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Wednesday, May 28, 2025

UP Board E-Office: यूपी बोर्ड में जल्द शुरू होगा ई-ऑफिस, विद्यार्थियों व विद्यालयों के मामलों के निस्तारण में आएगी तेजी

यूपी बोर्ड में जल्द शुरू होगा ई-ऑफिस, विद्यार्थियों व विद्यालयों के मामलों के निस्तारण में आएगी तेजी

चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को छोड़कर सभी की हो रही है ऑनलाइन ट्रेनिंग


प्रयागराज। यूपी बोर्ड में अब विद्यार्थियों या विद्यालयों द्वारा भेजी जाने वाली समस्याओं के निराकरण में तेजी आएगी। जल्द ही यूपी बोर्ड के सभी अनुभाग ई-ऑफिस के तहत कार्य करना शुरू कर देंगे। इसके लिए कर्मचारियों की ऑनलाइन ट्रेनिंग कराई जा रही है।

चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को छोड़कर बोर्ड के सभी कर्मचारियों की ऑनलाइन ट्रेनिंग हो रही है। उत्तर प्रदेश सरकार ने सभी विभागों और कार्यालयों में कार्यों को अधिक कुशल, प्रभावी और पारदर्शी बनाने के ई-ऑफिस योजना शुरू की है।


इसी क्रम में सरकार ऑनलाइन ट्रेनिंग में बोर्ड के 200 से अधिक कर्मचारियों को ई-ऑफिस से संबंधित कार्यों के लिए प्रशिक्षण दे रही है। सभी कर्मचारी प्रतिदिन शाम चार बजे ऑनलाइन माध्यम से प्रशिक्षण में मौजूद रहते हैं।

ई-ऑफिस के शुरू हो जाने से विद्यार्थियों को अधिक लाभ मिलेगा। सबसे अधिक मामले प्रमाण पत्र व अंकपत्र में जन्म तिथि, परीक्षार्थी का नाम, माता-पिता के नाम में संशोधन के आते हैं। ऑफलाइन होने के कारण कई बार फाइलें दबी रह जाती हैं, जिससे परीक्षार्थियों को बोर्ड ऑफिस के चक्कर काटने पड़ते हैं और फाइलें घूमती रहती हैं।

ई-ऑफिस व्यवस्था पूरी तरह से लागू होने के बाद जिम्मेदार लोगों की जवाबदेही भी तय हो सकती है। मामलों के निस्तारण में विलंब होने पर जवाब भी देना पड़ सकता है। वहीं, बोर्ड के अनुभागों के कार्यों में और तेजी आएगी।

डाक अनुभाग प्राप्त डाक को फाइलों के बजाय संबंधित अनुभाग को ऑनलाइन भेज देगा। इससे समस्या समाधान में और तेजी आएगी और समय भी बचेगा। साथ ही कहां देरी हो रही है, यह भी पता करना आसान होगा।


कंप्यूटर खरीदने के लिए प्रस्ताव तैयार

वर्तमान समय में बोर्ड के सभी अनुभागों में कम्प्यूटर नहीं हैं और ई-ऑफिस व्यवस्था शुरू करने के लिए कम्प्यूटर की जरूरत है। कम्प्यूटर खरीदने के लिए प्रस्ताव भी तैयार हो गया है। जल्द ही इसे शासन को भेज दिया जाएगा, जिससे ई-ऑफिस व्यवस्था को जल्द से जल्द सभी अनुभागों में शुरू किया जा सके।


बोर्ड के कार्यों में भी आएगी तेजी

ई-ऑफिस व्यवस्था शुरू हो जाने से बोर्ड के कामों में भी तेजी आएगी। बोर्ड में वर्तमान समय में सभी कार्य लगभग फाइलों के माध्यम से हो रहे हैं। ई-ऑफिस शुरू हो जाने से फाइलों का आदान-प्रदान आसान हो जाएगा और कार्यों में तेजी आएगी।

Tuesday, May 20, 2025

11,350 ग्राम पंचायतों में बनेगी डिजिटल लाइब्रेरी, प्रत्येक लाइब्रेरी की स्थापना पर चार-चार लाख रुपये होंगे खर्च

