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Sunday, May 18, 2025

परिषदीय स्कूल के बच्चों को DBT के रुपयों का इंतजार, सत्र शुरू हुए 47 दिन बीते, 70 फीसदी बच्चों का ही आधार सत्यापन पूरा

परिषदीय स्कूल के बच्चों को DBT के रुपयों का इंतजार, सत्र शुरू हुए 47 दिन बीते, 70 फीसदी बच्चों का ही आधार सत्यापन पूरा


लखनऊ । प्राइमरी स्कूल में सत्र शुरू हुए 47 दिन बीत गए हैं लेकिन अभी तक यूनीफार्म के पैसे अभिभावकों के खाते नहीं पहुंचे हैं। कक्षा एक से आठवीं तक के विद्यार्थियों की यूनीफार्म, स्वेटर, जूते, मोजे व स्टेशनरी के प्रति छात्र 1200 रुपये अभिभावकों के खाते में आने हैं।


 प्रेरणा पोर्टल पर एक लाख से अधिक छात्रों (70 फीसदी) और अभिभावकों के बैंक अकाउंट नंबर, आधार नंबर, आईएफएससी कोड की फीडिंग पूरी हो चुकी है। अभिभावक स्कूल आकर शिक्षकों से यूनीफार्म के पैसे भेजने का दबाव बना रहे हैं।


प्रधानाध्यापकों का कहना है कि स्कूल के पास आउट, प्रोन्नत और नव प्रवेशित करीब 70 फीसदी छात्र-छात्राओं का विवरण प्रेरणा पोर्टल पर अपलोड किया जा चुका है। जो बचे हैं उनका ब्योरा अपलोड किया जा रहा है। 


एडी बेसिक श्याम किशोर तिवारी बताते हैं कि किसी भी दिन अभिभावकों के खाते में यूनीफार्म के पैसे भेजे जा सकते हैं। विभाग की ओर से तैयारियां पूरी हैं। कक्षा वार ब्योरा अपलोड हो गया है

Monday, December 2, 2024

यूनिफॉर्म में परिषदीय बच्चों की उपस्थिति सुनिश्चित करने की नई पहल: बेसिक शिक्षकों की मांग हर जिले में लागू हो शाहजहांपुर का मॉडल

यूनिफॉर्म में परिषदीय बच्चों की उपस्थिति सुनिश्चित करने की नई पहल: बेसिक शिक्षकों की मांग हर जिले में लागू हो शाहजहांपुर का मॉडल  


शाहजहांपुर । उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर जिले में परिषदीय स्कूलों के बच्चों को यूनिफॉर्म में स्कूल भेजने के लिए प्रशासन ने एक प्रेरक और सख्त कदम उठाया है। जिलाधिकारी के निर्देश पर मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) डॉ. अपराजिता सिंह ने साफ किया है कि यूनिफॉर्म में न आने वाले बच्चों के अभिभावकों को राशन वितरण में रोक लगाई जाएगी। यह कदम शिक्षा और बच्चों की बेहतरी के लिए उठाया गया है।  


यूनिफॉर्म का उद्देश्य
सरकार ने बच्चों के लिए यूनिफॉर्म, स्वेटर, जूते और मोजे खरीदने हेतु 1200 रुपये सीधे डीबीटी के माध्यम से अभिभावकों के खातों में भेजे हैं। यूनिफॉर्म का उद्देश्य न केवल बच्चों को सर्दी से बचाना है, बल्कि उनकी पहचान और अनुशासन को भी बढ़ावा देना है। इसके बावजूद, सर्दी में बच्चों को बिना उचित यूनिफॉर्म के स्कूल आने की शिकायतें मिल रही थीं।  


कैसे काम करेगा यह मॉडल?
सीडीओ डॉ. अपराजिता सिंह ने निर्देश दिया है कि यदि एक सप्ताह के भीतर बच्चे पूरी यूनिफॉर्म में स्कूल नहीं आते, तो संबंधित अभिभावकों की सूची बनाकर कोटेदारों को दी जाएगी। इसके बाद इन परिवारों को मुफ्त राशन का लाभ नहीं मिलेगा। यह निर्णय स्कूल निरीक्षण और अभिभावकों को जागरूक करने के बाद लिया गया है।  


शिक्षा और जिम्मेदारी का संदेश
यह पहल शिक्षा के महत्व और अभिभावकों की जिम्मेदारी को रेखांकित करती है। सरकार द्वारा प्रदान किए गए धन का उपयोग बच्चों की मूलभूत आवश्यकताओं पर होना चाहिए। यूनिफॉर्म के अभाव में बच्चे न केवल ठंड का सामना करते हैं, बल्कि आत्मविश्वास में भी कमी महसूस करते हैं।  


