों पर बना रहे अनुचित दबाव

यूटा के प्रदेश अध्यक्ष बोले, शिक्षकों की समस्याओं का भी समाधान खोजें

यूनाइटेड टीचर्स एसोसिएशन (यूटा) के प्रदेश अध्यक्ष राजेन्द्र सिंह राठौर ने बताया कि शिक्षाधिकारी शिक्षकों पर डिजिटल अटेंडेंस देने का दबाव बना रहे हैं जो अनुचित है। विभाग शिक्षकों की व्यवहारिक समस्याओं का समाधान खोजे, उनकी मांगे माने जाने से पहले डिजिटल अटेंडेंस नहीं दर्ज कराई जाएगी। वहीं उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. दिनेश सिंह शर्मा ने सभी शिक्षकों से विभाग के सभी ग्रुप छोड़ने की अपील की है।

सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर डॉ. शर्मा ने लिखा कि टैबलेट लॉगिन के लिए ओटीपी शिक्षक के पर्सनल नंबर पर आ रही है। दूसरी तरफ विद्यालय में फोन प्रयोग करने पर शिक्षक को निलंबित किया जा रहा है। इसलिए आप केवल शिक्ष्ज्ञण करें, मांगे माने जाने तक अपने व्यक्तिगत नंबर से कोई विभागीय सूचना दें, सभी विभागीय ग्रुप से लेफ्ट कर जाएं। इसके बाद काफी शिक्षकों ने सरकारी ग्रुप से व्यक्तिगत मोबाइल नंबर से लेफ्ट भी किया है।


क्या होते हैं शिक्षक संकुल?

न्याय पंचायत स्तर पर पांच-छह शिक्षकों को शिक्षक संकुल के रूप में तैनात किया जाता है। विद्यालय अवधि के बाद विद्यालयों को निपुण बनाने के लिए काम करते हैं। ब्लॉक संसाधन केंद्र और शिक्षकों के बीच सेतु का काम करते हैं। विभागीय योजनाएं को शिक्षक पहुंचाने का काम करते हैं। डिजिटल अटेंडेंस लगवाने की भी जिम्मेदारी है।


डिजिटल हाजिरी के खिलाफ आंदोलन हुआ और तेज, कई जिलों के शिक्षक संकुलों ने दिया इस्तीफा, विभागीय व्हाट्सएप समूहों को छोड़ने का चल रहा स्वस्फूर्त अभियान


लखनऊ। परिषदीय विद्यालयों में डिजिटल अटेंडेंस पर सख्ती किए जाने और शिक्षकों से इसे लगवाने के विभागीय दवाव के बाद कई जिलों में शिक्षक संकुल ने इस काम से सामूहिक त्यागपत्र दे दिया। साथ ही अपने व्यक्तिगत मोबाइल नंबर का सरकारी काम में प्रयोग न करने का एलान करते हुए शिक्षकों का शनिवार को भी विरोध जारी रहा। 


दरअसल पांच-छह शिक्षकों को शिक्षक संकुल के रूप में तैनात किया जाता है। ये विद्यालयों को निपुण बनाने के लिए काम करते हैं। अब शिक्षा अधिकारी शिक्षक संकुलों पर शिक्षकों की डिजिटल अटेंडेंस लगवाने का दबाव बना रहे हैं। इसके विरोध में अमेठी, बरेली, आगरा, अलीगढ़, मैनपुरी आदि जिलों के शिक्षक संकुल ने त्यागपत्र दे दिया। उन्होंने संकुल कार्य में रुचि न होने को इसका कारण बताया है। 


शिक्षक नेताओं के अनुसार कई जगह पर खंड शिक्षा अधिकारी स्कूलों में जाकर डिजिटल उपस्थिति के लिए शिक्षकों को डरा- धमका रहे हैं तो कहीं वेतन रोकने की भी धमकी दे रहे हैं। अधिकारी शिक्षकों से कह रहे हैं कि यदि आप अपनी उपस्थिति नहीं देना चाहते हैं तो बच्चों की डिजिटल उपस्थिति दें।



