Showing posts with label जयंती. Show all posts
Showing posts with label जयंती. Show all posts
Friday, November 29, 2024
शिक्षा विभाग करेगा अटल जी की प्रेरणा को छात्रों तक पहुंचाने का प्रयास, व्याख्यान और काव्य गोष्ठियों के जरिए बच्चों को दी जाएगी प्रेरणा
उत्तर प्रदेश में अटल बिहारी बाजपेई की जन्म शताब्दी वर्ष मनाने की व्यापक तैयारी, शिक्षण संस्थाओं में होगा अटल जी के आदर्शों का प्रचार-प्रसार
शिक्षा विभाग करेगा अटल जी की प्रेरणा को छात्रों तक पहुंचाने का प्रयास, व्याख्यान और काव्य गोष्ठियों के जरिए बच्चों को दी जाएगी prerana
भारत रत्न श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी के शताब्दी वर्ष (25 दिसंबर 2024 से 25 दिसंबर 2025) के आयोजन को लेकर राज्य के सभी शिक्षा विभागों में तैयारियां शुरू हो गई हैं। इस वर्ष के दौरान अटल जी की जन्मशती के उपलक्ष्य में विविध गतिविधियों का आयोजन होगा। विशेष रूप से बेसिक शिक्षा विभाग ने छात्रों में उनकी प्रेरणादायक जीवनगाथा और आदर्शों का प्रचार-प्रसार करने के लिए कई कार्यक्रमों की योजना बनाई है।
बेसिक शिक्षा विभाग की योजनाएं:
बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा आयोजित किए जाने वाले मुख्य कार्यक्रमों में निम्नलिखित शामिल हैं:
1. व्याख्यान और काव्य गोष्ठियां
- अटल जी के जीवन और कृतित्व पर केंद्रित प्रेरणादायक व्याख्यान और कविताओं का आयोजन किया जाएगा।
2. निबंध और पोस्टर प्रतियोगिताएं
- अटल जी के आदर्शों और उपलब्धियों पर आधारित निबंध और पोस्टर प्रतियोगिताओं में छात्र अपनी रचनात्मकता प्रदर्शित करेंगे।
3. क्विज और संवाद
- छात्रों के बीच अटल जी के व्यक्तित्व और राजनीति से संबंधित क्विज और संवाद सत्र आयोजित किए जाएंगे।
4. रैलियां और नाट्य मंचन
- विद्यालयों में जागरूकता फैलाने के लिए रैलियों और नाटकों का आयोजन होगा।
5. पोस्टर और बैनर प्रदर्शन
- सभी विद्यालयों में अटल जी के जीवन पर आधारित पोस्टर और बैनर प्रदर्शित किए जाएंगे।
🔴 भारत रत्न श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी का शताब्दी वर्ष मनाये जाने के सम्बन्ध में जारी शासनादेश देखें
उच्च शिक्षा और माध्यमिक शिक्षा विभाग के निर्देश:
उच्च और माध्यमिक शिक्षा विभाग भी इसी तर्ज पर व्याख्यान, काव्य गोष्ठी, निबंध प्रतियोगिता, रैली, क्विज, वाद-विवाद, संवाद, पोस्टर प्रतियोगिता, और नाट्य मंचन जैसे कार्यक्रम आयोजित करेंगे।
प्राविधिक शिक्षा विभाग का योगदान:
प्राविधिक शिक्षा विभाग के तहत तकनीकी शिक्षण संस्थानों में छात्रों के बीच अटल जी के जीवन से जुड़ी गतिविधियों का आयोजन किया जाएगा।
संवेदनशीलता और शिक्षा का समन्वय
बेसिक शिक्षा विभाग ने प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में इन कार्यक्रमों को विशेष प्राथमिकता देते हुए छात्रों और शिक्षकों के लिए आकर्षक और शिक्षाप्रद बनाने पर जोर दिया है।