हर जिले के लिए प्रेरणा
शाहजहांपुर की यह पहल अन्य जिलों के लिए एक प्रेरणा बन सकती है। अगर हर जिले में इस मॉडल को अपनाया जाए तो:  

- बच्चों की उपस्थिति में सुधार होगा।  

- यूनिफॉर्म पहनने से बच्चों में अनुशासन और समानता का भाव बढ़ेगा।  

- अभिभावक सरकारी सहायता का सही उपयोग करेंगे।  

- सरकारी योजनाओं के उद्देश्य को सही दिशा मिलेगी।  


प्रशासन और शिक्षकों की भूमिका
इस पहल को सफल बनाने के लिए प्रशासन और शिक्षकों को सक्रिय भूमिका निभानी होगी।  

- अभिभावकों को लगातार जागरूक करें।  

- यूनिफॉर्म के महत्व और बच्चों के स्वास्थ्य पर इसके प्रभाव को समझाएं।  

- स्कूल निरीक्षण को नियमित करें।  


सीडीओ का संदेश 
सीडीओ डॉ. अपराजिता सिंह ने कहा, "यूनिफॉर्म बच्चों के लिए केवल कपड़ा नहीं, बल्कि उनकी शिक्षा और स्वास्थ्य की सुरक्षा का प्रतीक है। यह पहल बच्चों को ठंड से बचाने और उनके आत्मसम्मान को बढ़ाने के लिए है। अभिभावकों को अपने बच्चों की जिम्मेदारी को समझना होगा।"

  
शाहजहांपुर का यह कदम न केवल बच्चों के लिए बेहतर वातावरण सुनिश्चित करेगा, बल्कि अभिभावकों में भी जिम्मेदारी का भाव जगाएगा। अन्य जिलों को भी इस पहल को अपनाना चाहिए, जिससे शिक्षा और बच्चों की बेहतरी के लिए सरकार की योजनाएं पूरी तरह सफल हो सकें। यूनिफॉर्म में बच्चे, शिक्षित और आत्मविश्वास से भरे बच्चे।

Friday, August 16, 2024

अभिभावकों की नीयत डीबीटी पर पड़ रही भारी, बच्चों के अधिकारों के साथ अपने ही कर रहे खिलवाड़

अभिभावकों की नीयत डीबीटी पर पड़ रही भारी,  बच्चों के अधिकारों के साथ अपने ही कर रहे खिलवाड़ 


उत्तर प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों के बच्चों के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा जारी की गई डायरेक्ट बैनफिट ट्रांसफर (डीबीटी) स्कीम का उद्देश्य बच्चों को यूनिफॉर्म सहित अन्य आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराना था। इस योजना के तहत प्रत्येक बच्चे के अभिभावकों के खाते में 1200 रुपये की धनराशि भेजी गई। एक माह से अधिक समय बीत चुका है, लेकिन स्कूलों में कई बच्चे अब भी बिना यूनिफॉर्म या पुरानी ड्रेस में ही स्कूल आ रहे हैं। 

(प्रतीकात्मक चित्र)


ये स्थिति चिंताजनक है और सवाल उठाती है कि आखिर यह धनराशि कहां जा रही है? क्या अभिभावक इस धनराशि का सही उपयोग नहीं कर रहे हैं? डीबीटी योजना का मूल उद्देश्य बच्चों को शिक्षा के साथ-साथ एक स्वाभिमान भरा वातावरण प्रदान करना था, जिसमें वे एक जैसी यूनिफॉर्म पहनकर आत्मविश्वास से पढ़ाई कर सकें। लेकिन जब 60 फीसदी बच्चे बिना यूनिफॉर्म के स्कूल आ रहे हैं, तो यह साफ है कि धनराशि का सही उपयोग नहीं हो रहा है।


कई स्कूलों में देखा गया कि बच्चे पुरानी ड्रेस पहनकर, हवाई या टूटी-फूटी चप्पलों में स्कूल आ रहे हैं। ऐसे में शासन की वह मंशा, जिसके तहत परिषदीय स्कूलों को प्राइवेट स्कूलों की तरह चमकाने और बच्चों को सभी सुविधाएं उपलब्ध कराने का उद्देश्य था, कहीं न कहीं विफल हो रहा है। इससे बच्चों के अधिकारों के साथ भी खिलवाड़ हो रहा है।