माध्यमिक शिक्षक संघों ने भी किया समर्थन : बेसिक शिक्षकों के समर्थन में शनिवार को माध्यमिक शिक्षक संघ भी उतरा। उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ (चंदेल गुट) ने प्रदेश अध्यक्ष चेत नारायण सिंह ने कहा कि सभी प्रांतीय, मंडल व जिला पदाधिकारी अपनी टीम के साथ आंदोलनरत परिषदीय शिक्षकों के संघर्ष में शामिल होकर आंदोलन को सफल बनाएं। वहीं उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ (शर्मा गुट) के प्रदेश अध्यक्ष सुरेश कुमार त्रिपाठी ने कहा कि वह इस मनमाने आदेश के खिलाफ हर कदम में बेसिक शिक्षकों के साथ हैं।

Wednesday, April 3, 2024

स्वीकृति से पहले कभी भी वापस लिया जा सकता इस्तीफाः हाईकोर्ट, एटा की सहायक अध्यापिका को चार हफ्ते में सवेतन बहाल करने का आदेश

स्वीकृति से पहले कभी भी वापस लिया जा सकता इस्तीफाः हाईकोर्ट, एटा की सहायक अध्यापिका को चार हफ्ते में सवेतन बहाल करने का आदेश


प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि सरकारी कर्मचारी द्वारा दिया गया इस्तीफा स्वीकृति से पहले किसी भी समय वापस लिया जा सकता है। यह आदेश न्यायमूर्ति मंजीव शुक्ला की एकल पीठ ने एटा जिले के अवागढ़ ब्लॉक के जूनियर बेसिक स्कूल मिर्जापुर में तैनात रहीं अध्यापिका पूर्णिमा सिंह की याचिका पर दिया। कोर्ट ने जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी को याची की सेवा बहाली की तारीख तक की अवधि के लिए मिलने वाले वेतन की 25 प्रतिशत धनराशि चार महीने में भुगतान करने का आदेश दिया है।

वकील का कहना था कि याची जूनियर बेसिक स्कूल मिर्जापुर, ब्लॉक अवागढ़, एटा में सहायक अध्यापक के रूप में तैनात थीं। याची अविवाहित थीं। स्कूल दूर होने की वजह से उन्हें आने-जाने में परेशानी होती थी। इसके लिए उन्होंने जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी एटा से अपनी तैनाती बदलने की गुहार लगाई थी। 

उनकी गुहार पर विचार करने के बजाय जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी के कार्यालय में तैनात क्लर्क ने एक मुद्रित पत्र और शपथ पत्र प्रदान किया और उनसे उन कागजात पर हस्ताक्षर करने के लिए कहा। आश्वासन दिया कि अगली काउंसलिंग में ऐसे कागजात के आधार पर उनकी पोस्टिंग बदली जा सकती है। उन्होंने उस पर हस्ताक्षर किए और पांच फरवरी, 2021 को जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी के कार्यालय में जमा कर दिया। उन्हें अहसास हुआ कि उनकी ओर से प्रस्तुत पत्र व शपथ पत्र की सामग्री सहायक शिक्षक के पद से उनके इस्तीफे के समान है।



सरकारी कर्मचारी द्वारा दिया गया इस्तीफा स्वीकार होने से पहले किसी भी समय वापस लिया जा सकता है : इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि किसी सरकारी कर्मचारी द्वारा दिया गया इस्तीफा, स्वीकृति से पहले किसी भी समय वापस लिया जा सकता है।



जस्टिस मंजीव शुक्ला की पीठ ने उत्तर प्रदेश सरकारी सेवक त्यागपत्र नियमावली, 2000 के नियम 6 और 7 की जांच करते हुए यह टिप्पणी की। ये नियम सरकारी सेवकों द्वारा सेवा से त्यागपत्र के मामलों से संबंधित हैं। अदालत पूर्णिमा सिंह की ओर से दायर एक रिट याचिका पर विचार कर रही थी, जिन्होंने जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी, एटा द्वारा पारित एक आदेश को चुनौती दी थी। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी के आदेश के तहत सहायक शिक्षक के पद से याचिककर्ता का इस्तीफा स्वीकार कर लिया गया था।