11,350  ग्राम पंचायतों में बनेगी डिजिटल लाइब्रेरी, प्रत्येक लाइब्रेरी की स्थापना पर चार-चार लाख रुपये होंगे खर्च 

नेशनल बुक्स ट्रस्ट के माध्यम से लेंगे ई बुक्स


लखनऊ । प्रदेश में 11350 ग्राम पंचायतों में डिजिटल लाइब्रेरी की सुविधा दी जाएगी। प्रत्येक लाइब्रेरी की स्थापना पर चार-चार लाख रुपये खर्च होंगे। पहले चरण में कुल 454 करोड़ रुपये खर्च कर इन डिजिटल लाइब्रेरी की स्थापना की जा रही है। ग्रामीण क्षेत्रों में छात्रों को पंचायत भवन में अपने बाल साहित्य, साहित्यिक व प्रेरणादायक पुस्तकों के साथ-साथ अपने कोर्स व प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए ई-बुक्स पढ़ने की सुविधा मिलेगी। पंचायतीराज विभाग नेशनल बुक्स ट्रस्ट की मदद से ई बुक्स खरीदेगा।


ऐसे पंचायत भवन जहां पर दो-दो कमरे और एक हॉल है, वहां पहले चरण में डिजिटल लाइब्रेरी की स्थापना की जा रही है। फिलहाल अलग-अलग कमेटियों का गठन कर लाइब्रेरी स्थापना का कार्य शुरू कर दिया गया है। डिजिटल लाइब्रेरी के लिए कंप्यूटर, फर्नीचर व ई बुक्स इत्यादि की खरीद के लिए कमेटियां बनाई गई हैं। जिनकी देखरेख में यह कार्य किया जाएगा। 


निदेशक पंचायतीराज की अध्यक्षता में 10 सदस्यीय पुस्तक चयन समिति का गठन किया गया है। जिसमें महानिदेशक, स्कूल शिक्षा व बेसिक शिक्षा निदेशक की ओर से नामित एक-एक शिक्षाधिकारी, बाल साहित्य लेखक, प्रतिष्ठित सामान्य लेखक, शिक्षाविद् और नेशल बुक्स ट्रस्ट का एक नामित सदस्य इत्यादि शामिल किए गए हैं। ऐसे ही कंप्यूटर व फर्नीचर की खरीद के लिए भी कमेटी बनी है, जिसकी देखरेख में ही खरीददारी होगी।

Wednesday, April 23, 2025

परिषदीय स्कूलों में डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ावा, स्मार्ट पढ़ाई पर जोर

परिषदीय स्कूलों में डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ावा, स्मार्ट पढ़ाई पर जोर


लखनऊः परिषदीय स्कूलों में डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ावा देकर स्मार्ट तरीके से पढ़ाई पर जोर दिया जा रहा है। इन विद्यालयों में 2.09 टैबलेट दिए गए हैं और 18 हजार से अधिक विद्यालयों में स्मार्ट क्लास बनाई जा चुकी हैं। डिजिटल लर्निंग को बढ़ावा देकर निजी स्कूलों की तर्ज पर सरकारी विद्यालयों में भी पढ़ाई कराई जा रही है। छात्रों को आडियो-वीडियो के माध्यम से रोचक ढंग से कठिन से कठिन पाठ आसानी से समझाए जा रहे हैं।


प्रदेश के सभी ब्लाक में एक-एक इन्फार्मेशन कम्युनिकेशन टेक्नोलाजी (आइसीटी) लैब बनाई गई है। यहां पर परिषदीय उच्च प्राथमिक स्कूलों के विद्यार्थियों को कंप्यूटर शिक्षा देने की व्यवस्था की गई है। बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) संदीप सिंह के मुताबिक आपरेशन कायाकल्प की मदद से विद्यालयों में मूलभूत सुविधाएं बढ़ाई गई हैं और इसके साथ ही डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर को भी तेजी से बढ़ाया जा रहा है।