इस प्रकार, सभी शिक्षा विभागों का प्रयास होगा कि श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी के प्रेरणादायक व्यक्तित्व से नई पीढ़ी को परिचित कराकर उनके आदर्शों को आत्मसात किया जाए।
🔴 भारत रत्न श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी का शताब्दी वर्ष मनाये जाने के सम्बन्ध में जारी शासनादेश देखें
Sunday, December 11, 2022

‘भारतीय भाषा उत्सव’ मनाये जाने विषयक
‘भारतीय भाषा उत्सव’ मनाये जाने विषयक
सभी जिलाधिकारियों को निर्देश जारी, मनाई जाए तमिल महाकवि की जयंती
आज मनेगा भारतीय भाषा उत्सव, स्कूलों में होंगे आयोजन
लखनऊ। आजादी का अमृत महोत्सव कार्यक्रम की श्रृंखला में तमिल महाकवि सुब्रह्मण्य भारती की जयंती पर रविवार को स्कूलों में भारतीय भाषा उत्सव मनाया जाएगा। इस दौरान विभिन्न कार्यक्रम आयोजित होंगे। भारत में बोली जाने वाली विभिन्न भाषाओं के बारे में छात्र-छात्राओं को विस्तार से जानकारी दी जाएगी।
भारतीय भाषा उत्सव को सभी स्कूलों में कार्यक्रम आयोजित कर मनाने के निर्देश दिए गए हैं। शासन स्तर से शनिवार को कार्यवाहक मुख्य सचिव डॉ. देवेश चतुर्वेदी की ओर से निर्देश जारी किए गए हैं। निर्देशों में कहा गया है कि कवि सुब्रह्मण्य भारती के योगदान पर चर्चा के साथ ही भारत की विभिन्न भाषाओं की महत्वपूर्ण पुस्तकों के बारे में छात्र-छात्राओं को जानकारी दी जाए। भारतीय भाषाओं के महान कवियों व लेखकों के बारे में बताया जाए।
Monday, November 7, 2022

स्कूलों, कॉलेजों और उच्च शिक्षण संस्थाओं में 15 नवंबर को मनाया जाएगा जनजातीय गौरव दिवस Janjatiya Gaurav Divas
स्कूलों, कॉलेजों और उच्च शिक्षण संस्थाओं में 15 नवंबर को मनाया जाएगा जनजातीय गौरव दिवस
Janjatiya Gaurav Divas
देश भर के स्कूलों एवं उच्च शैक्षणिक संस्थानों में 15 नवंबर को जनजातीय गौरव दिवस का आयोजन किया जाएगा. केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने इसकी घोषणा की है. ग़ौरतलब है कि सरकार ने पिछले वर्ष 15 नवंबर को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाने का ऐलान किया था. जिसके बाद सभी शैक्षणिक संस्थानों में इसका आयोजन किया जाएगा.
इसे लेकर शिक्षा मंत्रालय ने कहा है कि, ’15 नवंबर बिरसा मुंडा की जन्मतिथि है. जिन्हें देश भर के जनजातीय समुदाय की ओर से भगवान के रूप में पूजा जाता है. बिरसा मुंडा एक स्वतंत्रता सेनानी, समाज सुधारक और सम्माननीय आदिवासी नेता थे, जिन्होंने ब्रिटिश हुकूमत की शोषण व्यवस्था के ख़िलाफ़ वीरता से लड़ाई की थी.’
ऐसे में जनजातीय स्वतंत्रता सेनानियों के सम्मान में शिक्षा मंत्रालय, एआईसीटीई, UGC, केंद्रीय विश्वविद्यालयों, निजी विश्वविद्यालय एवं अन्य शैक्षणिक संस्थानों के साथ मिलकर देश भर में जनजातीय गौरव दिवस का आयोजन करेगा. इस मौक़े पर स्वतंत्रता आंदोलन में जनजातीय नायकों के योगदान के विषय पर वाद विवाद प्रतियोगिता समेत कई अन्य कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे.