याचिकाकर्ता जूनियर बेसिक स्कूल मिर्ज़ापुर, ब्लॉक अवागढ़, जिला एटा में सहायक सरकारी शिक्षक के रूप में तैनात थी। याचिकाकर्ता को अविवाहित महिला उम्मीदवार होने के कारण उस स्कूल तक पहुंचने में कुछ कठिनाई हो रही थी क्योंकि वह स्कूल काफी दूर था, इसलिए उन्होंने जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी, एटा से अपनी पोस्टिंग को दूसरे स्कूल में बदलने का अनुरोध किया।


अपनी रिट याचिका में, उन्होंने दावा किया कि उनके अनुरोध पर विचार करने के बजाय, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी, एटा के कार्यालय में क्लर्क के रूप में तैनात एक व्यक्ति ने याचिकाकर्ता को एक मुद्रित पत्र और शपथ पत्र प्रदान किया और उनसे उन कागजात पर हस्ताक्षर करने के लिए कहा। आश्वासन दिया कि अगली काउंसलिंग में ऐसे कागजात के आधार पर उनकी पोस्टिंग बदली जा सकती है। उन्होंने उस पर हस्ताक्षर किए और 5 फरवरी, 2021 को जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी के कार्यालय में जमा कर दिया।

हालांकि, इसके बाद, उन्हें एहसास हुआ कि उनके द्वारा प्रस्तुत पत्र और शपथ पत्र की सामग्री सहायक शिक्षक के पद से उनके इस्तीफे के समान है, इसलिए, उन्होंने उसी दिन एक और आवेदन जमा करके अपना इस्तीफा वापस ले लिया। उन्होंने उच्च अधिकारियों को भी पत्र लिखकर स्थिति स्पष्ट की।

अंततः, 31 मार्च, 2021 को उन्हें खंड शिक्षा अधिकारी द्वारा भेजे गए आदेश की एक प्रति दी गई, जिससे याचिकाकर्ता को पहली बार पता चला कि सहायक अध्यापक के पद से उनका इस्तीफा जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी, एटा द्वारा 31.3.2021 के आदेश के जरिए स्वीकार कर लिया गया है।

उन्होंने इस आधार पर अदालत का रुख किया कि एक बार जब उन्होंने अपना इस्तीफा वापस ले लिया, तो उपयुक्त प्राधिकारी के पास उनका इस्तीफा स्वीकार करने का कोई कारण नहीं था। अदालत के समक्ष, उनके वकील ने यूपी सरकारी सेवक इस्तीफा नियम, 2000 के नियम 7 पर भरोसा किया, जिसमें यह स्पष्ट रूप से प्रावधान किया गया है कि एक सरकारी कर्मचारी नियुक्ति प्राधिकारी को इसकी स्वीकृति से पहले लिखित रूप में अनुरोध करके अपना इस्तीफा वापस ले सकता है।

इन तथ्यों और परिस्थितियों की पृष्ठभूमि में न्यायालय ने कहा कि याचिकाकर्ता ने अपना इस्तीफा एक बार पांच फरवरी, 2021 को प्रस्तुत किया, उसके बाद उन्होंने जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी, एटा के समक्ष दो आवेदन प्रस्तुत कर इस्तीफा वापस लिया। पहला आवेदन व्यक्तिगत रूप से पांच फरवरी, 2021 को कार्यालय में प्रस्तुत किया गया, जबकि दूसरा आवेदन 11 फरवरी 2021 को पंजीकृत डाक के माध्यम से, संबंधित प्राधिकारी के पास भेजा गया, इसलिए पांच फरवरी को दिए गए इस्तीफे को स्वीकार करने का कोई कारण नहीं था।

न्यायालय ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के कई फैसलों का भी हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि किसी कर्मचारी द्वारा दिया गया इस्तीफा उसकी स्वीकृति से पहले किसी भी समय वापस लिया जा सकता है। ऐसे निर्णयों में निर्धारित कानून के मद्देनजर, न्यायालय ने कहा कि याचिकाकर्ता द्वारा अपना इस्तीफा वापस लेने के बाद, उसका इस्तीफा स्वीकार करने का आदेश कानून की नजर में अस्थिर था और इस प्रकार, इसे रद्द किया जाना चाहिए।