शिक्षकों को जो टैबलेट दिए गए हैं, उसमें इंटरनेट की सुविधा दी गई है। विद्यालय में उपस्थिति सहित सभी 12 रजिस्टर को डिजिटल रजिस्टर में तब्दील कर आनलाइन सूचनाएं बेसिक शिक्षा विभाग को भेजी जा रही हैं और इस पर आनलाइन पाठ्य सामग्री भी भेजी जा रही है। नवभारत उदय कार्यक्रम के तहत डिजिटल शिक्षा की नींव तैयार कर ली गई है। वर्ष 2022 से लेकर वर्ष 2024 तक सीतापुर में 59 स्मार्ट टीवी और पांच कंप्यूटर लैब स्थापित की गईं। अब आगे 501 प्राथमिक स्कूलों में स्मार्ट टीवी का वितरण किया जाएगा। छात्रों को रोचक ढंग से पढ़ाई कराने पर जोर दिया जा रहा है।

Monday, March 3, 2025

22,700 ग्राम पंचायतों में डिजिटल लाइब्रेरी की होगी स्थापना, ई-बुक्स के साथ ऑडियो वीडियो लेक्चर, डिजिटल कंटेंट भी होगा उपलब्ध

22,700 ग्राम पंचायतों में डिजिटल लाइब्रेरी की होगी स्थापना, ई-बुक्स के साथ ऑडियो वीडियो लेक्चर, डिजिटल कंटेंट भी होगा उपलब्ध  

हर डिजिटल लाइब्रेरी पर खर्च होंगे 4 लाख

लखनऊ। प्रदेश सरकार दूरस्थ क्षेत्रों के बच्चों को आधुनिक शिक्षा के संसाधन उपलब्ध कराने के लिए ग्राम पंचायत स्तर पर डिजिटल लाइब्रेरी की स्थापना करेगी। योजना के तहत पहले चरण में प्रदेश की 22,700 ग्राम पंचायतों में डिजिटल लाइब्रेरी स्थापित की जाएंगी। इसके बाद प्रदेश की हर ग्राम पंचायत स्तर पर डिजिटल लाइब्रेरी की स्थापना की जाएगी।


 इस पहल का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में बच्चों को आधुनिक शिक्षा संसाधन और डिजिटल कंटेंट उपलब्ध कराना है। इससे ग्रामीण बच्चों को डिजिटल शिक्षा से जोड़ने के साथ ही उन्हें उच्च गुणवत्ता वाली अध्ययन सामग्री भी उपलब्ध कराई जाएगी। इसके माध्यम से ग्रामीण छात्रों तक ई-बुक्स, डिजिटल कंटेंट और अन्य शैक्षिक संसाधनों की पहुंच आसान होगी। डिजिटल लाइब्रेरी में बच्चों को किताबें, प्रश्नोत्तरी, वीडियो, ऑडियो लेक्चर तथा अन्य डिजिटल संसाधन उपलब्ध होंगे। 


हर डिजिटल लाइब्रेरी पर खर्च होंगे 4 लाख

सरकार प्रत्येक डिजिटल लाइब्रेरी की स्थापना पर 4 लाख रुपये खर्च करेगी। इस रकम से लाइब्रेरी में कंप्यूटर, प्रिंटर, इंटरनेट की सुविधा के लिए जरूरी उपकरणों की खरीद और अन्य संसाधनों की व्यवस्था की जाएगी। लाइब्रेरी में बच्चों को पाठ्य पुस्तकों के साथ विविध विषयों पर ई-बुक्स और अन्य डिजिटल अध्ययन सामग्री उपलब्ध कराई जाएगी। व्यावहारिक ज्ञान के लिए अत्याधुनिक उपकरण, ऑडियो-विजुअल टूल्स भी मुहैया कराए जाएंगे। ऑनलाइन पढ़ाई और रिसर्च के लिए इंटरनेट की सुविधा भी होगी। डिजिटल लाइब्रेरी से ग्रामीण इलाकों में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार होगा और छात्रों की डिजिटल साक्षरता बढ़ेगी।