अभिभावकों की नीयत पर प्रश्नचिन्ह लगाते हुए यह कहा जा सकता है कि यदि वे बच्चों के भविष्य के प्रति सचेत होते तो इस धनराशि का सही उपयोग करते। बच्चों के अधिकारों और उनकी शिक्षा के प्रति यह लापरवाही केवल उनके भविष्य को ही नहीं, बल्कि देश के भविष्य को भी अंधकार में धकेलने वाली है। शासन को इस पर कठोर कदम उठाने की आवश्यकता है, ताकि इस धनराशि का सही उपयोग सुनिश्चित हो सके और बच्चों को उनके अधिकार मिल सकें। 

Saturday, August 10, 2024

गलती अभिभावकों ने की पर सजा मिल रही अध्यापकों को, DBT पेंडेंसी को लेकर कार्यवाहियों को लेकर शिक्षक हुए आक्रोशित

गलती अभिभावकों ने की पर सजा मिल रही अध्यापकों को, DBT पेंडेंसी को लेकर कार्यवाहियों को लेकर शिक्षक हुए आक्रोशित


बेसिक शिक्षा विभाग ने पूरे यूपी में परिषदीय विद्यालयों पर डीबीटी पेंडेंसी खत्म करने का दबाव बनाया हुआ है। कई  ज़िलों  में आंख मूंदकर हेडमास्टरों का वेतन बाधित किया जा रहा है,  अब प्रतिदिन समीक्षा कर हेडमास्टरों को लंबित डीबीटी कार्य समाप्त करने की ताकीद दी जाती है। उधर शिक्षकों का तर्क है कि अभिभावकों की गलतियों के लिए उन्हें बलि का बकरा क्यों बनाया जा रहा है।


विभाग ने वेतन अवरूद्ध किया
हेडमास्टरों पर इतना दबाव बनाया कि उनका कई रविवासरीय अवकाश भी डीबीटी के नाम चला गया। छुट्टियों  में भी शिक्षक डीबीटी की पेंडेंसी खत्म करने के लिए हाथ पैर मारते रहे लेकिन उन केसों को खत्म नहीं किया जा सका जिनमें मामला पूरी तरह अभिभावकों के हाथ हैं। कुछ अभिभावकों के आधार ही नहीं बने जबकि कई बच्चों के आधार प्रक्रियाधीन हैं। इस स्थिति में प्रतीक्षा ही एकमात्र विकल्प बन गया। शिक्षकों का  99 फीसदी तक 90 कार्य पूरा हो चुका है


अभिभावक बच्चों का आधार नहीं बनवा रहे
शिक्षकों का कहना है कि जब अभिभावक ही अपने बच्चे का आधार नहीं बनवा रहे और अपने बैंक खाते की आधार सीडिंग नहीं करा रहे हैं तो हमारा क्या दोष है। इसके बावजूद शिक्षकों ने रविवार को डीबीटी की पेंडेंसी खत्म करने के लिए पूरा जोर लगाया।


स्कूल छोड़ अभिभावकों को ढो रहे शिक्षक
हालात यह हैं कि कई हेडमास्टर व शिक्षकों ने स्कूल छोड़कर अभिभावकों को बैंक तक लाना शुरू कर दिया है ताकि उनके आधार को बैंक खाते से सीड कराया जा सके। जबकि स्कूल समय पर स्कूल छोड़ने पर पाबंदी है। सूत्र बताते हैं कि विभाग ही शिक्षकों पर ऐसा करने का दबाव बना रहा है। हालांकि शिक्षकों की इसमें कोई गलती नहीं है।


एक की पेंडेंसी पर भी वेतन रोका
शिक्षकों में की जा रही कार्रवाई को लेकर खासा रोष है। नाम न छापने की शर्त पर शिक्षकों ने कहा कि जब 90 से 99 फीसदी काम पूरा कर लिया तो एकाध छात्रों का डीबीटी कार्य भला हम क्यों छोड़ेंगे। विभाग को समझना चाहिए कि कोई न कोई व्यवहारिक दिक्कत रही होगी। इन दिक्कतों को दूर करना सिर्फ हमारे हाथ में नहीं है। अभिभावकों व जिम्मेदारों का साथ भी चाहिए।