इसे देखते हुए, रिट याचिका की अनुमति दी गई और जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी, एटा को निर्देश दिया गया कि याचिकाकर्ता को चार सप्ताह के भीतर जूनियर बेसिक स्कूल मिर्ज़ापुर, ब्लॉक अवागढ़, जिला एटा में सहायक अध्यापक के पद पर शामिल होने की अनुमति दी जाए और वर्तमान वेतन, जब भी देय हो, का भुगतान किया जाए।

न्यायालय ने आगे कहा कि याचिकाकर्ता 5 फरवरी 2021 से सेवा में उनकी बहाली की तारीख तक की अवधि के लिए उन्हें स्वीकार्य वेतन का 25% पाने का हकदार होगी। उक्त राशि की गणना की जाएगी और उन्हें चार महीने के भीतर भुगतान किया जाएगा।
केस टाइटलः पूर्णिमा सिंह बनाम उत्तर प्रदेश राज्य और 4 अन्य 2024 लाइव लॉ (एबी) 205



Tuesday, April 2, 2024

सरकारी कर्मचारी द्वारा दिया गया इस्तीफा स्वीकार होने से पहले किसी भी समय वापस लिया जा सकता है : इलाहाबाद हाईकोर्ट

सरकारी कर्मचारी द्वारा दिया गया इस्तीफा स्वीकार होने से पहले किसी भी समय वापस लिया जा सकता है : इलाहाबाद हाईकोर्ट


इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि किसी सरकारी कर्मचारी द्वारा दिया गया इस्तीफा, स्वीकृति से पहले किसी भी समय वापस लिया जा सकता है।



जस्टिस मंजीव शुक्ला की पीठ ने उत्तर प्रदेश सरकारी सेवक त्यागपत्र नियमावली, 2000 के नियम 6 और 7 की जांच करते हुए यह टिप्पणी की। ये नियम सरकारी सेवकों द्वारा सेवा से त्यागपत्र के मामलों से संबंधित हैं। अदालत पूर्णिमा सिंह की ओर से दायर एक रिट याचिका पर विचार कर रही थी, जिन्होंने जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी, एटा द्वारा पारित एक आदेश को चुनौती दी थी। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी के आदेश के तहत सहायक शिक्षक के पद से याचिककर्ता का इस्तीफा स्वीकार कर लिया गया था।


याचिकाकर्ता जूनियर बेसिक स्कूल मिर्ज़ापुर, ब्लॉक अवागढ़, जिला एटा में सहायक सरकारी शिक्षक के रूप में तैनात थी। याचिकाकर्ता को अविवाहित महिला उम्मीदवार होने के कारण उस स्कूल तक पहुंचने में कुछ कठिनाई हो रही थी क्योंकि वह स्कूल काफी दूर था, इसलिए उन्होंने जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी, एटा से अपनी पोस्टिंग को दूसरे स्कूल में बदलने का अनुरोध किया।


अपनी रिट याचिका में, उन्होंने दावा किया कि उनके अनुरोध पर विचार करने के बजाय, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी, एटा के कार्यालय में क्लर्क के रूप में तैनात एक व्यक्ति ने याचिकाकर्ता को एक मुद्रित पत्र और शपथ पत्र प्रदान किया और उनसे उन कागजात पर हस्ताक्षर करने के लिए कहा। आश्वासन दिया कि अगली काउंसलिंग में ऐसे कागजात के आधार पर उनकी पोस्टिंग बदली जा सकती है। उन्होंने उस पर हस्ताक्षर किए और 5 फरवरी, 2021 को जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी के कार्यालय में जमा कर दिया।

हालांकि, इसके बाद, उन्हें एहसास हुआ कि उनके द्वारा प्रस्तुत पत्र और शपथ पत्र की सामग्री सहायक शिक्षक के पद से उनके इस्तीफे के समान है, इसलिए, उन्होंने उसी दिन एक और आवेदन जमा करके अपना इस्तीफा वापस ले लिया। उन्होंने उच्च अधिकारियों को भी पत्र लिखकर स्थिति स्पष्ट की।