Sunday, January 5, 2025

बच्चों का इंटरनेट मीडिया अकाउंट खोलने को अब माता-पिता की सहमति होगी आवश्यक

बच्चों का इंटरनेट मीडिया अकाउंट खोलने को अब माता-पिता की सहमति होगी आवश्यक

सरकार ने डिजिटल व्यक्तिगत डाटा संरक्षण नियमों का मसौदा जारी किया

नियमों के उल्लंघन के लिए किसी दंडात्मक कार्रवाई का उल्लेख नहीं

डिजिटल डाटा संरक्षण विधेयक 2023 को 14 महीने पहले दी गई थी मंजूरी

18 फरवरी के बाद अंतिम नियम बनाने के लिए मसौदे पर किया जाएगा विचार



नई दिल्ली ।  सरकार ने शुक्रवार को डिजिटल व्यक्तिगत डाटा संरक्षण नियमों का बहुप्रतीक्षित मसौदा जारी कर दिया। इसमें स्पष्ट किया गया है कि बच्चों द्वारा कोई भी अकाउंट बनाने से पहले इंटरनेट मीडिया या आनलाइन प्लेटफार्म को माता-पिता की सहमति लेनी होगी। इसके अलावा माता-पिता की पहचान और आयु को भी स्वैच्छिक रूप से प्रदान किए गए प्रमाणपत्र के माध्यम से सत्यापित करना होगा, जो सरकार द्वारा अधिकृत किसी संस्था द्वारा जारी किया जाएगा।

नियमों के अनुसार, कोई संस्था व्यक्तिगत डाटा का उपयोग और प्रसंस्करण तभी कर पाएगी, जब किसी व्यक्ति ने सहमति प्रबंधक को अपनी स्वीकृति दे दी हो। सहमति प्रबंधक ऐसा व्यक्ति होगा, जिसे लोगों की सहमति के रिकार्ड का प्रबंधन करने का दायित्व सौंपा जाएगा। बच्चों की डाटा प्रोसेसिंग के मामले में डिजिटल प्लेटफार्म को यह जांच करने के लिए उचित परिश्रम करना होगा कि बच्चे के माता-पिता के रूप में खुद की पहचान करने वाला व्यक्ति वयस्क है और किसी भी कानूनी अनुपालन के संबंध में आवश्यक होने पर उसकी पहचान की जा सकती है।

मसौदा नियमों को फिलहाल सार्वजनिक परामर्श के लिए जारी किया गया है। इसमें नियमों के उल्लंघन के लिए किसी दंडात्मक कार्रवाई का उल्लेख नहीं है। 18 फरवरी के बाद अंतिम नियम बनाने के लिए मसौदे पर विचार किया जाएगा। मसौदा सार्वजनिक टिप्पणियों के लिए 'माईगाव' वेबसाइट पर उपलब्ध है।

संसद द्वारा लगभग 14 महीने पहले डिजिटल डाटा संरक्षण विधेयक 2023 को मंजूरी दिए जाने के बाद मसौदा नियम जारी किए गए हैं। मसौदा नियम में किसी व्यक्ति से स्पष्ट सहमति प्राप्त करने के लिए एक तंत्र बनाया गया है। डिजिटल व्यक्तिगत डाटा संरक्षण अधिनियम 2023 में व्यक्तिगत डाटा एकत्र करने और उसका उपयोग करने वाली संस्थाओं को डाटा फिड्‌यूशियरी कहा गया है। डाटा फिड्यूशियरी को केवल उस समय तक डाटा रखने की अनुमति होगी, जिसके लिए सहमति प्रदान की गई है। उसके बाद इसे हटा देना होगा। 

मसौदा नियम में क्हा गया है कि डाटा फिड्यूशियरी को यह सुनिश्चित करने के लिए उचित तकनीकी और संगठनात्मक उपाय अपनाने होंगे कि बच्चे के किसी भी व्यक्तिगत डाटा के प्रसंस्करण से पहले माता-पिता की सहमति प्राप्त की जाए। ई-कामर्स, इंटरनेट मीडिया और गेमिंग प्लेटफार्म डाटा फिड्यूशियरी की श्रेणी में आएंगे।

मसौदा नियमों में बार-बार उल्लंघन पर सहमति प्रबंधक का रजिस्ट्रेशन निलंबित या रद करने का उल्लेख किया गया है, लेकिन डिजिटल व्यक्तिगत डाटा संरक्षण अधिनियम, 2023 के तहत स्वीकृत दंड का कोई उल्लेख नहीं है। अधिनियम में डाटा फिड्‌यूशियरी पर 250 करोड़ तक का जुर्माना लगाने का प्रविधान किया गया था।