तकनीकी दिक्कतों का क्या करें शिक्षक
सूत्र बताते हैं कि कई बार तो छात्र व उसके अभिभावक के आधार को प्रेरणा पोर्टल पर वेरीफाई करने के बावजूद डीबीटी ऐप में उनके आधार को सत्यापित नहीं होना दिखता है। जिसके चलते शिक्षकों को प्रेरणा पोर्टल में पंजीकरण के बाद डीबीटी ऐप पर भी आधार सत्यापन करना पड़ता है। जिसके चलते न केवल उनके कीमती समय की बर्बादी होती है बल्कि छात्रों की पढ़ाई भी बाधित होती है।

Sunday, June 30, 2024

सीएम योगी ने डीबीटी के माध्यम से परिषदीय बच्चों के अभिभावकों के खातों में राशि भेजने की शुरुआत की, 12 सौ रुपये प्रति छात्र के हिसाब से मिलेगी खातों में राशि

सीएम योगी ने डीबीटी के माध्यम से परिषदीय बच्चों के अभिभावकों के खातों में राशि भेजने की शुरुआत की12 सौ रुपये प्रति छात्र के हिसाब से मिलेगी खातों में राशि


488 लाख छात्र-छात्राओं के अभिभावकों को योजना का लाभ

छात्र-छात्राओं के खातों में पहुंचे 1056 करोड़


लखनऊ । मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि हमारे विद्यालय नवाचार और शोध के नए केंद्र के रूप में विकसित हों। छात्र-छात्राओं के अंदर कठिन चुनौतियों से जूझने का जज्बा हो, इसके लिए हम अपने आपको तैयार करें।

मुख्यमंत्री शनिवार को राजधानी के लोकभवन में आयोजित एक कार्यक्रम में प्रदेश के मेधावी छात्र एवं छात्राओं को सम्मानित कर रहे थे। इस दौरान योगी ने कक्षा एक से आठ तक के बच्चों को यूनिफॉर्म, जूता-मोजा, स्टेशनरी व स्कूल बैग के लिए डीबीटी के माध्यम से बच्चों के माता-पिता, अभिभावकों के खाते में 1200 रुपए की राशि भेजने की प्रक्रिया की शुरुआत भी की।


योगी ने कहा कि हम सभी की जिम्मेदारी है कि कोई भी छात्र स्कूल से वंचित न रह जाए। हम अपनी इस जिम्मेदारी का निर्वहन करें, ये देश की सबसे बड़ी सेवा है। श्रीमद्भगवतगीता में तो किसी को शिक्षित करना सबसे पवित्र कार्य माना गया है। उन्होंने शिक्षकों व शिक्षा विभाग के अधिकारियों से कहा कि आप उस पवित्र कार्य से जुड़े हुए हैं। आपका आचरण एक शासकीय अधिकारी की तरह नहीं, बल्कि समाज के एक मार्गदर्शक के रूप में, एक शिक्षक के रूप में होना चाहिए।


नई पीढ़ी के लिए रोल मॉडल हैं मेधावी छात्रः मुख्यमंत्री ने कहा कि इन कार्यक्रमों के माध्यम से हम अपने प्रतिभाशाली छात्र-छात्राओं को सम्मानित करते हुए नई पीढ़ी के सामने उन्हें रोल मॉडल के रूप में प्रस्तुत कर रहे हैं कि अगर वो भी ऐसे ही परिश्रम करेंगे तो उन्हें भी सम्मान प्राप्त होगा।

योगी ने छात्रों को सफलता का मंत्र देते हुए कहा कि परिश्रम का कोई विकल्प नहीं हो सकता। शॉर्टकट अपनाने वाला व्यक्ति कभी मंजिल को प्राप्त नहीं कर सकता। 

Tuesday, June 25, 2024

बेसिक शिक्षा : 28 जून तक डीबीटी का कार्य पूरा करने का फरमान, 25 जून तक जनपदवार DBT की पेंडेंसी / प्रगति देखें

बेसिक शिक्षा : 28 जून तक डीबीटी का कार्य पूरा करने का फरमान, 25 जून तक जनपदवार DBT की पेंडेंसी / प्रगति देखें 


DBT संबंधी कार्यों की दिनांक 25.06.2024 तक की जनपदवार प्रगति संलग्न कर इस आशय से प्रेषित है कि प्रगति का अवलोकन कर BEOs एवं BSAs के स्तर पर लम्बित कार्यों को दिनांक 25.06.2024 तक तथा Teachers के स्तर पर लम्बित कार्यों को दिनांक 28.06.2024 तक पूर्ण कराना सुनिश्चित करें।





बेसिक शिक्षा: 24 जून तक जनपदवार DBT की पेंडेंसी / प्रगति देखें