अंततः, 31 मार्च, 2021 को उन्हें खंड शिक्षा अधिकारी द्वारा भेजे गए आदेश की एक प्रति दी गई, जिससे याचिकाकर्ता को पहली बार पता चला कि सहायक अध्यापक के पद से उनका इस्तीफा जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी, एटा द्वारा 31.3.2021 के आदेश के जरिए स्वीकार कर लिया गया है।

उन्होंने इस आधार पर अदालत का रुख किया कि एक बार जब उन्होंने अपना इस्तीफा वापस ले लिया, तो उपयुक्त प्राधिकारी के पास उनका इस्तीफा स्वीकार करने का कोई कारण नहीं था। अदालत के समक्ष, उनके वकील ने यूपी सरकारी सेवक इस्तीफा नियम, 2000 के नियम 7 पर भरोसा किया, जिसमें यह स्पष्ट रूप से प्रावधान किया गया है कि एक सरकारी कर्मचारी नियुक्ति प्राधिकारी को इसकी स्वीकृति से पहले लिखित रूप में अनुरोध करके अपना इस्तीफा वापस ले सकता है।

इन तथ्यों और परिस्थितियों की पृष्ठभूमि में न्यायालय ने कहा कि याचिकाकर्ता ने अपना इस्तीफा एक बार पांच फरवरी, 2021 को प्रस्तुत किया, उसके बाद उन्होंने जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी, एटा के समक्ष दो आवेदन प्रस्तुत कर इस्तीफा वापस लिया। पहला आवेदन व्यक्तिगत रूप से पांच फरवरी, 2021 को कार्यालय में प्रस्तुत किया गया, जबकि दूसरा आवेदन 11 फरवरी 2021 को पंजीकृत डाक के माध्यम से, संबंधित प्राधिकारी के पास भेजा गया, इसलिए पांच फरवरी को दिए गए इस्तीफे को स्वीकार करने का कोई कारण नहीं था।

न्यायालय ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के कई फैसलों का भी हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि किसी कर्मचारी द्वारा दिया गया इस्तीफा उसकी स्वीकृति से पहले किसी भी समय वापस लिया जा सकता है। ऐसे निर्णयों में निर्धारित कानून के मद्देनजर, न्यायालय ने कहा कि याचिकाकर्ता द्वारा अपना इस्तीफा वापस लेने के बाद, उसका इस्तीफा स्वीकार करने का आदेश कानून की नजर में अस्थिर था और इस प्रकार, इसे रद्द किया जाना चाहिए।

इसे देखते हुए, रिट याचिका की अनुमति दी गई और जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी, एटा को निर्देश दिया गया कि याचिकाकर्ता को चार सप्ताह के भीतर जूनियर बेसिक स्कूल मिर्ज़ापुर, ब्लॉक अवागढ़, जिला एटा में सहायक अध्यापक के पद पर शामिल होने की अनुमति दी जाए और वर्तमान वेतन, जब भी देय हो, का भुगतान किया जाए।

न्यायालय ने आगे कहा कि याचिकाकर्ता 5 फरवरी 2021 से सेवा में उनकी बहाली की तारीख तक की अवधि के लिए उन्हें स्वीकार्य वेतन का 25% पाने का हकदार होगी। उक्त राशि की गणना की जाएगी और उन्हें चार महीने के भीतर भुगतान किया जाएगा।
केस टाइटलः पूर्णिमा सिंह बनाम उत्तर प्रदेश राज्य और 4 अन्य 2024 लाइव लॉ (एबी) 205




Sunday, November 26, 2023

प्रयागराज : बीएसए और SRG और ARP बने शिक्षकों के बीच सुलह, मामले के तूल पकड़ने के बाद बैकफुट में दोनो पक्ष, बेसिक शिक्षा निदेशक ने मांगी रिपोर्ट

प्रयागराज : बीएसए और SRG और ARP बने शिक्षकों के बीच सुलह, मामले के तूल पकड़ने के बाद बैकफुट में दोनो पक्ष, बेसिक शिक्षा निदेशक ने मांगी रिपोर्ट