Saturday, October 1, 2022
Friday, September 10, 2021

जयंती : जानिए गोविंद बल्लभ पंत के बारे में।
जयंती : जानिए गोविंद बल्लभ पंत के बारे में।
आजादी के अमृत महोत्सव एवं चौरी चौरा शताब्दी समारोह की श्रृंखला के अंतर्गत दस सितंबर को भारत रत्न पंडित गोविंद बल्लभ पंत की जयंती के अवसर पर सभी जिलों में कार्यक्रम आयोजित होंगे।
शासन द्वारा कार्यक्रम आयोजित करने के लिए संबंधितों को निर्देशित किया है। शैक्षिक संस्थानों में सुबह दस बजे से पौने ग्यारह बजे के बीच मार्ल्यापण व पुष्पांजलि आदि कार्यक्रम करने के निर्देश दिए गए हैं।

संक्षिप्त परिचय
● गोविंद बल्लभ पंत को देश के सबसे प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी और एक कुशल प्रशासक के रूप में याद किया जाता है, जिन्होंने आधुनिक भारत के मौजूदा स्वरूप को आकार देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा की थी।
● उन्होंने वर्ष 1937-1939 के बीच संयुक्त प्रांत के प्रीमियर, वर्ष 1946-1954 तक उत्तर प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री और वर्ष 1955-1961 तक केंद्रीय गृह मंत्री के रूप में कार्य किया।
● उन्हें वर्ष 1957 में भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से भी सम्मानित किया गया था।
प्रारंभिक जीवन
● गोविंद बल्लभ पंत का जन्म 10 सितंबर, 1887 को उत्तराखंड के अल्मोड़ा में हुआ था।
● जब वे 18 वर्ष के थे, तो उन्होंने गोपालकृष्ण गोखले और मदन मोहन मालवीय को अपना आदर्श मानते हुए भारतीय राष्ट्रीय काॅन्ग्रेस (INC) के सत्रों में एक स्वयंसेवक के रूप में काम करना शुरू किया।
● वर्ष 1907 में उन्होंने कानून का अध्ययन करने का निर्णय लिया और कानून की पढ़ाई पूरी करने के बाद वर्ष 1910 में उन्होंने अल्मोड़ा में वकालत शुरू कर दी और बाद में वे काशीपुर (उत्तराखंड) चले गए।
● काशीपुर में उन्होंने ‘प्रेम सभा’ नामक एक संगठन की स्थापना की, जिसने विभिन्न सामाजिक सुधारों की दिशा में काम करना शुरू किया, इस दौरान इस संगठन ने ब्रिटिश सरकार को करों का भुगतान न करने के कारण एक स्कूल को बंद किये जाने से भी बचाया।
राष्ट्रीय आंदोलन में योगदान
● गोविंद बल्लभ पंत दिसंबर 1921 में काॅन्ग्रेस में शामिल हुए और जल्द ही असहयोग आंदोलन का हिस्सा बन गए।
● वर्ष 1930 में गांधी जी के कार्यों से प्रेरित होकर ‘नमक मार्च’ का आयोजन करने के कारण उन्हें कैद कर लिया गया।
● वह उत्तर प्रदेश (तत्कालीन संयुक्त प्रांत) विधानसभा के लिये नैनीताल से ‘स्वराजवादी पार्टी’ के उम्मीदवार के रूप में चुने गए थे।
● सरकार में रहते हुए उन्होंने ज़मींदारी प्रथा को समाप्त करने के उद्देश्य से कई सुधार किये।
● उन्होंने देश भर में कुटीर उद्योगों को प्रोत्साहित किया और कुली-भिक्षुक कानून का भी विरोध किया, जिसके तहत कुली और भिक्षुकों को बिना किसी पारिश्रमिक के ब्रिटिश अधिकारियों का भारी सामान ढोने के लिये मजबूर किया जाता था।
● गोविंद बल्लभ पंत सदैव अल्पसंख्यक समुदाय के लिये एक अलग निर्वाचक मंडल के खिलाफ रहे, वे मानते थे कि यह कदम समुदायों को विभाजित करेगा।
● द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान पंत जी ने गांधी जी और सुभाष चंद्र बोस के गुटों के बीच समझौता करने का भी प्रयास किया, जहाँ एक ओर गांधी जी और उनके समर्थक चाहते थे कि युद्ध के दौरान ब्रिटिश शासन का समर्थन किया जाए, वहीं सुभाष चंद्र बोस गुट का मत था कि इस युद्ध की स्थिति का प्रयोग किसी भी तरह से ब्रिटिश राज को समाप्त करने के लिये किया जाए।
● वर्ष 1942 में उन्हें भारत छोड़ो प्रस्ताव पर हस्ताक्षर करने के लिये गिरफ्तार किया गया और उन्होंने मार्च 1945 तक काॅन्ग्रेस कार्य समिति के अन्य सदस्यों के साथ अहमदनगर किले में कुल तीन वर्ष बिताए।
● अंततः पंडित नेहरू खराब स्वास्थ्य के आधार पर पंत जी को जेल से छुड़ाने में सफल रहे।
स्वतंत्रता के बाद
● स्वतंत्रता के बाद गोविंद बल्लभ पंत उत्तर प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री बने। उन्होंने किसानों के उत्थान और अस्पृश्यता के उन्मूलन की दिशा में महत्त्वपूर्ण कार्य किया।
● सरदार पटेल की मृत्यु के बाद गोविंद बल्लभ पंत को केंद्र सरकार में गृह मंत्री बनाया गया था।
● गृह मंत्री के तौर पर उन्होंने हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने का समर्थन किया।
स्रोत: पी.आई.बी.
Subscribe to:
Posts (Atom)