माता-पिता की सहमति के बिना नहीं कर सकेंगे बच्चों के डाटा का इस्तेमाल, डिजिटल व्यक्तिगत डाटा संरक्षण का मसौदा जारी, दंडात्मक कार्रवाई का प्रावधान नहीं

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने बहुप्रतीक्षित डिजिटल व्यक्तिगत डाटा संरक्षण (डीपीडीपी)- 2025 का मसौदा जारी कर दिया है। इसमें नाबालिग बच्चों और दिव्यांगों के व्यक्तिगत डाटा की सुरक्षा पर जोर दिया गया है, हालांकि इसके उल्लंघन के लिए किसी दंडात्मक कार्रवाई का जिक्र नहीं है। 

मसौदे के अनुसार, बच्चों के डाटा का किसी भी रूप में इस्तेमाल करने के लिए माता-पिता की सहमति अनिवार्य होगी। यानी, माता-पिता की सहमति के बिना कोई भी डाटा फिड्यूशरीज (व्यक्तिगत डाटा एकत्र करने व इसका इस्तेमाल करने वाली संस्थाएं) बच्चों का डाटा इस्तेमाल नहीं कर सकेंगी।

करीब 14 महीने पहले संसद की ओर से डिजिटल व्यक्तिगत डाटा संरक्षण अधिनियम 2023 को मंजूरी देने के बाद मसौदा नियम सार्वजनिक परामर्श के लिए जारी किए गए हैं।

मसौदा नियम माईजीओवी वेबसाइट पर उपलब्ध हैं। इसका उद्देश्य डिजिटल व्यक्तिगत डाटा की सुरक्षा के लिए कानूनी ढांचे को मजबूत करना है। मसौदा नियमों में डिजिटल डाटा संरक्षण अधिनियम, 2023 के तहत व्यक्तियों की सहमति लेने, डाटा प्रसंस्करण निकायों और अधिकारियों के कामकाज से संबंधित प्रावधान तय किए गए हैं। नियमों में व्यक्तियों से स्पष्ट सहमति हासिल करने के लिए एक तंत्र बनाने की बात कही गई है। 18 फरवरी के बाद इसे अंतिम रूप दिया जाएगा।

Friday, October 11, 2024

बेसिक शिक्षा: डिजिटल हाजिरी में कौशांबी टॉप पर, भदोही दूसरे स्थान पर

बेसिक शिक्षा: डिजिटल हाजिरी में कौशांबी टॉप पर, भदोही दूसरे स्थान पर


प्रदेश में परिषदीय विद्यालयों में डिजिटल हाजिरी और मध्याह्न भोजन (एमडीएम) वितरण की प्रक्रिया में कौशांबी ने पहला स्थान प्राप्त किया, जबकि भदोही जिले को दूसरे स्थान पर संतोष करना पड़ा है। शासन द्वारा जारी ताज़ा रैंकिंग के अनुसार, पूर्वांचल क्षेत्र में केवल वाराणसी और भदोही टॉप टेन में अपनी जगह बनाने में सफल रहे हैं।


शिक्षकों की उपस्थिति और एमडीएम वितरण में गिरावट के कारण पहली रैंक पाने से जिला चूक गया। कौशांबी ने बेहतर प्रगति के साथ पहला रैंक हासिल किया। जुलाई से बच्चों, शिक्षकों की उपस्थिति से लेकर एमडीएम वितरण की ऑनलाइन प्रगति पोर्टल पर अपलोड की जा रही है।

प्रत्येक दो से तीन महीने पर इसकी रैंक बनाई जा रही है। बच्चों और शिक्षकों की प्रतिदिन की उपस्थिति, विद्यालयों में एमडीएम सर्व करने की स्थिति का आंकलन कर रैंक शासन स्तर से जारी की जाती है।

बुधवार को जारी रैंकिग में कौशांबी को पहला और  भदोही को दूसरा स्थान मिला है। विभागीय आंकड़ों पर गौर करें तो भदोही में 5806 शिक्षकों में 15, बच्चों की उपस्थिति में एक लाख 18 हजार 259 जो कि 83.76 और एमडीएम सर्व में 65.3 फीसदी है। जबकि कौशांबी में शिक्षकों की उपस्थिति मात्र एक, बच्चों की उपस्थिति 93 फीसदी और एमडीएम सर्व में 65.50 फीसदी है।