प्रयागराज । जिलेभर के तीनों स्टेट रिसोर्स ग्रुप (एसआरजी) सदस्यों और 100 एकेडमिक रिसोर्स पर्सन (एआरपी) में से 90 से अधिक के पद से इस्तीफा देने के मामले में शनिवार को दोनों पक्ष बैकफुट पर आ गए। 


मामले के तूल पकड़ने के बाद डायट प्राचार्य राजेन्द्र प्रताप की मौजूदगी में बीएसए प्रवीण तिवारी और सभी एसआरजी- एआरपी की मम्फोर्डगंज स्थित समग्र शिक्षा अभियान कार्यालय में बैठक हुई। वार्ता के बाद प्राथमिकता का कार्य बाधित न हो इसलिए अफसरों के आश्वासन पर भ्रम की स्थिति समाप्त किए जाने का निर्णय लिया गया। 


पूरी एसआरजी- एआरपी टीम ने बीएसए के नेतृत्व में निपुण मिशन के तहत प्रयागराज को निपुण जनपद बनाने के लिए पूरी निष्ठा और ऊर्जा के साथ काम करने का संकल्प दोहराया। 


बेसिक शिक्षा निदेशक ने मांगी जांच रिपोर्ट

समाचार पत्रों में एसआरजी- एआरपी के इस्तीफे की खबर प्रकाशित होने के बाद बेसिक शिक्षा निदेशक डॉ. महेन्द्र देव ने डायट प्राचार्य राजेन्द्र प्रताप से मामले की जांच रिपोर्ट तलब कर ली। डायट प्राचार्य ने दोनों पों के बीच हुई वार्ता के सहमति पत्र के साथ अपनी रिपोर्ट भेजी है।



प्रयागराज के तीनों SRG और 90 से अधिक ARP ने खोला मोर्चा, बीएसए से नाराज होकर दिया इस्तीफा, व्हाट्सएप ग्रुपों में त्यागपत्र और बीएसए का ऑडियो वायरल 

प्रयागराज । बेसिक शिक्षा अधिकारी प्रवीण कुमार तिवारी के व्यवहार से दुःखी जिलेभर के तीनों स्टेट रिसोर्स ग्रुप (एसआरजी) सदस्य और 100 एकेडमिक रिसोर्स पर्सन (एआरपी) में से 90 से अधिक ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। बीएसए को संबोधित पत्र व्हाट्सएप ग्रुपों पर वायरल है। साथ ही बीएसए का एक वीडियो भी वायरल हो रहा है, जिसमें वह शिक्षकों से वेतन के रूप में चार साल में लिए गए 40 लाख रुपये रिकवरी की बात कर रहे हैं।


परिषदीय प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक स्कूलों में पठन-पाठन में सुधार करने और बच्चों को निपुण बनाने के उद्देश्य से जिलों में कार्यरत चुनिंदा शिक्षकों की एसआरजी और एआरपी के रूप में तैनाती की गई है। सामूहिक त्यागपत्र में इन शिक्षकों का कहना है कि एसआरजी व एआरपी के रूप में विभाग के निर्देशों का सदैव निष्ठापूर्वक पालन किया है जिसका प्रतिफल है कि बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकतर पैरामीटर में प्रयागराज पूरे प्रदेश में टॉप टेन में रहा है। लेकिन बीएसए के स्तर से ऑनलाइन व ऑफलाइन बैठकों में कभी पूरी एआरपी टीम को, कभी किसी को व्यक्तिगत तो कभी सामूहिक रूप से अपशब्दों का प्रयोग करते हुए शिक्षकों की मान-मर्यादा को धूमिल किया जा रहा है। इसके अलावा अभी तक प्राप्त वेतन की रिकवरी, पिछले चार साल की स्थाई वेतनवृद्धि रोकने जैसी दंडात्मक कार्रवाई की धमकी भी दी जा रही है। इस व्यवहार से एसआरजी और एआरपी को अपने पदीय दायित्वों के निर्वहन में असुविधा हो रही है।


मुझे एसआरजी और  एआरपी का इस्तीफा नहीं  मिला है। पूरी टीम गुरुवार की शाम को बैठक में मौजूद थी और शुक्रवार को डायट में प्रशिक्षण के दौरान भी उपस्थित थे । - प्रवीण कुमार तिवारी, बीएसए



बीएसए से खफा 103 शिक्षकों ने दायित्वों से दिया सामूहिक इस्तीफा

बीएसए पर वेतन वृद्धि रोकने और रिकवरी कराने की धमकी देने का लगाया आरोप


प्रयागराज। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) प्रवीण कुमार तिवारी पर अभद्रता करने के आरोप लगाते हुए सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन से जुड़े सभी 103 शिक्षकों (एसआरजी व एआरपी) ने दायित्वों से सामूहिक इस्तीफा दे दिया है। इनसे वायरल हुई बातचीत में बीएसए कह रहे हैं कि 40 लाख रुपये की रिकवरी किए बगैर इन्हें एआरपी से नहीं छोड़ेंगे। वहीं, बीएसए का कहना है कि उन्हें अभी किसी का इस्तीफा नहीं मिला है।


बीएसए को भेजे सामूहिक त्यागपत्र में एसआरजी और एआरपी ने कहा है कि उनके ही प्रयासों की बदौलत प्रदेश में टॉप 10 जिलों में प्रयागराज शामिल हुआ है। बावजूद इसके बीएसए प्रवीण कुमार तिवारी ऑनलाइन और ऑफलाइन बैठकों में कभी पूरी एआरजी टीम को तो कभी व्यक्तिगत रूप से अपशब्दों का प्रयोग करते हैं। इससे शिक्षकों की मान मर्यादा धूमिल होती है। वेतन की रिकवरी कराने और बीते चार वर्षों की स्थायी वेतन वृद्धि रोकने जैसी दंडात्मक कार्रवाई की भी धमकी दे रहे हैं।


उन्होंने आरोप लगाया कि बीएसए के व्यवहार से सभी का मनोबल क्षीण होता जा रहा है। इससे पूरी एआरपी टीम की क्षमता प्रभावित हो रही है। इसे देखते हुए पूरी टीम त्यागपत्र दे रही है। साथ ही सभी एआरजी सदस्य अपने मोबाइल फोन से प्रेरणा सपोर्टिव सुपरविजन एप भी लॉगआउट हो रहे हैं।



योजनाओं का संचालन करते हैं एसआरजी-एआरपी

सरकार की योजनाओं का संचालन कराने के लिए शिक्षकों को ही एसआरजी (स्टेट रिसोर्स ग्रुप मेंबर) और एआरपी (एकेडमिक रिसोर्स पर्सन) बनाया गया है। यही शिक्षकों को नवाचार का प्रशिक्षण देते हैं। एप के जरिए योजनाओं की मॉनिटरिंग भी करते हैं। इसके लिए उन्हें अतिरिक्त वेतन भी दिया जाता है। इनके इस्तीफे से योजनाओं का संचालन लड़खड़ा सकता है।


बीएसए की वार्ता का ऑडियो वायरल

सामूहिक इस्तीफे के बाद बीएसए प्रवीण कुमार तिवारी का एक ऑडियो भी वायरल हो गया, जिसमें बीएसए यह कहते हुए सुनाई दे रहे है कि वह सरकारी काम को लेकर रात में तीन बजे सोते हैं। सुबह नौ बजे फिर कार्यालय पहुंच जाते हैं। अगर सामूहिक त्यागपत्र देकर यह लोग विद्यालयों में चले जाएंगे तो यह नहीं होने देंगे। जब तक इनसे 40 लाख रुपये की रिकवरी नहीं कर लेते, इन्हें एआरपी से नहीं छोंड़ेगे। इसके लिए विधि सम्मत आदेश जारी होगा। इन सभी को चाय-नाश्ता से लेकर पार्टी तक अपने वेतन से दी है लेकिन इन लोगों ने हमारे साथ विश्वासघात किया है।



अभी तक हमारे पास कोई त्यागपत्र नहीं आया है। कुछ लोगों से बात हुई है, जिन्होंने इस प्रकरण में शामिल होने से इन्कार किया है। इस्तीफा सिर्फ वाट्सएप पर ही वायरल किया जा रहा है। बातचीत का वायरल वीडियो मेरा ही है। - प्रवीण कुमार तिवारी, बीएसए


Friday, October 27, 2023

खंड शिक्षा अधिकारियों को नौकरी नहीं आ रही रास, बीते दो साल में नवनियुक्त बीईओ सहित दो दर्जन खंड शिक्षा अधिकारियों ने नौकरी से दिया इस्तीफा

खंड शिक्षा अधिकारियों को नौकरी नहीं आ रही रास, बीते दो साल में नवनियुक्त बीईओ सहित दो दर्जन खंड शिक्षा अधिकारियों ने नौकरी से दिया इस्तीफा


लखनऊ। बेसिक शिक्षा विभाग में बेसिक शिक्षकों के अलावा खंड शिक्षा अधिकारियों को भी विभागीय सेवा रास नहीं आ रही है। बीते दो सालों के दौरान विभागीय खंड शिक्षा अधिकारियों के लगातार इस्तीफों के बाद प्रांतीय उप विद्यालय निरीक्षक संघ के अध्यक्ष प्रमेद्र शुक्ल ने खंड शिक्षा अधिकारियों को समय पर पति तथा अन्य प्रदान किए जाने की मांग की है।


सूत्रों  के अनुसार बीते दो सालों में करीब दो दर्जन खंड शिक्षा अधिकारियों के द्वारा सेवा छोड़ने से विभागीय उच्च अधिकारी भी हलाकान है। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार बेसिक शिक्षा विभाग में समय पर पदोन्नति और वेतनमान का लाभ प्रदान न किए जाने के कारण शिक्षक व खंड शिक्षा अधिकारी परेशान है। 


सूत्रों  के अनुसार बेसिक शिक्षा विभाग में अधिकारी संवर्ग के खंड शिक्षा अधिकारी भी समयबद्ध तरीके से नही मिलने के कारण परेशान होकर बीते दो में त्यागपत्र की झड़ी लगा दिए है। प्रति उप निरीक्षक संघ / खंड शिक्षा अधिकारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष प्रमेंद्र शुक्ला का कहना है कि बीते दो साल में करीब दो दर्जन अधिकारियों ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। 


प्रमेंद्र शुक्ला के अनुसार खंड शिक्षा अधिकारी संवर्ग में बहुत सी समस्या कायम है। जिसमें प्रमुख तौर पर पदोन्नति एवं समय पर वेतन लाभ नहीं प्रदान किया जाना है। शिक्षा अधिकारी प्रदेशका आरोप है कि बेसिक शिक्षा विभाग में लोक सेवा आयोग द्वारा खंड शिक्षा अधिकारी अपनी करीब तीस सालों की सेवा के बाद भी उसी पद से रिटायर हो जाते हैं। 


पदोन्नति नहीं मिलने के कारण खंड शिक्षा अधिकारियों में अवसाद एवं तनाव कायम है। बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा राजपत्रित लाभ प्रदान किए जाने में शासन स्तर पर आदेश निर्गत न किए जाने के कारण विभागीय शिक्षा अधिकारियों की बहुत समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। 


शासकीय स्तर पर उपेक्षित रवैया अपना जाने के कारण खंड शिक्षा अधिकारी चयनित होने के बाद विभागीय स्तर पर खामियों की जानकारी मिलने के बाद भी दो सालों में तैनाती पाए कई अधिकारी अन्य सेवा में चयनित हो जाने पर शिक्षा अधिकारी के पद से त्यागपत्र दे चुके है। 


प्रमेंद्र शुक्ल का कहना है कि सेवा शर्तों की दिक्कतों के कारण और विभाग में अधिकारियों को लगातार कमी से विभाग के प्रशासनिक एवं महत्वपूर्ण काम भी प्रभावित होते है। खंड शिक्षा अधिकारी संघ प्रदेश अध्यक्ष प्रमेंद्र शुक्ला का कहना है कि शासन खंड शिक्षा अधिकारियों की मांग को लेकर शीघ्र निस्तारण की कार्रवाई करें जिससे अधिकारियों को विभागीय स्तर पर अपनी सुरक्षा मिल सके।